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हूक by Divya Shukla in Hindi Novels
हूक (1) आज मेरी सुबह कुछ जल्दी हो गई कुछ देर बाहर लान में टहलती रही फिर चाय की तलब लग आई अख़बार अभी आया नहीं था, सोचा चाय...
हूक by Divya Shukla in Hindi Novels
हूक (2) तभी माँ ने कहा “ नीरू जल्दी नहा ले अभी तुमसे मिलने कमला और मालती भी आती होंगी सुबह सुबह ही सोना नाउन तुमको देख ग...
हूक by Divya Shukla in Hindi Novels
हूक (3) दिमाग जिस तरफ इशारा कर रहा था आत्मा उसे मानने से छिटक रही थी | मुझे मौन देख फूला बुआ ने पूछा “ किस सोच में हो बि...