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महत्वाकांक्षा by Shashi Ranjan in Hindi Novels
महत्वाकांक्षा टी शाशिरंजन (1) साक्षात्कार के बाद कोलकाता से खुशी खुशी मैं वापस लौट रहा था । राजधानी एक्सप्रेस के प्रथम श...
महत्वाकांक्षा by Shashi Ranjan in Hindi Novels
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (2) इस बीच हमारी मुलाकात रोज होने लगी । हम दोनों के मुलाकात के लिए इंडिया गेट सबसे अच्छा स्थान...
महत्वाकांक्षा by Shashi Ranjan in Hindi Novels
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (3) मैने कहा जरूरी नहीं कि हर वो आदमी जो तुम्हारे कहने के अनुसार काम करता है वह तुम्हें प्यार भ...
महत्वाकांक्षा by Shashi Ranjan in Hindi Novels
महत्वाकांक्षा टी शशिरंजन (4) तभी प्रियंका ने अचानक अपने चेहरे का भाव बदलते हुए कहा - जिंदगी के मजे ऐसे नहीं होते हैं पंक...