Khavabo ki kimmat - 5 in Hindi Fiction Stories by Khushi Saifi books and stories PDF | ख्वाबो की क़ीमत - 5

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ख्वाबो की क़ीमत - 5

ख़्वाबों की क़ीमत

पार्ट 5

अवनि की तबियत दिन बा दिन बिगड़ती जा रही थी, ज़रा देर हवा में बैठने से ऐसी सर्दी हुई कि वो बुखार का रंग ले गयी, कमज़ोरी इतनी हो गयी कि खुद से उठ कर कोई काम कर पाना मुश्किल हो गया था। 1 हफ्ते से बिस्तर पर पड़ी अवनि की देखभाल में सौरभ कोई कमी नही रख रहा था, खुद उसके लिए परहेजी खान बनाता और अपने हाथ से उसे खाना खिलाता, खाने के बाद दवा देता, पाबन्दी से फ्रूट्स, दूध और जूस पिलाता, माथे पर पानी की पट्टियां रखता। उसकी देख रेख में सौरभ को अपना भी होश नही था, बस दिन रात उसकी फ़िक्र में लगा रहता.. 10 दिन की प्रॉपर देखभाल के बाद अवनि की तबियत कुछ संभली थी, अब वो खुद से उठकर अपना काम कर पा रही थी।

अवनि सोचती “सौरभ मेरी इतनी देखभाल कर रहा है उसे खुद का भी होश नही, और मैं सौरभ पर शक कर रही थी.. क्या क्या नही सोच लिया मैंने उसके बारे में, क्या मालूम उसकी बुरी नियत नही हो पापा के घर लो ले कर.. क्या पता वो सच में ही इतना अच्छा, इतना केयरिंग हो, हो सकता है वो भी मुझसे इतनी ही प्यार करता हो जितना मैं उसे” अवनि शर्मिदा होती।

अवनि की संभली तबियत देख कर सौरभ ने ऑफिस जाने की सोची और ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा। घर से निकलने के कुछ घंटे बाद ही सौरभ वापिस आ गया...

“सौरभ, आप जल्दी आ गए” अवनि ने सौरभ का उतरा चेहरा देख कर पूछा।

“हाँ” सौरभ ने उदासी से कहा।

“क्या हुआ, सब ठीक है” अवनि का दिल घबराने लगा।

“अवनि मेरी जॉब चली गयी”

“क्या.. पर क्यों.. कैसे ?”

“जब तुम्हारी तबियत खराब हुई तो मैंने leave के लिए कंपनी को ईमेल किया था पर कुछ technically problem की वजह से वो सेंड नही हुआ, कंपनी के according मैं बिना इन्फॉर्म किये leave पर था, कंपनी की तरफ से mails भी आये हुए थे जिनका मुझे पता नही था इसलिए गैर-जिम्मेदार बता कर जॉब से हटा दिया” सौरभ ने सारी कहानी कह सुनाई।

“ओह, सौरभ आप परेशान नही हो.. कुछ न कुछ हो जायेगा” अवनि ने तसल्ली दी पर अंदर ही अंदर वो खुद परेशान थी।

“तुम्हे पता है अमेरिका जैसी country में जॉब मिलना कितना मुश्किल है, ये जॉब भी मुझे मेरे दोस्त के किसी रिश्तेदार की सिफारिश पर मिली थी” सौरभ ने परेशान होते हुए कहा।

“कोई बात नही सौरभ, सब ठीक हो जायेगा.. रिलेक्स, कुछ ना कुछ हल निकल आएगा” अवनि सौरभ को सिर्फ तसल्ली ही दे सकती थी जो वो दे रही थी।

***

सौरभ 1 महीने से जॉब तलाश कर रहा था, काफी कंपनी से इंटरव्यू दिया पर हर जगह से निराशा हाथ आयी, अब तो saving भी खत्म होने लगी थी। अवनि या सौरभ के घर किसी को भी सौरभ की बेकारी की खबर नही थी।

“सौरभ हम इंडिया चलते हैं वहां तुम और मैं दोनों कोई जॉब कर लेंगे” अवनि ने सुझाव दिया।

“अभी मेरे पास इतने पैसे नही है, कुछ दिन रुको मैं किसी दोस्त से उधार ले लूंगा”

“नही, ओर उधार नही लोगे, पहले ही जिससे लिया था वो पीछे पड़ा हुआ है.. रुको मैं अभी आयी” अवनि उठ कर अलमारी से कुछ निकालकर लायी और सौरभ के सामने रख दिया।

“ये क्या है अवनि” बॉक्स खुलते ही सौरभ चोंका।

“ये माँ ने मुझे शादी पर दिया था, अमेरिका में गोल्ड की ज्वैलरी का चलन नही है इसलिए यूँ ही रखा है, तुम इसे बेच कर air ticket का इंतज़ाम कर लो और बाकि पैसे से उधार चूका दो”

“लेकिन अवनि ये तुम्हारी है.. ये मैं नही ले सकता”

“सौरभ, सोना सिर्फ तन को सजाने के काम ही नही आता बल्कि अड़े वक़्त भी काम आता है, क्या फायदा एसे गहने का जिससे मेरे परिवार को सुख ना मिल सके” अवनि ने समझते हुए कहा।

“पर ये मैं कैसे ले सकता हूँ” सौरभ शर्मिदा होने लगा।

“तुम्हारा मेरा कुछ नही है, हमारा है”

अवनि के समझाने पर सौरभ कुछ कुछ राज़ी हो गया, मन ही मन शर्मिदा होता सौरभ खुद के किये पर पछता रहा था। वो तो अवनि की जान लेना चाहता था उसके घर पर कब्ज़ा करना चाहता था और ये लड़की खुद सब दे रही है “नही मैं ये नही कर सकता, मैं कैसे उस लड़की की जान ले लूँ जो मुझ पर जान छिड़कती है” सौरभ मान चुका था वो कितना गलत था। उसने सोच कि अब सब सच अवनि को बता देगा, उसके घिनोने खेल के बारे में.. उसके धोंक के बारे, फरेब के बारे में.. फिर जो अवनि का फैसला होगा उससे कबूल होगा।

***

“अवनि फ्लाइट कंफर्म हो गयी है”

“ये तो अच्छी खबर है, क्या टाइम है फ्लाइट का”

“कल शाम 6 बजे”

“चलो तो मैं बाकि तैयारी भी कर लेती हूँ”

“हम्म कर लो... सुनो! मुझे कुछ बताना था तुम्हे”

“हाँ बोलो क्या बात है”

“एक सच बताना चाहता हूँ, उसके बाद जो तुम्हारा फैसला होगा मुझे मंजूर होगा”

“क्या बात है सौरभ, इस तरह बात क्यों कर रहे हो”

“अवनि हमारी शादी एक धोंका है, एक फरेब है” सौरभ ने बताना शुरू किया।

“क्या” अवनि चोंकी।

“शादी से पहले मैंने तुम्हारे पापा के घर का सौदा किया था, उसे तुम्हारे नाम करा दिया और trusty खुद को बनाया.. इस खेल में मेरा पूरा परिवार मिला हुआ है.. हमारी प्लानिंग थी कि तुम को स्लो पोइज़न दे कर...” सौरभ कुछ पल रुक “फिर तुम्हारी मौत के बाद वो घर मेरे नाम हो जाता और किसी को पता भी नही चलता कि तुमको हमने मारा है” सौरभ रुक रुक कर अपने गुनाह कबूल करता रहा और अवनि साँस रोके सब सुनती रही। उसे घर का पता था लेकिन उसके खिलाफ इतनी बडी और खतरनाक साज़िश की जा रही थी उसे अंदाज़ा भी नही था।

“अवनि मुझे गलत मत समझना, हाँ मैं पहले ये चाहता था पर अब नही, पता नही कब और कैसे मैं तुमसे प्यार करने लगा। अब तुम में मेरी जान बस्ती है और मैं अपनी ही जान की जान नही ले सकता” सौरभ ने अवनि का हाथ पकड़ना चाहा।

“सौरभ तुम.... ऐसे कैसे कर सकते हो मेरे साथ, तुम मुझे मारना चाहते थे, मैंने तो इतनी मोहब्बत की तुम्हे उसके बदले तुम मेरी जान लेना चाहते थे” अपनी ने अपना हाथ पीछे खीचते हुए कहा।

“प्ल्ज़ मेरा यकीन करो.. मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे, प्ल्ज़ मुझे माफ़ कर दो अवनि” सौरभ अवनि से मिन्नतें करने लगा।

“घर के बारे में पहले से जानती थी पर तुम्हारी इस सोच के बारे में नही जानती थी, मुझे कहीं ना कहीं अंदाज़ा था इसलिए पहले ही मैंने पेपर्स में बदलाव करवा दिए थे” अवनि ने सीने में दबा राज़ खोला।

“तुम जानती थी, फिर भी मुझे इतना प्यार करती रही और मैं कितना छोटा इंसान हूँ जो इस तरह की हरकत की, पर अब मैं सच्चे दिल से तुमसे माफ़ी मांगता हूं और इंडिया जाते ही सब से पहले घर के पेपर्स तुम्हारे पापा के नाम कर देंगे, मैं वादा करता हूँ अवनि अब कोई धोंका नही दूंगा, बस एक मौका और दे दो मुझे” सौरभ की आँखों से पछतावे की कुछ बुँदे टपकी।

अवनि का दिल पिघलने लगा, उसकी मोहब्बत.. उसका पहला प्यार.. उसका पति हाथ जोड़ कर माफ़ी मांग रहा था फिर वो इतना पत्थर दिल कैसे हो सकती थी “सौरभ! मैं कैसे यकीन करूँ कि अब तुम मुझे धोंका नहो दोगे” अवनि ने खुद को मजबूत दिखाते हुए अपने बहते आंसूं साफ किये।

“बस मुझे एक मौका दो, मैं साबित कर दूंगा तुमने मुझे मौका दे कर गलत फैंसला नही किया.. i promise इंडिया जाते ही सब से पहले तुम्हारे पापा का घर वापिस करूँगा फिर एक छोटा सा कमरा ले कर वहां रहेंगे, मैं कोई भी जॉब कर लूंगा पर तुमको उस घर में ले कर नही जाऊंगा जहाँ तुम्हे धोंका देने की साजिश की थी” सौरभ ने अवनि को यकीन दिलाने की पूरी कोशिश की।

“ठीक है लेकिन मैं तुम्हारा साथ जब ही दूंगी जब तुम इंडिया जा कर अपने तीनो वादे पूरे करोगे, तब तक मैं अपने पापा के घर रहूंगी” अवनि ने अपना फैसला सुनाया।

“thank you अवनि, i love you so much, अब मैं तुम्हारा भरोसा कभी नही तोडूंगा” सौरभ ने अवनि के हाथों को चूमते हुए कहा जैसे उससे पूरी दुनिया मिल गयी

***

सौरभ और अवनि को इंडिया आये दो दिन हो गए, अवनि सीधा अपने घर चली गयी, अवनि ने अपने घर कुछ नही बताया। सौरभ किसी दोस्त के घर ठहरा हुआ था, अपने घर जा कर वो पहले ही पूरे परिवार को बता चुका था कि अब उनकी साजिश कामियाब नही होगी क्योंकि अब वो अवनि को धोंका नही देना चाहता और अगर फिर भी किसी ने उन्हें परेशान करने की कोशिश की तो पुलिस को सब सच बता कर और दहेज़ की वजह से अवनि को परेशान और जान से मारने की कोशिश करने के जुर्म में सब को अंदर करवा देगा।

***

“टिंग टोंग”

“अरे जीजू, कितने दिनों बाद आये हैं आप.. अवनि दी जीजू आये हैं” अवनि के छोटे भाई ने दरवाज़ा खोला तो सौरभ को सामने देख कर खुश हो गया।

“आइये दामाद जी, बैठिये मैं अभी अवनि को बुलाती हूँ”..... “जा बेटा पानी ले कर आ अपने जीजू के लिए” अवनि की माँ ने अपने बेटे से कहा।

“नही माँ, पानी रहने दे.. मैं बस अवनि से मिलने आया था.. अगर वो कमरे में हैं तो मैं वहीँ मिल लेता हूँ उससे” सौरभ ने अपनी सास से कहा।

“हाँ बेटा, अपने कमरे में ही है, मिल लो जा कर”

अवनि अपने कमरे के दरवाज़े में छुपी सब सुन रही थी, सौरभ को आता देख अन्दर कमरे में अंजान बन कर बैठ गयी। अवनि समझ गयी थी सौरभ अपने सारे वादे पूरे कर के आया है।

“क्या मैं अंदर आ सकता हूँ” कमरे के दरवाज़े पर खड़े हो कर सौरभ बोला।

“सौरभ, आप कब आये और ये अन्दर आने के लिए इजाज़त कब से लेने लगे” अवनि ने मुस्कुरा कर कहा।

“जब से कुछ को छोटा समझने लगा” सौरभ भी मुस्कुराता अंदर आ गया।

“ये घर के पेपर्स.. बस पापा के सिग्नेचर चाहिए कुछ जगह” सौरभ घर के पेपर्स अवनि की तरफ बढ़ाते हुए बोला। अवनि ने पेपर ले कर टेबल पर रख दिए।

“अवनि, मेरी जॉब लग गयी है और कंपनी के पास की छोटा सा घर भी किराये पर ले लिया है.. कुछ पैसे जोड़ लूंगा तो अपना घर भी ले लेंगे” सौरभ बोलता रहा और अवनि चुपचाप सुनती रही।

“एक बार फिर मैं अपने और अपनी फॅमिली की तरफ से सॉरी बोलता हूं, उन लोगो को भी मैंने बता दिया है अगर कोई हमारे बीच आया तो पुलिस खुद निपटेगी उनसे”

“अब घर चलो अवनि मैंने अपने तीनो वादे पूरे किये हैं, एक और वादा करता हूँ तुमसे कि तुम्हे कभी धोंका नही दूंगा और हमेशा खुश रखने की पूरी कोशिश करूँगा” सौरभ के जज़्बात उसके लहज़े में साफ़ झलक रहे थे।

“मुझे यकीन था कि तुम ज़रूर अपने कहे वादे पूरे कर लोगे इसलिए मैंने अपनी पैकिंग खोली नही थी, बल्कि तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी कि कब आओगे मुझे लेने” अवनि ने प्यार से कहा।

“सच कह रही हो अवनि, थैंकयू.. आज मैं बहुत खुश हूँ” सौरभ ने अवनि के हाथ थामते हुए कहा।

“और मैं भी” अवनि ने हसंते हुए कहा।

दोनों के चेहरे पर खुशी साफ़ झलक रही थी, दोनों ने ही अपनी अपनी जगह अपने ख़्वाबों की क़ीमत चूका दी थी। सौरभ और अवनि समझ गए थे कि अब उनकी ज़िन्दगी में बस खुशियां ही खुशियाँ लिखी है।

Finished

Dear readers, apko meri likhi kahani kysi lagi, plz feel free to comment & share.. ur comments are precious for me, i’ll take ur comments as feedback..

My next novel will be publish as paperback soon (InSha ALLAH) stay in touch with Matrubharti messages..

Thank you.. -Khushi Saifi