रीश्वतखोर सरकारी अफसर को सबक कैसे सिखाएँ – Fight Against Corruption
हमारा देश भारत युवा धन एवं कुदरती सम्पत्तियों से सम्पन्न होने के बावजूद पिछड़ा हुआ रह गया है। इस दुर्गति का मुख्य कारण भ्रस्ट्राचार है। इस देश में 100 में से 99 जगह पर चपरासी से ले कर बड़े अधिकारी तक को रीश्वत देने का चलन है। यह काला धंधा सब की मिली भगत से किया जाता है। पद के हिसाब से सब आपस में बाँट कर खाते हैं। रीश्वतखोर अफसरों के पापों के कारण कुछ बचे ईमानदार अफसर भी बदनाम होते हैं।
सामान्य तौर पर रीश्वत लेने वाले अफसर एक सटीक फॉर्मेट पर चलते हैं। उदाहरण के तौर पर,,, रीश्वत मांगने से पहले उस व्यक्ति से (ग्राहक से) पूछे जाने वाले सवाल,,,,
नाम क्या है तुम्हारा? – इस सवाल से वह आप की जाती जानना चाहता है,,, अगर उसे लगेगा की इस जाती के लोग ज़्यादा संगठित हैं, जागृत हैं, ठंडे मिजाज के नहीं हैं तो वह ऑफिसर गलती से भी रीश्वत नहीं माँगेगा।
काम करते क्या हो? – अगर आप छोटे व्यापारी या व्यवसायी हैं, हिचक कर बोल रहे हैं। नर्वस हो रहे हैं। तो समझ लीजिये की ऑफिसर बड़ी बे-शर्मी से कुछ ही देर में रीश्वत मांगने ही वाला है।
आप के डॉकयुमेंट ठीक कहाँ हैं ? आप गलत समय पर आए हैं। अरे भाई यह काम यहाँ थोड़ी होता है? – इस तरह के उलझाने वाले (“manipulated”) सवाल आप को मेंटली डिस्टर्ब करने के लिए होते हैं। ताकि आप गभरा कर अपना काम जल्दी निपटा कर, कुछ पैसे ले-दे कर वहाँ से निकल जाने की सोचें। और आप की उसी कमजोरी का फाइदा उठा कर वह ऑफिसर पैसे की डिमांड रख सके।
भाई आप नें तो हमें यह बात बोली ही नहीं, आप तो जूठ बोल रहे हैं, हमने तो ऐसा कहा ही नहीं। - यह एक और पैतरा है आप को confuse करने का। अगर आप उन के ऐसे जूठे आरोपों में गुस्सा हो गए तो समझ लीजिये की आप game हार गए। भ्रस्ट ऑफिसर से पार पाना है तो सारे काम लिखित में करें और साक्ष्य के साथ करें। एक मामूली अरज़ी भी दें तो उसकी एक कॉपी received लें। (received copy का मतलब यह होता है की जो डॉकयुमेंट / अरज़ी आप नें सरकारी खाते में जमा की है उसकी एक नकल पर उस officer के साइन और स्टेम्प लगवा कर अपने पास रखना। ताकि proof रहे की आप नें अरज़ी दी थी और वह officer आप को जूठला नहीं सकता है)।
भई बोल दिया ना यहाँ से जाओ, यह काम आज नहीं होगा? – भ्रस्ट ऑफिसर को जब यह महेसूस हो जाता है की आप के पास से कुछ रीश्वत नहीं मिलने वाली है तब वह शायद आप पर गुस्सा करेगा, आप को बार बार धक्के खिलवाएगा। बे-फिजूल की गलतियाँ निकलेगा। करने दो उसे ऐसा। 100 रुपए रीश्वत देने की वजाए 500 का नुकसान उठा लो। पर उसे एक ढेला मत खाने दो। जिद्दी बनो। पर शांत रहो।
समझ नहीं आता वहाँ जाओ, बाद में आओ, सिर मत खाओ – वर्दी के पीछे छिपा इंसान एक रीश्वतखोर भेड़िया है यह जान लेने के बाद भी दिमाग पर बरफ रख लो। उस इंसान की इज्ज़त के लिए नहीं,,, पर उस के पद की गरिमा के लिए, और खुद को किसी अन्य दूसरी मुसीबत से बचाने के लिए शांत रहो।
बहार बैठो, बुलाएँ तब आना – थोड़ी देर के लिए आप को इस तरह के अपमान पर गुस्सा आएगा। पर यकिन मानिए यह भी एक पैतरा है आप को गुस्सा दिलाने का और डराने का। इस अपमान को पी जाइए। अफसर कहे उस जगह बैठ जाइए। बोले तो खड़े रहिए। पर अपनी आवाज़ में कम्पन ना आने दें। आँखों में आँखें डाल कर जवाब दें। शांत रहें, नम्रता रखें। और हर बात पर बड़ी सी मुस्कान के साथ सवाल करें। जवाब ना मिलने पर यह सवाल करें की,,, आप के प्रश्न का उत्तर कौन देगा।
काम करना है तो इतना तो लगेगा, फ्री में कुछ नहीं हो पाएगा – कुछ बेशरम और दबंग अफसर ऐसे भी मिलेंगे जो धमकी देने पर ही उतर आएंगे या फिर सीधे सीधे रीश्वत डिमांड कर लेंगे। गभरने की ज़रूरत नहीं है। हर बाप का एक बाप अवश्य होता है। वहीं थोड़े दूर खड़े खड़े उस डिपार्टमेंट के हैड डिपार्टमेंट के नंबर पर कॉल करें और बड़े आदर से यह बात पूछें की मै इस जगह पर यह कार्य कराने आया हूँ, मुझसे यहाँ यह रकम मांगी जा रही है तो यहाँ किए जाने वाले भुगतान की रसीद मै यहाँ से लूँ या आप के डिपार्टमेंट से लेनी होगी। अगर आप के पास ऊपरी अधिकारी या बड़े ऑफिस का कांटैक्ट नहीं है तो अपने किसी अन्य मित्र अथवा पड़ौसी को फोन करें और मांगे जाने वाली रकम और उस विभाग के बारे में normally बात-चित करें। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है की आप का सगा या मित्र भाजी-पाला बेचने वाला है या किराने की दुकान वाला है। बस गलत मांग को 10 लोगों में ज़ाहिर करें। आप की इस हरकत से उस भ्रस्ट अफसर के पसीने छूटने लगेंगे।
अगर यह नहीं किया तो यह होगा, अगर पैसे नहीं दिये तो वो होगा – इस प्रकार की गीदड़ धमकियों से डरने की आवश्यकता नहीं है। अगर आप सच्चे हैं तो आप निडर रहें। इंसान को भयभीत और क्रोधी तभी होना चाहिए जब वह कुछ गलत काम कर रहा हों। याद रखिए की करोड़ो की संपत्ति रखने वाला इंसान जब इस दुनियाँ से जाता है तब उसके आधे कपड़े भी निकाल लिए जाते हैं ताकि उसकी लाश जल्दी से जल सके या जल्दी से ज़मीन के नीचे गल सके। तो फिर एक काम के बिगड़ने या कुछ थोड़ा नुकसान होने की क्या चिंता करना। बड़े आदर के साथ उस अधिकारी से कहिए की कोई बात नहीं, आप जैसा कहें, नुकसान मै भुगत लूँगा। अब उस भ्रस्ट अधिकारी नें जिन जिन बातों पर आप को धमकाया है उन सब बातों का ब्योरा ले कर लोकल न्यूज़ पत्रकार के पास जाए अथवा अपने जाती के प्रमुख के पास जाएँ, लांच रीश्वत विरोधी विभाग में जाएँ, ग्राहक सुरक्षा विभाग में जाएँ और विनम्रता से पूरी बात बताएं। याद रखिए एक कायर रीश्वतखोर कभी भी एक समूह से उलझने की भूल नहीं करेगा। और करेगा तो शिग्र ही जेल की हवा खाएगा।
Conclusion –
देश को गरीबी और कमज़ोरी के खड्डे में डालना है या प्रगति के पंथ पर आगे बढ़ाना है। यह सिर्फ जनता के हाथ में है। जागृत और संगठित समाज को भ्रस्टाचार का कैंसर छु नहीं सकता है। अपना काम जल्दी निपटाने के चक्कर में देश को बरबादी की और ना धकेलें। रीश्वत देने वाला भी उतना ही बड़ा गुनेगार है जितना की रीश्वत लेने वाला। शरीर से भले ही कमज़ोर रह जाएँ पर मन से मज़बूत बनें।
क्या होता अगर महात्मा गांधी और सरदार भगत सिंह जैसे स्वतन्त्रता सेनानी कपटी अंग्रेजों के आगे जुक जाते। अगर ऐसा वह लोक कर ते तो आज ना तो मै आज़ाद देश की सर ज़मीन पर अपने घर के अंदर आराम से बैठ कर यह आर्टिकल लिख रहा होता और ना आप लोग मेरा यह लेख पढ़ रहे होते। हम सारे भारतीय गोरों की जी हजूरी और गुलामी भुगत रहे होते।
इसी लिए नम्र बने। मज़बूत बनें। सवाल करें। प्रश्न सार्वजनिक करें। जुण्ड में रहें और रिश्वतखोर जीव-जंतुओं (अधिकारियों) का सफाया करें।
इस अभियान में तकलीफ़ें आएंगी। आर्थिक और मानसिक कष्ट भी होगा। पर जब आप आवाज़ उठाएंगे तब मन में संतोष महेसूस होगा। खुद पर गर्व महेसूस होगा। - जय हिन्द।
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