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चार अंडों का आमलेट
वहां से वे चारों एसपी बलबीर सिन्ह के ऑफिस पहुंचे.
वहां पहुँचकर ‘हेलो अंकल!’ ‘हाय!’ ‘कैसे हैं?’ वगैरह-वगैरह से उन्होंने उनका अभिवादन किया.
“बहुत दिन बाद दिखाई दिए तुम लोग.”
“एक्सीडेंट हो गया था न अंकल!” शोभा बोली. (जानने के लिए पढ़ें- राजन-इक़बाल का महाविशेषांक- पिछले जन्म में.)
“अरे हां! मैं तो भूल ही गया. दरअसल मैंने ऐसा कभी सोचा ही नहीं कि मेरे प्यारे बच्चों का बाल भी बांका हो सकता है. वाहे गुरु की कृपा तुम पर इसी तरह बरसती रहे. अब ठीक हो न?”
“एकदम फर्स्ट क्लास हैं.” इक़बाल चहका- “पर भूख जबरदस्त लगी है. सुबह के घर से निकले हैं. एक कप चाय भी नसीब नहीं हुई.”
“अच्छा! मैं अभी चाय-नाश्ता मंगाता हूँ.” कहकर बलबीर ने हवलदार को बुलाया.
“चाय-नाश्ता ले आओ.”
“भाई! चार अंडों का आमलेट ज़रूर लाना.” इक़बाल ने गुजारिश करी, फिर बाकी सबको खुद की तरफ घूरते देख बोला- “तुम लोगों को भी कुछ खाना है तो मंगा लो. मुझे क्यों नज़रों से खा रहे हो?”
“पेटूराम कहीं के.” सलमा ने फिर इक़बाल की जांघ पर चुटकी काट ली.
“आउच!” इक़बाल उछल पड़ा. “तुम्हें हुआ क्या है सुबह से, सल्लो जी? बिल्ली की तरह नोचे जा रही हो.”
“बहुत प्यार आ रहा है तुम पर.”
“प्यार ऐसे आ रहा है तो न जाने गुस्सा कैसा आएगा!” इक़बाल छत को घूरते हुए बोला. बलबीर हंस दिया.
“अब बताओ- तुम लोगों को यहां कौन-सा केस खींच लाया?”
“कौन-सा केस? किसका केस?” इक़बाल ने सिर टेढा करके कहा- “क्या हम आपसे सिर्फ मिलने नहीं आ सकते?”
“ज़रूर आ सकते हो. पर फ़िलहाल तुम लोगों के चेहरों से पता लग रहा है कि तुम लोग किसी काम से ही आये हो.”
“आप तो फेस रीडर हो गए हैं.” राजन मुस्कराया- “आजकल इकबाल एक पेंचीदा केस में उलझा हुआ है. वहीं बताएगा.”
“खींच लो टांग मेरी.” इक़बाल ने आँखे नचाकर कहा. उसके बाद उन्होंने बलबीर को सारी बात बताई. सुनने के बाद बलबीर एकदम गंभीर हो गया.
“बस उसी इंस्पेक्टर के मर्डर की पूरी जानकारी हम आपसे लेने आये थे. क्यूंकि वो नामुराद चोर, फ़ाइल का एक पन्ना चुराकर रफूचक्कर हो गया है.” इक़बाल ने कहा.
“तुम लोगों को सुनकर आश्चर्य होगा कि इसी तरह की वारदात कल सीबीआई में भी हुई.”
“सही में?” सलमा ने पूछा.
बलबीर ने सहमति में सिर हिलाया. “एक नकली जॉर्नलिस्ट ने एक सीबीआई अफसर को उसी के केबिन में पहुंचकर बेहोश किया और फिर एक महत्वपूर्ण फ़ाइल के फोटो खींचकर गायब हो गया.”
फिर उन्होंने पूरी घटना विस्तार से बताई.
सुनने के बाद सभी के चेहरे पर कई सवाल दिखाई दे रहे थे.
“कैसे पता चला कि उसने उसी पर्टिकुलर फ़ाइल के फोटो खींचे?” शोभा ने पूछा.
“जूतों के निशान से पता चला कि वो सबसे ज्यादा किस केबिनेट के पास खड़ा था. फिर फ़ाइल के पन्ने शायद मुड़े हुए थे या फ़ाइल ठीक से अंदर नहीं रखी थी इसलिए सीबीआई वालों को पता चल गया.”
“ऐसी कौन-सी फ़ाइल थी वो?”
“सीबीआई वाले बताने के लिए तैयार नहीं हैं. फिर भी मुझे अपने सूत्रों से पता चल गया है.” कहने के बाद बलबीर ने चारों तरफ देखा फिर आगे झुककर धीमे स्वर में कहा- “बहुत सेंसिटिव केस है वो. श्रीराम मूर्ती हत्याकाण्ड!”
“क...क्या?” राजन बुरी तरह चौंका. बाकी सभी भी हैरान थे.
“वो कर्णाटक का युवा नेता- श्रीराम?” सलमा ने दबी आवाज में पूछा तो बलबीर ने ‘हां’ में सिर हिलाया.
“जहाँ तक मुझे पता है-” राजन ने कहा- “उसकी मौत एक्सीडेंट में हुई थी. हैलीकॉप्टर क्रेश हुआ था न उसका?”
“हां! पर उसकी पार्टी वालों को इस बात पर शक है. उनका मानना है कि वो एक मर्डर भी हो सकता है. इसलिए इस केस पर सीबीआई बेहद गोपनीय ढंग से काम कर रही है. इससे ज्यादा मुझे भी नहीं पता.”
“समाज शक्ति पार्टी का नेता था न वो?” सलमा बोली- “मैंने पढ़ा था- अगर वो अभी जीवित होता तो शायद आने वाले कर्णाटक के चुनाव में उसकी पार्टी जीतती और यकीनन वो चीफ़ मिनिस्टर बन सकता था.”
“ठीक कह रही हो.” बलबीर बोला- “पर छः महीने पहले हैलीकॉप्टर क्रेश में उसकी मौत हो गई. उसके बाद से समाज शक्ति पार्टी की कर्णाटक में पोजीशन भी कमजोर पड़ गई है. शायद ही अब वो चुनाव जीत सकें.”
“इसीलिए उसकी पार्टी वाले सोचते हैं कि उसका मर्डर हुआ था?” राजन ने सवाल किया.
“हां! पर पुलिस ने तो इसे दुर्घटना ही बतलाया था. उसके बाद केस गुप्त तरीके से सीबीआई के पास पहुंच गया.”
“हम्म!” इक़बाल ने सिर खुजलाया. “अब उस केस की फ़ाइल के पीछे कोई पड़ा है तो यकीनन कोई नहीं चाहता कि उसकी मौत की इन्वेस्टिगेशन हो. साथ में एक फ़ाइल हमारे हैडक्वार्टर में ढूढ़ी गई. वो भी कर्णाटक के शहर सेलगाम से सम्बंधित थी. एक पुलिस इंस्पेक्टर की मौत. यानि कोई है जो नहीं चाहता कि इस केस पर किसी भी ढंग से काम हो. न तो सीबीई, न सीक्रेट सर्विस न पुलिस. उसने किसी को भी नहीं बख्शा.”
“मुझे समझ में नहीं आ रहा.” राजन बोला- “इस तरह के कदम उठाकर तो अपराधी अपने लिए ही मुसीबत बढ़ा रहा है. इससे ये साबित हो रहा है कि वाकई श्रीराम का मर्डर हुआ था.”
“ये भी तो हो सकता है कि ये सब नाटक किया गया हो.” शोभा बोली- “ताकि सभी उसकी मौत को मर्डर समझें.”
“ऐसा करने से क्या होगा और कौन ऐसा करेगा?” सलमा ने कहा.
“पता नहीं.” शोभा ने कंधे उचकाए. “उसकी पार्टी वाले भी कर सकते हैं. ताकि लोग इसे मर्डर माने और दूसरी राजनीतिक पार्टियों पर शक करें. इससे लोगों में दूसरी पार्टियों के खिलाफ धारणा बनेगी और समाज शक्ति पार्टी को सपोर्ट मिलेगा.”
राजन ने मुस्कराकर शोभा को देखा. “बहुत दूर की सोची तुमने.”
“अरे भाभी किसकी है?” इक़बाल ने ताली पीटी. “इक़बाल दी ग्रेट की.”
“तुम तो हर चीज़ का क्रेडिट खुद ले लोगे.” राजन ने कहा.
“बुरा मत मानो भाई. चलो तुम्हें भी कुछ क्रेडिट दे देते हैं. आखिर हमारी भाभी ‘शब्बो’ किसकी है!”
शोभा के चेहरे पर शर्मीली मुस्कान आ गई.
“हे-हे!” बलबीर फिर हंसा- “ये तो बताओ इक़बाल- आखिर तुम्हें ये केस कैसे मिला?”
“मिला कहाँ है अंकल, चीफ़ ने जबरदस्ती मढ दिया है मेरे माथे पर.”
“हां!” सलमा झट से बोली- “ये पेटूराम ही चीफ़ के सामने बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था इसलिए चीफ़ ने दे दिया.”
“बहुत अच्छे! पर मुझे पूरा यकीन है कि इक़बाल तुम उस चोर को ज़रूर पकड़ लोगे.” बलबीर रुका फिर धीरे से बोला- “और अगर न पकड़ पाओ और नौकरी चली जाए तो मेरे पास आ जाना, मै तुम्हें हवलदार तो लगवा ही दूँगा.”
बलबीर की बात सुनकर सभी ठहाका मारकर हंस पड़े. इक़बाल छोटा-सा मुंह लेकर रह गया.
“हां-हां! हंस लो तुम लोग.” इक़बाल जले हुए स्वर में बोला- “पर अपुन का भी नाम इक़बाल दी ग्रेट यूँ ही नहीं है. इस चोर को पकडकर दंड-बैठक न लगवाई तो कहना.”
तभी हवलदार नाश्ता लेकर पहुंचा. इक़बाल तुरंत आमलेट और समोसो पर टूट पड़ा. बाकी सबने भी नाश्ता किया.
पानी पीने के बाद इक़बाल ने भयंकर डकार ली और चाय की प्याली उठाकर बोला- “मजा आ गया, अंकल! आपके बच्चे जिए आपका खून पिए.”
“तो अब क्या इरादा है तुम लोगों का?” बलबीर ने पूछा.
“हम लोगों का नहीं- अपुन से पूछो अंकल.” इक़बाल कॉलर खड़े करके बोला- “इस केस के लीडर हम हैं. और हम सब आज ही कर्णाटक के उस शहर सेलगाम के लिए निकलेंगे.”
बलबीर कुछ गंभीर हो गया.
“ज़रा सावधान रहना. ये केस बहुत ऊंचे दर्जे का है और इसमें काफी राजनीति जुडी प्रतीत हो रही है. राजनीति में लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं.”
“आप चिंता मत करिये.” राजन ने कहा- “अपराधी कोई भी हो- उसे कटघरे में खड़ा करे बगैर हम चैन से बैठने वाले नहीं.”
“मुझे मेरे बच्चों पर पूरा भरोसा है.” बलबीर ने कहा फिर उन्हें इंस्पेक्टर भास्कर राव के मर्डर केस की फ़ाइल की एक पूरी कॉपी दिलवा दी.
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सेलगाम की सैर
शाम तक राजन, इक़बाल, सलमा और शोभा फ्लाईट से पहले बैंगलोर और फिर वहां से टैक्सी द्वारा सेलगाम पहुंच गए थे.
सेलगाम का मौसम बड़ा सुहावना था. हल्की-हल्की ठंडी हवा के झोंके उड़ रहे थे. वैसे भी फरवरी का मौसम था और इस साल पूरे हिन्दुस्तान में ठण्ड कुछ ज्यादा ही पड़ी थी.
सरकारी गेस्ट हाउस पहुंचकर उन्होंने अपना सामान रखा और फिर फ्रेश होकर सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचे.
वहां मौजूद पुलिस इंस्पेक्टर प्रकाश से उन्होंने पूछताछ शुरू करी.
“तो इंस्पेक्टर भास्कर राव मरने से पहले किस केस पर काम कर रहा था?” राजन ने पूछा.
“किसी चोरी की वारदात पर.”
“तो उसका मुजरिम गिरफ्तार हो गया?”
“हां!”
“लगता है किसी पुराने मुजरिम ने उससे बदला लिया है.” इक़बाल बोला- “आपका क्या ख्याल है?”
“मुझे तो अभी तक कुछ भी ठीक से पता नहीं चला कि उसके मर्डर के पीछे किसका हाथ है. बातों से तो कभी ऐसा लगा नहीं कि किसी ने उसे कोई धमकी वगैरह दी हो या उसके पीछे पड़ा हो. अब उसने कितने ही मुजरिमो को पकड़वाया होगा, क्या पता किसने बदला लिया है. हम लोग इन्वेस्टिगेट तो कर रहे हैं.”
राजन-इक़बाल उसके कुछ करीब आ गए फिर राजन ने बेहद धीमे स्वर में पूछा- “क्या उसने किसी पोलिटिकल केस पर काम किया था?”
“शायद...हाँ! वो छः महीने पहले...श्रीराम मूर्ती... पर वो तो एक्सीडेंट था. बस रूटीन इन्वेस्टिगेशन हुई थी.”
“पर उसका पर्सनल विचार क्या था?” सलमा ने पूछा.
“मतलब?”
“मतलब कि उसका अपना विचार क्या था? क्या उसने किसी पर मर्डर के लिये शक किया था?”
“मर्डर? नही-नहीं! वो तो एक दुर्घटना थी. मर्डर कहाँ...”
“ये आपका विचार है!” राजन ने उसे टोका- “हमें ये मालूम करना है कि भास्कर राव क्या सोचता था?”
“मुझे उसकी सोच के बारे में तो पता नहीं. पर भास्कर मेरी तरह उस इन्वेस्टिगेशन टीम का पार्ट था. और उसका निष्कर्ष तो यहीं था कि वो हैलीकॉप्टर खराब मौसम में दुर्घटना का शिकार हो गया था. उसमे किसी तरह की साजिश का कोई सबूत नहीं मिला था.”
“ओके!” सिर हिलाकर राजन ने कहा.
कुछ देर सोचने के बाद इक़बाल बोला- “फ़िलहाल भास्कर राव के मर्डर का केस हमारे पास आ गया है क्योंकि दो महीने बाद भी पुलिस कोई पुख्ता सबूत नहीं जुटा सकी है.”
“मैं मानता हूँ.” प्रकाश तनिक शर्मिंदा होते हुए बोला- “पर मैं आपकी पूरी मदद करूँगा.”
“शुक्रिया! तो आज के लिए इतना ही. अगला एपिसोड कल प्रसारित होगा.” इक़बाल ऊँगली उठाकर बोला.
प्रकाश ने अजीब नजरों से उसे देखा.
“मेरा मतलब है- आगे की कार्यवाही हम कल करेंगे. शुरुआत क़त्ल की जगह पर जाने से होगी.”
“ठीक है! आप लोग मुझे फोन कर दीजियेगा, मैं आपके गेस्ट हॉउस से पिक करने आ जाऊँगा.”
उसके बाद जासूस मंडली वापस गेस्ट हाउस आ गई और डिनर लेने के बाद वे सभी सो गए.