Ek tha Lekhak - 5 in Hindi Fiction Stories by Prashant Salunke books and stories PDF | ईक था लेखक - भाग 5

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ईक था लेखक - भाग 5

एक था लेखक

प्रकरण : ५

प्रशांत सुभाषचंद्र साळुंके

होरर

यह कहानी एक वास्तविक लेखक के जीवन से बनाई है पर कहानी को रोमांचक बनाने के लिए लेखक ने अपनी कल्पनाओ का भरपूर इस्तमाल किया है इसलिये इस कहानीको सिर्फ एक कहानी के रूप में ही पढे. इस कहानी का बहोत ही ध्यान से प्रुफ रीडिंग करने के लिए में मेरे भाई अनुपम चतुर्वेदी का तहेदील से शुक्रिया करता हुं

सुचना : इस कहानी में लिए गए सभी पात्र काल्पनिक है। इनका किसीभी जीवित या मृतुक व्यक्तिसे कोई सबंध नहीं है और अगर एसा होता है तो वो महज एक इत्तफाक है

प्रकरण : ५

विली में कहा "प्यार से... सर्कस में सिंह रिंगमास्टर के सामने कैसे पालतू हो जाता है। रिंग मास्टर अपना सर शेर के मुंह में रखता है पर क्या? शेर उसे खाता है?

मेकने कहा तुझे जो करना है कर.... तू कभी किसी की बात मानता है?

विलीने हंस कर कहा " सब की बात मानता तो आज विश्व को दो बढ़िया किताब न मिली होती। मेरा जाना तय है....

मेक को उसके आखरी शब्द कुछ खटके पर वो चुप रहा।

***

विली उन जंगली लोगो के साथ अच्छे से घुल मिल गया था। न जाने उस बन्दे में क्या दैवी शक्ति थी की वो हर किसी को अपना कर देता था। विली को उनके बारे में जानना था। उनके रहन सहन, उनका इंसान को पकड कर खाने का तरीका, उनकी दिन चर्या सब अगले प्रवास में भाषा उसके लिए थोड़ी तकलीफ देह रही थी इसलिए इस प्रवास में वो उसका अच्छे से अभ्यास कर आया था। कुछ नरभक्षि समाज के लोग सरकार द्वारा पकडे गए थे। जो अब सभ्य समाज में रहते थे। वो उनसे मिला था और उन्ही से उनकी भाषा भी सिखा था। शायद यही बात यहाँ प्रभाव कर गई थी। उन्होंने उनके भाइयो की खुशाली का पैगाम भी उन्हें दिया था। शायद वे उसी लिए उसे उनका देवदूत समझ रहे थे!

उनके साथ बातचीत करके विली को यह भी पता चल गया की वे जंगली जनावारो का शिकार करके खाते थे। और कभी इंसान पकड़ा जाए तब उसे भी अपना भोजन बनाते! पर इंसानी गोश्त उनका पसंदीदा था। इस बात से विली को यह तो पता चल ही गया था की उसे इनके बीच जीवित रहेना है तो उन्हें भूखा नहीं रखना है। खाली पेट से ही उन्हें विली में भोजन दिखाई देगा। इसलिए वो हर रोज उन्हें अपनी गन से कुछ न कुछ जनावारो के शिकार करके देता। बैठे बिठाये उन्हें भोजन मिलता था इस बात से भी वे विली पर खुश थे। उनके लिए विली अन्नदाता बन गया था। और सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को काटे इतने वे बेवकूफ भी न थे। दुसरा विलीने इस बात का भी ख्याल रखा था की उसकी शराब की बोटल को उनकी नजरो से दूर रखे! हाइटी जेसी गलती वो दुबारा करना नहीं चाहता था।

***

एक रात अजीब सी आवाजो से उसका ध्यान भंग हुआ। अपने टेंट से बाहर निकल कर वो आवाज की दिशा की और बढ़ने लगा....

एक रात अजीब सी आवाजो से उसका ध्यान भंग हुआ। वो आवाज की दिशा की और बढ़ा। जो उसने देखा वो शायद आम इंसान देखता तो उसकी रूह काप जाती पर यह विली था। वो मजैसे देखने लगा। वे कबीले के लोग एक इंसान को पकड़ कर लाए थे। और अब उसका भोजन करने वाले थे। विली उनकी सभी हरकते ध्यान पूर्वक देखने लगा। वो इंसान बचने के लिए छट पटा रहा था। पर विली लाचार था। वो जानता था की शेर के साथ रहेना है तो उसे खाली पेट नहीं रखना है। अगर वो बच जाएगा तो भूखे नरभक्षि उसे अपना भोजन बनायेगे। एक नरभक्षि ने अपने भाले को उस इंसान के बदन में घुसेड़ा। दर्द से वो बंदा छटपटा उठा। ढोल नगारो और ओ ओ ओ के नृत्य में उसकी चीखे दब गई। एक ने उसके बदन से टपकते खून के नीचे कटोरा लगाया। मुखिया ने विली को बताया गर्म खून उनके लिए एक बढ़िया पेय है। विलीने हां में सर हिलाया मुखिया की लाल आँखों में उसने भूख महेसुस की थी। अभी इन लोगो की नजरो से वो अपने आप को बचाए रखना चाहता था। उसने नरभक्षि ओ की संख्या देखि और पकडे गए इंसान की और वो दुबला पतला था! विली के माथे पर चिंता की लकीरे साफ़ साफ़ दिख रही थी। क्या यह बंदा उनकी भूख मिटा पाएगा? अचानक दर्द से और पीड़ा से तड़पते उस इंसान की नजर विली पर गई और उसने बेबसी से विली को पुकार कर कहा "save me.. help me..'

ढोल नगरों की आवाजे अचानक रुक गई। और सभी नरभक्षि ओ की नजर अब विली पर थी। विली उनके इरादे भाप गया था। उस गहरी अँधेरी रात में उन नरभक्षि ओ की आँखे किसी जंगली जनावरो की तरह चमक रही थी। विली का हाथ अपने आप अपनी गन की और गया। उसकी गन कमर बंध पर नही थी! वो टेंट मे ही उसे भूल आया था!

तभी पास के पेड़ से एक दूसरी आवाज आई "help ..... help...." विली के साथ साथ उन सभी की नजर उस पेड़ की और गई। विलीने देखा तो एक चेन की सांस ली, एक औरत वहाँ बंधी पड़ी थी। शायद पकडे गए उस बंदे की बीवी हो! अक्सर जंगल के सामने वाली सडक से वे एसे ही किसी मुसाफिरों को पकड कर लाते थे। अँधेरे में विली की उस औरत पर नजर नहीं गई थी। ढोल नगारे फिर बजने लगे। भाले फिर खून से लथपथ होने लगे। विली शांति से उनका खुनी खेल देखने लगा। वो चाह कर भी कुछ कर नहीं सकता था। बाजू में ही कुछ लोगो ने चूले की व्यवस्था की थी। जिसपे वे अपना भोजन बनाने वाले थे।

***

उनका भोजन अब तैयार था। वह लोग इंसानी मांस बड़े चाव से खा रहे थे! उन्हें इस कद्र खाते देख विली के मन में उनके लिए एक शब्द सुझा "zhombi" जो आके चलकर साहित्यकारो में बड़ा प्रख्यात हुआ। वैसे तो विलीने भी मुर्गा, सुवर, इत्यादी का मांस चखा था। सहसा उसके मन में प्रश्न आया की यह इंसानी मांस का स्वाद कैसा होगा।? उसने मुखिया से यह प्रश्न पूछा। मुखिया ने इंसानी मांस खाते हुए इस सवाल का बड़े अच्छे तरीके से जवाब दिया।

पर विली को जिस तरह के उत्तर की अपेक्षा थी उस तरह का जवाब उसे नहीं मिला।

उस रात देखे द्रश्य को भुलाने और अपने सावाल के कश्म कश्म में विलीने शराब की लिमिट तोड़ दी। पर उसे जवाब न मिला। उसका वेस्ट आफ्रिका का प्रवास बाकी प्रवासो से बढ़िया रहा। उसके सारे सवालों के जवाब उसे मिल गए थे। सिवाय एक के "इंसानी गोश्त का स्वाद कैसा होगा?"

उसे लगा नरभक्षि पर जब वो कहानी लिख रहा है तब मुख्य चीज जो उनका खाना है। जिसमे सब को ज्यादा दिलचस्पी है। और उसी के बारे में अधूरा ज्ञान हो तो किस काम का?

लौटते वक्त उसके मन में एक ही सवाल था

"इंसानी गोश्त का स्वाद कैसा होगा?"

मेक अपने दोस्त को सही सलामत देख काफी खुश हुआ।

मेकने विली को गले लगा लिया। विली भी उसके गले लगा। पर हर प्रवास के बाद गले लगने वालि गर्मजोशी उसे नहीं दिखी। पर वो तब कुछ नही बोला।

रात को जब दोनों बैठे तब मेकने कहा "क्या है विली इस बार तू खुश नहीं दिख रहा?’

विलीने कहा "मेक इस बार एक सवाल का जवाब नहीं मिला दोस्त"

मेक : किस बात का?”

विलीने कहा : “नरभक्षि जो इंसानी मांस खाते है, वो बड़े मजे से खाते है। उन्हें उसमे इतना क्या मजा मिलता है? मतलब इंसानी गोश्त का स्वाद कैसा है? यह सवाल मुझे खाए जा रहा है!”

मेकने हंस कर कहा "अरे जैसा भी हो! तुझे क्या तू मुर्गे या बतक, या किसी भी जानवर के गोश्त से उसकी कल्पना कर उसके बारे में लिख डाल। क्या फर्क पड़ता है?”

विलीने गहरी साँस लेते हुए कहा "फर्क पड़ता है दोस्त, फर्क पड़ता है, लोग मेरी कहानी को अब वास्तविक मेरे अनुभव वाली ही समझते है। माने में जो कुछ भी लिखू वो सच है वही वो जानते है। समझते है। इसे में में इंसानी गोश्त के बारे में कुछ भी लिखता हुं लोग उसे सच समझेंगे और जानता है इससे अर्थ का अनर्थ भी हो सकता है? “

मेक : “मतलब?”

विली : “देख कुछ लोग करेले की सब्जी बड़े चाव से खाते है। पर कुछ को वो बिलकुल पसंद नहीं। अब देख न मुझे करेला बिलकुल पसंद नहीं । अब समझ मैने करेला कभी खाया ही नहीं। और में अपने पसंदीदा सब्जी बैगन के हिसाब से करेले के बारे में लिखू, तो वो सब अच्छा ही होगा। “

मेक : “तू कहना क्या चाहता है?”

विली : “मतलब में करेले के बारे में लिखना चाहता हुं तो मुझे क्या करना चाहिए”

मेक : “उसे चखना चाहिए।“

विली : “ठीक वैसे ही में नरभक्षि द्वारा खाए जाने वाले इंसानी गोश्त के बारे में लिखना चाहता हुं, तो मुझे क्या करना चाहिए?”

मेक आश्चर्य और डर से विली को देखने लगा और कहा "तू क्या करना चाहता है? कही तू इंसानी गोश्त को खाने की तो नहीं सोच रहा।“

विलीने एक झटके में शराब को अपने गले से उतारते कहा "बिलकुल सही समझा! में इंसानी गोश्त को चखना चाहता हुं, उसका स्वाद जानना चाहता हुं।

और इतना कहते विली मेक की और भूखी नजर से देखने लगा। मेक के कापते हाथो से ग्लास गिर गया।

(आगे क्या जानने के लिए पढ़े प्रकरण ६)