Nili Chidiya in Hindi Short Stories by Dr Sandip Awasthi books and stories PDF | नीली चिड़िया

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नीली चिड़िया

नीली चिडिया

संदीप अवस्थी


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नीली चिडिया

बडी तीखी पानी पूरी है... ओ—ओ—ओह ! कहते—कहते उसकी आँखों से पानी छलक उठा । फिर कुछ पलो के बाद होंठो से तेज खिलखिलाहट हरसिंगार के फूलो—सी चारो ओर फैल गई पर है लाजवाब, है ना ! खूबसूरती से अपने बालो को कंधे पर झटका देते हुए उस युवती ने कहा । ष्पर हमसे तीखी नहीं ! वह आकर्षक देहयष्टि की स्वामिनी चालीस वर्षीय महिला बोली । बात के निहितार्थ को समझकर दोनों एक बार फिर खिलखिला उठी । फिर उसने अपने मल्टी मिडिया फोन से सामने दिख रहे शहर के मशहूर पार्क की तस्वीरें विभिन्न कोनो से ली । क्यों फिर कोई दिखी दुखी हसीना ! युवती ने कहा और हँसी । ष्सच में तुम्हारा फोटोग्राफी का शौक कमाल का है । पर वह आएगा शाम को ? कहते हुए शेरोन स्टोन सी युवती ने कार स्टार्ट की । हंड्रेड परसेंट आएगा । बल्कि वह तो अभी ही आने को तैयार होगा । कहते—कहते उनकी आँखों के सामने वह सुबह घूम गई, जब यह घटना हुई थी

महानगर में श्सॉलिटेयर बिल्डिंग के दसवे माले के शानदार फ्‌लैट में वह अकेली रहती बिंदास, मस्त, खुश खुशाल जिंदगी जी रही थी । पतिदेव, मचर्ंट नेवी में इंजिनियर, विदेशो के भ्रमण के बाद साल में एक बार ही आ पाते थे हर बार उनके मनबहलाव के लिए हैंडीकैम, लैपटॉप, तो कभी बत्तीस मैगापिक्सल का मल्टीमीडिया मोबाईल, कभी डायमंड नेक्लेश । वह मुदित मन पति के गिफ्ट और प्यार को जीती, मस्त रहती । ष्इतना बाहर रहता है तो किसी—न—किसी देश में कोई इसकी हॉट, सेक्सी मित्र भी होगी ! वह जलती नहीं थी बल्कि अपने पतिनुमा दोस्त को भी मस्ती, खुशी और सेफ जिंदगी जीने के लिए प्रोत्साहित करती थी ।

अपनी दोस्त निशा से वह कहती, ष्कोई मर्द कितने समय तक सेक्स किए बिना रह सकता है ! तुम कब तक रह पाती हो ? वह शरारत से पूछती फिर दोनों ठहाका लगाकर हंसती कि हँसते—हँसते पेट दुःखने लगता. आँखों से पानी आ जाता । अपना फलसफा है जियो और जीने दो, स्पअम ंदक स्मज स्पअम क्या जिंदगी भर एक ही स्त्री या पुरुष कि गुलामी और शरीर से बंधे रहो, जिंदगी एक बार मिली है ! निशा मुस्कुराते हुए कहती, खुलकर जिओ और नो कमिटमेंट ! दोनों कि उम्र में अंतर था, पर विचार और व्यवहार बिंदास और खुलेपन का था । अपने बरसो पूर्वे किए इतिहास अॉनर्स के ज्ञान को याद करते हुए उन्होंने कहा, सिंधु सभ्यता, वैदिक सभ्यता, फिर गुप्त वंश, मौर्य वंश — सबमे स्त्री—पुरुष संबंधो में थी तो तब... । एक—दूसरे को शरारती निगाह से देखती हुई बोली, लेकिन सब कुछ सेफली मनमाफीक और सिक्रेटली ही होना माँगता ! तो ऐसे ही उस दिन वह अपनी बर्ड वॉचिंग और फोटोग्राफी कि हॉबी शानदार जूम लेंस वाले कैमरेसे सुबह—सुबह पूरा कर रही थी । सामने आठ माले की मैकमिलन बिल्डिंग के टॉप टैरेस पर बैठी दुर्लभ नीली—चिडिया को कैमरे में कैद करने की कोशिश जारी थी की अचानक... वह चौक उठी । नीली चिडिया पर लेंस को जूम—इन करते उन्हें उसके ठीक पीछे की फ्रेंचविंडो में कुछ दिखा ।

महानगरो के पॉश इलाके सुनसान ही रहते है । कौन क्या कर रहा है, इसकी परवाह कोई नहीं करता । यहाँ मामला कुछ और था और इत्तफाक से दिख गया । उन्होंने टॉप जूम किया तो शक्तिशाली लेंस का कमाल की जैसे वह कमरे में ही हो सामने वाले फ्‌लैट के । जहा जोरो से हाथ—पाँव हिलाता वह युवक उस खूबसूरत युवती पर चिल्ला रहा था । तभी युवती चीखी और... यह तडाक युवक के करारा चाँटा पडा । ष्आ हा, आहा !ष् उन्हें इतनी दूर से भी बडे सुकून की अनुभूति हुई ।ष् इनके साथ यही करना चाहिए, जब—तक चाँटा यूज एंड थ्रो । क्या समझ रखा है आज की नारी को !ष् वह जूम करके युवक के गाल पर उंगलियो के निशान देखने की तैयारी में थी की वह युवक बडबडाता हुआ सीधे निचे र्बा । ष्उँह मुझे क्या होगा !ष् कहकर उन्होंने इतने हंगामे के बाद भी अपनी कंठी घुमाती छोटी—सी चोंच वाली नीली चिडिया की दो—तीन एंगिल से फोटो ली ।

फिर कम्पाउंड में जूम किया तो वह युवक ग्रे रंग की सैंट्रो में बैठता दिखा । उन्होंने न जाने क्या सोचकर फ्रंट से तसवीरे खिंच डाली । श्लडकी से ताजा—ताजा चाँटा खाए युवक ने समय से देखा नहीं, निशा को भी बताउंगीश् उन्होंने मुदित मन सोचा । वह जूम कैमरे से आँख हटा अंगडाई लेती उठने ही वाली थी की तभी उन्हें सामने फ्‌लैट में हलचल होती दिखी । ष्अरे ! क्या कर रही है ? ठहरो !ष् जब तक वह समझती, तब तक खिडकी के पास पडा सोफा खिसकाकर आठवे माले की बालकनी से वह आधी झुक गई थी । लगता था, आज वह अपनी आँखों के सामने खुदकुशी होते देख रही थी । ष्हे, हे, हे, ब्यूटीफुल गर्ल ! होल्ड अॉन, माई डियर, स्टॉप !ष् पर उनकी आवाज उस तक नहीं पहुँची । लडकी कुछ देर उसी मुद्रा में आधी लटकी रही, मानो कुछ सोच रही हो । वह फिर चिल्लाई, ष्स्टॉप इट, डोंट डू दैट स्वीटी !ष् उनका दिल तेजी से धडक रहा था, चहेरा पसीने से लथपथ था । कुछ नहीं कर पाने की बेबसी थी । एक नौजवान, उम्मीदों भरी जिंदगी आठ माले निचे खत्म होनेवाली थी । वह भी उस बास्टर्ड, डिचर बॉय के चलते ! भगवान को वह मानती तो नहीं थी पर उन्होंने दिल से प्रार्थना की कि ष्प्रभु मासूम—सी युवती कि जिंदगी बचा ले आज !ष् पता नहीं क्या हुआ, पर भगवान ने उनकी सुन ली और लडकी वापस कमरे में । उफ उन्होंने मिल भर लम्बी साँस ली । ष्यह हाल है — आजकल के लडके—लडकिया भी जान दे देते है । हे भगवान, अब यह क्या ? ष्वह पंखे में बार—बार कोई कपडा फसाने कि कोशिश कर रही थी । उनकी धडकने मुश्किल से सामान्य हुई थी, वापस तेज हो गई । अब तो कुछ नहीं हो सकता था ! क्या वह तेजी से अपने फ्‌लैट से निकल, लिफ्ट से निचे, फिर सडक पार कर उस बिल्डिंग के आठवे माले पर पहुँच पाएँगी ? तब तक तो यह फाँसी लगा लेगी । उन्होंने गहरी साँस ली, मन भारी हो उठा था ।

उनके माइंड ने सभी घटनाक्रम को रिव्यू किया, समझा । चौलेंज उन्हें शरू से पसंद थे । अपनी युवावस्था में कई लडको का मानमर्दन (द्वीअर्थ ही समझिए) कर चुकी थी और अब तो खैर....। शादीशुदा, बोरिंग जिंदगी में जेम्स हेडली चेज, अगाथा क्रिस्टी, शरलॉक होम्स र्पते—र्पते उन्हें भी एडवेंचर कार्य करने का यह मौका हाथ लगा था । शाम को उन्हें वॉटसन भी निशा के रूप में मिल गया । वह भी उनकी—जैसी एडवेंचर को हाजिर हो गई । कोफी, पनीर पकौडे के साथ लैपटॉप पर फोटोस को इनलार्ज करके बडी बारीकी से देखा गया । ष्यह लडका बार—बार मिलने आता है इससे । लडकी बहुत खूबसूरत और मासूम है !ष् वह बोली ष्लडका उतना ही बडा बास्टर्ड है, जो इसे डिच करने कि फिराक में है ! हा पहले मिलना, फिर सोना, पाना खूबसूरत दुश्मन के साथ ।ष् निशा जो बेहद हॉट लग रही थी, ने अपना हिंदी ज्ञान बधारा । छोटी—मोटी बात पर झगडा—ब्रेकअप । क्या ही खूबसूरत फिलॉसफी है । काश, हम आज की उम्र के होते !ष् निशा ने बडी अदा से कहा, ष्छोडो यह सब ।ष् वह बोली, अभी हमें इस लडके को ढूँढना है और उसे समझाकर इस लडकी की जिंदगी में लाना है । जिससे यह खुदकुशी की न सोचे। लडकी से मिलने—समझाने का पश्न ही नहीं था क्योकि तब बात और बिगड जाती । तो बस लग गई डिटेक्टिव होम्स वॉटसन की जोडी अपने पहले केस पर । लडके का पता कैसे लगाया जाए ? सबसे पहला सवाल आया । यह देख निशा मुस्कुराते हुए बोली, ष्पिंटर से मैंने जूम करके कार का नंबर निकाला है। उन्होंने निशा की समझदारी की दाद दी और कहा, लगा फोन अपने आर.टी.ओ. वाले यार को, जो कहता फिरता है कोई काम हो तो बोलना। निशा से हसते हुए उन्होंने कहा, वह सिर्फ फ्लटिंग करता है । उसमे हिम्मत नहीं आउटिंग पर जाने की । उससे बात की और कार नंबर के आधार पर मालिक का नाम—पता अपने मेल पर भेजने को कहा ।

सेंट्रल पार्क, जो शहर के दूसरे कोने में था, वह दोनों बैठी हुई थी । जैसा अपेक्षित था, आर.टी.ओ से वांछित पता उसी दिन आ गया था । लडका किसी बैंक में असिस्टेंट मैनेजर था । उसे अगले दिन ही फोन किया गया । और उसे उसकी करतूतो के लिए खूब धमकाया था उन्होंने । फिर जब लडकी द्वारा पुलिस कार्यवाही करने की बात कही तब वह डरा । ष्पर क्यों ? क्या किया मैंने । आप कौन हो? सब बताएंगे तुम्हे मिलने पर ।

वही बिगडैल बैंकर लडका आज यहाँ पार्क में मिलने आनेवाला था। दोनों वाक करती जा रही थी। समय एक घंटा ऊपर हो गया था । निशा चुस्त जींस टी—शर्ट में, बेहद आकर्षक लग रही थी, ने एक मादक अंगडाई ली। तभी पार्क के ट्रैक पर कोई उनके पीछे टकराया, श्सॉरी—सॉरी मेम ! कहनेवाला चुस्त—दुरुस्त शॉट्‌र्स, रीबॉक शूज में पचास वर्षीय, पर दिखने की कोशिश चालीस की करता, कोई प्रोफेसरनुमा जीव था। पता नहीं क्यों कोई प्रोफेसर या व्याख्याता हर लडकी, औरत पर ट्राई मारने को अपना धर्म मानते है । शक्ल—सूरत बंदर और लोमडी जैसी होती है, पर चाहते है उनकी तरफ आकर्षित हो। घर में बीवी को लतियाकर, गरियाकर रखते होंगे और कॉलेज में साधारण नाक—नक्श की क्लर्क पर भी बेहद स्टाइल से बात करके प्रभावित करने की कोशिश करेंगे। बेशर्मी की हद यह है की बिना मांगे नवाजिश, छोटी—मोटी फ्लर्ट करेंगे और फिर तुरंत दांत निपोरते और भयावह गंजे होते चेहरे के साथ अपने लिए आपसे एक मुस्कुराहट, चाय पिने की इल्तजा भी कर लेंगे। आनेवाले दिन सबसे खराब ऐसे ही दोगले लोंगो के आनेवाले है ।

निशा घूमी और बंदे को देखा, आँख मारी, ष्बडे स्ट्रांग हो ! क्या रोज जोगिंग करते हो ?ष् वह बंदा हकबकाकर सरपट ट्रैक पर दौड गया । ष्तुम भी न मर्दो को छेडने का कोई मौका नहीं छोडती !ष् ष्अब क्या करे ? वह तो आया नहीं ? करते है कुछ । दोनों निशा की लाल फोर्ड फिगो में बैठ घर पहुँची । पहुंचते ही लडकी को उन्होंने कैमरा जूम करके वाच किया । वह उन्हें साफ—साफ डिप्रेशन में लगी । अभी—अभी वह अॉफिस से आई थी और सीधे बिस्तर पर जा पडी थी । ठहर जा, आज उस खोते दे पुत्तर की खैर नहीं ! उन्होंने मन—ही—मन कुछ तय किया और कॉल लगाईं । देर तक घंटी जाने के बाद कॉल रिसीव हुई, कहा रह गए थे ? तुम्हे लगता है तुम बच जाओगे ? अब कल हम बैंक आ रहे है हंगामा करने और तुम्हारे बॉस को तुम्हारी करतुते बताने । लडकियों को बरगलाते हो और इस्तेमाल करके छोड देनेवाले तुम्हारे — जैसे लोगो को हमें ठीक करना आता है । लडके के होश उस चुके थे, बोला, ष्अच्छा, आप कहे तो अभी आ जाऊ ? क्यों ? हमें कोई और काम नहीं ? निशा ने मुस्कुराते हुए ठंडे होने का इशारा किया । फिर मैम ? और कल सुबह ठीक सात बजे, उसी पार्क में वरना हम बैंक की और तुम्हारी ईंट से ईंट बजा देंगे । उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा ।

अगले दिन सुबह लडके से मुलाकात हुई । निशा पहले ही सामने वाली बिल्डिंग के बोर्ड से उस लडकी का नाम, फ्‌लैट नं. पता कर आई थी । लडकी का डिप्रेशन, आत्महत्या करने का प्रयास, सब बाटे उसे बताई । यह सुनकर उसके बचे—चुके कस—बल भी ढीले पद गए । ष्लडकियों से खेलने का शौक है न तुम्हे, अब तेरी खैर नहीं !ष् ष्हम कौन है? उस लडकी यह पूछने का ख्याल जब तक उसे आता आई—पी—सी की धाराए — 376 (रेप), 306 (खुदकुशी का दबाव) गिना डाली, बिंदास नमिता ने । नौकरी जाएगी, जेल में चक्की पीसोगे और कैरियर तबाह। यु नाटकीय ढंग से निशा ने कहा की सारी घटनाए लडके की आँखों के सामने । लगा लडका अभी रो देगा । ष्मुझे बचा लो ! आप जो कहेगी ! मै करूँगा ! कैसे सुकून भरे शब्द होते है जैसे कानो में अमृत वर्षा हो रही हो । शरलॉक होम्स—वॉटसन की जोडी ने आँखों—ही—आँखों में फतह होने की बधाई दी । उसे अपनाओ ! उसके पास जाकर माफी मांगो । जो वह कहे वह करो! बिना किसी लाग—लपेट के मै बोली, खबरदार, जो उसे हमारे बारे में कुछ कहा वरना तुम्हारी खैर नहीं !ष् लडका घबराया—सा सभी बातो पर सहमति में सिर हिलाता रहा । उसे अपना फ्यूचर तबाही के कगार पर जो दिख रहा था । वह लडकी से छह माह से रिलेशन में था । यूज एंड थ्रो की बयार हर तरफ थी । लडकिया भी हैसियर, पद, पैसा देखकर बदल जाती थी । पर... पर यह दोनों बेमुरव्वत औरते ! लडके ने एक बार फिर दोनों की तरफ देखा । वहाँ सख्त चेहरों और आँखों को देखकर वह घबराया और बोला, ष्जैसा आप कहती है, वैसा ही होगा !

दो दिन बाद शाम को वह उसी नीली चिडिया को सामने बालकनी पर बैठा देख फोटो ले रही थी । लडकी दिखी, मुस्कुराती, दमकती, चहकती । उन्होंने कैमरे के लेंस को जूम—इन किया । लडकी आज अँधेरा होने से पहले घर पर थी और म्यूजिक पर थिरक रही थी । हाथ में कोई कॉल—ड्रिंक था और वह मस्ती के मूड में थी । रब दी मेहरबानी, बच्ची खुश है । उसकी जिंदगी बच गई ! उन्होंने निशा और अपने को दाद दी की बेहद कुशलता से उन्होंने सारा मामला संभाला ।

सेंट्रल पार्क, जो शहर के दूसरे कोने में था, वह दोनों बैठी हुई थी । जैसा अपेक्षित था, आर.टी.ओ से वांछित पता उसी दिन आ गया था । लडका किसी बैंक में असिस्टेंट मैनेजर था। उसे अगले दिन ही फोन किया गया। और उसे उसकी करतूतो के लिए खूब धमकाया था उन्होंने । फिर जब लडकी द्वारा पुलिस कार्यवाही करने की बात कही तब वह डरा । पर क्यों ? क्या किया मैंने । आप कौन हो ?ष् ष्सब बताएंगे तुम्हे मिलने पर ।

वही बिगडैल बैंकर लडका आज यहाँ पार्क में मिलने आनेवाला था । दोनों वाक करती जा रही थी । समय एक घंटा ऊपर हो गया था । निशा चुस्त जींस टी—शर्ट में, बेहद आकर्षक लग रही थी, ने एक मादक अंगडाई ली । तभी पार्क के ट्रैक पर कोई उनके पीछे टकराया, श्सॉरी—सॉरी मेम ! कहनेवाला चुस्त—दुरुस्त शॉट्‌र्स, रीबॉक शूज में पचास वर्षीय, पर दिखने की कोशिश चालीस की करता, कोई प्रोफेसरनुमा जीव था । पता नहीं क्यों कोई प्रोफेसर या व्याख्याता हर लडकी, औरत पर ट्राई मारने को अपना धर्म मानते है । शक्ल—सूरत बंदर और लोमडी जैसी होती है, पर चाहते है उनकी तरफ आकर्षित हो । घर में बीवी को लतियाकर, गरियाकर रखते होंगे और कॉलेज में साधारण नाक—नक्श की क्लर्क पर भी बेहद स्टाइल से बात करके प्रभावित करने की कोशिश करेंगे । बेशर्मी की हद यह है की बिना मांगे नवाजिश, छोटी—मोटी फ्लर्ट करेंगे और फिर तुरंत दांत निपोरते और भयावह गंजे होते चेहरे के साथ अपने लिए आपसे एक मुस्कुराहट, चाय पिने की इल्तजा भी कर लेंगे । आनेवाले दिन सबसे खराब ऐसे ही दोगले लोंगो के आनेवाले है ।

निशा घूमी और बंदे को देखा, आँख मारी, ष्बडे स्ट्रांग हो ! क्या रोज जोगिंग करते हो ? वह बंदा हकबकाकर सरपट ट्रैक पर दौड गया । ष्तुम भी न मर्दो को छेडने का कोई मौका नहीं छोडती ! अब क्या करे ? वह तो आया नहीं ? करते है कुछ। दोनों निशा की लाल फोर्ड फिगो में बैठ घर पहुँची। पहुंचते ही लडकी को उन्होंने कैमरा जूम करके वाच किया । वह उन्हें साफ—साफ डिप्रेशन में लगी । अभी—अभी वह अॉफिस से आई थी और सीधे बिस्तर पर जा पडी थी । ठहर जा, आज उस खोते दे पुत्तर की खैर नहीं ! उन्होंने मन—ही—मन कुछ तय किया और कॉल लगाईं । देर तक घंटी जाने के बाद कॉल रिसीव हुई, कहा रह गए थे? तुम्हे लगता है तुम बच जाओगे ? अब कल हम बैंक आ रहे है हंगामा करने और तुम्हारे बॉस को तुम्हारी करतुते बताने । लडकियों को बरगलाते हो और इस्तेमाल करके छोड देनेवाले तुम्हारे—जैसे लोगो को हमें ठीक करना आता है। लडके के होश उस चुके थे, बोला, अच्छा, आप कहे तो अभी आ जाऊ ? क्यों ? हमें कोई और काम नहीं ? निशा ने मुस्कुराते हुए ठंडे होने का इशारा किया । ष्फिर मैम ? और कल सुबह ठीक सात बजे, उसी पार्क में वरना हम बैंक की और तुम्हारी ईंट से ईंट बजा देंगे । उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा ।

अगले दिन सुबह लडके से मुलाकात हुई । निशा पहले ही सामने वाली बिल्डिंग के बोर्ड से उस लडकी का नाम, फ्‌लैट नं. पता कर आई थी । लडकी का डिप्रेशन, आत्महत्या करने का प्रयास, सब बाटे उसे बताई । यह सुनकर उसके बचे—चुके कस—बल भी ढीले पद गए । लडकियों से खेलने का शौक है न तुम्हे, अब तेरी खैर नहीं ! हम कौन है ? उस लडकी यह पूछने का ख्याल जब तक उसे आता आई—पी—सी की धाराए — 376 (रेप), 306 (खुदकुशी का दबाव) गिना डाली, बिंदास नमिता ने । नौकरी जाएगी, जेल में चक्की पीसोगे और कैरियर तबाह। यु नाटकीय ढंग से निशा ने कहा की सारी घटनाए लडके की आँखों के सामने । लगा लडका अभी रो देगा । ष्मुझे बचा लो ! आप जो कहेगी ! मै करूँगा ! कैसे सुकून भरे शब्द होते है जैसे कानो में अमृत वर्षा हो रही हो । शरलॉक होम्स—वॉटसन की जोडी ने आँखों—ही—आँखों में फतह होने की बधाई दी । उसे अपनाओ ! उसके पास जाकर माफी मांगो । जो वह कहे वह करो !ष् बिना किसी लाग—लपेट के मै बोली, खबरदार, जो उसे हमारे बारे में कुछ कहा वरना तुम्हारी खैर नहीं ! लडका घबराया—सा सभी बातो पर सहमति में सिर हिलाता रहा । उसे अपना फ्यूचर तबाही के कगार पर जो दिख रहा था । वह लडकी से छह माह से रिलेशन में था । यूज एंड थ्रो की बयार हर तरफ थी । लडकिया भी हैसियर, पद, पैसा देखकर बदल जाती थी । पर... पर यह दोनों बेमुरव्वत औरते ! लडके ने एक बार फिर दोनों की तरफ देखा । वहाँ सख्त चेहरों और आँखों को देखकर वह घबराया और बोला, ष्जैसा आप कहती है, वैसा ही होगा !

दो दिन बाद शाम को वह उसी नीली चिडिया को सामने बालकनी पर बैठा देख फोटो ले रही थी । लडकी दिखी, मुस्कुराती, दमकती, चहकती । उन्होंने कैमरे के लेंस को जूम—इन किया। लडकी आज अँधेरा होने से पहले घर पर थी और म्यूजिक पर थिरक रही थी । हाथ में कोई कॉल—ड्रिंक था और वह मस्ती के मूड में थी । रब दी मेहरबानी, बच्ची खुश है । उसकी जिंदगी बच गई ! उन्होंने निशा और अपने को दाद दी की बेहद कुशलता से उन्होंने सारा मामला संभाला ।

संदीप अवस्थी

आस्था

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