जिवन सतरंगी कविता संग्रह भाग-1
लेखन - दिवाना राज भारती।
1. हम लोट के न आयेंगे।
इस कविता मे एक प्रेमिका अपनी प्रेमी से बोल रही है कि आप मुझे इस तरह अनदेखा मत किजिये। अभी मै आपके साथ हूँ आपसे प्यार करती हो तो आप मुझे सताते है एक दिन अगर मै चली गयी तो आपको बहुत पछतावा होगा और आपके बुलाने पर भी हम लौट के नही आयेगें।
एक दिन हम जुदा हो जायेंगे
न जाने फिर कहाँ खो जायेंगे।
ढूँढोगे मुझे तुम पागलो की तरह
और कही हम न नजर आयेंगे।
तुम लाख पुकारोगे हमे
पर हम लौट के न आयेंगे॥
थक-हार के दिनो के कामो से
जब तुम सोने जाओगे।
देखोगे जब तुम मोबाइल अपना
पैगाम न मेरा पाओगे।
जब याद मेरी आयेगी तुम्हे
हम लौट के न आयेंगे।।
सारे रिश्ते नाते तोड़ के
सांस भी छोड़ जायेंगे।
फिर हम न आँख खोलेंगे
तुम से न खभी बोलेंगे।
हमसे फिर न कोई रुठेगा
और हम लौट कर न आयेंगे॥
2. हमदर्द
इस कविता के नायक को एक दिन ऐसे शक्स से मुलाकात होती है जो उसका हमदर्द बन जाती है और उसका सारा दर्द ले के चली जाती है। वो अजनबी अपना सा लगने लगती है और जिंदगी बदल के चली जाती है।
मिला था कोई हमदर्द,
कह दिया जिससे सारा दर्द,
वो अजनवी था ऐसा बेदर्द,
जिसे नही था कोई दर्द।
मेरी आँखे रहते थे हमेशा नम,
दुनियाँ के थे मुझमें सारे गम,
उसका न जाने कैसा था मुझपे कर्म,
उसके आते गायब हुये मेरे सारे गम।
जो गम दिल मे बंद थे जैसे बन के पोथी,
आँखों से निकल गये आज सारे मोती,
मै भी था दिमाग का ऐसा मोटा,
इस गम के वजह से रात को नहीं था सोता।
आँसू निकले हो गये हलका मन,
खुशियों से भर गया मेरा बदन,
बदल गया देखो मेरा रहन-सहन,
रहता हूँ मै अब हरदम मगन।
मिला था कोई ऐसा हमदर्द,
जिससे कह गया था सारा दर्द,
अब कम है मेरा सिरदर्द,
क्योंकि वो ले गया मेरा सारा दर्द॥
3. किसकी दिवानी
इस कविता मे लेखक एक ऐसी लड़की से मिलती है जो गम से बिलकुल अनजान है। वो हमेशा हँसती हसाँती रहती है। वो अपनी जिदंगी बड़ी खुबसूरत तरिके से जी रही है। वो किसीके प्यार मे है किसीकी दिवानी।
वो लड़की जो थी बहुत सयानी,
करती हमेशा वो मनमानी,
कहते सब उसको बड़ी दिलवाली,
न जाने थी वो किसकी दिवानी।
बारिशों मे झुम के वो नाचती,
पंख सा अपनी बाँहों को फैलाती,
खुद से ही वो बातें करती,
बिच-बिच मे मंद-मंद मुस्काती।
बैठे-बैठे वो खो जाती,
बोलते-बोलते चुप हो जाती,
हर वक्त करती वो नादानी,
न जाने थी वो किसकी दिवानी।
अपनी जिंदगी जीती थी वो खुलकर,
मिलती थी वो सबसे हँसकर,
अपनी हरकतों से करती सबको हैरानी,
न जाने थी वो किसकी दिवानी।
बच्चों के संग खेल-खेल कर,
थी वो उनको खूब हँसाती,
दोस्तों संग करती वो शैतानी,
न जाने थी वो किसकी दिवानी॥
4. स्मार्टफोन
आजकल स्मार्टफोन से कोई भी अनजान नही है। सब आजकल अपना ज्यादा से ज्यादा समय स्मार्टफोन के साथ बिता रहे है। इस कविता मे लेखक स्मार्टफोन से जुड़ी तथ्यों पे विचार कर कुछ लाईन लिखे है।
सबके हाथों मे अब ये रहता,
हर कोई इसकी बाते करता,
गायब हुआ हर घर से फोन,
आ गया देखो स्मार्टफोन।
फिल्म विडियो देखना हुआ असान,
आँनलाइन पढाई कर बनो महान,
पीछा छूटा डिब्बा फोन से,
अब बात करेंगे स्मार्टफोन से।
चेहरा देख के अब बाते होतीं,
जिससे है सब दूरी मिट जाती,
फोटो खींच लोड करो साइट पे,
हर समाधान है स्मार्टफोन पे।
घर बैठे अब खरीदारी होतीं,
इसकी फंक्शन मन मोह लेती,
इंटरनैट से बना जिंदगी असान,
आ गया देखो स्मार्टफोन।
अब कोई मगन है गेम्स मे,
तो कोई खोया है चैट मे,
अब नही बैठता कोई मौन,
जब से आया स्मार्टफोन।
5. ऐसा कोई शक्स कहां...
इस कविता मे कवि अपने आसपास हो रहे चीजों से परेशान है। एक ऐसा शक्स ढूँढ रहे है जो देश के लिए जिये और मरे। लेकिन उन्हे वो शक्स नही दिखा। ऐसा नही है की हमारे देश मे देश के लिए जान देने वाले नही है। बहुत है लेकिन सब नही है बहुत कम है लेखक हर शक्स मे वो शक्स ढूँढ रहे है जो देश के लिए कुछ करे।
मै गली मोहल्ले हर जगह देखा,
देश की बुराई करने वाले देखा,
जो देश कि अच्छाई का बात करता,
ऐसा कोई शक्स कहाँ देखा।
हर चाय नाश्ते के दुकान पर,
राजनीती करने वाले देखा,
जो देश मे अच्छा राजनीती करता,
ऐसा कोई शक्स कहाँ देखा।
नेताओं को अपनी झोली भरते देखा,
गरीबों को हर जगह मरते देखा,
जो भगवान के साथ लोगों की सेवा करता,
ऐसा कोई शक्स कहाँ देखा।
पेपरों मे घोटाले हत्या का पंगा देखा,
और लोगों को जुल्म सहते देखा,
जो जुल्म के खिलाफ लड़ता,
ऐसा कोई शक्स कहां देखा।
सेना को लोगों के लिए मरते देखा,
और पुलिसवाले को बिकते देखा,
जो ईमानदारी से अपनी ड्यूटी करता,
ऐसा कोई शक्स कहाँ देखा।
आपको मेरी लेखन कैसी लगीं।।।
आपका विचार आमंत्रित है।
divanaraj@gmail.com