Nivesh se pahle dhyan rakhe yah teen niyam in Hindi Magazine by RAJEEV PATHAK books and stories PDF | निवेश से पहले ध्यान रखें यह तीन नियम

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निवेश से पहले ध्यान रखें यह तीन नियम

निवेश से पहले ध्यान रखें यह तीन नियम

राजीव पाठक

हमारे घर काम करने वाली शान्ताबाई तीन दिनों से काम पर नहीं आ रही थी। आज जब आई, तो पूंछने पर उसने बताया कि अनेक महिलाओं के साथ मिल कर उसने एक कंपनी में पैसा लगाया था , जिसका अब कोई अता-पता नहीं है. कंपनी के दफ्तर पर ताला लगा है और वहाँ काम करने वाले नदारद हैं . कल सभी महिलाएं समूह बना कर पुलिस स्टेशन गयीं और पुलिस से कंपनी वालों को ढूंढ कर पैसा दिलाने की मांग की. मुझे ध्यान आया कि आज के अखबार में भी यह खबर छपी है.

आजकल ऐसी घटनाएँ आम हैं. समाज में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो भोली-भाली जनता को अधिक ब्याज या हर महीने कोई गिफ्ट देने का झांसा देकर उनकी मेहनत की गाढ़ी कमाई लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं.महंगाई की मार झेल रही हमारी मध्यम वर्गीय माताओं और बहनों की भी यही समस्या है.

निरंतर घट रही ब्याज दरों से त्रस्त और पेंशन की एकमात्र आय पर निर्भर हमारे वरिष्ठ नागरिक भी अनेक बार ऐसे ठगों और लुटेरों के चंगुल में फंस जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई से हाथ धो बैठते हैं.

सुमित्रा चाची की तो कहानी तो बिलकुल अलग है. उन्होने पाई-पाई जोड़ कर कुछ रुपये जमा किए थे और उस धरोहर को प्लास्टिक की थैली में लपेटकर गेहूं के डिब्बे में रख दिया था. एक दिन पता चला कि उसे तो चूहों ने कुतर डाला. ऐसी अनेक घटनाएँ आए दिन हमारे आसपास होती रहती हैं.

आइए जानते हैं कि अपनी बचत के निवेश से पहले हमें कौन सी तीन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

निवेश की सुरक्षा

निवेश का सर्वप्रथम नियम यह है कि हमारा पैसा सुरक्षित रहे, डूबे नहीं. शान्ताबाई जैसे कहानी किसी और के साथ न दोहराई जाए. इस दृष्टि से देखें तो, बैंक अथवा डाकघर में बचत करना सबसे सुरक्षित निवेश कहा जा सकता है. आपके घर के नजदीक कोई न कोई सहकारी, राष्ट्रीयकृत अथवा निजी बैंक की शाखा अवश्य होगी. इसके अतिरिक्त म्यूचुअल फ़ंड का विकल्प भी उपलब्ध है. शेयर बाज़ार और स्थायी संपत्ति में निवेश के विकल्प भी हैं, लेकिन इनमें जोखिम बहुत अधिक है, अतः सुरक्षित निवेश की श्रेणी में इन्हें अंत में ही रखना चाहिए.

जरूरत के समय उपलब्धता

निवेश करते समय दूसरी मुख्य बात जो हमें ध्यान में रखनी चाहिए वह यह है कि जरूरत के समय हमारा पैसा हमें तुरंत वापस मिल जाए. मान लीजिये कि यदि हम अपनी बचत की सारी राशि मियादी जमा योजना में डाल देते हैं, तो आवश्यकता के समय हमें उसे निकालने में कुछ नुकसान उठाना पड़ सकता है और कुछ मामलों में समय भी अधिक लग सकता है. इसी तरह यदि हमने म्यूचुअल फ़ंड के फिक्स प्लान अथवा सोने-चाँदी या जमीन में निवेश कर दिया है, तो भी उसे निकालने में कुछ समय लग सकता है. परिवार में कोई आकस्मिक खर्च आ जाने पर जमीन या सोने में किए गए निवेश से पैसा तुरंत प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है और कई बार तो लोग हमारी मजबूरी का लाभ उठाकर सही कीमत भी नहीं लगाते. इस दृष्टि से देखें तो यह उचित होगा कि आकस्मिक खर्चों के लिए आप कुछ राशि बैंक के सेविंग्स खाते में रखकर एटीएम कार्ड प्राप्त कर लें, ताकि आधी रात को भी आपका पैसा आपके काम आ सके, और आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े.

निवेश पर आय

किसी भी निवेश का तीसरा प्रमुख मापदंड है कि उससे होने वाली आय अर्थात हमारे मूल धन के अतिरिक्त हमें कितनी राशि अधिक मिलेगी. अधिकांश राष्ट्रीयकृत बैंक सेविंग्स बैंक पर 4.5 से 5 प्रतिशत तक ब्याज देते हैं, कुछ निजी बैंक एक निश्चित धनराशि से अधिक रखने पर 6 प्रतिशत तक भी ब्याज देते हैं. मियादी जमा राशि पर भी अधिकतम ब्याज 7 से 7.5 प्रतिशत तक उपलब्ध है, जिसमें और भी कमी आने की संभावना है. कुछ निजी कंपनियाँ 12 % या अधिक ब्याज भी दे सकती हैं, लेकिन हमें यह ध्यान रखना होगा कि वे जो ब्याज दर दर्शा रही हैं वह साधारण ब्याज दर है अथवा चक्रवृद्धि. साथ ही कंपनी फिक्स डिपॉज़िट, बैंक डिपॉज़िट के समतुल्य सुरक्षित नहीं होते, इस बात का ध्यान हमें हमेशा रखना चाहिए. ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनमें कंपनियों ने निश्चित अवधि पूरी होने पर भी जमाकर्ताओं को उनकी धनराशि नहीं लौटाई और बेचारे निवेशक सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी से गुहार लगा रहे हैं. इसके अतिरिक्त जमीन और शेयर बाज़ार जैसे अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं, जिसमें जोखिम अधिक है और उनमें निवेश के लिए अधिक जानकारी और विशेषज्ञ की सलाह की आवश्यकता होगी. यहाँ एक अन्य घटना याद आती है. रमा जी एक महाविद्यालय में व्याख्याता हैं. उन्होने एक नई कंपनी के आईपीओ में पैसा लगाया था, यह सोच कर कि कम समय में अच्छा लाभ हो जाएगा, काफी प्रचार था उक्त आईपीओ का, अखवारों और इलेक्ट्रोनिक मीडिया में, कंपनी के प्रमोटर भी जाने-माने लोग हैं, लेकिन कई वर्ष बीत जाने पर भी उनके निवेश का मूल्य आधे से भी कम है और उन्हें काफी हानि हो रही है.

उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर हम निवेश के विभिन्न विकल्पों में से अपने लिए उचित विकल्प का चयन कर सकते हैं. आवश्यक यह भी है कि हम भ्रामक प्रचार और विज्ञापनों, झूठे वायदों पर ध्यान न देकर अपने परिवार, बैंक अधिकारी, निवेश सलाहकार अथवा अन्य जानकार लोगों से इस तरह की योजनाओं पर चर्चा करें, उनकी राय जानें और उसके बाद जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के आधार पर निवेश का निर्णय लें.

अंत में एक और महत्वपूर्ण जानकारी . आजकल ऐसे लोगों की भरमार है , जो किसी न किसी बहाने हमारी आँख से काजल चुराने को तैयार बैठे हैं. हमारे पड़ोसी शर्मा जी को कल ही किसी ने फोन किया . फोन करने वाले ने एक बड़े बैंक का प्रतिनिधि बताते हुए कहा कि आपका एटीएम कार्ड फ्रीज़ किया जा रहा है. शर्मा जी ने कहा मेरा तो उस बैंक में खाता ही नहीं है. अच्छा तो कौन से बैंक में है, उधर से पूछा गया. शर्मा जी ने उत्तर दिया पुलिस थाने में, उस व्यक्ति ने फोन तुरंत काट दिया. लेकिन श्री पारिख इतने समझदार नहीं निकले, वे फोन पर अपने एटीएम पिन बताने की गलती कर बैठे और कुछ ही क्षणों में धोखेबाज़ों ने उनका बैंक खाता खाली कर दिया. ध्यान रखें कि हमारी मेहनत की कमाई पर सिर्फ हमारा हक है, उसे सही जगह निवेश करना हमारा अधिकार है और धोखेबाज़ों से उसकी हिफाज़त करना हमारा कर्तव्य, उस पर हाथ साफ करने का अवसर भूल कर भी हमें धोखेबाज़ों को नहीं देना चाहिए.

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