Utsav in Hindi Magazine by PUNIT books and stories PDF | उत्सव

The Author
Featured Books
Categories
Share

उत्सव

पूरी सृष्टि शिव को नमन करती है

पूरी सृष्टि शिव में समाती है

पूरी सृष्टि का अस्तित्व शिव के कारण है

परम पूज्य आदियोगी भगवान शिव-शंभू से मैं प्रार्थना करता हूं

कि वे हमारी सभी नकारात्मकताओ का

अवशोषण करले ताकी हम

जीवन में सकारात्मकता का अनुभव करें

-PKJ

हर युग में सनातनी संस्कृति के सामने सबसे बडी चेलेंज क्या होती है ? संस्कृति से लोगो का कनेकशन बने रेहना । यह काम उत्सव करता है। अब पुछीये उत्सव ये काम कैसे करता है ? मेंने यह सिक्रेट बताने के लीये ही आटीँकल लीखा है। यह रहस्य हम नवरात्रि के उदाहरण से समजते है । जैसे हम सब जानते है की नवरात्रि भारत का देश विदेश में प्रसिध्ध और celebrate कीये जाने वाला उत्सव है। नवरात्रि की इंग्लिश शब्दावली NAVRATARI हमे हमारी संस्कृति की महानता ओर सनातन होने गुढ रहस्य बताती है।

नवरात्रि के दीनो में गुजरात में डांडिया और बंगाल में दुर्गा पूजा में नगाड़े और नृत्य दोनो का उपयोग आम होता है । पंजाब,राजस्थान, युपी,बीहार में होली (लोहड़ी)के त्योहार में केरला में ओनम celebrate होता है। ओर भी मकर संक्रांति, पोंगल,वसंत-पंचमी, थाईपुसम,महाशिवरात्रि,होलिका-दहन,चैत्र नवरात्रि,ऊगड़ी/तेलुगू नया साल,गंगौर पर्व,मेवाड़ पर्व,रामनवमी,महावीर जयंती,हनुमान जयंती , जगन्नाथ-रथयात्रा,गुरु पूर्णिमा,कुंभ-मेला,जन्माष्टमी, रामलीला,गणेशचतुर्थी, ब्रह्मोत्सव, रामबारात,दशहरा,महाऋषि वाल्मिकी जयंती, करवा चौथ,देव उथानी, एकादशी, धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज,छठ पूजा यह सभी वो पवँ है जीसका नाम में जानता हुं लेकीन ऐसे भी बहोत सारे उत्सव है जीसमे ढोल,नगाड़े ,तांसे ओर नृत्य के बीना उत्सव की कल्पना करना असंभव सा है । हमारे भारत में नगाड़े ओर शेहनाई का उपयोग संस्कृतिक-कायँक्रमो , शादी, जुलुस और विविध अवसरों पर आनंद दशाँने के लीये लगभग सभी जगह होता है। तो आप समज ही गये के पहेले अक्षर N का मतलब

N - Naker and dance - नगाडा और नुत्य कला

नगाडे का इतिहास देखें तो मुगल युग मे ऐक बडे साईज का ढोल युद्ध मैदानों मे उंट के उपर लाद के युद्धों की शुरुआत करने के लिए उपयोग में लाया जाता था जो नकारा (Naqqara) नाम से जाना जाता था यह अरबी शब्द है जो युरोप में। Naker या Naccaire शब्द से प्रचलीत हुआ जो मुलतः Nagada नाम के भारतीय शब्द से आया जो गुजरात में Nagara शब्द से फेमस है। जीसे सामान्य लोग ढोल के नाम से भी जानते है आम तौर पर दो नगाडे ऐक साथ बजाये जाते है,जीस में ऐक high pitch वाला और दुसरा low pitch वाला होता है। उसको बजाने वाली लकडी "डमक" नाम से जानी जाती थी । मनोरंजक बात यह है की पसीँया(ईरान) में दो नगाडो में से बड़ा "बम" के नाम से ओर छोटा "झील"नाम से जाना गया ,जीसको आज हम Bass और Treble के नाम से जानते है।यु कहीऐ के युद्ध में शुरवीरो का शौर्य, उत्सव की जान ओर राजाओं का मान ढोल नगाड़े तासे से है था मेरी जान ।

हम में से बहोत से सनातनी जानते है की सभी कलाकार अपनी कला में सफालता के लीऐ देवाधीदेव महादेव के रूप नटराज की उपासना करते है। वे "अभीनेताओ के राजा" के नाम से प्रसिद्ध है । नृत्य(डांस) की व्याख्या के अनुसार "योग्य इरादे के अनुसार और नियत कीये हुऐ क्रम में अंगभंगीमां (स्टेपस) की क्रीयाओ को नृत्य या डांस के नाम से जाना जाता है।" तकरीबन ९ से १० हजार साल पुराने भारतीय चीत्रो में नृत्य की अंगभंगीमाओ का चीत्रण दशाँया गया है। यह हमारी संस्कृति के महान इतिहास को दशाँता है। ईसा से ऐक सदी पहले हमारे प्राचीन ऋषि मुनि भरत ने नाट्यशास्त्र मे शुद्ध अंगभंगीमा को नृत कहा गया उसेके लिए हाथ, पैर, नेत्र, भ्रू, एवं कटि, मुख, मस्तक आदि अंगों की विविध चेष्टाओं को अेकस्प्रेशन से जोड के नृत्या के नाम से विस्तार पुवँक दशाँया गया है। इसे यह देव, दानव एवं मानव समाज के लिए आमोद प्रमोद का सरल साधन कहा गया ।

कुछ लोगों का कहना है कि उत्सवो ओर शुभ प्रसंगो में ढोल नगाड़े तासे ओर शोरगुल अमीरों की संपत्ति और शक्ति का प्रदर्शन मात्र हे । ओर कुछ लोक-अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह सब फिजूल खर्च है जिससे अप्रत्याशित रुप से गरीब की रोटी छिनती है। कुछ लोग मानते हैं कि नवरात्रि में गरबा और अन्य उत्सवो ने में हमारे युवा वगँ को आध्यात्मिकता ओर भक्ति मार्ग से भ्रष्ठ कर मानसिक दिवालियेपन की भेंट दि है । उत्सवो ने फैशन और अनीति पूर्ण आचरण को प्रोत्साहन देकर समाज को गलत रास्तेपर ले जा रहा है । लेकीन अगर सोचीये हर-ऐक युग में अमीर गरीब का फकँ तो रहा है ओर रहेगा शकित ओर समृद्धी के प्रदँशन की अनुमती नही होगी तो क्यो कोई उसके लीये संघँष करेगा। और अगर हर गरीब को बीना कमँ कीये रोटी,कपड़ा, मकान आदि मुलभुत आवश्यकताऐ पुरी हो जायेंगी तो आदमी महेनत नही करेगा ओर समाज अनिती के मागँ पर भ्रमित होकर नष्ट हो जायेगा । अवलोकन-निरीक्षण कीया जाय तो पुराने जमाने के हीसाब से आध्यात्मिक उजाँ ओर ज्ञान के लीये बहोत सा युवा वगँ आध्यात्मिक साहीत्य ओर विडियो को इंटरनेट ,टीवी ,अखबार के माध्यम से पढते ओर देखते है साथमें मंदिर भी जाते है। में फेशन ओर आधुनिक पश्र्चीमी संस्कृति के प्रभाव के कारण है उसका अनिती से कुछ संबंध नही है। क्योकी हमारी संस्कृति की शकित यह है ,की हमने हमारी आस्था ओर उत्सवो को नही बदला सिफँ अपनी परंपराओ ओर भावनाओ के प्रदँशन का तरीका बदला है । आधुनिक संस्कृति में बहलाव ने हमारी सभ्यता ओर परंम्पराओ को तोडा नही परंतु आगे बढाया है ।

" नाद ओर नृत्य" अनिंद्रा ओर स्ट्रेस नीवारण की उपचार पद्धती ओर कला है, नृत्य ओर नागाडा बजाने वाले ओर श्रोता सबका मनोरंजन कर स्ट्रेस दुर करता है,साथ में उत्साह ओर आनंद भी प्रदान करता है।जबकी डांस के बारे में कहा जाये तो वह भी उसी प्रकार आनंद प्रदान करने के साथ शरीर में रक्त संचार सामान्य करके शरीर के टोकसीन दुर करता है, शरीर की ऐकस्ट्रा फेट दुर करके उसे तंदुरुस्त ओर फुँतिँला बनाता है। सनातन संस्कृति में हरेक व्यक्ति के जन्म का परम लक्ष्य सत्तचीत्त-आनंद चरीत्र को प्राप्त करना होता है। तो उत्सवो में नगाडे ओर नृत्य का आनंद इसी की शुरुआत मात्र है। सारांश में कहे तो म्युजीक ओर डांस हररोज के बोरिंग जीवन से परेशान लोगों का शारीरिक और मानसिक स्ट्रेस दूर करके लोगों को लोगों से और लोगों को संस्कृति से कनेक्ट करने के लिए platform तैयार करके देता है।

" चलो हम नृत्य(Dancing) और वांचन (Reading) करते है क्योकी दुनिया में यही दो मनोरंजन है , जो दुनियामें कोई भी नुकसान नही पहोचाते है।" - वोलटाइर (पोलीटीशीयन)

Note - नवरात्रि शब्द के दुसरे अक्षर A का रहस्य आर्टिकल भाग २ लेकर आयेंगे तब तक में आपको मेरे सभी आटीँकल के बारे में अपने सजेशन्स देने के लीये आमंत्रित करता हुं और यह भी बताये के आनेवाले सभी आटीँकल में आप क्या पढना चाहते है ? जीसकी लींकस के लीये ओर जीवन में "उपयोगी शब्दो" की परिभाषा को जानने के लीऐ facebook में PKJ सर्च करके देख सकते हैं।