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अमर प्रेम by Pallavi Saxena in Hindi Novels
जीवन मरण के बारे में सोचते हुए हमेशा मन उलझ जाता है चारों ओर बस सवाल ही सवाल नज़र आते हैं मगर उत्तर कहीं नज़र नहीं आता। क्...
अमर प्रेम by Pallavi Saxena in Hindi Novels
सुशीला बुआ की बातों को सुनने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि “शायद माँ भी अपनी जगह गलत नहीं है नकुल”, यह दुनिया है ही ऐसी “ज...
अमर प्रेम by Pallavi Saxena in Hindi Novels
तभी सहसा काँच के टूटने की आवाज़ से नकुल की तंद्रा टूट जाती है और वह देखता है कि सुधा की वह तस्वीर जिस पर चंदन का हार टंगा...
अमर प्रेम by Pallavi Saxena in Hindi Novels
हाँ वो उस दिन जब अंजलि से मुलाक़ात हुई तब मेरी भी समझ में नहीं आया कि मुझे उससे क्या पूछना चाहिए क्या नहीं तो मैंने भी बस...
अमर प्रेम by Pallavi Saxena in Hindi Novels
ताकि अंजलि गलती से भी वेदेश में बस जाने का न सोच ले। इधर नकुल राहुल के मन कि हालत समझ रहा है। इसलिए वह दीना नाथ जी से रे...