Ishq Colling.. Suno DIl ki in Hindi Fiction Stories by Brajesh Prasad books and stories PDF | ईश्क कोलींग... सुनो दिल की...

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ईश्क कोलींग... सुनो दिल की...

पूरा हॉल लोगों से खचाखच भरा हुआ था. अभी भी लोगो के आने जाने का सिलसिला जारी था. हॉल में मौजूद, ख़ुश चेहरे माहौल का पूरा लुफ्त उठा रहे थे. वहां मौजूद लोगों में इस बातों की चर्चा थी की इस बार किसे ये सम्मान मिलेगा..लोग अपने अपने विचारों से कई तरह के कयास लगा रहे थे...कोई अपनी बातों और चॉइस को अन्य लोगों में सही साबित करना चाह रहा था तो कुछ गेस करने से बचने की कोशिश करते दिखे... इन्ही बातों के दौर, के बीच एक व्यक्ति की स्टेज पर आता है और सामने की तरफ बढ़ता है. वहां मौजूद लोगो की नजरे उस व्यक्ति पर जम जाती है तभी उस व्यक्ति की आवाज़ लोगो के कानों में घुल जाती है..

एंकर – लेडीज एंड जेंटलमेन !....अटेंशन प्लीज. मैं आप सभी लोगों का यहाँ आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया अता करता हूँ. जैसा की आप सब जानते है आज की शाम कुछ ख़ास है. कहते है बड़ा बनने और कामयाब होने का सपना हर किसी का होता है पर कुछ ही होते है जो अपने सपनो को सच कर दिखाते है. आज की शाम हम ऐसे ही एक बड़ी शक्सियत को सम्मानित करने वाले है जिन्होंने ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से आज ये रुतबा और मुकाम हासिल किया है

एंकर – मैं जानता हूँ की आप लोगों के मन में कई सवाल होंगे और आप ये जानने को बेताब भी होंगे की, कौन है वो शख्स?? जिसने इस साल का बेस्ट इंटरप्रेन्योर का रुतबा हासिल किया है ...आपको ज्यादा इंतज़ार न कराते हुए मैं अनोउंस करने जा रहा हूँ इस साल का सबसे कामयाब इंटरप्रेन्योर का नाम. जिन्होंने इतने कम उम्र में ये उपलब्धि हासिल किया है......एनी गेस?????

हल्की सी मुस्कान के साथ एंकर लोगों की तरफ देखता है अपने सवालों के जवाब के लिए...... दूसरी तरफ हॉल में मौजूद लोगों की उत्सुकता बढ़ने लगती है और फिर से चर्चाओ का शोर उठने लगता है ...लोगों की उत्सुकता बढ़ते हुए देख एंकर आगे कहता है.

एंकर – अब तक तो आपने गेस कर लिया होगा.. जी हाँ आप सब ने सही पहचाना| इंटरप्रेन्योर अवार्ड गोज तो “मि. आरव सिंघल!!!!!”

आरव सिघल का नाम अन्नोउंस होते ही पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से गूंज उठता है, सबकी नजरे आरव को देख लेना चाहती थी जान लेना चाहती थी की कौन है ये शख्स जिसने ये रुतबा हासिल किया है और हल्की सी लाइम लाइट की रौशनी के बीच आरव लोगों के नजरो के सामने होता है आरव अपनी जगह से उठकर स्टेज की तरफ बढ़ता है. दबे कदमो से आरव स्टेज पर पहुँचता है स्टेज पर आए आरव को जूरी मेंबर इंटरप्रेन्योर का अवार्ड सौपते है, इसी बीच आरव के चेहरे पर एक अनचाही मुस्कान उतर आई...अवार्ड लेकर आरव आगे बढ़ता ही है की तभी आई आवाज़ से उसके बढ़ते कदम रुक जाते है..आवाज़ एंकर की होती है वो आरव से कुछ शब्द बोलने के लिए रिक्वेस्ट करता है..

एंकर – अब मैं आरव सर रिक्वेस्ट करूँगा की वो यहाँ आए और अपनी कामयाबी से जुडी कुछ बातें हमसे शेयर करे....”सर प्लीज”

इतना कहते हुए एक बार फिर पूरा हाल तालियों से गूंज उठा ......तालियों के गडगडाहट के बीच आरव लोगों से मुखातिब था....

आरव – हम्म.... क्या कहूँ (सोचते हुए). फर्स्ट ऑफ़ आल आई वान्ना से.. थैंक यू माँ......., मैं आज जिस मुकाम पर हूँ यह सब आपके प्यार से मिला है... बचपन से लेकर आजतक मेरी गलतियों आप ने सुधारा है अगर मैं उन गलतियों से कुछ न सीखता तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं होता......., एंड थैंक्स टू यू डैड, अब आप के बारे में अब क्या बोलूं, बिज़नेस की सारी बारीकियाँ आप से ही सीखी है......बचपन से हमेशा से मेरी कोशिश रही आपके जैसा बनने की, पर मुझे ये महसूस हुआ की मैं आपके जैसा नही बन सकता कभी नही..... (इतना कहकर आरव थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)........सोच रहा हूँ की कामयाबी से जुडी बातों के बारें में आपसे क्या कहूँ?.. मैंने अपनी जिंदगी में अपने अनुभवों से बस इतना ही कहना चाहूँगा की आप जो भी करे दिल से करे, मेहनत के साथ करे. कभी अपने सपनो को मत खोने दे, उन सपनो को अपने आप में जीने दे कामयाबी आपके पास खुद चल कर आएगी |.....नेवर कोम्प्रोमाईज़ विथ योर ड्रीम....नेवर...

आरव इतना कहकर ख़ामोशी को फिर से ओढ़ लेता है, पूरा हॉल एक बार फिर तालियों से गूंज उठता है ....आरव के चेहरे पर एक दर्द उभर आया लेकिन आरव ने उस दर्द को अपनी हंसी में छुपा लिया था...तेज कदमो से स्टेज से उतर कर आरव अपने माँ के पास आता है आरव अपनी माँ से कहता है...

आरव – माँ, आप खुश तो है ना!

ये सुनकर माँ आरव को गले से लगा लेती है और अपने बेटे के चेहरे को प्यार से सहलाते हुए कहती है

माँ – बहुत खुश हूँ बेटा. बस यूँही कामयाब होते रहो, रब तेरी हर इच्छा पूरी करे..

बगल में खड़ी छोटी बहन शनाया भाई के गले लग जाती है

शनाया – आई ऍम प्राउड ऑफ यू भाई... कांग्रट्स भाई, यू आर द बेस्ट! आज मैं बहुत खुश हूँ....

आरव- थैंक यू सीस...

इसी बीच बेटे की कामयाबी से खुश हर्षवर्धन आरव के पास आते है और उसके कंधे पर हाँथ रखते हुए अपनी बात कहते है

हर्षवर्धन- आज मैं बहुत खुश हूँ आज मेरे लिए मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन है ...आज तुमने पूरी दुनिया के सामने ये साबित कर दिया है की तुम मेरे बेटे हो.. हर्षवर्धन सिंघल के बेटे हो....

अपनी पिता की बातें सुन रहा आरव उन्हें देखता रहा, उसने अपने पिता से कुछ नही कहा और कुछ देर यूँही रहने के बाद उनका हाँथ कंधे से हटाकर बिना कुछ कहे वहाँ से चला दिया. आरव के इस हरकत से हर्षवर्धन की ख़ुशी गुस्से में बदल गई... और अपनी पत्नी पर गुस्सा करते हुए कहता है...

हर्षवर्धन – देखा तुमने इसका रवैया, इसकी यही बातें मुझे परेशान करती है. इनसे ये जेहमत भी नही उठाई की अपने डैड से एक शब्द भी प्यार से बोल सके.......,बिज़नस के सारे बारीकियां सीखी है इसने, मगर अपने डैड की इज्ज़त करना नही सीखा..

हर्षवर्धन को गुस्सा करते देख आरव की माँ उसे समझाते हुए बोलती है

माँ – अब रहने भी दो जी.. तुम खामखाँ मेरे बच्चे के पीछे पड़े रहते हो. अभी बच्चा है धीरे धीरे सब सीख जाएगा.

हर्षवर्धन – तुम्हारी इन्ही आदतों ने उसे बिगाड़ रखा है किसी बड़े बिज़नस ओरिएंटेड माँ के साथ रहा होता तो सबकुछ सीख गया होता ये. पता नही कब बड़ा होगा. समय रहते सुधर जाए उसके लिए यही अच्छा है वरना और भी कई तरीके आते है इसे ठीक करने के...मुझे तो डर है कहीं इन्ही रवैयों के चलते मेरी बनी बनाई इज्ज़त पर पानी न फेर दे ये लड़का...

इतने में आरव की माँ बोल पड़ती है ....

माँ – ठीक है, ठीक है जी, मैं उसे समझा दूँगी. अब आप इतना गुस्सा मत करिए...

हर्षवर्धन – जस्ट डू इट!!

वही दूसरी तरफ हॉल में एक बार पार्टी का दौर शुरू हो जाता है, आरव को वहाँ बैठे बैठे घुटन होने लगती है और वह हॉल से बाहर चला जाता है...बाहर आकर आरव पार्किंग एरिया में पार्क किए कार की तरफ जाता है. अपनी कार में बैठ कर चार स्टार्ट करता है तभी कार के विंडो पर नॉक होता है आरव की नजर विंडो की तरफ जाती है एक मुस्कुराता हुआ चेहरा उसके आँखों के सामने होता है आरव उससे कुछ कहता. इससे पहले ही वह आरव से बोलता है..

अध्यान – कहाँ चल दिए जनाब मेरे आने से पहले ...???

ये शख्स कोई और नही आरव का दोस्त अध्यान होता है आरव मुस्कुराते हुए उससे कहता है

आरव- चल आ, कार के अन्दर बैठो...

अध्यान – क्यों??? इतनी भी क्या जल्दी है जाने की....मैं तो तुम्हारे अचीवमेंट अवार्ड सेरेमनी में शामिल होने आया था... “ दि इंटरप्रेन्योर”

आरव – हम्म... तो जनाब मेरी कामयाबी में शरीक होने आए है ....मगर सॉरी ..इस बार भी तुम हमेशा की तरफ लेट हो. अब आओ अन्दर बैठो.

अध्यान – शिट!! सॉरी यार आज मैं लेट हो गया...

अध्यान कार के अन्दर बैठता है आरव अध्यान से कहता है

आरव – बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कभी लेट नही होते, आखिरी बार कब टाइम पर आए हो तुम...कुछ याद है.. तेरे माँ और डैड को तेरा नाम अध्यान नही रख कर “ऑलवेज लेट” रखना चाहिए था ....

इतना कहकर आरव हल्की हँसी हँस देता है.... कार स्टार्ट कर दोनों वहाँ से चल देते है ....आरव की बात सुन सफाई देते हुए अध्यान से कहता है...

अध्यान –ओह्ह हो... यार इतना भी लेट नही होता हूँ की नाम बदलना पड़े. वो तो कभी कभी लेट हो जाता हूं...और मेरी छोड़ो तुम जो ये हमेशा लटकाए हुआ चेहरा लेकर घूमते हो इसका क्या?? ऐसा लगता दुनिया के सारे दुःख तुम्हारे पास ही है... इंसान को कभी कभी हंस लेना चाहिए , वैसे तो गवर्नमेंट हर चीज़ पर टैक्स लगाती है पर हंसने पर कोई टैक्स नही है दोस्त ....

आरव कुछ देर यूँही चुप रहता है काफी देर ऐसे ही रहने के बाद आरव अध्यान से कहता है ....इस बार उसकी बातों में तकलीफ बह निकले...

आरव – हँसते वो है जिनके जिंदगी में कुछ अच्छा हो.. मेरी जिंदगी में ऐसा कुछ भी नही है जिसके लिए मैं हँसू या ख़ुशी मनाऊं....

आरव की बात सुनकर अध्यान चुप हो जाता है उसे महसूस होता है की उसकी बातें उसे फिर उसके तकलीफ के पास ले जा रही है जिससे आरव निकलना चाह रहा था. अध्यान मौके की नजाकत को सँभालते हुए हँसते हुए आरव से कहता है..

अध्यान – यार तू फिर से सेंटी मत हो जाना... आज मैं यहाँ बड़े अच्छे मूड में आया हूँ... और बताओ आज कहाँ चल रहे है अपने यार की कामयाबी को सेलिब्रेट करने..

इतना कहते अध्यान बहुत उत्साहित हो जाता. अध्यान जितना जल्दी उत्साहित होता आरव का जवाब उतना जल्दी ही उसके उत्साह को कम कर देता है

आरव – घर!!

अध्यान – बिलकुल नही ! ..प्लीज इस बार नही...तू हर बार मुझे अपने घर ले जाता है और फिर वही तेरा इमोशनल ड्रामा न आल दैट..आज हम दोनो पब जा रहे है और इस बार तू मना नही करेगा...समझ रहा है मैं क्या बोल रहा हूँ...

आरव थोडा झल्लाते हुए कहता है...

आरव – यार मुझे नही पसंद ये पब वब जाना.....

ऐसी कही बातों से अध्यान नाराज हो जाता है.. अध्यान को नाराज होता देख आरव उससे कहता है

आरव – ठीक है हम पब चल रहे है...पर ये लास्ट टाइम हाँ!

उसके ऐसा कहने से अध्यान खुश हो जाता है...

अध्यान – ये हुई न बात...अब देर मत कर...चल चल....

दोनों पब की तरफ चल देते है..

पब का वातावरण शोर शराबों से लबरेज था. छोटी सी ख़ुशी के तलाश आए लोगों के कदम आज के नए आधुनिक गानों की धुनों पर थिरक रहे थे. अध्यान के लाख मानाने के बाद आरव वहाँ आ तो गया था लेकिन उसका मन अभी भी वहाँ रुकने को तैयार नही था इसी बीच अध्यान आरव से कहता है

अध्यान – देखा दोस्त इसे कहते है पार्टी और कहाँ तू घर जाने की जिद्द किए बैठा था, अब ऐसे यहाँ खड़ा क्यों आ जा फ्लोर पर हम भी तो तीन डांस मूव ट्राई कर लेते है ....आ ना अब क्या सोच रहा है....

आरव – ना , डांस मूव और मैं........ये सब तुम्ही एन्जॉय कर मुझसे नही होगा ये....

अध्यान – प्लीज यार, आज के दिन तो ऐसे मना मत कर..... चल आ जा

अध्यान आरव को थोडा समझाते हुए कहता है......

आरव – नही कहा ना...तो बिल्कुल नही..

आरव के मना कर देने पर अध्यान को थोडा गुस्सा आता है और वह उससे कहता है.

अध्यान – क्या यार.... चल नही आना तो कोई बात नही ....तब जाकर कुछ शम्पेन वेम्पेन ट्राई कर...शायद मूड कुछ अच्छा हो जाए तेरा...

पहली बार आरव अध्यान की बातों पर रजामंद होता है.

आरव – हम्म.... दैट्स गुड आईडिया....

आरव पब के कार्नर में जाकर बैठ जाता है वहाँ बैठे बैठे उसके मन में फिर से पुरानी बातें घुलने लगती है धीरे धीरे उसका मन अशांत और बैचेन होने लगता है अपने मन को शांत करने के लिए वहां वेटर से एक पेग आर्डर करता है कुछ ही वक़्त में ज्यादा पी लेने से आरव पर नशा हावी होने लगता है.....

आरव – वेटर! एक और लाओ ... रुकना नही चाहिए.....तुम्हे पता है आज मेरे लिए सबसे बड़ी कामयाबी का दिन...दि इंटरप्रेन्योर.......पार्टी तो बनती है....( हँसते हुए )

वेटर – जी सर,

तभी अध्यान आता है और आरव के पास आकर बैठ जाता....थके फुले हुए साँसों को कण्ट्रोल करते हुए कहता है

अध्यान- ओह्ह हो यारा,....मज़ा आ गया आज की शाम का....क्या माहौल है.....थैंक गॉड!....घर नही गया वरना तू अपने इमोशनल ड्रामे से पका देता....

अध्यान की बातों से आरव को हंसी आ जाती है....

आरव - तुझे भी सब ड्रामा लगता है बाकियों की तरह....सही तो है ड्रामा से कम थोड़ी ही है मेरी जिंदगी.... वेटर अध्यान सर के लिए एक पेग पेश किया जाए मेरी कामयाबी की ख़ुशी में...

अध्यान आरव की बात को काटते हुए कहा....

अध्यान – होल्ड ऑन!...वेटर अभी तक सर ने कितनी पी है....

वेटर – सर! जब से यहाँ बैठे तब से पिए जा रहे हैं.....

अध्यान आरव से कहता है

अध्यान – आरव! आरव!....लगता है तूने आज ज्यादा पी ली है ....अब और नही..... चलो यहाँ से.......

आरव - नहीं यार आज नही, आज मेरी कामयाबी का दिन है और मुझे तू भी नही रोकेगा....मुझे अपनी कामयाबी सेलिब्रेट करनी है तू भी तो यही चाहता है न, मैं खुश रहूँ...फिर आज नही...(आरव कुछ देर के लिए चुप हो जाता है).. “ यार तू ही बता, मैं इन सब में कहाँ हूँ मैं अपना वजूद नही ढूंढ पा रहा हूँ यार....वक़्त ने मुझे इंटरप्रेन्योर तो बना दिया.....पर लोगों की नजरों में मैं आज भी एक कामयाब बिज़नेसमेन हर्षवर्धन का बेटा बनकर रह गया हूँ....कहा रह गया हूँ मैं....और तू ऐसी कामयाबी को सेलिब्रेट करने को कहता है....

आरव की अध्यान चुपचाप सुनता रहा... और उसकी बात मानते हुए कहता है

अध्यान – हाँ, ..हाँ मान ली तेरी बात, अब चल यहाँ से....आज के लिए इतना काफी है इससे पहले की तू और पिए ...चल यहाँ से....

अध्यान आरव वहाँ से लेकर कर उठता ही है तभी उसके फ़ोन का रिंग बज उठता है वह फ़ोन उठाता है

अध्यान – हेल्लो! हेल्लो!...कौन? आवाज़ नही आ रही, रुको मैं तुमको वापिस कॉल करता हूँ.

आरव को समझाता है...

अध्यान – आरव! .....यहाँ से कहीं जाना मत, मैं अभी आया एक अर्जेंट कॉल करके....

आरव – हम्म हाँ! ...जाओ जाओ तुम कॉल करके आओ...

अध्यान – प्लीज कहीं जाना मत .......वेटर!....,सर का ध्यान रखना इन्हें कहीं जाने मत देना....

वेटर हाँ में सिर हिला देता है अध्यान कॉल करने के लिए पब से बाहर चला जाता है कॉल करके जब अंदर आता है तो उसे आरव वह नही मिलता है इससे अध्यान परेशान हो जाता है अध्यान वेटर से पूछता है...

अध्यान – वेटर! यहाँ जो सर बैठे थे वो कहा गए....

वेटर – सर! वो तो चले गए....

वेटर के इस जवाब से अध्यान झुझला गया....और उस पर गुस्सा करते हुए कहता है ....

अध्यान – चले गए का क्या मतलब....मैंने तुमसे कहा था न की जबतक मैं नही औं तबतक उन्हें कही जाने मत देना...तुमने फिर भी उन्हें जाने दिया....

वेटर जवाब देता है...

वेटर – सर! मैंने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की पर वो माने नही....

अध्यान – शिट ...मुझे उसे तुम्हारे भरोसे नही छोड़ना चाहिए था....पता नहीं कहाँ गया होगा इतनी रात में ...उसे तो ठीक से होश भी नही है.......अच्छा ये तो मालूम है न की किस तरफ गया है?...

वेटर अपनी ऊँगली बाई तरफ करके अध्यान से कहता है...

वेटर – सर! इस तरफ गए थे....

वेटर के बताए दिशा की तरफ अध्यान तेरी सी भागता हुआ पब से बाहर निकल जाता है....वही दूसरी तरफ नशे में धुत्त आरव अपनी कार को पार्किंग एरिया में छोड़ आती जाती गाड़ियों के बीच सड़क में बेफिक्री से चलने लगता है आती जाती गाड़ियों के बीच कभी दाएँ कभी बाएँ मुड़ता चला जाता है तभी आरव एक कार के ठीक सामने आ जाता है.....टकराने वाला होता है तभी और एक झटका उसे पीछे की तरफ खींच लेता है...