Green Light in Hindi Short Stories by RK Agrawal books and stories PDF | ग्रीन लाइट

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ग्रीन लाइट

ग्रीन लाइट

RK Agrawal

अवनि की उंगलियाँ तेजी से लैपटॉप के कीबोर्ड पर चल रहीं थीं. दिन भर के घर के काम काज के बाद जो थोड़ा बहुत समय बचता, उसमें वह लैपटॉप पर ऑनलाइन काम करके पैसे कमाया करती थी. उसके पास टैलेंट की कमी नही थी और बाहर जाकर कोई भी हाई पेइंग जॉब वो कर सकती थी, पर शादी के बाद घर गृहस्थी की जिम्मेदारियां और 2 साल के बेटे अरु के साथ इस तरह उलझ गयी थी कि घर से बाहर जाकर काम नही कर सकती थी. हाँ, घर से उसे पूरा सपोर्ट मिलता था. ननद, देवरानी, सास सभी तो थीं उसे समझने वाली और घर के कामों में उसका हाथ बटाने वाली...तो उसे टाइम पर अपने प्रोजेक्ट्स पूरा करने में कोई कठिनाई नही होती थी.

उस दिन उसे अपनी ईमेल आई दी पर किसी अनजान व्यक्ति की चैट रिक्वेस्ट आई. वैसे तो वह इस तरह की रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नही करती थी पर फिर सोचा विभिन्न ऑनलाइन रिक्रूटमेंट साइट्स पर अपना रिज्यूमे डाला हुआ है. हो सकता है कोई नया क्लाइंट हो और यह सोचकर उसने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली. रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करते ही सामने वाले के नाम.. ईशान मेहता...हाँ यही नाम था उसका. . उसके नाम के आगे हरी बत्ती जलती दिखने लगी. मतलब वह भी उस वक़्त ऑनलाइन था. अवनि ने अपने साइड से बातों का कोई सिलसिला शुरू न करते हुए अपने प्रोजेक्ट पर काम करना जारी रखा. 5 मिनट बाद ईशान ने उसे पिंग किया.

"हाय"

अवनि ने जवाब में 'हेलो' लिख भेजा.

आँखें बहुत खूबसूरत हैं आपकी. . . ईशान के चैटबॉक्स पर यह अप्रत्याशित लाइन लिखी देखकर अवनि चौंक गयी. 4 साल कि शादीशुदा ज़िन्दगी में ये दिलकश लफ्ज़ तो उसे उसके पति हिमेश ने भी नही कहे थे. अवनि ने एक ही पल में अपने अंदर रोमांच, गुस्सा, डर और घबराहट का अनुभव एक साथ किया. कोई अजनबी उससे इस तरह कैसे बात कर सकता है.

'सॉरी, मैं आपको नही पहचानती' दिल में गुस्से का भरपूर उबाल होते हुए भी उसने संयत होते हुए लिखा.

"हाँ, आप कैसे जानेंगी, मैं भी तो आपको नही जानता. फ़्रैन्डबुक पर रैंडम सर्च करते हुए आपकी ये तस्वीर मिली. यही देखकर जाना कि आँखें कितनी दिलकश हैं आपकी." अवनि के कॉलेज के दिनों की वह तस्वीर भेजते हुए उसने लिखा.

वो तस्वीर देखते ही अवनि की आँखों में सात रंग के सपने तैर गए. कॉलेज के दिनों में ली गयी वो तस्वीर देखकर उसे वो दिन, वो वक़्त और वो तस्वीर किसके द्वारा खींची गयी थी..सब याद आ गया. सीने में पड़े गुलाबी रंग के दुपट्टे में टंके हुए छोटे छोटे सफ़ेद मोती, उसकी खूबसूरती पर चार चाँद लगा रहे थे. उसकी गहरी गहरी बोलती आँखें, आँखों की कोरों तक बाहर तक निकली हुई काजल कि लकीरें जैसे अपनी अलग ही दुनिया बनाने में लगी थी. वह वक़्त उसकी ज़िन्दगी का चाँद सितारों पर चलने का वक़्त था. उसे नया नया प्यार जो हुआ था. उसके कॉलेज में उसका सीनियर था, विवान. उसे बहुत चाहता था. पर विजातीय होने की वजह से उनकी शादी नही हो पाई थी. अपने प्यार को दिल में दफ़न कर, महावर रचे पैरों से वह हिमेश के घर आ गयी और अपनी ज़िन्दगी में रच बस गयी.

अब ये नया आशिक़ कौन है? एक बेतुका सा लेकिन डरा देने वाला ख्याल उसके पूरे बदन पर सरसराता हुआ हाथों तक पहुँच गया. कांपती उँगलियों से टाइप किया उसने. .

"देखिये,मैं आपको नही जानती और न ही मुझे आपसे चैट करने में कोई इंटरेस्ट है. आई ऍम ए

मैरिड लेडी सो प्लीज, आप मुझसे कोई उम्मीद मत रखिये. अपना और मेरा टाइम वेस्ट मत कीजिये"

ये लिखने के दौरान स्पेलिंग की गलतियां उसकी घबराहट और हड़बड़ी को साफ़ बयान कर रही थी.

"आप मुझे गलत समझ रही हैं. मेरा ऐसा कोई इरादा नही है. बस दोस्ती करना चाहता हूँ आपसे. थोड़ी देर बात करना चाहता हूँ" सामने से रिप्लाई आया.

अवनि नही जानती थी की अगर उसे इस व्यक्ति से बात नही करनी है तो वो लॉग आउट या उसे ब्लॉक क्यों नही कर रही है. पर किसी का दिल दुखाना या बदतमीजी करना शायद उसके संस्कारों में नही था. वैसे भी जिस दिन पहली बार उसने इन्टरनेट की दुनिया में कदम रखा था और अपनी ईमेल आई डी बनाई थी, तभी अपने लिए कुछ नियम भी बना लिए थे. किसी को बेवजह ब्लॉक न करना भी उन्ही नियमों में से एक था. और वैसे भी, वो कोई बदतमीजी या बुरी बात तो नही कर रहा.

शराफत से ही पेश आ रहा है. उसने घडी की तरफ देखा. दोपहर के 1.30 बज रहे थे.

"मुझे ऑफलाइन जाना होगा, मेरे लंच का टाइम हो गया" अवनि को बात न बढ़ाने का बहन मिल गया.

'ओके बाय, नाइस टू टॉक विथ यू' सामने से रिप्लाई आया.

अवनि खुश थी, अब ये दुबारा बात नही करेगा.

दिन बीत गया. रात को 9 बजे दूसरी पाली के काम के लिए वह फिर ऑनलाइन बैठी. देखा, ईशान के नाम के आगे ‘ग्रीन लाइट’ जल रही थी. मतलब वह ऑनलाइन था. एक पल को उसे लगा की वो उस से फिर बात करने लगा तो उसका बहुत वक़्त जाया हो जायेगा, फिर सोचा, बात क्यों करेगा, दोपहर में ही तो वो आधा घंटे बात कर चुका है. ये सोचकर निश्चिन्त हो वह अपने काम में लग गयी. 15 मिनट बाद ईशान का मैसेज आया, 'हेल्लो मिस बिजी' अवनि को काटो तो खून नही. न तो उसे उस से बात करने में कोई इंटरेस्ट था, न ही उसका ये लहजा पसंद था. आजकल के लड़कों को पता नही क्या हो गया है. न किसी के सोशल स्टेटस की फ़िक्र है न पर्सनल लाइफ की. अरे मैं जब बता चुकी हूँ कि मैं मैरिड हूँ और मुझे उसकी इस फ्री की फ्लर्टबाजी में कोई दिलचस्पी नही है तो क्यों मेरे पीछे पड़ा है. एनीवेज़, जब मैं रिप्लाई ही नही करुँगी तो बात कैसे बढ़ेगी. अपना काम करके वो सो गयी.

अगले दिन फिर वह घर के कामो से फ्री होकर ऑनलाइन काम करने बैठी, तो ईशान ने 'हाय' लिखकर बात शुरू करना चाही. अवनि ने चैट ऑप्शन ऑफ कर दिया. एक हफ्ते तक यही सिलसिला चलता रहा. कब तक चैट ऑफ करके रखती. काम के सिलसिले में क्लाइंट्स और कलीग्स के टच में भी तो रहना पड़ता है.

"क्या है...मुझसे बात क्यों नही कर रही हो. गलत मत समझो, घर से दूर रहता हूँ, अकेला फील करता हूँ, आपसे बात करता हूँ तो अच्छा लगता है. बस इसलिए बात करना चाहता हूँ" ईशान ने चैट पर लिखा हुआ था.

"ओके, आई विल टॉक टू यू व्हैनेवर आई विल हैव टाइम, बट डोंट ट्राई टू टेक माय फ्रेंडशिप इन अदर वे. मुझ पर चांस मारने की कोशिश करने की जरुरत नही है" थोड़ा कठोर होते हुए अवनि ने लिखा हालांकि उसे भी नही पता था था कि वो उसकी दलीलों के आगे झुक गयी है या दिल से कही वह भी उस से बातें करना चाहती है.

स्वाभाव से स्त्री हमेशा रूहानी होती है. किसी की प्रेयसी, किसी की बेटी, किसी की बहन, किसी की पत्नी, किसी की बहु, किसी की माँ और दुनिया के सामने एक प्रोफेशनल छवि होने के सबसे ऊपर, दिल की गहराई में वह एक नदी की तरह होती है जिसके मन में उठने वाली लहरों के राज उसके सिवा किसी को पता नही होते. वह जानती है की शादी हो जाने पर उसके तन पर किसी के नाम की मुहर लग जाती है...पर मन, उस पर अभी भी उसका ही आधिपत्य है. सिन्दूर, मंगलसूत्र और बिछुए तन पर चढ़ते हैं, मन पर...शायद हमेशा नहीँ.

दिन गुजरते रहे. अवनि को एहसास ही नहीँ हुआ कि कब उसकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में ईशान की 'चैट्स' अभिन्न अंग बन चुकी हैं. वह अपने प्रोजेक्ट्स पर काम करते करते ही उसकी बातों का रिप्लाई भी करती जाती थी. हाँ, इस से उसके काम पर थोड़ा असर तो हुआ था और जो काम 2 घंटे में पूरा होता था वो 2.30 घंटे में पूरा हो रहा था लेकिन इसमें हर्ज़ ही क्या है, उसने सोचा. अगर अपना काम करते हुए मैं 'अपने अच्छे दोस्त' से बात कर लेती हूँ जिसकी बातें मुझे नई ऊर्जा देती हैं तो इसमें कोई बुराई नहीँ है. अवनि मन ही मन इसी उधेड़बुन में लगी रहती. बातें भी क्या थी, रोज की हलचल जानना, एक दूसरे के काम के बारे में जानना और घर परिवार की बातें. इस बीच ईशान आदतन उसकी खूबसूरती की तारीफ कर देता तो वह 30 की उम्र में भी खुद को 16 साल की नवयौवना की तरह महसूस करती. वैसे भी वह 20 साल से ज्यादा की दिखाई नहीँ देती थी. सांवले रंग के बाद भी तीखे नैन नक्श, कंटीली मुस्कान और बच्चों से निश्छल मन की वजह से उसकी उम्र दिखाई नहीं देती थी. उस पर उसका रहन सहन और लहजा और व्यक्तित्व कहीं भी उसके शादीशुदा होने का प्रमाण नहीँ देते थे.

'कहाँ हो तुम, जल्दी ऑनलाइन आओ..मैं वेट कर रहा हूँ.' किचन में चाय छानते हुए उसके मन में ये शब्द गूंजे तो वह सकपका गयी. ये क्या हो रहा है. खुद को सम्हालती हुई, अपना प्रोजेक्ट स्टार्ट करने को कंप्यूटर 'ऑन' किया. देखा तो ईशान के मैसेज पड़े हुए थे. 'गुड मॉर्निंग थे मोस्ट ब्यूटीफुल लेडी' उफ़ ये दिल पर लगने वाली बातें, वो कैसे इनसे बचकर रहे. एक तरफ तो ये वे शब्द हैं जिन्हें सुनने की उसे लालसा रही है और संजीदा व्यक्तित्व वाले उसके पति से ये बातें सुनने वो आज तक तरसती रही. दूसरी तरफ ईशान की रसभरी बातों की और आकर्षित होना और उस से बात करने से खुद को न रोक पाना, कहीँ ये सब उसे किसी मकड़जाल में तो नहीँ उलझा देगा.

'सुनो न' ईशान की तरफ से मेसेज आया.

"हाँ बोलो" अवनि ने लिखा.

'मुझे कुछ कहना था आपसे' इस बार साथ में एक स्माइल वाला इमोजी भी था.

'हाँ, सुन रही हूँ' अवनि का दिल जोर से धड़का.

'आप बुरा मान जाओगी' ईशान ने लिखा.

'नहीं, बोलो' अवनि जानने को बेक़रार थी कि उसे क्या कहना है.

'आई लव्ह यू' ईशान के मेसेज का आधा हिस्सा आया और आधा वह टाइप ही कर रहा था.

इतना पढ़कर अवनि के मन में मिले जुले एहसासों ने जन्म लिया. उसे समझ ही नहीँ आया कि वह क्या सोच रही है. ये शब्द सुनकर वह खुश है या गुस्से में, उत्साहित है या डरी हुई. फ़्रैन्डबुक में ईशान के फोटोज देखे थे उसने. वह उतना ही हैंडसम था जितनी आज के ज़माने की किसी लड़की की ख्वाहिश होगी. अब खुद को तरह तरह के हेयर स्टाइल्स बनाकर शीशे में निहारा भी करती है.

पर आज ये अचानक प्रेम प्रस्ताव. . . वह आश्चर्यचकित थी. कोई जवाब देने से पहले उसका मेसेज पूरा होने का इन्तजार कर रही थी.

'आई लव यू...ऐसा आज मेरे ऑफिस की नेहा ने कहा मुझसे' ईशान का मेसेज पूरा हुआ.

'ओह' इतना ही लिख पाई थी अवनि. मैं भी क्या समझ रही थी. अच्छा ही है, ऐसा कुछ ईशान ने मुझे नहीँ लिखा वरना में जवाब में क्या लिखती. 'हां' या 'न' ये एक बड़ा प्रश्न था.

'क्या सोचने लगीं आप. यार बताओ न...मुझे शादी करनी है किसी से, मेरी माँ चाहती हैं इस साल शादी कर लूँ पर मुझे समझ ही नहीँ आ रहा किस से करूँ. सब कुछ है ज़िन्दगी में. नौकरी, पैसा, पर्सनालिटी और फॅमिली..बस शादी करने को एक अच्छी सी लड़की मिल जाये. आप कुछ सजेशन दो न' ईशान ने लिखा.

'मैं क्या बोलूं, आपकी कोई गर्लफ़्रेन्ड होगी, उस से शादी कर लो' अवनि अपने प्रोजेक्ट पर भी ध्यान दे रही थी.

'नहीं है न और मुझे..आप जैसी बीवी चाहिए' ईशान के ये शब्द उसके दिल में उतर गए.

'ये क्या बात हुई' अवनि ने जवाब में लिखा.

'आई मीन, जिस तरह आप खूबसूरत भी हैं, घर भी सम्हालती हैं, ऑफिस का काम भी. . . बेबी के साथ भी बैलेंस बनाकर चल रही हैं. शादी के इतने साल बाद भी आपकी वेस्ट 26 है और..' ईशान लिखता जा रहा था.

'अब बस भी करो, ज्यादा बटर पॉलिश करने की जरुरत नहीँ है' अवनि फूल सी खिलकर भी पत्थर सी कठोर होने की कोशिश कर रही थी.

'सुनो न' ईशान कहाँ रुकने वाला था.

'हाँ बोलो' अवनि को फिर किसी फ़्लर्ट का अंदेशा था.

'आप ही प्लीज ढूंढ दो न कोई लड़की मेरे लिए..आपकी कोई सिस्टर नहीँ है क्या आप ही के जैसी'

'नहीं, कोई सिस्टर नहीं है मेरी और मैं लंच बनाने जा रही हूँ, बाइ' अवनि ने संवाद ख़त्म करना चाहा.

'ओके स्वीट हार्ट, अपना ख्याल रखना' ईशान ने चुटकी ली.

''सुधर जाओ'' अवनि ने झिड़की दी.

'पहले बिगड़ने तो दो जान' ईशान का साहस बढ़ रहा था.

'ईशान, मैं ब्लॉक कर दूंगी.' अवनि की समझ नहीँ आया क्या लिखे तो यही लिख दिया.

'ओके ओके सॉरी..जाता हूँ. लंच कर लेना आप अच्छे से, वैसे भी इतने दुबली पतली हो,,,हाय' शहद डूबी बातें करने में तो उसे महारत हासिल थी. ईशान वाकई उस से प्रभावित था या प्रभावित होने का ड्रामा सिर्फ कर रहा था, वह नहीं जानती थी. पर इन सब बातों की वजह से उसकी ओर खिंची जा रही थी.

इसी तरह दिन बीतते गए. अवनि ईशान बातों बातों में एक दूसरे के करीब आते गए. हँसी मजाक, हलचल जानने के अलावा दोनों एक दूसरे से अपनी परेशानियां और दिल की बातें साझा कर लेते थे. इसी बीच अवनि को एकाएक ईशान से प्यार हो गया था. थोड़ा अटपटा जरूर लगता है पर शादी के बाद भी किसी और से प्यार हो जाना मुमकिन है अगर दिल की धरती सूखी पड़ी हो और उस पर किसी के प्यार की ठंडी ठंडी बौछारें पड़ जाएँ.

उसने महसूस किया था ईशान भी उसकी तरफ झुकता जा रहा था.

'अवनि, सुनो न' एक दिन उसने लिखा.

'हां' हमेशा की तरह वो अपने काम में भी दिल लगाए हुए थी.

'आप बुरा मान जाओगी'

'नहीं मानूंगी'

'पक्का'

'हाँ, बिलकुल पक्का'

'आई लव यू'

'आज किसने कहा, फिर से नेहा ने?' अवनि अविरल थी. वह उसके मजाकिया स्वभाव का अंदाज लगा चुकी थी.

'मैं कह रहा हूँ आपसे' ईशान ने स्पष्ट किया.

'तुम्हे पता भी है तुम क्या कह रहे हो. ऑनलाइन भी किसी को किसी से प्यार होता है क्या' अवनि ने अपना प्रोजेक्ट का काम छोड़ कर उसकी बातों पर गौर किया.

'हाँ जान, पूरे होश में लिख रहा हूँ, प्लीज मान जाओ. मुझे तुमसे प्यार हो गया है. सोचता था न बताऊं तुम्हे, पर अब नहीँ रहा जाता तुम्हारे बिना.' ईशान ने अपना दिल खोल दिया.

'ईशान प्लीज स्टॉप इट नाउ. ऐसा पॉसिबल नहीं है. ऑनलाइन प्यार नहीँ होता और मैं मान भी जाऊँ तो ऐसे प्यार का क्या मतलब है' अवनि ने मुकरना चाहा.

'मतलब है जान. मेरी एनर्जी हो तुम...तुमसे बात करके मैं खुश हो जाता हूँ, खुद को नया फील करता हूँ. प्लीज मुझे अपना लो' ईशान लिखता जा रहा था.

'बस भी करो और प्लीज, मुझे ये 'जान' लिखना बंद करो. मैं तुम्हारी कुछ नहीं हूँ. मैं जा रही हूँ' अवनि बात बढ़ाना नहीं चाहती थी.

'रुको न प्लीज. एक बार मेरे बारे में तो सोचो. प्यार करता हूँ तुमसे. कभी कोई तकलीफ नहीँ दूंगा. हमेशा खुश रखूँगा. आप जैसा कहोगी वैसा करूंगा.. कभी हर्ट नहीं करूँगा. प्लीज..' ईशान ज़िद पर आ गया था.

'ज़िद मत करो प्लीज, मैं बाद में बात करती हूँ. टेक केयर' अवनि ने लैपटॉप शट डाउन कर दिया.

घर के किसी काम में मन नहीँ लग रहा था. ईशान की बातें दिमाग में गूँज रही थी. वह उस से कभी मिली नहीँ थी, पर उसे करीब से महसूस कर सकती थी. उसकी बातों को सिलसिलेवार, उसी लहजे में मनन कर रही थी, जिस लहजे में वह सामने होकर कहता.

क्या सोच रही है अवनि, ज़िन्दगी में प्यार किस्मत की बात होती है. अगर तेरी किस्मत से तुझे मिला है तो सोचना कैसा. और कौनसा तू उसके साथ सच में घूमने फिरने वाली है. उसके मन में तरह तरह के विचार उमड़ रहे थे. पर, तू शादीशुदा है. किसी और से प्यार करने का मतलब है तू अपने पति को धोखा दे रही है. दूसरे ही पल नया विचार आया. अगर मन में प्यार है और हम उसे तन पर अंजाम नहीँ दे रहे हैं तो इसे विश्वासघात नहीं कह सकते. पर रहेगी तो तू हिमेश की पत्नी ही न. उसके अंदर की विरोधाभासी अवनि ने कहा. पर मुझे जिस प्यार की तलाश थी, वो अगर हिमेश से नहीँ मिल रहा और कहीँ और से मिल सकता है तो मैं अपनी ख़ुशी क्यों छोड़ दूं. आखिर तन की जरूरतें पूरी कर देना ही तो प्यार नहीँ होता..किसी के लिए पूरे मन से समर्पित होने में भी तो सुकून है. अवनि के अंदर ईशान की प्रेयसी जीत गयी. उसने ईशान का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया.

अब तो दिन रात किसी सुनहरे सपने से गुजरने गी. ईशान बहुत खुश था, उसमें बेईमानी नहीँ थी पर वह आभासी दुनिया में किसी को दिल के करीब चाहता था. अपने अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए उसने अवनि को सहारे के रूप में ढूंढ लिया. दूसरी ओर अवनि ने इन चंद महीनो में वो महसूस किया जिसके लिए वो बरसों से तरसती रही. तन की छुअन से दूर ईशान से दिल का रिश्ता बनाकर वह प्रेम के वशीभूत थी. ऐसा नहीं है कि अपने प्रेम के इस सफर में वे अंतरंग पड़ावों में रुके नहीँ, बेशक वे अपने प्रेम वार्तालापों में स्पर्श को जगह देते थे और एक दूसरे को एक दूसरे की कमी महसूस नहीँ होने देते थे.

'अवनि, मेरे पास आओ' ईशान ने लिखा.

'क्यों..मैं नहीँ आउंगी' अवनि को शरारत सूझी.

'आओ न जान, प्लीज 5 मिनट के लिए आओ' ईशान अधीर हो रहा था.

'पहले बताओ..क्यूँ' अवनि उसे परेशान कर रही थी.

'आओ, फिर बताता हूँ' ईशान कहाँ हारने वाला था.

'ओके,,आ गयी' अवनि ने कुछ हार्ट के इमोजीस टाइप कर दिए.

'पास आओ' ईशान ने लिखा.

'नहीं आउंगी' अवनि ने टाइप किया.

'आओ न जान' ईशान ने साथ में हर्ट वाला इमोजी भी टाइप किया.

'नहीँ आउंगी तो क्या करोगे' अवनि ने लिखा.

'जबरदस्ती करूंगा' ईशान ने शरारत में लिखा.

'तो फिर मैं जा रही हूँ' अवनि ने धमकी दी.

'प्लीज मत जाओ न जान, आओ न पास, वेटिंग फॉर यू' ईशान तड़प उठा.

'ओके आ गयी' अवनि उसकी तड़प समझ गयी.

'और पास आओ' ईशान ने टाइप किया.

'आई न जान, बहुत पास हूँ तुम्हारे' अवनि ने विश्वास दिलाना चाहा.

'मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ लिया..फील करो. देखो कितना ठंडा है मेरा हाथ...मुझे टाइट हग करो न' ईशान ने लिखा.

'प्लीज मेरे इतने पास मत आओ ईशान, मुझे डर लग रहा है' अवनि काँप गयी.

'क्यूँ डर, मैं हूँ न. मैंने तुम्हे फोरहैड पर किस किया, आईज पर, नोज पर, लिप्स..' ईशान लिखता जा रहा था, अवनि की धड़कनें तेज हो गयी थीं.

'ईशान बस करो न. मुझे कुछ काम है. ऑफलाइन जाना है' अवनि भाग जाना चाहती थी.

'नही न जान, प्लीज थोड़ी देर तो रुको. अब नहीं रहा जाता तुम्हारे बिना. मुझे रियल में कभी नही मिलोगी?' ईशान बेक़रार हो उठा.

'नहीँ ईशान, हम रियल में कभी नहीँ मिलेंगे, मैं मैरिड हूँ, किसी के प्रति मेरी जिम्मेदारियां है' अवनि ने अडिगता से कहा.

'मुझे सच में प्यार करती हो?' ईशान कुछ शंकित हुआ.

'हाँ जान, करती हूँ प्यार तुमसे. पर मैं किसी भी रिश्ते से कोई धोखा नही करना चाहती' अवनि ने मजबूरी ज़ाहिर की.

'ओके जान, कोई प्रॉब्लम नहीं है, तुम्हारा प्यार काफी है मेरे लिए, अगले जनम में पक्का मुझसे ही शादी करना. मुझे तुम चाहिए जान, आज, आज से 10 साल बाद, 20 साल बाद, 40 साल बाद, अगले जनम, कभी भी, मैं वेट कर लूंगा, लव यू लॉट्स' एक किस के इमोजी के साथ उसने चैट ख़त्म की थी.

अवनि की आँखों से आंसू बह रहे थे. पता नहीँ इस प्यार का क्या अंजाम होगा. वह खुद भी तो सब्र नहीं कर पाती थी. कभी कभी लगता था ईशान उसके सामने आ जाये, फिर सोचती थी सामने आएगा तो क्या करेगी, हाँ,,,दौड़कर जाकर उसे गले लगा लेगी, जितना वो उसके लिए तड़पी है, उस लिहाज से तो वो खुद को रोक ही नहीँ पायेगी. वो जब, जहां, जैसे मिलेगा, उसे गले लगा लेगी, उसे बाक़ी की दुनिया की कोई फ़िक्र नहीँ होगी उस वक़्त.

इस दौरान घर की और हिमेश के प्रति सारी जिम्मेदारियां भी निभा रही थी. किसी को शक भी नहीँ हुआ की वह ईशान के प्यार में सर से पाँव तक सराबोर है.

इसी तरह ख़ुशी और तड़प के मिले जुले एहसास के साथ दोनों के दिन बीत रहे थे. अवनि की ज़िन्दगी में कभी कोई गम आ भी जाता तो, ईशान नाम की जादू की छड़ी को याद करते ही वो सरे दर्द भूल जाती थी.

एक दिन ईशान का मेसेज आया.

'जान, मैं शादी कर लूँ? मम्मी ने एक लड़की देखी है' शब्द विन्यास से समझ आ रहा था की वह कुछ विचलित था.

अवनि समझ सकती थी कि उसने किन हालातों में ये लिखा था. वह उसे मना भी करती तो किस बात के आधार पर. क्या वह उस से शादी करती? क्या वह सारी उम्र उस से ऑनलाइन चैट करते हुए ही गुजारेगा?

'हाँ जान, कर लो शादी मम्मी की पसंद की लड़की से' अवनि ने स्माइल के इमोजी के साथ लिखा.

'सच बताओ न जान, तुम नाराज तो नहीँ होगी, तुम कहोगी तो नहीं करूँगा शादी' ईशान ने उसका दिल रखने को लिखा था.

'नहीं ईशान, तुम शादी कर लो, मुझे तुम्हारी फ़िक्र होती है, शादी कर लोगे तो तुम्हे अकेले भी नहीँ रहना पड़ेगा और मम्मी को भी सहारा हो जायेगा' अवनि की आँखों में आंसू थे पर उसने पूरे दिल के साथ ये शब्द लिखे थे.

'ओके डिअर, कल घर जा रहा हूँ. अपना ख्याल रखना' ईशान ने लिखा.

'सुनो न' अवनि का मन हुआ की उसे हमेशा के लिए ऑनलाइन ही रोक ले.

'बोलो न जान, क्या हुआ' ईशान ने लिखा.

'शादी के बाद मुझसे बात करोगे न' अवनि की आँखों से ऑंसुओं की धार बह रही थी. दिल में कुछ टूट रहा था.

'हां जान, बात करूँगा, बात होगी, पर कम होगी..प्यार बढ़ेगा' ईशान ने दिलासा दिया.

'ओके' अवनि लैपटॉप शट डाउन करके बिस्तर पर चली गयी. पता नहीँ क्यों, उस दिन उसकी आँखों से आंसू झर झर बह रहे थे.

तीन चार दिनों तक ईशान का कोई मेसेज नहीँ आया था. कुछ दिनों बाद ईशान से पता चला कि उसकी सगाई होने वाली है. वह पहले की तरह ही बराबर उस से बात करता रहा. प्यार भी जताता था पर बातें कुछ कम हो गयी थी. फिर उसकी सगाई भी हो गयी. ईशान ने अवनि के कहने पर अपनी होने वाली बीवी की तस्वीर दिखाई.

'तुमसे ज्यादा सुन्दर नहीँ है जान, पर इसमें ही तुमको देखूंगा' ईशान ने लिखा.

अवनि ने तस्वीर देखी. वो वाकई अवनि से ज्यादा खूबसूरत नहीँ थी. पर उसके चेहरे पर मासूमियत और अपनापन था. अवनि को जलन नहीँ हुई, उसे संतोष था, सुकून था. 'ये मेरे ईशान को खुश रखेगी, उसका ख्याल रखेगी' ऐसा सोचकर अवनि ने ईशान को एक स्माइल का इमोजी भेजा.

'बहुत सुन्दर है ईशान तुम्हारी फ्यूचर वाइफ. विश यू अ हैप्पी मैरिड लाइफ.' अवनि ने लिखा.

'आई लव यू' ईशान ने लिखा.

'आई लव यू टू' जवाब लखते तक अवनि की आँखें नाम हो गयीं थी.

आने वाले एक महीने में अवनि की ज़िन्दगी जैसे वीरान हो चुकी थी. उसका सब कुछ छिन चुका था. वह रात दिन ईशान के बारे में ही सोचती. दूसरी ओर, ईशान के मेसेज आना लगभग बंद हो गए थे. कभी कभार वह हाय हेलो लिख देता था. ज्यादा बात नहीँ होती थी. अब तो ''आई लव यू" का रिप्लाई भी नहीँ करता था.

'ईशान, तुम्हे क्या हो गया है, तुम मुझसे बात ही नहीँ कर रहे हो. क्या मैं सिर्फ तुम्हारे लिए तब तक एक तिमेप timथी जब तक तुम्हारी शादी न हो जाये' अवनि के सब्र का बाँध टूट गया.

'नहीँ यार, ऐसा नहीँ है. बिजी हूँ बहुत. प्लीज मुझे माफ़ कर दो. भूल जाओ सब कुछ..बहुत मुश्किल से लिख पाया मैं ये. पर यही सच है' ईशान ने अवनि का दिल तोड़ दिया.

'ओके, भूल जाउंगी. पर जब तुमने मुझे प्रोपोज़ किया था तब मैं तो आलरेडी मैरिड थी और मैंने तुम्हे एक्सेप्ट किया. अब जब तुम्हारी शादी हो रही है तो मैं तुम्हारे लिए अनवांटेड हूँ. मीन्स मैंने अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी को एक तरफ रखकर तुमसे प्यार किया....और तुम अपनी शादी की वजह से मेरा प्यार भूल जाओगे?' सच्चे प्यार की वजह से उठा दर्द अवनि के शब्दों के रूप में ईशान तक पहुँच रहा था.

'तुझसे नफरत करना जरुरी था, वरना प्यार हो जाता फिर से' ये ईशान के आखिरी शब्द थे.

"मतलब तुम मुझसे नफरत करते हो?" अवनि ने लिखा पर कोई जवाब नहीँ आया.

इसके बाद अवनि ने उसे कुछ नहीँ लिखा. वह उसके लिए जल बिन मछली की तरह दिन रात तड़पती थी. उसे कई बार मेसेज करने की भी कोशिश की. पर शायद ईशान ने उसे ब्लॉक कर दिया था. अजीब बात है, मैं उसे लगभग हर रोज कहती थी 'ब्लॉक कर दूंगी'. उसने एक बार भी नहीँ कहा और ब्लॉक कर दिया. अब उसे ऑनलाइन ऐसी कोई ग्रीन लाइट नहीँ दिखती थी जो उसे भीतर तक खुश कर दे. दिल में प्यार का जज्बा हमेशा के लिए ऑफलाइन हो चुका था.