Sur - 9 in Hindi Fiction Stories by Jhanvi chopda books and stories PDF | सूर - 9

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सूर - 9

"सुर"

CHAPTER-08

JHANVI CHOPDA

आगे आपने देखा,

दादू की एक सिख परवेज़ को नया रास्ता दिखती है, और वही रास्ता उसे पायल तक पहोंचाता है। पायल को देख कर एक पल के लिए तो वो रुक जाता है, लेकिन फिर उसे अपने सवाल याद आ जाता है, अपना मकसद याद आ जाता है। वो पायल को जबरदस्ती ज़िप में बिठा देता है, पायल उतरने की ज़िद करती है और उसका पैर फिसल जाता है।

अब आगे,

पायल मुँह टेढ़ा कर के दरवाज़ा बंद करने जा ही रही थी, की उसका पैर फिसला...वो स्ट्रीट लाइट से टकराई और गिर पड़ी रास्ते पे....!

'पायल.........!!!' _परवेज़ की चीख निकल गई।

उसके हाथ अपने आप गाड़ी की ब्रेक पर गए...गाड़ी रुकी, वो दौड़ के पीछे गया।

उसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। वहाँ का नज़ारा देख कर उसका शरीर ठंडा हो गया....उसके कान सुन्न पड़ गए। खून की धाराएं बहने लगी...खून से, रंगों की तरह खेलने वाले उसके हाथ कांप उठे...पहली बार उसने डर महसूस किया। वो घुटनों के बल गिर पड़ा। उसने पायल का सर अपनी गोद में लिया...

'पायल...मेरे सामने देखो, तुम्हे कुछ नहीं होगा। सुना तुमने, हन्नं !? मैं कुछ नहीं होने दूँगा...आँखे खोलो अपनी, पायल ! प्लीज आँखे खोलो ! तुम मुझे ऐसे छोड़ के नहीं जा सकती...मेरे सवालों के जवाब अपने साथ लिए, तुम युहीं नहीं जा सकती।'

कई सालों के बाद परवेज़ ने अपनी आँखों में पानी महसूस किया। वो पानी की बुँदे नहीं, दरिया था जज़्बातों का...जो शायद आज उमड़ कर बाहर आने वाला था।

पायल की आँखे थोड़ी खुली, वो हल्का सा मुस्कुराई और बोली, 'सिर्फ अपने जवाब लेने आए थे, या कुछ सवाल भी !!?'

उस वख्त परवेज़ को समझ ही नहीं आया की क्या करे। आस-पास कोई मदद करने वाला भी नहीं था। उसने पायल को उठाया और ज़िप में बिठा के सीधा पहोंचा हॉस्पिटल ! पायल का खून कुछ ज्यादा ही बह गया था। डॉक्टर ने ज्यादा सवाल जवाब किये बिना उसे इमरजेंसी वॉर्ड में एड्मिट किया। थोड़ी देर में डॉक्टर एमरजेंसी वॉर्ड से बहार आए...और बोले,

'She would be die !'

'क्या !!!' _परवेज़ चौक गया।

'मैं यहाँ ये सुनने के लिए नहीं आया, डॉक्टर ! कुछ भी करो, जिसे बुलाना है, जहाँ से बुलाना है, बुलाओ...लेकिन मुझे पायल ज़िंदा चाहिए ! समजे आप !!!' _परवेज़ चिल्लाया।

'आप इनके हसबैंड है, क्या ?' _डॉक्टर ने पूछा।

एक पल के लिए जैसे उसकी साँसे रूक गई...उसे समज़ में ही नहीं आया की आखिर क्या रिश्ता था उसका पायल से ! उतने में जुबेर और बाकि लोग भी हॉस्पिटल आ पहोंचे।

'अचानक हॉस्पिटल में कैसे परवेज़ ? तू ठीक तो है, तुजे कुछ हुआ तो नहीं ?' _जुबेर की आवाज में चिंता साफ नज़र आ रही थी, जैसा भी हो लेकिन दोस्त था।

'देख ना जुबेर, ये डॉक्टर बोल रहा है, कि पायल मर सकती है। हमें उसे मरने नहीं देना, जुबेर !' _परवेज़ की आवाज में नर्मी थी।

'देखिये, मैं समझ सकता हूँ...लेकिन खून बहोत बह चूका है और उनका मैचिंग ब्लड आने में एक घण्टा लगेगा। तब तक बहोत देर हो जाएगी...तब तक हम कुछ नहीं कर सकते।' _डॉक्टर ने कहा।

'क्या ब्लड ग्रुप है, पायल का ?' _परवेज़ ने पूछा।

'उनका ब्लड ग्रुप B नेगेटिव है। जिसे B नेगेटिव या फिर O नेगेटिव ही दे सकते है।'

'मेरा O नेगेटिव है, आप मेरे टेस्ट कर लीजिये !' _जुबेर ने कहा।

परवेज़ उसके सामने ही देखता रह गया। उसकी आँखे भर आई।

'तेरी पायल को जागने दे, उसकी तो मैं छन-छन कर दूँगा !' _जुबेर ने मुस्कुराते हुए कहा।

'तू रेयर (rare) है, यार !' _परवेज़ ने कहा।

'बिलकुल मेरे ब्लड ग्रुप की तरह ! चल, अब हँस दे !' _जुबेर ने कहा।

परवेज़ ने तो उसे गले ही लगा लिया।

'इतना चिपक मत, चड्डी अभी भी गीली है !' _जुबेर के ये बोलते ही दोनों हँस पड़े।

जुबेर और डॉक्टर वॉर्ड के अंदर गए। दो घण्टे तक ट्रीटमेंट चलता रहा। डॉक्टर बाहर आए, उन्हें देखते ही परवेज़ कुछ भी पूछे बिना अंदर चला गया, उस आश में की पायल ठीक हो गई, लेकिन वो अभी भी बेहोश थी।

'क्या, यार ! कितना खून पि गई मेरा...फिर भी कोमा में है।' _जुबेर ने कहा।

'क्या !? कोमा में ?' _परवेज़ के लिए ये और एक शोक था।

'आपको अंदर आने से पहले पर्मिशन लेनी चाहिए, ये कोई आपका अड्डा नहीं है, जहाँ कभी भी किसी भी वख्त आ-जा सको !' _पीछे से डॉक्टर ने कहा।

'पायल कोमा में, कैसे !!!' _परवेज़ ने डॉक्टर को पूरा हिला दिया।

'उसका खून कुछ ज्यादा ही बह गया था। हमने अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश करी लेकिन अब आगे कुछ कह नहीं सकते की, वो कब होश में आएगी। पॉसिबिलिटी तो सिर्फ 10 % है। दुआ करो भगवान से ! क्या पता सुन ले !' _डॉक्टर तो इतना बोल के चले गए।

'टेंशन मत ले, सब ठीक हो जाएगा ! रात हो गई है, परवेज़ ! अगर तू नहीं जाएगा घर, तो दादू खफ़ा होंगे। हम यहाँ रुकते है, तू कल आ जाना !' _जुबेर ने परवेज़ के कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।

परवेज़ कुछ बोल नहीं पाया। वो बस चलने लगा। उसे सहमा हुआ देख कर जुबेर ने अयान को उसके साथ जाने का ईशारा किया। अयान भाग के नीचे गया और ज़िप स्टार्ट कर के तैयार रहा।

'भाई, बैठो ! मैं आपको घर पहोंचा देता हूं ।' _जैसे ही परवेज़ नीचे आया की अमोल ने कहा।

परवेज़ ने कुछ भी बोले बिना गाड़ी का दरवाज़ा खोला। जैसे ही उसने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी की, कुछ ही घण्टो पहले उसी जगह बैठी पायल उसे दिखाई दी, उसका वो चिल्लाके बोलना, उसका इतराना, उसकी अकड़ में भी छलक रही खूबसूरती...हवाओं से बातें कर रहा उसका दुप्पटा...लेकिन अचानक से उसे वो खून की धाराएं दिखने लगी...बेजान पड़ी पायल !!! चंद लम्हो में क्या से क्या हो गया। वो फिरसे काँप उठा। कहीं ना कहीं इन सब का जिम्मेदार वो अपने आप को मान रहा था।

'भाई, क्या हुआ ? बैठो ना !'

अयान की आवाज सुनके उसे होश आया की, वो ज़िप के पास खड़ा था और उसे घर जाना था। वो ज़िप में बैठा। उसका दिमाग बन्द पड़ चुका था। अंगों ने हरकत करना छोड़ दिया था। शिथिल हुए उसके शरीर में अगर कोई जान पुर रहा था, तो वो एक नाम, "पायल"! गाड़ी रास्ते का अंतर काँट रही थी, काश वो ये वख्त भी काँट सकती ! परवेज़ ने रास्ते में मस्ज़िद देखि, उसने गाडी रुकवाई। मस्ज़िद के बाहर खड़े रहकर, मन ही मन वो बोल उठा,

'तीन सालों से तेरी बन्दगी छोड़ दी है। तुजे कुछ नहीं मिला तो एक लड़की को हथियार बना लिया ! ऐसा करके खुदा होने का हक खो दिया तूने ! तेरी रेहमत की मुझे कोई जरूरत नहीं और मुझे जुकाना इतना आशान नहीं...मेरी कहानी को मैंने खून से रंगा है, तेरे हरे रंग की मुझे जरूरत नहीं ! उतने में एक बच्ची दौड़ते हुए पीछे से आई और परवेज़ से टकराई...जिससे वो आगे की ओर गिर पड़ा। गिरने की वजह से उसके हाथ में मिट्टी पे पड़ा काच का टुकड़ा चुभा ! उसने तुरंत खींच के निकाल दिया। वो बच्ची रुकी और मासूमियत के साथ बोली,

'आई एम् सो सॉरी, अंकल ! मेरी वजह से आपको चौट लग गई...अरे, आपके हाथ से तो खून भी बह रहा है !'

उसने अपने हाथ में रही हरी चुनरी परवेज़ के घाव पे बांध दी और हलकी सी मुस्कराहट देकर चली गई। परवेज़ भी ज़िप में बैठ कर घर लौट आया।

दादू घर के गेट पर ही बैठ कर इंतज़ार कर रहे थे। परवेज़ जैसे ही अंदर गया कि, वो बोले,

'सुबह से सब घर के बाहर है, फ़ोन लगा रहा हूँ, तो कोई उठा नहीं रहा...दूसरा घर ढूंढ लिया है, क्या !?'

परवेज़ चुप चाप दादू के सामने घर की सीढ़ियों पर बैठ गया। अयान अंदर आया और उसने दादू को सुबह से लेकर शाम तक जो भी हुआ वो सब कुछ बताया। परवेज़ को खामोश देखकर दादू उसकी हालत समज़ गए।

'नया उसूल बनाया था ना, तूने !? की, बेगुनाह को सज़ा नहीं मिलेंगी ! तो फिर किस बात की सज़ा मिली उस लड़की को ?' _दादू ने कहा।

दादू की इस बात पर भी परवेज़ खामोश रहा।

'बैठे रहने से अगर हो जाती मुरादे पूरी, तो खुदा से कोई शिकायत ही ना करता ! जो चीज़े तूने बिगाड़ी है, उसे बनाना भी तेरे ही हाथ में है।' _दादू ने कहा।

उनकी नज़र परवेज़ के हाथ पर गई। हरी चुनरी बंधी हुई देखकर वो बोले,

'मंदिर जा कर आए हो क्या ? तीन साल बाद किस बात की इल्तज़ा करने गए थे ? और वो भी मस्ज़िद में नहीं मंदिर में !'

परवेज़ ने अपने हाथ को देखा। उसके दिमाग में वो पूरा सीन रिपीट हुआ। जब वो ख़ुदा से भीड़ रहा था, उसी वख्त वो बच्ची पीछे से आई...उससे टकराई...वो मज़ाल के सामने घूँटनो के बल जुका...और उसके लाल रंग के खून पे वो हरा रंग बांध के चली गई ! वो खड़ा ही हो गया। अनजाने में ही सही, आज वो मस्ज़िद गया और जुका भी ! और अपने हाथ में खुदा का रंग भी ले आया।

'रंगों से क्या शिकायतें करना, जब खुद का दामन ही कोरा हो ! वो परवरदिगार सबसे बड़ा कलाकार है, तेरे ही रंगों से करामत कर जाएगा, लेकिन फिर भी तू नहीं समझ पाएगा !

अब जा, जा उसके पास, जहाँ तू अपने होश छोड़ कर आया है...और तब तक वापिस मत आना जब तक तेरे कपड़ो से उसका खून और दिमाग से उसका नाम निकल ना जाए !' _दादू ने अपना फैसला सुना दिया।

परवेज़ ने अपने कुर्ते की ओर देखा...वो पायल के खून से रंगा हुआ था। वो अपने कमरे में गया, कपड़े बदले...अपनी अम्मी की फोटो हाथ में ली...शायद उसकी अम्मी उसके दिल की बातें सुन पा रही थी,

'आपने तो बोला था, वो मेरा किनारा है। उसने तो मेरे ही किनारे लगा दिए ! पता नहीं अम्मी, क्यों उससे इतना फर्क पड़ने लगा है, मुझे ! क्यों उसकी बकबक सुनने को बेबाक हूँ मैं ! क्यों उसके ना रहने का ख्याल भी मुझे बेचैन कर देता है ! आप खुदा को बहोत मानती थी ना, तो बोलो ना उनसे की अपनी रेहमत का एक अक्ष पायल पे बर्षा दे !'

उसने अपनी अम्मी की फ़ोटो दिवार पे टांग दी, उस पुराने डिब्बे से घुँघरू निकाल कर अपने पॉकेट में डाला और कमरे से बाहर निकला। घर के बाहर जा ही रहा था, कि दादू ने पीछे से कहा, 'वैसे, सिर्फ अपने जवाब ही लेने गए थे या कुछ सवाल भी !'

ये सुन कर उसे पायल याद आ गई। बेहोश होने से पहले, उसके आखिरी लब्ज़ थे। वो कुछ बोल नहीं पाया...बस चल दिया फिरसे हॉस्पिटल की ओर !!!

*

'देखिये मिस्टर जुबेर, हम ने अपनी पूरी कोशिश करी है। आगे सब अल्लाह की मर्ज़ी ! She is still in risk. उनके पेरेंट्स भी यहाँ नहीं है। शूकर मनाए की, कॉन्ट्रोवर्सी को ध्यान में रख कर हमने अभी तक पुलिस को इन्फॉर्म नहीं किया। हम पर ऊँगली उठाने से कुछ नहीं होने वाला, गलती आप लोगो की है।'

जुबेर और डॉक्टर के बीच में बहस हो रही थी। उतने में परवेज़ और अयान आ पहोंचे, जुबेर ने परवेज़ को बताया कि, पायल अभी भी खतरे में है। अगर वो होश में नहीं आई तो कुछ भी हो सकता है !

'डॉक्टर, क्या मैं एक बार पायल से मिल सकता हूँ ?' _परवेज़ ने पूछा।

'उसकी हालत इतनी नाज़ुक है कि हम भी कुछ नहीँ कर पा रहे, आप क्या करोगे ? अब कोई चमत्कार ही काम कर कर सकता है...और आप जैसे गैंगस्टर के लिए तो चमत्कार होने से रहे !' _डॉक्टर ने बोल दिया।

To be continued...

Dear readers,

I hope you like this chapter much than other. Anyways now the real story takes place, so keep in touch with story.

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