Bharatiy sena in Hindi Spiritual Stories by Anubhav verma books and stories PDF | भारतीय सेना

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भारतीय सेना

कंधों से मिलते हैं कंधे और कदमों से कदम मिलते हैं

जब चलते हैं हम एसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं।

एक ओर पाकिस्तान तो दूसरी ओर चीन। आंतकवाद, परमाणु हथियार, प्राकृतिक आपदाएँ। फिर भी देश तेजी से विकास कर रहा है। हम रात को चैन की नींद सो रहे है। कौन है वो लोग जिनके कारण देश सुरक्षित है।

ये सब संभव हो पाया है हमारी भारतिए सेना के कारण। हमारे देश के बहादुर सैनिकों सीमाओं पर प्रतिकूल परिस्थितियों में रहते हैं और वे सीमावर्ती इलाकों पर कड़ी निगरानी रखते हैं। भारतीय सेना एक सच्चे समर्पण और देशभक्ति की भावना के साथ काम करती है। देश में शांति ओर स्थिरता में उनका बहुत बड़ा हाथ है।

भारतिए सेना सिर्फ हमें बाहरी आक्रमण से ही नहीं बचाती बल्कि शांति के समय में कई सामाजिक सेवाँए भी करती है। प्राकृतिक आपदाओं जैसे उत्तराखंड की बाड़, कश्मीर में भूकंप, लद्दाख में मूसलधार बारिश के दौरान भारतीय सेना की भूमिका प्रशंसा के योग्य है।

अगर हमे कुछ सीखना है तो भारतीय सेना की तुलना में अधिक प्रेरणादायक कुछ भी नहीं है। हम अपनी सेना से बहुत कुछ सीख सकते हैं। भारतीय सेना अनुशासन का एक बहुत बड़ा उदाहरण है। वे एक बहुत ही सख्त अनुसूची का पालन करते हैं। वे हमें किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना सिखाते हैं। भारत में कितनी सम्सयाएँ हैं परन्तु फिर भी वे राष्ट्र की आलोचना नहीं करते। वे देश को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं। उनसे हमें देश के प्रति सम्मान और प्यार की सीख मिलती है।

भारतीए सेना के इतिहास की बात करें तो अब तक वे चार युद्ध पाकिस्तान के साथ और एक चीन के साथ लड़ चुकी है। ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन कैक्टस सेना द्वारा किए गए प्रमुख आपरेशनों में शामिल हैं। युद्ध के अलावा शांति के समय किए गए ऑपरेशन ब्राससटैक्सऔर व्यायाम शूरवीरभी सराहनिए योग्य हैं। कई संयुक्त राष्ट्रों जैसे साइप्रस, लेबनान, कांगो, अंगोला, कंबोडिया, वियतनाम, नामीबिया,साल्वाडोर, लाइबेरिया, मोजाम्बिक और सोमालिया द्वारा चलाए गए शांति अभियानों में भी हमारी सेना ने सक्रिय भागीदारी निभाई है।

हमारे सैनिकों ने कभी आत्मसमर्पण नहीं किया। हमारी सेना का आदर्श वाक्य है – “करो या मरो। अक्टूबर से नवंबर 1962 के भारत चीन युद्ध में और बाद में 1965 में सितंबर के भारत पाक युद्ध में, केवल एक भारतीय सैनिक ने कई बार विभिन्न मोर्चों पर अनेकों दुश्मनों को मारा। भारतीय मिल्ट्री (आर्मी) का गठन April 1, 1895 किया गया था, भारत के राष्ट्रपति के रूप में भारतीय सेना के सर्वोच्च COMMANDANT (सेनापति) है… हमारी सेना तीन प्रमुख भगो में सेवाएं देती है - थल सेना (Armed Forces) स्थापना -15 अगस्त 1947 – Present जल सेना (Indian Navy) वायू सेना (Air Force)विश्व की विशालतम सेनाओं में से एक है. भारत की रक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य यह है की भारतीय उपमहाद्वीप में उसे बढ़ावा दिया जाए और स्थायित्व प्रदान किया जाए तथा देश की रक्षा सेनाओं को पर्याप्त रूप से सुसज्जित किया जाए, ताकि वे किसी भी आक्रमण से देश की रक्षा कर सकें. वर्ष 1946 के पूर्व भारतीय रक्षा का पूरा नियन्त्रण अँग्रेज़ों के हाथों में था. उसी वर्ष केंद्र में अंतरिम सरकार में पहली बार एक भारतीय बलदेव सिंह, देश के रक्षा मंत्री बने हालाँकि कमांडर-इन-चीफ़ अँग्रेज़ ही थे. 1947 में देश का विभाजन होने पर भारत को 45 रेजीमेंट मिलीं, जिनमें 2.5 लाख सैनिक थे. शेष रेजीमेंट पाकिस्तान चली गयीं. गोरखा फ़ौज़ की 6 रेजीमेंट (लगभग 25,000 सैनिक) भी भारत को मिलीं. शेष गोरखा सैनिक ब्रिटिश सेना में सम्मिलित हो गये. ब्रिटिश सेना की अंतिम टुकड़ी समरसाइट लाइट इन्फैंट्री की पहली बटालियन हो गयी, और भारतीय भूमि से 28 फ़रवरी, 1948 को स्वदेश रवाना हुई. कुछ अँग्रेज़ अफ़सर परामर्शक के रूप में कुछ समय तक भारत में रहे लेकिन स्वतन्त्रता के पहले क्षण से ही भारतीय सेना पूर्णत: भारतीयों के हाथों में आ गयी थी.स्वतन्त्रता के तुरन्त पश्चात भारत सरकार ने भारतीय सेना के ढाँचे में कतिपय परिवर्तन किए. थल सेना, वायु सेना एवं नौसेना अपने-अपने मुख्य सेनाध्यक्षों के अधीन आई. भारतीय रियासतों की सेना को भी देश की सैन्य व्यवस्था में शामिल कर लिया गया. 26 जनवरी, 1950 को देश के गणतंत्र बनाने पर भारतीय सेनाओं की सरचनाओं में आवश्यक परिवर्तन किए गये. भारत की रक्षा सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर भारत का राष्ट्रपति किये, किंतु देश रक्षा व्यवस्था की ज़िम्मेदारी मंत्रिमंडल की है. रक्षा से स्नबन्धित सभी महत्त्वपूर्ण मामलों का फ़ैसला राजनीतिक कार्यों से सम्बंधित मंत्रिमंडल समिति करती है, जिसका अध्यक्ष प्रधानंन्त्री होता है. रक्षा मंत्री सेवाओं से स्नबन्धित सभी विषयों के बारे में सांसद के समक्ष उत्तरदायी है. Indian Army में अलग अलग रैंक के ऑफिसर होते हैं..... इनके बीच के फर्क का पता इनके बैज को देखकर लगाया जाता है... ऐसे कैंडिडेट्स जो भारतीय सेना को ज्वाइन करना चाहते हो उन्हें इन रैंक और बैज के बीच का फर्क पता होना चाहिए सेना में कुल 19 रैंक होती हैं - 9 ऑफिसर रैंक और 10 JCO (जूनियर कमीशंड ऑफिसर) / NCO (नॉन कमीशंड ऑफिसर) व अन्य....b

भारतीय सेना की सबसे बड़ी ताकत

भारतीय सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी सेना है। सैन्य ताकत के मामले में भारत किसी से कम नहीं है। भारतीय सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। भारत के पास 1,380 विमानों का बेड़ा है, जिसमें सुखोई एम 30, मिग-29, मिग-27, मिग-21, मिराज और जगुआर जैसे आधुनिक विमान हैं। जानिए भारत के 10 ताकतवर हथियारों के बारे में-

Su-30Mki

रूस में निर्मित सुखोई-30 जेट फाइटर को दुनिया में बेहतरीन एयरक्राफ्ट्स में गिना जाता है। इसकी लम्बाई 21.93 मीटर है। वहीं, चौड़ाई (विंग स्पान) 14.7 मीटर है। बगैर हथियार के इसका वज़न 18 हजार चार सौ किलोग्राम है। हथियार के साथ इसका वजन 26 हजार किलोग्राम से अधिक हो सकता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 2100 किलोमीटर प्रति घंटा है।

ब्रह्मोस मिसाइल

ब्रह्मोस मिसाइल का भारत और रूस मिलकर विकास कर रहे हैं। मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर की है और इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से तीन गुना तेज़ है। यह ज़मीन, समुद्र, उप समुद्र और आकाश से समुद्र और ज़मीन पर स्थित टारगेट पर मार कर सकती है। मिसाइल 'स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज' से सुसज्जित है जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है।

आईएएनएस चक्र-2

परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से 'के-152 नेरपा' नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से एक अरब डॉलर के सौदे पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया। यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह तीन महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है और ये आठ टॉरपीडो से लैस है। यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉर्पोरेशन के मुताबिक यह अनुबंध 90 करो़ड डॉलर से ज्यादा का है।

अवॉक्स

एयरबोर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम’ (अवॉक्स) किसी भी मौसम में खतरे के रूप में आने वाली क्रूज मिसाइलों और विमानों का आसमान में तकरीबन 400 किलोमीटर ऊपर ही पता लगाने में सक्षम है। इस्राइली तकनीक से लैस अवॉक्स को विमान आईएल-76 पर लगाया गया है। इस प्रणाली के तहत कम ऊंचाई पर उड़ने वाली ऐसी चीजों का भी पता लगाया जा सकता है, जो सामान्य राडारों की पकड़ में नहीं आ पातीं।

ऐडमिरल गोर्शकोव

44,500 टन वजनी इस विमान वाहक पोत को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। 44,500 टन क्षमता वाले इस युद्धपोत की लंबाई 283.1 मीटर और ऊंचाई 60.0 मीटर है। इस पर डेकों की संख्या 22 है। कुल मिलाकर इसका क्षेत्र तीन फुटबाल मैदान के बराबर है। इस पोत में कुल 22 तल हैं और 1,600 लोगों को ले जाने की क्षमता है। यह 32 नॉट (59 किमी/घंटा) की रफ्तार से गश्त करता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है। यह 24 मिग -29K/KUB ले जाने में सक्षम है। इस पोत का नाम ऐडमिरल गोर्शकोव था जिसका नाम बाद में बदलकर विक्रमादित्य कर दिया गया। विक्रमादित्य में विमानपट्टी भी है।

टैंक

48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसके साथ ही, इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है। ऐसा कहा गया कि भारत का टी-90एस रूस के टी-90ए का डाउनग्रेड वर्जन है लेकिन भारत ने इसे इजरायली, फ्रांसीसी और स्वीडिश सब सिस्टम्स से लैस कर रूसी वैरियंट से भी बेहतर कर दिया है।

पी 81

भारत की 7500 किमी लंबी तटरेखा है, जिसमें सैंकड़ों आइलैंड हैं, जिनकी हिफाज़त की ज़रूरत है। इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए ही पी 81 है। यह अपनी शानदार मजबूती और सेंसर सूट के लिए अपनी बराबरी के किसी भी एयरक्राफ्ट से आगे है। बेस से 2 हजार किलोमीटर तक के मिशन पर यह 4 घंटे तक उड़ान भर सकता है। फैक्ट ये भी है कि ये एक कमर्शल एयरलाइनर के तौर पर है जिसका रखरखाव बेहद आसान है। पी-81 पर लंबी दूरी का रडार भी है और इसपर पनडुब्बियों को खोज निकालने के लिए एक खास तरह का सेंसर लगा है। यह अपने साथ 120 सोनोबॉयज के साथ 6-8 Mk-54 टारपीडो और अपने पंखों पर 4 हार्पून मिसाइल भी ले जा सकता है।

हेलिना

हेलिना 'नाग' का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है और इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है । नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है। इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी-2 नमिका से भी इस मिसाइल का दागा जा सकेगा।

मिसाइल

भारतीय बीएमडी प्रोग्राम को उस वक्त चर्चा मिली जब पहली बार इसे लेकर घोषणा की गई। एक शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल पर इसका परीक्षण किया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक शॉर्ट नोटिस पर इसे देश के प्रमुख शहरों की सुरक्षा में तैनात किया जा सकता है।इस सिस्टम में ग्रीन पीन रडार के फॉर्म के साथ दो इंटरसेप्टर मिसाइल, PAD (पृथ्वी एयर डिफेंस) और AAD (एडवांस एयर डिफेंस) शामिल हैं। PAD 2 हजार किमी तक मार कर सकती है। जबकि AAD 250+ किमी की रेंज तक इस्तेमाल की जा सकती है। दोनों ही मिसाइलों को इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) के जरिए गाइड किया गया।

पिनाका

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर में अनेक विशेषताएं हैं। 'पिनाकाएक ऐसी हथियार प्रणाली है जिसका लक्ष्य मौजूदा तोपों के लिए 30 किलोमीटर के दायरे के बाहर पूरक व्यवस्था करना है। कम तीव्रता वाली युद्ध जैसी स्थिति के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और तेजी से दागने की क्षमता सेना को बढ़त दिलाती है।

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