Azad Katha - Khand - 1 by Munshi Premchand

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आजाद-कथा - खंड 1 by Munshi Premchand in Hindi Novels
मियाँ आजाद के बारे में, हम इतना ही जानते हैं कि वह आजाद थे। उनके खानदान का पता नहीं, गाँव-घर का पता नहीं खयाल आजाद, रंग...
आजाद-कथा - खंड 1 by Munshi Premchand in Hindi Novels
आजाद की धाक ऐसी बँधी कि नवाबों और रईसों में भी उनका जिक्र होने लगा। रईसों को मरज होता है कि पहलवान, फिकैत, बिनवटिए को सा...
आजाद-कथा - खंड 1 by Munshi Premchand in Hindi Novels
नवाब साहब के दरबार में दिनोंदिन आजाद का सम्मान बढ़ने लगा। यहाँ तक कि वह अक्सर खाना भी नवाब के साथ ही खाते। नौकरों को ताकी...
आजाद-कथा - खंड 1 by Munshi Premchand in Hindi Novels
आजाद यह तो जानते ही थे कि नवाब के मुहाहबों में से कोई चौक के बाहर जानेवाला नहीं इसलिए उन्होंने साँड़नी तो एक सराय में बाँ...
आजाद-कथा - खंड 1 by Munshi Premchand in Hindi Novels
मियाँ आजाद की साँड़नी तो सराय में बँधी थी। दूसरे दिन आप उस पर सवार हो कर घर से निकल पड़े। दोपहर ढले एक कस्बे में पहुँचे। प...