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तक्सीम by Pragya Rohini in Hindi Novels
ये शहर भी अजीब हैं न अनोखे? लाख गाली दे दिया करें रोज मैं और तू इन्हें पर इनके बिना तेरे-मेरे जैसों का कोई गुजारा है बोल...
तक्सीम by Pragya Rohini in Hindi Novels
‘‘अबे पहली शादी कब कर रहा है तू?’’
‘‘क्या मतलब?’’
‘‘पहली करेगा तभी तो तीन और कर पाएगा न यार। तुम्हारे में तो खुल्ली छू...
तक्सीम by Pragya Rohini in Hindi Novels
‘‘ जय धरती मां जय गऊ माता’ के शब्दों पर हलचल सी मच जाती सोसायटी में-
‘‘अरे गौ-ग्रास वाला आ गया। भाग के जा और वो रात की...
तक्सीम by Pragya Rohini in Hindi Novels
‘‘हां भई हम पे भरोसा कहां था तुझे कि ख्याल रखेंगे तेरी बीवी का? अब संभाल ले तू।’’
बेटे का मजाक उड़ाते हुए अम्मा ने कहा त...