Bhige balo vali ladki in Hindi Short Stories by RK Agrawal books and stories PDF | भीगे बालों वाली लड़की

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भीगे बालों वाली लड़की

भीगे बालों वाली लड़की

विवान अपने सॉफ्टवेयर डेव्हलपमेंट के बिजनिस के सिलसिले में मुम्बई में रह रहा था. ऊँचा कद, अच्छी पर्सनालिटी, 28 साल की उम्र में मुम्बई में खुद का फ्लैट, गाडी और वेल सेटल्ड बिजनिस, सब कुछ था पर किसी चीज की कमी उसे अक्सर खलती. उसे खुद समझ नही आता कि सब कुछ होने के बाद भी दिल को गहराई तक तनहा कर जाने वाली बात क्या थी? जब कभी बाहर घूमने जाता, हाथो में हाथ डाले चौपाटी में घूमते जोड़ों को देखकर उसके दिल में उमंगें जाग जाती. कभी दोस्तों के साथ मूवी हॉल से बाहर आते हुए अगर कोई सुन्दर लड़की किसी लड़के के कंधे पर हाथ रखकर खिलखिलाती दिखाई दे जाती तो उसका भी जी चाहता कि सुख दुःख बांटने वाली कोई गर्लफ्रेंड होती. पर जब भी किसी लड़की से मिलकर उसे अपने मन में बसी 'गर्लफ्रेंड' के मापदंड पर तौलता, कोई खरी नही उतरती थी. ऐसा नही था कि उसे किसी बहुत खूबसूरत लड़की की तलाश थी, बस कोई सादगी में लिपटी गंभीर शख्शियत जिसमे बच्चो की तरह चुलबुलापन तो हो पर बुजुर्गों की तरह समझदारी भी.. ऐसी किसी लड़की की चाहत में अब तक कोई गर्लफ्रेंड भी नही बनाई थी. वह एक ऐसे रिश्ते में बंधना चाहता था जिसे वह आगे चलकर विवाह में बदल सके वर्ना टाइमपास के लिए तो उस जैसे वेल सेटल्ड नौजवान के सामने लड़कियों की लाइन लग सकती थी.

गाड़ी साइड में पार्क कर, जैसे ही कार से उतरकर चायवाले को चाय का आर्डर दिया मोबाइल पर दोस्तों के मैसेज चेक करने लगा.

'साब, चाय तैयार है’ चायवाले की आवाज़ सुनकर मोबाइल वापस जेब में रखते हुए, उसे पेमेंट कर चाय का ग्लास लेकर जैसे ही पलटा, सामने से आती हुई किसी खूबसूरत लड़की से टकराया और फिर.. सामने खड़ी उस लड़की को देखा, तो देखता ही रह गया. क्या भीगे बाल, क्या मदमाती आँखें, क्या चेहरा, क्या तेवर. बहुत खूबसूरत न होते हुए भी बारिश की उस शाम में सर से पांव तक भीगी हुई वह लड़की विवान को बला की खूबसूरत लगी. वह समझ गया कि इस शाम के बाद उसे अपने दिल की उस तन्हाई से छुटकारा मिल जायेगा जिसकी वजह से वह अपनी ज़िन्दगी में सारे सुख होने के बाद भी उनका लुत्फ़ नही उठा पा रहा था.

चाय छलक कर सारी नीचे गिर चुकी थी, जिसकी उसे परवाह भी नही थी. लड़की के तेवर तीखे दिखाई दे रहे थे.

"व्हाट द हेल इज दिस? एक तो पहले ही घर पहुँचने में देर हो रही है, उस पर ये ड्रामा… तुम्हे दिखाई नही देता क्या… और ये क्या बदतमीजी है..हाथ छोडो मेरा." विवान को शब्द सुनाई नही दे रहे थे. वह सिर्फ उसे एकटक देखता जा रहा था. चाय गिरने से कुछ उस लड़की के हाथ पर भी छलक गयी थी. उसके हाथ में जलन हो रही होगी इसलिए उसने अपने ठन्डे हाथों से उसका हाथ पकड़ रखा था.

वह लगातार बोले जा रही थी.. "पहले मैंने सोचा कि तुम अंधे हो.. पर अब लगता है कि बहरे भी हो.. सुनाई नही देता क्या?"

उसके शब्दो पर कोई प्रतिक्रया नही देते हुए वह उसे खींचकर चाय की गुमटी की तरफ ले जाने लगा. हां, यह सारा नजारा उसे पागल घोषित करने के लिए काफी था पर उसका पागलपन देखने के लिए आसपास चायवाले के अलावा कोई नही था. लड़की घबराकर चिल्लाकर बोली, "छोडो, कहाँ ले जा रहे हो मुझे" उसकी बात का कोई जवाब न देते हुए वह उसे लेकर गुमटी के पास पहुच गया. वह आसपास कुछ ढूंढने के अंदाज में यहाँ वहाँ देखने लगा, फिर पानी से भरा हुआ एक बर्तन देखकर रुक गया और लड़की का हाथ उसमे डुबो दिया.

लड़की हैरान रह गयी, "ये क्या है?" उसने खीझकर पूछा.

"आपके हाथ में चाय गिर गयी थी, जलन हो रही होगी.. आई ऍम सो सॉरी" अब तक वह होश संभाल चुका था.

उसके इतने नरम अंदाज से वह चौक गयी थी. उसने झेंपकर ‘इट्स ओके’ कहा. दरअसल उसके लिए भी यह पहला मौका था जब किसी ने उसकी इतनी फिक्र की हो.

अब विवान उसका हाथ पकड़कर कार की तरफ ले जाने लगा.

वह परेशान होकर फिर बड़बड़ाने लगी, "अब कहाँ ले जा रहे हो मुझे सिरफिरे लगते हो, अजीब अजीब हरकतें करते हो" तब तक वह कार में ड्राइवर के साइड वाली सीट का दरवाजा खोल चुका था. उसने लड़की को लगभग धक्का देते हुए कार में बिठाया और खुद जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. लड़की कुछ बोलती, उस से पहले ही उसने पूछा, "कहाँ जाना है आपको?"

लड़की बौखलाई, उसने सोचा क्या अब इस सिरफिरे के साथ घर जाना होगा. पर कर भी क्या सकती थी. पहले ही घर पहुचने में बहुत देर हो चुकी थी.

"42, सेक्टर डी, सेकंड लेन, विनायक गर्ल्स हॉस्टल" लड़खड़ाई जुबान में इतना ही कह पाई थी.

"ओह, तो गर्ल्स हॉस्टल में रहती है, शायद पढाई करती होगी" विवान ने मन में सोचा. बातों का सिलसिला बढाए तो कैसे.

कुछ कहता इससे पहले ही गाड़ी उसके हॉस्टल के सामने पहुँच चुकी थी.

"अरे नलिनी, कहा रह गयी थी" हॉस्टल के गेट पर खड़ी एक लड़की उसकी तरफ देखकर बोली थी.

"ओह, तो इसका नाम नलिनी है" विवान कम से कम उसका नाम जान चुका था.

वह उस से कुछ कहता उससे पहले ही वह 'थैंक्यू' कहकर जा चुकी थी. अब उसकी गाडी हाईवे पर उसके घर की तरफ दौड़ रही थी.

उस रात घर पहुचने के बाद भी जैसे विवान घर ना पहुँचा था. उसका दिल रास्ते में ही कही खो गया था, जैसे सिर्फ निष्प्राण देह रह गयी थी. दिनभर काम करके थक जाने के बाद भी, बिस्तर पर लेटा तो नींद आँखों से कोसों दूर थी. उसके दिमाग में बार बार उस लड़की का चेहरा और उसकी खुद कि शायरी गूँज रही थी -

"मुझे नींद न आने की कुछ ख़ास वजह देकर

खो गए कहाँ फिर तुम बेदर्द ज़माने में"

उसके ख्यालों में खोये हुए न जाने कब विवान की नींद लग गयी. अगली सुबह उसके लिए नई उमंगें लाइ थी. वह खुद को एक नए इंसान के रूप में देख रहा था. पहली बार बहुत सोचकर कपडे पहन रहा था, नए तरीके से बाल संवार रहा था जैसे खुद को नलिनी के लायक होने के हिसाब से आंक रहा हो.

ऑफिस जाते टाइम अनायास ही उसने गाडी का रुख नलिनी के हॉस्टल की तरफ मोड़ दिया, यह सोचकर की शायद वह दिख जाये. उसके हॉस्टल के सामने जाकर गाडी खड़ी कर, शीशे से बाहर झांकते हुए उसे खुद पर, अपने पागलपन पर हँसी आ रही थी. भला उसे क्या पता, नलिनी कब बाहर आती जाती है.

थोड़ी देर वहीं इंतजार कर, नलिनी के ना दिखने पर वह मायूस होकर ऑफिस चला गया.

दिन भर काम में उलझा रहा पर नलिनी का ध्यान उसके दिमाग से नही गया. शाम को ऑफिस से निकलते समय अपने लिए कुछ खरीदने के इरादे से शॉपिंग मॉल की तरफ गाडी मोड़ ली. मॉल में एंटर किया ही था कि सामने उसकी तरफ पीठ किये खड़ी लड़की अचानक पलटी और उस से टकराई.

इस से पहले कि विवान कुछ समझ पाता, लड़की उसकी बाँहों में थी. विवान का हाथ उसकी कमर पर और चेहरा उसके चेहरे पर झुका हुआ था. विवान कुछ सकपका गया, ये वही लड़की थी जो कल रात हॉस्टल के गेट के बाहर नलिनी का इन्तजार कर रही थी. लड़की उसे लगातार देखे जा रही थी. विवान ने खुद को और उसको सम्हाला और आगे बढ़ गया.

'सुनिये' एक मखमली आवाज़ सुनकर वह चोंका. ये आवाज़ जानी पहचानी थी. पीछे मुड़कर देखा तो नलिनी खड़ी थी.

"कांग्रेचुलेशन्स, आप हमारा आज का मिस्टर हैंडसम अवार्ड जीत चुके हैं" नलिनी ने चहकते हुए कहा था.

"मतलब?" नलिनी को सामने देखकर विवान खुश तो था पर ये मिस्टर हैंडसम अवार्ड का माजरा उसे समझ नही आया था.

"हमारा फन लविंग युथ का एक ग्रुप है और हम सब पब्लिक प्लेस में घूमते वक़्त एन्जॉय करने के लिए एक दूसरे से शर्त लगाते हैं. आज नीना ने मुझसे शर्त लगाईं थी कि जब वह गिरने का नाटक करेगी तो कोई हैंडसम लड़का उसे गिरने से बचा लेगा. और मैंने प्रॉमिस किया था कि जो लड़का इसे गिरने से बचाएगा उसे मैं मिस्टर हैंडसम अवार्ड दूंगी" नलिनी एक ही सांस में बोल गयी.

विवान को समझ नही आया कि क्या कहे. पर अगले ही पल उसके दिमाग ने एक युक्ति सोची.

"ठीक है, आप सबने मुझे अपनी शर्त का हिस्सा बनाया पर अब मेरी भी एक शर्त है." ये सुनकर नलिनी और उसके दोस्त चौंक गए.

"कैसी शर्त" नीना ने कहा.

"मिस्टर हैंडसम अवार्ड जीतने पर आप लोगों को मेरी एक बात माननी होगी, आप सब मेरे साथ कॉफ़ी पर आएंगे" विवान नलिनी के बारे में ज्यादा जानने का ये मौका हाथ से जाने नही देना चाहता था.

नलिनी, नीना और उनके दोस्त, विवान के साथ कॉफ़ी पर जाने के लिए तैयार हो गए.

उस शाम जैसे विवान अपने सपने की तरफ एक कदम और बढ़ा था. उसे पता चला कि नलिनी के माता पिता बहुत पहले एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे. नासिक में उसके २ बड़े भाइयों ने उसे बड़ा किया और अब वह मुम्बई में रहकर लॉ में ग्रेजुएशन कर रही है.

बातों बातों में विवान ने नलिनी से उसका फोन नंबर ले लिया. विवान खुश था कि नलिनी से नजदीकियां बढाने की उसकी कोशिशें नाकाम नही जा रही हैं. पर इस सबके बीच वो इस बात से अनजान था कही कोई दो आँखें उसके तसव्वुर में खोई नींद से वैसे ही बैर ठानी हुई हैं जैसे उसकी आँखें नलिनी के ख्यालों में खोई नींद से दूरी बनाये हैं.

नीना चाहकर भी अपनी नाजुक कमर पर विवान के जवाँ हाथों कि छुअन नही भुला पा रही थी. बेबाक, बिंदास नीना के लिए लड़कों से मिलना और अनजाने में ही उनके द्वारा छुआ जाना कोई नया अहसास नही था पर विवान जैसा ज़हीन और शालीन लड़का उसने आज तक नही देखा था. वह उसके प्यार में डूबी जा रही थी और जल्दी ही उस से अपने प्यार का इज़हार करने की योजना बना रही थी.

इधर नलिनी का भी विवान की तरफ रूझान बढ़ने लगा. कॉफ़ी, शॉपिंग और लिफ्ट लेने के बहाने छोटी छोटी मुलाकातें होने लगी और नलिनी ने विवान का उसकी तरफ आकर्षण महसूस किया. उसे ये आकर्षण अच्छा लगने लगा था, विवान के पास होने पर वह भी उसके प्रति एक अजीब सी कशिश से भरने लगी थी. नलिनी को ये समझते देर नही लगी कि वह विवान की तरफ खिचने लगी है.

नीना की भावनाओ से अनजान नलिनी और विवान एक दूसरे के ख्यालों में दिन रात बिताने लगे. अब बस उन्हें एक दूसरे से अपने प्यार का इज़हार करना बाकी रह गया था. इसी बीच नीना ने अपनी बेचैनी नलिनी के सामने उजागर कर दी. नीना विवान को चाहती है ये सुनकर नलिनी को जैसे किसी ने आसमान से ज़मीन पर ला पटका हो. नीना उसकी सबसे अच्छी दोस्त थी जिसने मुश्किल दौर में उसे मानसिक सहारा दिया था. नासिक से मुम्बई जैसे बड़े शहर में जब वह आई तो पहला इंसान जो उसे मिला वो नीना ही थी. उसने कदम कदम पर उसका हौसला बढ़ाया और उसकी खुशियों कि वजह बनती रही. ऐसे में ये बात कहकर कि वह भी विवान से प्यार करती है, वह नीना की खुशियों के आड़े नही आना चाहती थी.

वह नीना के कहने पर उसके प्यार का सन्देश लेकर भारी कदमो से विवान के पास गयी. विवान नलिनी को देखकर खिल उठा, उसने भी सोच रखा था कि नलिनी के मिलने पर उस से अपने प्यार का इज़हार कर देगा पर नलिनी तो आज उसे कुछ बोलने का मौका ही नही देना चाहती थी. उसने लड़खड़ाती जुबान में खुद को संयत बनाये रखकर, झूठी खुशी दिखाते हुए विवान के सामने नीना का प्रेम प्रस्ताव रखा. विवान यह सुनकर अवाक रह गया और उसने नलिनी से साफ साफ कह दिया कि वह नीना से प्यार नही करता, उसने नलिनी के साथ जिन्दगी गुजारने के सपने देखे हैं.

ये बात सुनने के लिए नलिनी के कान लंबे अरसे से तरस रहे थे पर ये बात इस तरह सुननी पड़ेगी उसे नही पता था. विवान के द्वारा प्यार का इज़हार किये जाने पर भी वह उसे ये नही कह सकती थी कि वह भी उसे प्यार करती है.

उसने विवान से झूठी कठोरता दिखाते हुए कहा कि वह उसे प्यार नही करती और वह नीना का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर ले. नलिनी ने विवान को उसके प्यार का वास्ता देते हुए कहा कि अगर वह वाकई नलिनी से प्यार करता है तो वह नीना का प्रेम प्रस्ताव मान ले.

इतना कहकर नलिनी तेज कदमो से निकल गयी, विवान उसे जाता हुआ देखता रह गया.... विवान को विश्वास नही हो रहा था की बारिश की उस शाम में मिली वो भींगे बालों वाली लड़की उसकी पूरी जिन्दगी को आंसुओं से सराबोर कर जा रही है. उसके दिल से एक आह निकली..

"जिसकी उम्मीद ताउम्र इतनी शिद्दत से करते रहे अब तक’ वो मिला भी तो ऐसे जैसे कभी मिला ही नही"

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