जादू टोटकों का रहस्य
चलो जरा आज इस बात पर गौर किया जाए कि असल में ये रहस्यमयी दुनिया है क्या? जिसका जिक्र आते ही हम एक दूसरे लोक में चले जाते हैं , एक विशिष्ट आकर्षण है इस तरह कि बातों में, मन सुनना चाहता है इस तरह के किस्से कहानियाँ जो एक तिलिस्म गढ़ देती हैं हम सभी के लिए।मैं खुद एक ऐसे घर में रहती हूँ जिसके पीछे नीम के , पीपल के विशाल वृक्ष हैं रात कभी घर की बालकनी में जाओ और शांत मुद्रा में खड़े हवा के चलती ध्वनि को महसूस करो ,तो आभास होता है,कि जैसे कि कोई कहानी सुना रही है हवा,जिसे समझने की जरूरत है,कोई संकेत तो दिया जा रहा है,कोई सकारात्मक संदेश,जिसकी आवश्यकता है हर मनुष्य को, जो भीतर विश्वास जगाती है कि ईश्वर कहीं समाया है भीतर, चलो उसे खोजने का प्रयास करते हैं।
हमारे घर की चौकीदारी का काम एक मुसलमान भले बुजुर्ग आदमी के पास है प्यार से हम सभी उन्हें ‘‘मुल्ला जी'' कहकर संबोधित करते हैं । चौकीदारी करने के साथ ही मुल्ला जी झाँड—फूँक की भी व्यवस्था दुरूस्त रखते हैं। मुझे उनकी विनम्रता बहुत ही भाती है। घर की चौकीदारी में मुस्तैद मुल्ला जी के पास झाड—फूँक करवाने आने वाले लोगों की भी कमी नहीं। जब वे झाड—फूँक करते हैं, तो बड़ी अजीबों गरीब ध्वनियाँ उनके पास आए लोगों से मुझे सुनाई देती हैं ,जो मेरा ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती हैं।
सुबह—सवेरे जब मैं विद्यालय के लिए तैयार हो नीचे अपनी कार पर सवार हो भागने को आतुर होती हूँ। तभी मुल्ला जी जोर से पुकारते हुए,‘‘नमस्ते मैडम जी , जरा धीरे चलिए ,कहीं चोट न लग जाए।'' बड़ा ही भला जान पड़ता ह,ै उनका यह व्यवहार, लगता है अपने ही घर के बाबा मुझे संभलने की सीख देकर अपनेपन का एहसास करा रहे हों। व्यक्तिगत तौर पर मैं उनसे भली भांति पीरचित हूँ ,उन्हें देख कभी आभास ही नहीं हुआ कि झाड—फूँक के समय अपनी भिन्न मुद्रा बना लेने वाला यह व्यक्ति वही है , जो सहज व स्वभाविक रूप से हर सुबह मुझसे दुआ सलाम करता है। जब पंक्तिबद्ध लोगों को इनके छोटे कमरे के बाहर देखती हूँ ,तो मन में अवश्य आता है, कि बदलते हाव—भावों को भी मैं जरूर रूक कर एक बार देखूँ। उस समय उनका सहज सामान्य रूप एक ध्यान—मग्न साधु की भांति प्रतीत होता है और उनके सामने बैठा व्यक्ति अपनी आँखों को बंद किए पूरी तरह मुल्ला जी के काबू में प्रतीत होता है। विस्मित और आश्चर्य से भर देती है मुझे उनकी यह मुद्रा। कौतूहल वश मैं सब कुछ जान लेना चाहती हूँ कि कैसे ये झाड—फूँक के माध्यम से किसी वयक्ति की भूत बाधा को भगा दिया करते हैं, प्रश्न कौंधता है? फिर अनायास काम की जद्दोजहद में मैं उस बात को भूला दिया करती हूँ। आज फिर जब प्रातः 5 बजे मैंने एक महिला को उनकी कोठरी से चिल्लाते हुए सुना , उसकी चीख में डर था ,कि कहीं कुछ अनिष्ट न हो जाए कहीं । तो मन में प्रश्न उभरा कि कैसे हर व्यक्ति इस अपढ़ व्यक्ति की बात पर इतना विश्वास कर सकता है ? और इनके द्वारा दिए छोटे से तावीज को बाँध कर कैसे वह ठीक भी हो जाता है? क्यों हर वर्ग का पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इनके द्वार पर धैर्य पूर्वक चुपचाप घंटों श्रद्धा और विश्वास की डोर थामे अपनी बारी के आने की प्रतीक्षा करता रहता है ? उस तावीज की सच्चाई तो मुझे पता ही थी कि हर शुक्रवार लगने वाले बाजार से वो दस—दस रुपये के हिसाब से दर्जनों खरीदते थे।
मुझे इस प्रश्न का जवाब मिला । किसी से पूछ कर नहीं अचानक अपनी अंतरात्मा से। मुझी में समाए उस ईश्वर से , कि मुल्लाजी का झाड—फूँक और कुछ नहीं, उस व्यक्ति के भीतर बैठे ईश्वर को , विश्वास के रूप में जागृत करने का कार्य करना है। कहने का अर्थ यह है कि झाड—फूँक का दृश्य बना लेने के बाद मुल्ला जी उस व्यक्ति के उस खोए हुए विश्वास को जागृत करते हैं ,जो उस व्यक्ति को , उसकी बीमारी से लड़ने की शक्ति प्रदान कर उसको ठीक कर देती है। विश्वास कहीं ओर नहीं था ,उसी मनुष्य के भीतर कहीं सुप्तावस्था में था, जिसे मुल्लाजी ने वह स्वांग रच कर जागृत किया। इससे पता चलता है कि बीमारी का इलाज किसी और के पास नहीं उस व्यक्ति के पास ही था, जिसके जागृत होते ही साहस जुटा वो सारे प्रयास करता है उस बीमारी या कह लीजिए भूत बाधा से लडने के लिए।
यानि मनन करके देखा जाए तो सही अर्थों में मनुष्य की अवचेतन शक्ति के पास ही सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान है। वही सारा खेल रचती है उसे मात्र संकेत भेजने की आवश्यकता है यदि उसे संकेत भेजे जाँए सकारात्मक तो परिणाम उचित ही प्राप्त होता है। जादू टोने कुछ और नहीं मात्र आपकी अवचेतन शक्ति को जागृत करने का माध्यम है जो विश्वास दिला देते हैं आपको की आप सही हो रहे हैं और आपका स्व विश्वास ही आपको उस बीमारी से मुक्त कर देता है और आप स्वतः अपनी ही चाहत से ठीक भी हो जाते हैं।
इस लोक में यदि हम ईश्वर को पहचानना चाहते हैं तो उसका एकमात्र मार्ग यही है कि हम अपनी अवचेतन मन की शक्ति को पहचाने क्योंकि हमारे द्वारा निर्मित हर समस्या ,डर, बीमारी का इलाज यदि है तो इसी शक्ति के पास है। यही शक्ति इस लोक में बसने वाले हर प्राणी के भीतर विद्यमान है । काफी क्षणों में मैंने भी इसे स्वयं महसूस किया है । इस रहस्य से भरी दुनिया का सत्य हम लोगों के भीतर ही समाया है।
विचारों का मंथन करते मैंने फिर एक हवा के झोंके को महसूस किया जैसे वह मुझे आभास कराता है कि सही में यदि इहलोक में रहते हुए परलोक में छिपे रहस्यों को खोज लेना चाहते हो तो कुछ क्षण अवश्य निकालो अपने आप के लिए ,एकांत क्षण कोई और विचार नहीं कोई और नहीं केवल आप और आपकी अवचेतन शक्ति। मेरी बातों पर यदि विश्वास न हो तो एक प्रयोग अवश्य करना एक स्थान खोज लेना जहाँ कोई और नहीें केवल आप ही हों जहाँ आप अपने आप से बात कर सकें। अन्य विचारों से मुक्त , अवश्य विश्वास होगा मेरी बात का।