Sur - 4 in Hindi Fiction Stories by Jhanvi chopda books and stories PDF | सुर - 4

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सुर - 4

"सुर"

CHAPTER-04

JHANVI CHOPDA

Disclaimer

ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.

ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.

इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन करना है |

*

आगे आपने देखा,

परवेज़ सबको मुकेश की नाफ़रमानी के बारे में बताता है, और बड़ी ही चालकी के साथ वो मुकेश को रिवील करता है। ये सब जान कर जुबेर को ठेस पहोंचती है, क्योंकि उसी ने मुकेश को सब सिखाया था। जुबेर हिम्मत करके पिस्तौल उठाता है और मुकेश को मार डालता है। अब सब एक ही सवाल में उलझे हुए थे, की आखिर परवेज़ ने "तारा" को किडनेप कैसे किया।

अब आगे,

'उससे भी बड़ा सवाल तो ये है, कि तुजे पता कैसे चला परवेज़ ! की "तारा" को राका ने कहाँ छुपा रखा है ? जबकि कलेक्टर खुद अपनी बेटी के बारे में नहीं जानता था !'_ जुबेर ने पूछा।

'अगर चूहे को बिल से बाहर लाना हो, तो लालच का पिंजरा टांगना पड़ता है! मैंने भी वही किया, कुछ खास नहीँ !'

'देख मेरा दिमाग वैसे भी काम नहीं कर रहा, तू पहेलियां बूजाना बन्ध कर और साफ़ साफ़ बोल।' _ जुबेर ने कहा।

'तारा का लोकेशन मुझे भी पता नहीं चल रहा था, मैंने राका की सभी ख़ुफ़िया जगह पर तलाश की लेकिन फिर भी बाजी मेरे हाथ से फिसल रही थी। फिर मैंने सोचा की अगर असली माल को बाहर निकलना है, तो घर के अंदर घुसना पड़ेगा ! मैंने कलेक्टर के घर की काम वाली "बाई" को पकड़ा, क्योंकि बाई को सब पता होता है, फिर ये तो "काम" वाली थी। _परवेज़ की इस बात पर सब हँस पड़े, उसने अपनी बात जारी रखी।

'उसने बताया कि, खुद कलेक्टर को भी नहीं पता था, कि राका ने उसकी बेटी को कहाँ सेफ रखा था। मैं समज गया था, कि राका ने एक भी कड़ी नहीं छोड़ी, जिससे मैं तारा तक पहोंच पाऊ ! क्योंकि उसका प्लान एक्यूरेट होता है। मैंने बहोत सोचा की ऐसा कौन हो सकता है, जो मुझे उसकी सारी इनफार्मेशन दे सके ? उतने में मुझे अपने आदमियों से पता चला की, तारा के सारे करीबी अपने अपने काम पे थे, सिवाय के उसकी बेस्ट फ्रेंड ! मेरे दिमाग में आया की, ये लड़की तारा के साथ ही होनी चाहिए। अब मुझे कुछ ऐसा करना था जिससे साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे ! यानी की उन दोनों का लोकेशन पता चल जाए और किसीको भनक तक ना लगे। तारा के कॉलेज फ्रेंड्स से इन्क्वायरी करने पर पता चला की, उस लड़की (तारा की फ्रेंड) का कोई बॉयफ्रेंड भी था। अब सारे तालों की चाबी मेरे हाथ आ चुकी थी। लड़कियों की सबसे बड़ी कमजोरी का फ़ायदा मैंने उठाया, उस लड़के को अगवा किया और उसकी मासूका को फ़ोन लगवाया ! पहले तो उसने आसनी से कुछ नहीं बताया, फिर सच्चे आशिक़ वाले पैतरे करवाने पर उसने बताया कि, वो तारा के साथ राका के फार्महाउस में थी। राका की सेक्युरिटी को तोड़ के, तारा को किडनेप कर पाना कोई आसान काम नहीं था ! और मेरे पास वख्त भी बहोत कम था। मैंने उस लड़के से बुलवाया की, 20 मिनट में वो फार्महाउस पहोंच रहा है, उस लड़की से मिलने के लिए ! जैसे की मैंने प्लान किया था, वो लड़का कार लेकर वहाँ पहोंचा...पीछे मैं अपने आदमियों के साथ था...जैसे ही वो दोनों लवबर्डस मिले, मैंने उन दोनों पे अटैक किया। लड़की की चिल्लाने की आवाज सुन कर, सिक्योरिटी के सभी आदमी उन दोनों को बचाने किलिए फार्महाउस के बाहर आ गए...इसी मौके का फायदा उठा के, मेरे आदमी फार्महाउस के अंदर घुसे, और तारा को किडनेप कर के मेरे दिए गए पते पर ले गए ! फिर उसके बाद जो हुआ वो तो सब जानते ही है !' _ परवेज़ ने खत्म किया।

सब उसकी ओर आँखे फाड् कर देखने लगे।

'अब उस देवीजी के दर्शन तो करवाओ जिसे पकड़ने के लिए इतने पापड़ बेलने पड़े !' _अपना मौन तोड़ते हुए जुबेर ने कहा।

'जा, जा के देख ले अपने कमरे में !' _ परवेज़ ने मुस्कुराते हुए कहा।

'मेरे कमरे में ? आबे, साले तूने मेरे कमरे में छुपा रखा है उसे ! बाहर निकल उस लौंडिया को...' _ जुबेर हड़बड़ी में गया, पीछे अमोल और अयान भी गये।

थोड़ी देर तक परवेज़ ने आराम किया, उसकी आँख लगने ही वाली थी की पीछे से वो तीनो बड़बड़ाते हुए आए !

'क्या माल है कलेक्टर की बेटी, जुबेर भाई !' _अयान ने कहा।

'परवेज़, देखा तुमने तारा को? किसी आशमान के तारे से कम नहीं लगती !' _जुबेर ने पूछा।

'आशमान के तारे टूट पड़ते है, मुझे नहीं देखना किसीको ! नींद मत खराब कर मेरी !'

'जितनी कातिल वो दिखती है, उतनी ही धारदार जुबान है उसकी, भाई ! कहती है, "कमीनो, कुत्तो की मौत मरोंगे तुम सब ! और जिन पैसो के लिए ये काम किया है ना, उसमें से एक पाई भी काम नहीं आएँगी !" और इतना ही नहीं, "हरामखोर" कहती है, हमे ! अब हरामखोर है, तो है ! उसमें मुँह पे बोलने वाली कौनसी बात है !'_ अमोल बोला।

'सच्चाई कड़वी ही होती है, अमोल ! लेकिन, हमें तो उसके मुँह से मीठी लगी !' _जुबेर की ये बात सुन कर सब हँस पड़े।

परवेज़ जपक के खड़ा हो गया... 'क्या कहा उसने ? फिरसे बोल !' _उसने अमोल से पूछा।

'मुँह पे बोल दिया भाई, लड़की ने !'

'वो नहीँ, उसके पहेले !?'

'कुत्ते की मौत मरेंगे सब !'

'वो नहीं, उसके बाद !?'

'पैसे काम नहीं आने वाले...'

'अरे, वो भी नहीं, उसके बाद !' _परवेज़ बेचेन नज़र आ रहा था।

'हरामखोर !'

'हाँ, यही था वो ! जुबेर, सुना तुमने ? ये वही लब्ज़ है, जो उस दंगे में सुने थे मैंने !' _इतना बोल के वो जुबेर के कमरे की ओर भागा।

परवेज़ के पीछे जुबेर भी भागा। इस ओर अमोल और अयान एक दूसरे से गुसफुसा रहे थे।

'ये क्या था, अमोल ?'

'लगता है भाभी मिल गई ! आ बैठ, तुजे डिटेल में बताता हूँ !'

उस ओर तारा थोड़ी बेहोश लग रही थी। परवेज़ ने पानी छिटक के उसे होश में लाने की कोशीश की !

'ऐय, आँखे खोल अपनी, और बता, बता वो कौन थी ? बोल जल्दी !'

'क्या बे ! मुझे किडनेप कर के तेरा जी नहीं भरा ? मेरा बाप तुजे छोड़ेगा नहीं साले !'

'पनवेल में जब हम आए थे, तू ही बोली थी ना "हरामखोरों" ! उस वख्त तेरे साथ कोई लड़की थी, बोल वो कौन थी ? वरना मार डालूंगा तुजे !'

'तू मुझे मारेंगा कमीने? तुजे मुझे ज़िंदा रखने के पैसे मिले है। चल अब जा यहाँ से, चेन से सोने भी नहीं देता ।' _तारा ने परवेज़ को धक्का मारा के गिराया।

वो फिर से बेहोश हो गई।

'हट्ट, तेरी ! अब ये कब होश में आएगी और कब मुझे बताएंगी सब कुछ !'

'कोई मुझे समजाएगा की ये हो क्या रहा है ?' _जुबेर ने अदब से पूछा।

*

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