journey to rustanga in Hindi Adventure Stories by Raaj books and stories PDF | जर्नी टु रुस्तँगा

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जर्नी टु रुस्तँगा

Journey to rustanga

मेरा नाम शनय है । में इस किताब में अपनी जिंदगी का सबसे रोमांचक सफर बया कर रहा हूँ । वैसे तो इसे लब्जो में बयां करना काफी मुश्किल है ।फिर भी मैं पूरी कोसिस कर रहा हूँ । मेरा ये सफर एक रात को सुरु हुआ ।

मैं रात को खाना खाके युही टहलने के लिए जा रहा था । रात के करीब 10 बजे थे । मैं थोड़ा अकेलापन महसूस कर रहा था । तभी रास्ते पे मुझे मेरी दोस्त जाया मिल गई ।साथ में उसका भाई भी था । उसका नाम नेविल है ।जाया और नेविल दोनों मेरे साथ कॉलज में पढ़ते है । जाया की बात करु तो वो दिखने में काफी सीधी सादी लगती है । उसके बाल काफी घने थे चेहरा एकदम गोरा पर दोनों गाल पे गुलाबी निशान पड़ चुके थे ।आँखे काफी गहरी और उसकी पल्खें काफी घनी थी । दिखने में वो जितनी सीधी थी उतनी ही बोलने में तेज़ । बातो में उससे आजतक कोई जित नहीं शका । और उसका भाई नेविल उससे उल्टा था ।वो काफी शांत रहता था । पर कॉलेज में वो अव्वल आता था ।

मैने नेविल और जाया को देखा । मेने नेविल और जाया को hi कहा । और वही खड़े खड़े कॉलेज की दोस्तों की ,प्रोफेसर , और फिर प्रोजेक्ट की बाते कर रहे थे । तभी नेविल की नज़र आसमान पर पड़ी । आसमान में नीली रोशनी दिख रही थी । जो बड़ी तेज़ी से बढती जा रही थी । लगता था कि कुछ हमरे करीब आ रहा है । कुछ ही पल बाद तो वह रोशनी इतनी तेज़ हो गई की हमें कुछ दिख ही नही रहा था । मेने अपनी दोनों आँखे बन्ध कर दी ।मुझे जाया की चिल्लाने की आवाज़ आयी । मैंने अपनी आँखें खोली तो देखा की आसपास अभी भी नीली रोशनी थी । जाया और नेविल बेहोस थे । मे उसके पास गया और दोनों को जगाया । दोनों खड़े होकर मुझे पूछने लगे हमें क्या हुआ था । और वह नीली रोशनी किस चीज़ की थी । मेने कहा मुझे भी नहीं पता की वह क्या चीज़ थी लेकिन अब रात काफी हो चुकी है । हमें अब घर जाना चाहिए । और हा मेरी घडी भी काम नहीं कर रही । नेविल क्या तुम अपने फोन में देख के बता सकते हो कितने बजे ।

नेविल ने अपना फ़ोन निकाला लेकिन वो भी बंध था । और जाया की घडी भी चल नहीं रही थी ।

उतने मैं नीली रौशनी कम होने लगी । मेने आसमान पर अपनी नज़र की ।आसमान में बादल दिख रहे थे लेकिन वह इतने बड़े थे की ऐसा लगता था कि हमारा सर अभी उससे टकरा जायेगा ।वह आसमान बहुत खूबशुरत था । एक दो तारे अभी भी दिख रहे थे ।अब आसपास कोई नीली रौशनी नहीं थी लेकिन हम कोई अंजान जगह पर आ पहोचे थे । वो कोई पहाड़ी लग रही थी । चारो और अजीब अजीब पेड़ थे ।अजीब इसलिए क्योंकि उनके रंग हरे, नीले, लाल, इत्यादि थे । वह नज़ारा बहुत ही खूबसूरत था । मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत जगह नहीं देखी थी । हमारे पास आगे चलने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था । जमिन पर गुलाबी रंग की घास थी । उस घास का एक तिनका तोड़कर मेने अपने हाथ में लिया ।वो बहुत ही नरम और चमकीला था । उस घास को देखकर खुल्ले पाव चलने का मन कर रहा था । नजदीक ही एक पिले रंग का पेड़ था । उसके पत्ते काफी बड़े थे ।हमने उसके पत्ते में अपनी चप्पल समेत ली ।

और खुल्ले पाव चलने लगे ।

हमारे पैर ठंडी और बेहद नरम घास पर चल रहे थे । आसपास मनमोहक खुश्बू आ रही थी । काफी वक़्त तक हम चलते रहे ।रास्ते में हमने कई अजीबोगरीब लेकिन खूबसूरत चीजे देखी । कई सारे अलग अलग जानवर और पक्षी भी देखे ।वो बहुत ही मासूम थे ।

उनमे से कोई भी खतरनाख नहीं लग रहा था ।

उनमेसे एक पक्षी हमारे साथ साथ आ रहा था। मानो वो हमें जानता हो । वो दिखने में कबूतर जैसा था । लेकिन उसका रंग थोड़ा सफ़ेद और थोड़ा नारंगी था ।वो ज्यादा तेज़ी से उड़ नहीं पा रहा था ।हम थोड़ी देर रुके तो वो जाया के कंधे पर बैठ गया । उतने में नेविल बोला :वाह , यह कितना खूबसूरत है ।

जाया : हा, वाकई बहुत खुबसूरत है । हम घर जाये तो इसे साथ लेके जायेगे

मैं : साथ तो यहाँ से बहुत कुछ लेजा सकते है मगर जायेगे कैसे ।

नेविल : हमें कोई रास्ता ढूंढना होगा ताकि हम यहाँ से निकल सके ।

जाया : देखो यह जगह कितनी खूबसूरत मुझे तो कहीभी जाने का मन नहीं कर रहा ।

में : हा ,में जानता हूं कि ये बहुत खूबसुरत है । लेकिन हम हमेशा के लिए यहाँ नहीं रहे सकते।

नेविल : शनय ठीक कह रहा हैं ।हमे जल्दी ही यहाँ से निकलने का रास्ता ढूंढना होगा ।

जाया : ठीक है। लेकिन अभी मैं बहुत थक चुकी हूं क्यों न हम कुछ देर यही पर आराम कर ले ।

मैं : वो भी ठीक है । तुम यही कुछदेर आराम करो में और नेविल खाने का इंतज़ाम करते है ।

ऐसा कहकर मे और नेविल वहासे थोड़े दूर कुछ फल तोड़ने चले । जाया वही पर आराम कर रही थी । हमने कई तरह के फल देखे । दिखने में तो वो रंगीन और स्वादिस्ट लग रहे थे । हमने वही से कुछ वही से कुछ फल तोड़कर रुमाल में लपेटे । पास में एक नदी भी थी वही से थोड़ा पानी भी ले लिया ।अब हम वापस जा रहे थे जहाँ जाया हमारा इंतज़ार कर रही थी । जब हम वहां पहुचे तो हमने देखा जाया बेहोस पड़ी थी । उसके हाथ मैं एक फल था । ऐसा लग रहा था कि जाया उस फल के खाने के बाद बेहोस हो चुकी होगी । हमने उसे होश में लाने की बहुत कोसिस कि ।लेकिन उसपर कोई असर नहीं पड़ा ।

तभी मेरी नज़र एक साये पर पड़ी । वो साया काफी बड़ा था । और वो हमारे करीब आ रहा था । मेने ऊपर देखा तो करीब 8 फ़ीट का इंसान खड़ा था ।वैसे वो इंसान कम जानवर ज्यादा लग रहा था । दिखने में वो काफी कदावर था । बड़ी बड़ी और गोल आँखे ।उसका गला बालो से भरा था । सर के बाल एकदम सफ़ेद और काफी लंबे थे ।चेहरे पे कई सारे घाव के निशान थे । और शरिर पर रंगबेरंगी पत्तो से बुना हुआ पोशाक पहना हुआ था । उसके हाथ में 9 फ़ीट लंबी लकड़ी थी । वो हमारे करीब आया और अपनी भारी भरखम आवाज़ में बोला । मे आपकी मदद कर सकता हूँ । पहले तो मुझे और नेविल को उस अंजान आदमी पर बिलकुल भरोसा नहीं था लेकिन ।उस आदमी पर भरोसा करने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं था ।

उस आदमी ने जाया को अपने कंधे पर उठाया और कहा मेरे पीछे आओ । हम लोग उसके पीछे पीछे चल ने लगे रस्ते में एक गुफा

आई वहा हमने कुछ देर आराम किया । उस आदमी ने हमारे लिए खाने का इंतज़ाम भी कर दिया । हम मीठे और रसीले फलो का मज़ा ले रहे थे । तभी नेविल ने उस लंबे इंसान से पूछा तुम्हारा नाम क्या है

लंबा इंसान : मेरा नाम प्रोंक है । हम मेनिक्स सभ्यता के वंसज है ।

में : मेनिक्स सभ्यता ?

प्रोंक : हां , मेनिक्स सभ्यता । हमारे पूर्वज गेडिकेट के जंगल में रहा करते थे । सब उस जंगल में ख़ुशी ख़ुशी रहते थे । एक वक़्त ऐसा आया की पुरे जंगल में आग लग गयी ।हमारे कई लोग मारे गए ।हमारे पूर्वजों ने देवी निक्सा को प्राथना की । तभी हमारी देवी " निक्सा " ने प्रकट होकर हमारे पूर्वजों को एक यन्त्र दिया और उस यन्त्र के जरिये वो इस खूबसूरत जगह पर आ पहुचे ।

नेविल : क्या वो यंत्र आज भी आप लोगो के पास है ।

प्रोंक : इस खूबसूरत जगह पर आने के बाद उस यंत्र को देवी निक्सा के मंदिर में छुपा दिया गया । अब रात बहुत हो चुकी है ।हमें सो जाना चाहिये सुबह जल्दी निकलना चाहिए।

जाया अभीभी बेहोश थी ।

में : गुड़ नाईट नेविल, गुड नाईट प्रोंक, गुड नाईट जाया।

में सो गया । कुछ वक़्त बाद मुझे आवाज सुनाई दी ।वो प्रोंक था ।वो हमें जगा रहा था ।

प्रोंक : वेंकड्रॉत का कबीला हमारी तरफ आ रहा है हमे जल्द से जल्द यहाँ से निकलना होगा । ऐसा कहकर उसने जाया को अपने कंधे पे उठाया ।और आगे चलने लगा । हम भी उसके पीछे चलने लगे ।

कुछ वक़्त बाद बारिस सुरु हो गई । हम एक बड़े से पेड़ के पीछे छुप गए । मेने वेंकद्रोत के लोगो को देखा ।वो करीब 7 से 8 फ़ीट लंबे थे ।उनका सर काफी बड़ा था । सरपर तीन सिंग थे ।उनके कान हाथी की तरह बड़े थे । सबके हाथ में भाले थे । में उन्हें देख रहा था ।

उतने में प्रोंक बोला

प्रोंक : ये लोग युध्द कला में काफी निपुण होते है । इनकी सूंघने की शक्ति कमाल की होती है । लेकिन इनकी वस्ती हमारी तुलना में काफी कम है । हम कुछ वक्त वही पर सो गए ।

उतने में सुबह हो गई । वो नज़ारा बहुत खूबसूरत था ।बारिस रुक गई थी लेकिन वो लाल रंग के पेड़ के पत्तो से अब भी पानी टपक रहा था ।गुलाबी घास और भी नर्म हो गई थी । आसपास एक मिठिसी खुसबू छा गई थी । आसमान से निकलती हुई सूरज की किरणें हमारे शरीर को गर्म कर रही थी ।लेकिन कोई ऐसा भी था जो वहा होते हुए भी ये सब महसूस नहीं कर पा रहा था । वो थी जाया ।वो अब भी बेहोस थी ।

हम फिर आगे चलने लगे ।

नेविल : अब कितना दूर है ।

प्रोंक : सामने वो छोटी पहाड़ी दिख रही है ।

ठीक उसके पीछे है ।हमारा प्यारा सा नगर " रुस्तन्गा " ।

आखिर हमने वो पहाड़ी भी पार कर ली । और हम रुस्तन्गा पहुच गए । वहा सब लोग हमारी और देख रहे थे । उतनेमें कुछ छोटे बच्चे प्रोंक के पास आये और कहने लगे क्या लाये हमारे लिये । प्रोंक ने अपनी कमर से एक थैली निकाली और उन बच्चो को दे दी । वहा के सब लोग प्रोंक की तरह ही लंबे थे । यहाँ तक औरते भी काफी लंबी थी । पास ही में एक अखाड़े में कुछ जवान लड़ रहे थे । हम वो लड़ाई देखने लगे । वो काफी स्फुर्तीले और तेज़ थे ।

प्रोंक ने एक लड़के को बुलाया । और जाया का इलाज कराने के लिए लेजाने को कहा बादमे कुछ लोगो को इकठ्ठा किया । और उन्हें हमारे बारेमे बताया ।

उनमे से एक दिखने में बुजुर्ग लग रहा था उसका नाम प्रोंक ने नोटर्स बताया ।वो उनके लोगो का मुखिया था ।

नोटर्स: क्या तुम सचमे पृथ्वी से हो ।

में : हा ।

नोटर्स : लेकिन वो तो यहाँ से बहुत दूर है । यह कैसे हो सकता है ।

प्रोंक : कही किसीने देवी निक्सा के यन्त्र से छेड़खानी तो नहीं की ।

नोटर्स : यदि ऐसा है तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जायेगा ।हमें फिर यह जगह छोड़नी पड़ेगी ।और कई ग्रह के लोग यहाँ आ जायेंगे । हमें जल्दी उस यंत्र को ढूंढना होगा ।और इन लोगो को वापस उनके घर पहुचाना होगा ।

उतने में प्रिस वहा आ पंहुचा ।

(प्रिस वही लड़का है जो जाया को लेके इलाज कराने ले गया था ।)

प्रिस : आपकी दोस्त को होश आ गया है । पिताजी ने कहा अब आप उससे मिल सकते है ।

नेविल और में जाया को मिलने के लिए काफी उतावले हो रहे थे ।हम तुरन्त उसके पीछे चलने लगे ।

हम जाया के पास पहुचे । अब वो ठीक थी । हमने उसे प्रोंक और उसके दोस्तों के बारेमे बताया ।

उतने में नोटर्स और प्रोंक वहां आ पहुचे । वो हमारी मदद करने के लिए तैयार थे ।

नोटर्स : कल सुबह से ही हम तुम्हे घर पहुचाने की तैयारी मे लग जायेंगे । आज रात तुम यही प्रिस के घर में आराम कर लो ।

इतना कहकर प्रोंक और नोटर्स वह से चले गए । उतने में प्रिस हमारे लिए खाना लाया ।

हमें बहुत भूख लगी थी ।और जाया ने भी कलसे कुछ नहीं खाया था । हम तुरंत खाना खाने बैठ गए । हमने इतना स्वादिस्ट खाना आजतक कभी नहीं खाया था ।

खाना खाने के बाद प्रिस हमें छत पर ले गया।

उतने में प्रिस हमारे लिए पान लेकर आया ।

जाया : ये किस चीज़ से बना है ।

प्रिस : सबसे पहले रेंगत पेड़ की पत्ति को उबाला जाता है ।उसके ऊपर हाटक और फ़िज़क का मिश्रण ,और चोर्क पेड़ के फलो को सुखा कर उसका चुरा बनाके डाला जाता है ।ये काफी स्वादिस्ट होता है । और इसे खाने के बाद पेटमें काफी हल्का महसूस होता है ।

नेविल ने पान उठाया और मुहमे दाल दिया ।

नेविल : यह कितना लज़ीज़ है ।

मेने और जाया ने भी वो पान का लुफ्त लिया ।

हमलोग छत से पूरा रुस्तन्गा देख शकते थे।

प्रिस हमें रुस्तन्गा के इलाके के बारे में बता रहा था । वो बहुत ही सुन्दर था । लेकिन हमें हमारा

घर भी याद आ रहा था ।ये सब चाहे जितना भी

खूबसूरत हो लेकिन घर आखिर घर होता है ।

हमारे बिस्तर भी वही छत पर ही लगाये गए । खुली हवामें कुछ पल में ही हमे नींद आ गई ।नींद में हम अपनी एक अलग ही दुनिया में होते है । सपनो की दुनिया ।जिसे हम जीते है लेकिन वो सिर्फ कल्पना होती है ।

वैसे सपने और असल जिंदगी में ज्यादा फर्क नहीं होता । फर्क सिर्फ उतना होता है कि सपना हमारी आँखों के बंध होते सुरु होता है ।और आखो के खुलते ही खत्म हो जाता है । पर जिंदगी हमारी आखो के खुलते ही सुरु हो जाती

है ।और ख़तम तब होती है जब हमारी आँखे हमेसा के लिए बन्ध हो जाती है ।

सुबह सूरज की पहली किरण मेरी आँखों में पड़ते ही में जाग गया ।वैसे वो सूरज था या कोई और तारा ये तो में नहीं जानता था ।मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि ये लोग उसे किस नाम से बुलाते थे ।और मैने पूछा भी नहीं। लेकिन नेविल ने पूछ लिया ।

प्रिस ने कहा हम इसे क्रेट्स कहते है । महीने में एकबार हम इनकी पूजा भी करते है ।क्योंकि हमारा जीवन इन्ही की देन है । हम जाग चुके थे ।और जाया भी अब पूरी तरह स्वस्थ थी । अब

हमें वो देवी निक्सा का यन्त्र लाना था और जल्दी घर पहुचना था ।लेकिन ये थोड़ी न रेंगत पेड़ का पान खाने जितना आसान था ।

नोटर्स ने हमारे लिए एक टुकड़ी बनाई ।वैसे उसमे लोग काफी कम थे ।लेकिन उनके मुताबित उतने काफी थे ।

उसमे प्रोंक और प्रिस भी शामिल थे ।और उसके आलावा और 6 - 7 लोग । किसीको नहीं पता था कि देवी निक्सा का यन्त्र किसने और आखिर क्यों चुराया था । लेकिन फिलहाल तो हम देवी निक्सा के मंदिर की और जा रहे थे । वहा नोटर्स के बड़े भाई ग्रिट से मिलने । क्योकि नोटर्स के । मुताबिक ग्रिट ही हमे उस यन्त्र के बारे में बता सकता था । वो कही सालो से देवी निक्सा के मंदिर में रहेता है ।और देवी निक्सा की पूजा करता है ।

हमें अब यहासे निकलना था ।प्रोंक हमारी सवारी का इंतज़ाम करने गया था और प्रिस हमारे खाने का । हम नोटर्स और 6-7 साथियो के साथ उनका इंतजार कर रहे थे । उतने में प्रिस आ गया ।कुछ देर बाद प्रोंक भी आ गया ।साथ में कुछ जानवर थे ।

नेविल : ये क्या चीज़ है ।

प्रोंक : इसे काय अश्व कहते है । इनके पैर बहुत मजबूत होते है । ये काफी वक्त तक बिना कुछ खाये रह सकते है । और गति में इसका मुकाबला और कोई जानवर नहीं कर शकता ।

लगाम खीचते ही ये हवा से बाते करने लगते है ।

जाया उस अश्व की और गई और उसके सर पर हाथ सहलाया ।

वो अश्व वाकई में बहुत ही शानदार था । लेकिन वो दिखने में हमारे अश्वो से काफी अलग था ।

वो कद में काफी बड़ा था । मेने उसकी आँखों में देखा । उसकी आखो में एक अनोखी चमक थी । उसकी सास लेने की आवाज़ दूर तक सुनाई देती थी ।

हम अब पूरी तरह से जाने के लिए तैयार थे । हम प्रोंक की मदद से उस अश्व पर चढ़ गए । फिर मेने लगाम हाथ में ली और जैसे ही उसको खिंचा । पवन की गति से काय अश्व दौड़ ने लगा ।मेरे साथी भी मेरे साथ ही थे ।

वो सफर काफी मज़ेदार था ।उस पवन की गति वाले अश्व् के होने के बावजूद हमें हमें हमारी मंजिल तक पहुचने के लिए करीब 4 दिन लगने वाले थे । हमारे सफर का पहला दिन बिना किसी रूकावट के बीत गया । रात को हमने एक नदी के नज़दीक की गुफा में ठेका डाला । खाने का इंतज़ाम भी प्रिस ने कर दिया था । रात को कुछ जानवर नदी में पानी पीने आते है । उनके पानी पीने की आवाज़ में सुन सकता था ।उस गुफा मे रात बिताने में ज्यादा दिक्कत तो नहीं आई । लेकिन कुछ बुरे सपने मुझे बार बार जगा दिया करते थे। मै घर जाना चाहता था ।और नेविल और जाया भी वही चाहते थे ।

आखिर सुबह हो गई ।प्रोंक ने सुबह हमें जगा दिया । सुबह सुबह नास्ता भी कर लिया ।अब काय अश्व भी चलने के लिए तैयार थे ।ये विचित्र प्रकार के अश्व् थे । थकने का तो नाम ही नहीं लेते थे । उन अश्वो की सवारी करते वक़्त हमारी यात्रा और भी रोमांचक हो गयी । बाकि के दो-तीन दिन भी गुजर गए । हमें वहा पहुचने में करीब चार दिन लगे ।

हमें दूर से देवी निक्सा का मंदिर दिखने लगा ।उस मंदिर की चमक अनोखी थी । नोटर्स ने बताया कि ये पूरा मंदिर चांदी से बनाया गया था । और इसकी छत अत्यन्त बारीक़ कारीगरी से बनाई गई है । इस मंदिर के भूगर्भ में एक कक्ष है । वहा कई साल पहले देवी निक्सा के यन्त्र को स्थापित किया गया था । वो यंत्र ही तुम्हे तुम्हारे घर तक पहुचायेगा । उस मंदिर के बाहर एक बूढ़ा आदमी खड़ा था ।उसकी दाढ़ी काफी बड़ी थी शरीर पर हरे रंग का वस्त्र लपेटा हुआ था । उसके हाथ में कुछ फूल एक पत्ते में लपेटे हुए थे । नोटर्स उसको देखकर दौड़ने लगा और उसको अपने गले से लगा लिया

। पहली बार प्रोंक ने नोटर्स की आँखों में आंसू देखे । वो बुढा आदमी और कोई नही ग्रिट था ।

कई साल बाद दोनों मिले थे ।तो दोनों की आँखोंमे से आंसू रूक नहीं रहे थे।

नोटर्स ने देवी निक्सा के यन्त्र के बारे में पूछा । ग्रिट ने बताया कि वो यंत्र पूरी तरह से सुरक्षित है । फिर नोटर्स ने हमारे बारे में भी उसे बताया । कुछ पल के लिए तो ग्रिट भी सोच में पड गया। आखिर में ग्रिट हमें मंदिर के नीचे

एक गुप्त मार्ग से ले गया । वहा एक छोटा सा कमरा था । उसका दरवाज़ा काफी पुराना लग रहा था । ग्रिट ने अपनी जेब से चाबी निकाली

और उस पुराने दरवाज़े को खोला । कमरे के अन्दर एक बक्सा था । ग्रिट ने उस बक्से को भी खोल दिया ।जैसे ही उस बक्से को ग्रिट ने खोला आसपास नीली रौशनी छा गई । इस रौशनी से हम अब वाकेफ थे ।

हम अब घर जा रहे थे । प्रोंक की आँखों में आंसू थे । वो हमें कुछ कहना चाहता था । उसने अपने कोट की बाई और से एक किताब निकाली और मुझे दी । वो किताब काफी पुरानी लग रही थी । वो बिलकुल ख़ाली थी ।

प्रोंक : हमें याद रखना । और अपने सफर के बारे में इस किताब में लिखना।

में : सुक्रिया प्रोंक ।

नोटर्स : अब आप लोगो के घर जाने का वक़्त आ गया है । यहाँ पर आना तुम्हारी नियति थी ।

जाया , नेविल और में : दोस्तों,आप सब की बहुत याद आएगी , अलविदा दोस्तों ।

ग्रिट ने यंत्र सुरु किया । नीली रौशनी बढ़ने लगी । हमें फिरसे कुछ नहीं दीख रहा था । लेकिन हमें इतना पता था कि हम घर जा रहे थे । नीली रौशनी धीरे धीरे कम होने लगी ।मेने आसमान में देखा । आज चाँद कुछ ज़्यादा ही चमक रहा था । हम उसी जगह पर आ पहुचे जहा से हमारा सफर सुरु हुआ था । मुझे घडी के टिक टिक की आवाज़ आ रही थी । अब हम सबकुछ साफ साफ देख सकते थे । आखिरकार इस लंबे सफर के बाद हम घर पहुच गए ।।।।।

घर पहुचने के बाद मुझे बिलकुल नींद नहीं आ रही थी । मेने वो किताब निकली (जो प्रोंक ने दी थी ) और इस सफर को उस पुरनी किताब के पन्नो में लिख दिया । कभी मुझे ऐसा भी लगा को मेरा ये सफर थोड़ा और लंबा चला होता तो में उस जगह को और जान पाता ।

लेकिन फिरभी मैं खुश था ।।।