Aakhar Chaurasi book and story is written by Kamal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Aakhar Chaurasi is also popular in Moral Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
आखर चौरासी - Novels
by Kamal
in
Hindi Moral Stories
कोयला खदान की गहराई से ऊपर धरती की सतह तक आने में हरनाम सिंह बुरी तरह थक चुके थे। खाखी रंग के हाफ पैंट और शर्ट पर कई जगह कोयले की कलिख लगी थी, जो खदान की गहराई से उनके साथ ही चुपके से निकल आयी थी। हाजरी बाबू के ऑफिस की बगल में बने ओवरमैन के अपने कार्यालय कक्ष में पहुँचकर उन्होंने कमर से अपनी बेल्ट खोली। उस बेल्ट के साथ ही पीठ की ओर कमर पर बंधी, दो-ढाई किलो वज़न वाली, कैप-लैम्प की बैटरी भी उतार कर उन्होंने टेबल पर रख दी। हाथ में थमा डयूटी वाला मज़बूत डंडा वे पहले ही कोने में रख चुके थे। कोयला खदान की काली अँधेरी गहराइयों में बस यही दो चीज़ें सब के साथ होती हैं, उनकी रक्षक भी और उनकी मार्गदर्शक भी।
कोयला खदान की गहराई से ऊपर धरती की सतह तक आने में हरनाम सिंह बुरी तरह थक चुके थे। खाखी रंग के हाफ पैंट और शर्ट पर कई जगह कोयले की कलिख लगी थी, जो खदान की गहराई से ...Read Moreसाथ ही चुपके से निकल आयी थी। हाजरी बाबू के ऑफिस की बगल में बने ओवरमैन के अपने कार्यालय कक्ष में पहुँचकर उन्होंने कमर से अपनी बेल्ट खोली। उस बेल्ट के साथ ही पीठ की ओर कमर पर बंधी, दो-ढाई किलो वज़न वाली, कैप-लैम्प की बैटरी भी उतार कर उन्होंने टेबल पर रख दी। हाथ में थमा डयूटी वाला मज़बूत डंडा वे पहले ही कोने में रख चुके थे। कोयला खदान की काली अँधेरी गहराइयों में बस यही दो चीज़ें सब के साथ होती हैं, उनकी रक्षक भी और उनकी मार्गदर्शक भी।
जगदीश, राजकिशोर और विक्रम तीनों हॉस्टल मेस के बरामदे में खम्भों के पीछे खड़े स्टीवेंशन ब्लॉक पर नजर रखे थे। व गुरनाम का कमरा था। बीच-बीच में जगदीश अपनी जगह से झाँकते हुए सामने देख कर कमरा नम्बर-91 की ...Read Moreउन दोनों को धीमी आवाज में बताता जा रहा था। मगर राजकिशोर अपनी उत्सुकता को न दबा पाने के कारण स्वयं देख लेने के उद्देश्य से बार-बार खम्भे की आड़ से बाहर निकल आता। पोलियोग्रस्त दायें पैर के कारण इस प्रयास में उसे अपने पूरे शरीर को ही झटके से आगे-पीछे करना पड़ता। उसकी इसी उछल-कूद के कारण जगदीश बुरी तरह झल्ला चुका था।
हरनाम सिंह दुकान की बगल में बैठे अखबार पढ़ रहे थे। उनका बड़ा लड़का सतनाम दुकान के अन्दर ग्राहकों को राशन दे रहा था। यह स्थिति उनकी दूसरा पल्ला वाली रात ड्यूटी में ही नहीं बन पाती थी, जब ...Read Moreशाम चार बजे से रात बारह बजे तक की शिफ्ट में काम पर जाना होता था। शेष दोनों पल्लों अर्थात् पहला पल्ला, सुबह आठ से शाम चार बजे और तीसरा पल्ला, रात बारह बजे से सुबह आठ बजे तक में वे बिना नागा शाम की चाय पी कर घर से टहलते हुए पाँच-सात मिनट में सतनाम की दुकान की राशन दुकान में जा बैठते। दुकान का नौकर उनकी कुर्सी निकाल कर अखबार दे जाता। शाम ढलने तक वे वहीं अखबार पढ़ते। फिर गुरुद्वारा जा कर मत्था टेकते, रहिरास का पाठ सुनते और रात होते-होते घर लौट आते।
गुरुद्वारे में प्रवेश करते हुये उनके कानों में गुरुबाणी की आवाज़ आई, ग्रंथी ‘रहिरास’ का पाठ आरंभ कर चुका था। वहाँ बैठी संगत हाथ जोड़े बड़ी श्रद्धा से गुरबाणी श्रवण कर रही थी। गुरुद्वारा परिसर में सबसे पहले हरनाम ...Read Moreने अपने जूते उतार कर ‘जोड़े घर’ (जूते रखने की जगह) में रखे, फिर हाथ–पैर-धो कर गुरुद्वारे के मुख्य हॉल के अंदर आए। गुरु की गुल्लक में पैसे डाल कर उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब के सामने मत्था टेका और संगत में बैठ गये। गुरुद्वारे में अलौकिक शांति का अहसास था।
‘‘आज की ताजा खबर .... आज की ताजा खबर, हमारे मेन-हॉस्टल का रैगिंग किंग घोषित...... आज की
ताजा खबर, मेन-हॉस्टल का रैगिंग किंग घोषित......’’ देवेश ने नाटकीय ढंग से अपना हाथ लहराते हुए
कमरे में प्रवेश किया मानों उसके हाथ में ...Read Moreका अखबार हो।
रोज की तरह उस दिन भी वे चारो दोस्त शाम की चाय पी कर हुरहुरु चौक से लौटे थे। वहाँ से लौटने के बाद गुरनाम, संगीत पांडे और प्रकाश तो सीधे कमरे में लौट आए थे, मगर देवेश कॉमन रुम की ओर चला गया था। देवेश यूनिवर्सिटी का टेबल-टेनिस चैम्पियन था, हर शाम उसका एक-डेढ़ घण्टा कॉमन रुम में टेबल-टेनिस खेलते बीतता था। लगता था रैगिंग किंग की चर्चा वह वहीं कॉमन रुम से सुन कर आया था।