Moulik Sher, by Deepak Bundela AryMoulik

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मौलिक शेर by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi Novels
नमस्कार दोस्तों.... ! यू तो हर इंसान की जिंदगी में कुछ ना कुछ ख़ास पल होते हैं.... जो खुशियों या ग़म के होते हैं उन्ही कुछ...
मौलिक शेर by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi Novels
मौलिक 'शेर' पार्ट -241. इस चेहरे की नज़ाकत को यूं ना रखो हिज़ाब में.. ! ये बिजली हैं जो रुक ना सकेगी नकाब मे...
मौलिक शेर by Deepak Bundela AryMoulik in Hindi Novels
ये बिछड़ना भी किस काम का रहा ना हम काम के रहे ना तुम काम के रहे... !------------जब से वो अनजान क्या हुए हम तो बेजान से हो...