Ek Kinnar ki love story in Hindi Short Stories by Qais Jaunpuri books and stories PDF | एक किन्नर की लव स्टोरी

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एक किन्नर की लव स्टोरी

एक किन्नर की लव स्टोरी

क़ैस जौनपुरी

रानो बहुत ख़ुश थी कि, “अब मुझे भी कोई चाहने वाला मिल गया है.” किन्नरों की क़िस्मत में ऐसा कम ही होता है. उनके ऊपर पैसे फेंकने वाले तो बहुत होते हैं. मगर उनके ऊपर कोई दिल फेंक दे, ऐसा कम ही होता है.

वो एक ऑटो ड्राईवर था. रानो रात के दस बजे काले रंग के कपड़े में खड़ी थी. उसकी बाज़ू और उसके कन्धे खुले हुए थे. और उसकी ड्रेस एक पतले से धागे से उसके कन्धे पे टिकी हुई थी. राजू की साँसें तेज़ हो रहीं थीं. उससे रानो का खुला हुआ कन्धा देखा नहीं जा रहा था. ग़ज़ब की ख़ूबसूरत दिख रही थी वो.

उसे इन्तज़ार करने के लिए कहा गया था. और रानो अपनी सहेलियों से हँस-हँस के बात कर रही थी. कुछ बातें राजू के कानों में भी पड़ रहीं थीं मगर पता नहीं क्यूँ राजू उन बातों को सुनना नहीं चाह रहा था. उसकी आँखों में इस वक़्त रानो का गोरा कन्धा घुसा हुआ था. रानो के गोरे-गोरे कन्धे जैसे उससे कुछ कह रहे हों.

स्ट्रीट लाइट की रोशनी में रानो की काली ड्रेस रह-रह के चमक जाती थी. उसकी ड्रेस पे ढेर सारे काले सितारे लगे हुए थे. रानो ने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था. रह-रह के वो अपने बालों को अपने कन्धे के पीछे ढ़केलती और कभी-कभी अपने सीने की ओर लाकर अपनी उँगलियों से अपनी लटों के साथ खेलती.

राजू को पता नहीं था कि उसके ऑटो में कौन जाने वाला है. मगर वो पूरे मन से यही चाह रहा था कि, "ये जो काले ड्रेस में है ना, यही आ जाए, बस." और वैसा ही हुआ. रानो हँसती हुई आई और राजू के ऑटो में बैठ गई.

राजू ने पहली ही नज़र में उसे अपना दिल दे दिया, एक लड़की समझ के. लेकिन जब उसे पता चला कि रानो एक किन्नर है, तब भी वो उसकी ख़ूबसूरती के आगे बहुत कुछ भूल गया.

  • “बहुत ख़ूबसूरत लग रही हो.”
  • राजू ने ऑटो के साइड मिरर में देख कर कहा. रानो हँस दी.

  • “ऐसे मत देख पगले, प्यार हो जाएगा.”
  • रानो ने उसकी हँसी उड़ाई मगर उसे नहीं पता था कि राजू सच कह रहा है. वो पहले से ही फँस चुका था, उसके हुस्न के जाल में.

    रानो ने देखा कि राजू ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया मगर बीच-बीच में वो उसे साइड मिरर से देख ले रहा था. रानो ने महसूस किया कि राजू एक सीधा-सादा लड़का है. उसकी नज़र में फूहड़पन नहीं था. वो उसे ऐसे ही देख रहा था जैसे कोई एक ख़ूबसूरत लड़की को देखता है. रानो ने अपने मन में कुछ सोचा. तभी होटल आ गया.

    रानो उतरी. उसने राजू को पैसे दिए. राजू ने देखा भी नहीं कि उसने कितने दिए. वो एक हाथ में पैसे पकड़े बस रानो को देखता रहा. उसे रानो को कुछ पैसे वापस करने थे. रानो इन्तज़ार कर रही थी मगर उसने देखा कि राजू उदास लग रहा है. रानो समझ गई.

  • “कल दस बजे वहीं आना, जहाँ से आज पिक किया था.”
  • रानो मुस्कुराते हुए होटल के अन्दर चली गई. राजू ख़ुश हुआ कि, “उसने मुझे कल भी बुलाया है.”

    अगले दिन ठीक दस बजे राजू उसी नुक्कड़ पे पहुँच गया जहाँ से रानो उसके ऑटो में बैठी थी.

  • “चलो.”
  • राजू चौंक गया. उसने पीछे मुड़के देखा. रानो उसके ऑटो में बैठ चुकी थी.

  • “किधर से आई तुम? मैं तो सामने देख रहा था.”
  • राजू आज थोड़ा खुल सा गया था. फिर उसने ऑटो स्टार्ट किया और साइड मिरर से उसे देखने लगा. आज रानो ने बैंगनी रंग का ड्रेस पहना हुआ था. वैसा ही मादक ड्रेस, जिसे देखते ही नशा चढ़ जाए. रानो मेकअप करती थी. रानो अपने छोटे से आईने में अपने मेकअप को देख रही थी. जल्दी-जल्दी में आज ठीक से तैयार नहीं हो पाई थी. तभी उसकी नज़र राजू से टकरा गई.

  • “सामने देखके चलाओ, नहीं तो ठोक दोगे किसी को.”
  • रानो ने मुस्कुरा के कहा. राजू समझ गया वो क्या कहना चाह रही थी.

  • “सामने तुम जैसी ख़ूबसूरत लड़की बैठी हो तो नज़र भटकेगी ही ना.”
  • राजू ने भी कह दिया.

  • “क्यूँ मज़ाक उड़ा रहे हो. मैं लड़की नहीं हूँ.”
  • रानो के मन में जैसे कुछ चुभ सा गया था.

  • “कम भी नहीं हो. कोई भी तुम्हें देखे तो पगला जाएगा.”
  • राजू ने रफ़्तार पकड़ ली थी.

  • “मेरी तरफ़ से ध्यान हटाओ. मैं तुम्हारे किसी काम की नहीं.”
  • रानो ने राजू को आगे बढ़ने से रोका.

  • “तुम इतनी ख़ूबसूरत हो कि मैं तुम्हारे लिए ज़िन्दगी भर ऑटो चला सकता हूँ.”
  • रानो हँस दी. राजू ने उसके मन को छू लिया था.

    अब रानो उसे अपने आने-जाने के लिए इस्तेमाल करती थी. राजू को अब कुछ की जगह बहुत सारे पैसे मिलने लगे. बड़ी-बड़ी पार्टियों में आना-जाना होने लगा.

    रानो के मना करने के बा-वुजूद राजू नहीं माना और इस बात पे अड़ा रहा कि वो उससे प्यार करता है. और उस दिन पता नहीं क्या हुआ, रानो होटल में गई मगर कुछ ही देर में गुस्से से भरी हुई बाहर निकली. राजू का ऑटो उसे वहीं खड़ा मिला.

  • “तुम गए नहीं?”
  • रानो ने ऑटो में बैठते हुए गुस्से से कहा.

  • “पता नहीं क्यूँ आज मन नहीं हुआ जाने का.”
  • राजू की बातों में उसे एक सच्चाई महसूस हुई.

  • “घर ले चलो.”
  • आज रानो पहली बार इतनी जल्दी घर जा रही थी. और आज पहली बार वापसी में उसने राजू का ऑटो इस्तेमाल किया था. ऑटो से उतरने के बाद रानो अपनी बिल्डिंग में जाने लगी तभी उसने देखा कि राजू भी उसके पीछे-पीछे आ रहा है.

  • “तुमको घर नहीं जाना है?”
  • “नहीं, आज तुम्हारे पास रुकने का मन है.”
  • “अच्छा….”
  • कहके रानो आगे बढ़ गई. बड़े से घर में अकेली रहती थी वो. घर में घुसते ही उसने अपनी ड्रेस ऐसे उतारी जैसे अपनी ड्रेस से ख़ूब नाराज़ हो. उसे ये भी ख़्याल नहीं आया कि आज उसके साथ कोई और भी आया था.

    और राजू बड़ी-बड़ी आँखों से रानो के सीने को ताक रहा था. उसने पीले रंग की ड्रेस पहनी थी आज, जो उसने अभी-अभी उतारी थी. और अब उसके भरे हुए सीने पे काले रंग की ब्रा दिख रही थी, जिससे उसका हुस्न जितना ढँका हुआ था, उससे ज्य़ादा दिख रहा था.

    राजू के मुँह में पानी आ गया. उससे रहा नहीं गया और उसने रानो के पूरे जिस्म पे अपनी नज़र दौड़ा दी. पूरी औरत तो लगती थी रानो. अगर कोई उसकी पैण्टी उतार के न देखे तो कह नहीं सकता कि वो एक किन्नर है.

    रानो सोफ़े पे उसी तरह बैठ गई. उसे राजू से कोई शरम नहीं आ रही थी.

  • “कुछ खाओगे?”
  • रानो ने राजू का ध्यान भँग किया. राजू ने भी बिना ध्यान हटाए कहा, “हाँ.” राजू इस वक़्त रानो की खुली जाँघो को घूर रहा था, जो इस वक़्त एक दूसरे पे चढ़ी हुई थीं. रानो को उसने पहली बार इतना खुलके देखा था. और रानो की तरफ़ से कोई मनाही न देख, उसका हौसला और बढ़ गया, और वो आके रानो के बिल्कुल पास बैठ गया. और रानो ने अपनी आँखें बन्द कर लीं, और राजू ने उसके होंठों पे अपनी उँगली से छुआ. फिर उसने रानो के पूरे जिस्म को अपनी उँगली से छुआ. रानो ख़ुश थी राजू को अपने पास पाके.

    और अब ये सिलसिला बहुत तेज़ी से आगे बढ़ने लगा. दोनों एक-दूसरे की बाहों में घण्टों पड़े रहते. शराब पीते. अच्छे होटल में खाना खाते. अपने धन्धे के बाद भी रानो अब ख़ुश रहने लगी थी. बड़े-बड़े अमीरों से वास्ता पड़ता था उसका. बड़े-बड़े लोग, बड़े अजीब-अजीब शौक़ रखते हैं, और ऐसे ही एक अजीब शौक़ को पूरा करने के लिए रानो जैसी किन्नरों की जरूरत पड़ती है.

    रानो बस कहने को किन्नर थी, वरना उसके हुस्न के आगे अच्छी-अच्छी लड़कियाँ पानी भरें. यही वजह थी कि उसे उसके काम के औरों से ज़्यादा पैसे मिलते थे. और इतनी कम उम्र में उसने इतना पैसा कमा लिया था कि उसे पैसे से अब कोई मोह नहीं रह गया था. मगर जब रानो पूरी तरह राजू के प्यार में गिरफ़्त हो गई, तब राजू के मन में लालच आ गया. और अब वो किसी न किसी काम के बहाने, रानो से पैसे माँगने लगा.

    रानो ने पहले मना नहीं किया. ख़ूब पैसे लुटाए राजू के ऊपर. मगर लालच का पेट इतना बड़ा होता है कि बड़े से बड़ा ख़ज़ाना भी ख़ाली हो जाए. फिर एक दिन रानो की दौलत भी कम पड़ गई.

    रानो ने बहुत समझाया, मगर राजू को बात समझ में नहीं आई. अन्त में रानो ने साफ़-साफ़ कह दिया कि, “अब मैं पैसे नहीं दे सकती.” मगर तब तक राजू के मन में शैतान आ चुका था. रानो के पास बहुत पैसा था. राजू उसके सारे भेद जान चुका था.

    उसने पूरी योजना बनाई, और एक दिन रानो के पास पहुँचा, और कहा कि, “मुझे तुम्हारी बात समझ में आ गई है.” रानो बहुत ख़ुश हुई. दोनों में प्यार हुआ. दोनों ने खाना खाया. शराब पी. फिर प्यार हुआ.

    जब रानो एकदम मस्त हो गई, और राजू के आगे घोड़ा बनकर झुक गई, तब राजू ने उसकी ये हसरत भी पूरी की. राजू ने रानो की पीठ सहलाते हुए उसके बालों को आगे की तरफ़ सरका दिया, जिससे रानो को अब फ़र्श के सिवा कुछ नहीं दिख रहा था.

    रानो के बाल बहुत घने थे. जब भी वो घर में बिना कपड़ों के रहती, अपने बालों को सँवारती रहती. वो अक्सर घर में ब्रा और पैण्टी में ही रहती थी. और कभी-कभी अपनी ब्रा भी उतार देती थी. उसे आईने में अपने उभारों को देखना अच्छा लगता था. फिर वो अपने लम्बे-लम्बे और काले-काले बालों से, अपने गोरे-गोरे उभारों को ढँकती थी. अपने बालों से वो अपने उभारों के साथ बच्चों की तरह खेलती थी.

    कभी-कभी तो राजू के सामने भी वो ऐसा करती थी. और तब राजू उसके पीछे आके खड़ा हो जाता, और उसके बालों से ढँके हुए उसके बड़े-बड़े उभारों से खेलता. रानो को बहुत अच्छा लगता था ये सब. क्या करती, प्यार में पड़ गई थी ना.

    उसके शरीर में बस एक ही कमी थी कि वो औरत होके भी औरत नहीं थी. वो राजू को एक औरत का सुख देना चाहती थी. और यही वजह थी कि वो अपनी पैण्टी सिर्फ़ नहाते हुए उतारती थी. उसकी पैण्टी के अन्दर एक अधूरी औरत थी जिसकी वजह से वो अपने बनाने वाले को हमेशा कोसती रहती थी. कभी-कभी उसका जी करता कि चाकू ले और अपनी पैण्टी के अन्दर जो कुछ आधा-अधूरा है, उसे जड़ से मिटा दे. उसका जी चाहता कि ख़ूनमखून कर दे वो अपनी उस जगह को जिसकी वजह से वो एक औरत होते-होते रह गई थी.

    मगर जब उसे राजू मिला तो उसका ये मलाल भी काफ़ी हद तक दूर हो गया था. राजू ने उसे कभी महसूस नहीं होने दिया था कि वो एक किन्नर है. राजू उसे एक लड़की की ही नज़र से देखता था. और रानो अब उसके सामने पूरी कोशिश करती कि एक लड़की ही दिखे. कपड़े भी उसने शरीफ़ लड़कियों वाले ख़रीद लिए थे. जब राजू के साथ बाहर निकलती तो सब देखते रह जाते. और राजू का सीना ग़ुरूर से चौड़ा हो जाता.

    उसने राजू को अपना पति ही मान लिया था. और राजू को ख़ुश रखने की भरपूर कोशिश करती थी. राजू एक ऑटो ड्राईवर था, मगर रानो ने उसपे इतने पैसे ख़र्च किए कि ख़ुद राजू ही भूल गया कि वो एक ऑटो ड्राईवर है. और रानो जब बहुत ख़ुश हो जाती, तब राजू को ख़ूब प्यार करती. और राजू भी ख़ुश हो जाए, इसलिए वो राजू के आगे घोड़ा बन जाती.

    आज भी वो बहुत ख़ुश थी कि राजू ने उसकी बात मान ली है. पैसे की उसके पास कमी नहीं थी. वो बस राजू के मन से लालच दूर कर देना चाहती थी. एक किन्नर कभी किसी को दिल नहीं देती है. मगर रानो ने अपने समाज का क़ानून भूलकर राजू को प्यार किया था.

    इस वक़्त भी वो राजू के आगे घोड़ा बनी हुई थी और सोफ़े पे झुकी हुई थी. उसे अपने घने बालों की वजह से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. रह-रह के वो अपने उभारों को अपने साथ हिलते हुए देख ले रही थी. रानो अपने उभारों को अपने बालों से टकराते हुए देख ख़ुश हो रही थी.

    तभी राजू ने जेब से एक चाकू निकाला और रानो की पीठ में एक ज़ोरदार वार किया. रानो चीखती हुई फ़र्श पे गिर पड़ी. और राजू, घर में जितनी भी दौलत पड़ी थी, लेकर फ़रार हो गया.

    *****