Tukda-Tukda Jindagi by प्रियंका गुप्ता

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टुकड़ा-टुकड़ा ज़िन्दगी by प्रियंका गुप्ता in Hindi Novels
ढोलक की थापों के साथ बन्ना घोड़ी गाने वाली का सुर भी तार-सप्तक नापने लगता था। बीच-बीच में कहीं सुर धीमा पड़ता तो नसीबन खाल...
टुकड़ा-टुकड़ा ज़िन्दगी by प्रियंका गुप्ता in Hindi Novels
फ़ैज़ान मियाँ एकदम खामोश हो गए। आलिया आखिर कैसा वादा चाह रही थी...बिन जाने कैसे खुदा को हाज़िर-नाज़िर जान कर वादा कर लें...?...