Shadi.. aysi ya wysi in Hindi Magazine by Khushi Saifi books and stories PDF | Shadi.. aysi ya wysi

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Shadi.. aysi ya wysi

शादी.. एसी या वैसी ?

आज मैं जिस विषय पर लिख रही हूँ वो बोहोत ही दिलचस्प विषय है और साथ साथ चिंता का भी.. एक एसा विषय जिस पर आये दिन अखबारों, मासिक पत्रिका और टीवी चेंनल पर चर्चा होती रहती है... कभी अच्छी ख़बर बन कर तो कभी दिल को ठेस बन कर लगती है।। एक एसा विषय है जिस पर बोहोत खबर व् समाचार प्रकाशित हुए हैं अखबारों और पत्रिकाओं में।। इक एसा विषय जो अधिकतर विवादों में रहा है कभी अच्छी खबर के साथ तो कभी बुरी खबर के साथ।।

मैं हिंदी में लिख रही हूँ तो आपको भी इन के हिंदी नामो से अवगत करा दूँ... ऑरेन्ज मैरिज मतलब नियोजित विवाह वो विवाह जो माता पिता की इच्छा से होता है अब चाहे लड़की को लडका पसंद आये या नही , माँ बाप की इज़्ज़त की खातिर करनी तो है ही शादी। दूसरा है लव मैरिज यानि की प्रेम विवाह.. एसा विवाह जिसमे लड़का लड़की खुद से एक दूसरे को पसंद कर के विवाह करते हैं.. इसका एक और प्रकार भी है जिस का वर्णन मैं बाद में करुँगी।।

नियोजित विवाह व् प्रेम विवाह दोनों के ही अपनी अपनी कमिया व् खूबियां है.. किसी बुज़ुर्ग ने खूब कहा है “ हर सिक्के के दो पहलु होते हैं।” उसी तरह इसके भी दो पहलु हैं।।

पहले हम बात करते हैं नियोजित विवाह के बारे में, .. ऑरेन्ज मैरिज एसा विवाह जिसमे माता-पिता अपनी इच्छानुसार अपनी बेटी या बेटे के लिए वर वधु का चयन करते हैं.. इस प्रकार के विवाह में कभी वर वधु की इच्छा होती है और कभी बिना इच्छा केवल अपने माता-पिता का मान रखने के लिए हामी भर लेते हैं।।

जिस तरह हर सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह नियोजित विवाह के भी दो पहलू हैं.. एक अच्छा तो एक सोच से भी ज़्यादा दर्दनाक.... माता पिता अपनी संतान के लिए अच्छे से अच्छे वर या वधु का चयन करते हैं किंतु कभी कभी माता पिता से भी अनजाने, अनचाहे भूल हो जाती है।। माता पिता अपनी तरफ से अच्छा घर भार ढूंढ कर अपनी बेटी का विवाह रचते हैं इस उम्मीद और यकीन के साथ की उनकी बेटी दूसरे घर जा कर विवाहित जीवन में सुख भोगेगी।। खुद एक लड़की अपने विवाह व् जीवन साथी को ले कर हज़ारों सपने सजती है।। खुशनसीब लड़कियों के सब सपने पुरे होते हैं.. ससुराल में मान सम्मान मिलता है.. पति से प्रेम व् सास ससुर से स्नेह मिलता है.. ससुराल में उन्हें बेटी जैसा प्यार मिलता है.. उन्हें घर के फैसलों में राय ली जाती व् एक आदर्श जीवन व्यतीत करती हैं।।।

किन्तु कुछ अभागी एसी भी होती हैं जो इन सब के केवल सपना ही देख पाती हैं.. ससुराल में वो मान सम्मान नही मिलता जिसकी वो वास्तव में हकदार हैं... उसने केवल एक वास्तु की तरह पस्तुत किया जाता जो आपके घर को सजती है और जब दिल भर जाता है तो उस के स्थान पर दूसरी वधु नामक वास्तु ला कर सजा दी जाती हैं।।।

हमने अखबारो व् टीवी चैनलों पर इस विषय में खबरें सुनी है.. कोई अपनी बहु को जला कर मार डालता है तो कोई गाला काट कर ... कभी दहेज़ न लाने पर ताने दिए जाते है तो कभी शारिरिक यातनाएं दी जाती हैं... एसे दरिंदो को उप्पर वाले की भय नही आता और वो भूल जाते हैं कि सब को अपनी करनी का फल भोगना है।। भूल जाते हैं कि माँ बाप ने कितने नाज़ों से पाला होगा अपनी फूल से भी कोमल बेटी को।।।।

एसी खबर व् समाचार सुन कर अविवाहित लड़कियों के मस्तिष्क पर क्या असर पड़ेगा... ये शादी से नाम से ही डरने लगेंगी .. हमारे भारत देश ने एसा होना साधारण बात बन गयी है.. आए दिन किसी की बेटी, किसी की बहन तो किसी की दोस्त को दिन दहाड़े मारा जा रहा है और हमारी सरकार सिर्फ हाथ पे हाथ धरे बेठी रहेगी।।।

हद तो तक हो जाती है जब वही माता पिता अपनी बेटी के लिए सरे अरमान व् सपने पुरे कराना चाहते हैं लेकिन जब किसी की बेटी उनके घर बहु बन कर आती है तो वो भी केवल सास ससुर बन जाते हैं.. माता पिता बनना भूल जाते हैं और वही वेह्वाहर दूसरे की बेटी के साथ करने लगते हैं जो अपनी बेटी के साथ नही चाहते ।।।

मैं अचंभित हूँ ये कैसी दुमात है जो बेटी के लिए कुछ और बहु के लिए कुछ।।।

अभी पिछले दिनों मैंने दिल को छू जाने वाली पंक्तियाँ पढ़ी.. जिसमे दफ्तर के अफ़सर लोग आपस में बातें कर रहे थे कि कोनसा रंग सब से महंगा है.. वो लोग अपनी बहस में लगे तो तभी छोटे कर्मचारी ने कहा... साहब पिला रंग सब से महंगा है.. अफ़सर लोगो ने पूछा वो कैसे.. तब उस छोटे कर्मचारी ने दिल को छू जाते वाली कही.. साहब!! बेटी के हाथ पिले करने में गरीब का घर तक बिक जाता है।।।

ये कहना अतिश्योक्ति नही होगी कि पिता बेटी का विवाह करने के लिए व् ससुराल वालों की मांग पूरी करने क लिए अपने आप को भी बेच देता है किन्तु फिर भी बेटी के ससुराल वालो की माँगे पूरी नही होती।। इसी कारण बोहोत बार न चाहते हुए की पिता को बेटी का बेमेल विवाह करना पड जाता है...

मेरी नज़र में नियोजित विवाह एक जुए से कम नही है.. न जाने कब नसीब में हार लिखी और कब जीत।। वही दूसरी ओर प्रेम विवाह की परिस्तिथि भी कुछ अलग नही, वैसे तो जवां दिलो की धड़कन में तेज़ी लाने के लिए केवल प्रेम शब्द काफी होता है.. प्रेम एक एसा शब्द है जिससे सुन कर दिल में हज़ारो रंगीन ख्याल आते हैं।। होने को तो ये प्रेम हमें अपने माँ-बाप भाई-बहन या दोस्त सब से होता है लेकिन इसी प्रेम शब्द से जब कोई लड़का या लड़की का नाम जोड़ा जाता है तब भावनाए कुछ और हो जाती हैं।। प्रेम एसी भावना है जो जवां दिलों को बोहोत जल्दी अकृषित करती है.. दिल बिन बताये किसी को बे वजह चाहने लगता है.. जब पता चलता है तब तक उसके बिना जीना दुष्वार हो चूका होता है। तब लड़का-लड़की प्रेम विवाह के पथ पर चलने लगते हैं.. जिसमे कभी माँ-बाप साथ देते हैं तो कभी उससे अकेला छोड़ देते हैं ज़िन्दगी की ऊँच नीच से जुँजने के लिए..

ये कहना गलत नही होगा कि आज कल की शिक्षा प्रवृत्ति का बोहोत बड़ा हाथ है प्रेम प्रसंग या प्रेम विवाह को भड़वा देने में.. लड़का लड़की साथ पढ़ते हैं व् 14 या 15 साल की उम्र में ही गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेन्ड बनाना अपनी शान समझते हैं.. साथ ही इन्टरनेट का तेज़ी से भडता प्रचलन भी एक मुख्य कारण है।।

लव मैरिज अथार्त प्रेम विवाह एसा विषय है जो भारत समाज में अच्छा नही माना जाता।। इक्कीसवीं सदी में जीने वाला मानव आज भी इससे निन्दा की दर्ष्टि से देखता है।। प्रेम विवाह करने वाले जोड़े को समाज से निकलने पर विवश कर दिया जाता है।।

आज भी भारत के बोहोत से इलाक़ों में खाप नामक प्रथा का प्रचलन है.. जिसमे एक गौत्र के लड़का लड़की विवाह बंधन में नही बंध सकते क्योंकि इस प्रथा के अनुसार वह भाई-बहन का संभंध रखते हैं... इसी बात को ऊपर रखते हुए उन्हें विवाह तोड़ने पर विवश किया जाता है यदि वह एसा नही करते तो यही समाज उन्हें मृत्यु दण्ड देता है... अलग-अलग धर्म के लड़का लड़की यदि विवाह करते हैं तो उन्हें लव जिहाद का नाम देकर जुड़ा कर दिया जाता है।।

प्रेम विवाहित जोड़े को यदि घर परिवार वाले अपनी नाक बचने हेतु स्वीकार कर भी लेते है तो उन्हें अपने जीवन के अंतिम समय तक इसी तानो व् कड़वी बातों के साथ जीना होगा कि वह समाज के दोषी है अतः उन्होंने कोई घोर पाप किया है।।

प्रेम विवाह के जितने समाज हानि दर्शाता है काश की वह इसके लाभ भी देख पता.. प्रेम विवाह के कारण दहेज़ प्रथा पर रोक लगती है व् आधुनिक समाज के लड़का-लड़की बिना दहेज़ के विवाह करने को प्राथमिकता देते है... उनके लिए केवल प्यार और भरोसा ही प्राथमिकता रखता है इस बीच दहेज़ का कोई स्थान नही होता।। वही दूसरी ओर लड़की नियोजित विवाह उर्फ़ ऑरेन्ज मैरिज कर के एक दूसरे घर जाती है जाहां उसके लिए सब अनजान होते हैं.. नये लोग, नया घर, नया वातावरण यहाँ तक की उसका पति भी उसके लिए अजनबी होता है इस बीच वह स्वम् को अकेला पाती है परंतु प्रेम विवाह में यदि लड़की के लिए ससुराल के लोग अजनबी होते हैं वही उसका पति उसके साथ होता है जिससे वह अच्छे से जानती होती व् उससे विश्वास होता है कि उसका जीवन साथी उसका साथ देगा।।

मेरी नज़र में प्रेम विवाह अपनी एक अगल एहमियत रखता है... एक एसा रिश्ता जो प्रेम पर चलता है.. विवाहित जीवन के लिए प्रेम का होना अत्यन्त ज़रूरी है क्योंकि शादी जीवन भर का साथ होता है... जिसके साथ जीवन बिताना है उसे पहले से ही अच्छे से जानते हैं, समझते हैं, उसकी आदत, अच्छाई व् बुराई से अवगत होते हैं.. जिससे जीवन वयतीत करना सरल हो जाता है।।

समाज व् माता पिता को चाहिये कि वह लड़का-लड़की की भावनाओ को समझे व् उन्हें सही-गलत का फर्क बताये... यदि किसी लड़का या लड़की ने अपने लिए जीवन साथी चुना है तो देखें कि वो वास्तव में अच्छा है या नही... यदि हाँ तो माता-पिता को अपनी संतान का साथ देना चाहिए.. अच्छे व बुरे समय में उनका साथ देन ताकि वो कोई गलत कदम उठाने पर विवश न हों... साथ ही लड़का-लड़की को भी चाहिए कि वो कोई भी कदम उठाने से पहले अपने माता-पिता को अपनी फैसलें से अवगत कराये... और अपने माता-पिता की हाँ या ना का मान रखें क्योंकि संसार में केवल माता-पिता ही होते हैं जो कभी अपनी संतान का बुरा नही चाहते।।।

हमरे समाज के बुज़ुर्ग लोग आज भी ऑरेन्ज मैरिज को ही सबसे अच्छा बताते है क्योकि इसमें ससुराल के लोग अपने दामाद की बड़ी इज्जत या आदर सत्कार करते हैं, बुरे समय के वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराते हैं और तो और आपके परिवार और आपके ससुराल के पक्ष के लोग बड़े प्रेम से एक दूसरे की सहायता के लिये तत्पर रहते हैं जबकि प्रेम विवाह या लव मैरिज में इन सब बातों के अवसर बहुत ही कम मिलते हैं यदि पति पत्नि के बीच कभी कोई मनमुटाव हो जाये तो ससुराल पक्ष के लोग हमेशा आपको और अपनी बेटी को ही जिम्मेदार ठहराते हैं या लड़का लड़की दोनों के माता-पिता अपना हाथ झाड़ कर बोल देते हैं की तुमने स्वम् ही तो एक दूसरे को चुना है अब भुक्तो जबकि अरेंज मैरिज में पति-पत्नी के बीच के झगडे व् मनमुटाव को दूर करने का प्रयास किया जाता हैं।

कुछ नियोजित विवाह से पीड़ित लोगो का कहना हैं की प्रेम विवाह अधिक उचित है.. इसमें हम पहले ही एक दूसरे की कमी और कमज़ोरी को जान चुके होते हैं और एक दूसरे की कमी के साथ स्वीकार करते हैं। ऑरेन्ज मैरिज में सामने वाले से अनजान उससे अपनाते हैं जिससे बाद में सन्तुलन न बैठने के कारण मनमुटाव व् झगडे की आशंका अधिक हो जाती हैं।।

आज भी हमारे समाज में प्रेम विवाह तो पाप के रूप में जाना जाता है.. शुरू से ही लड़कियों के मस्तिष्क में ये बात दाल दी जाती है कि प्रेम विवाह करना पाप है, इससे दूर रहो, भूल कर भी इस रस्ते पर न चलो अन्यथा समाज से निकल दी जाओगी व् धुत्कार दी जाओगी।।

वही दूसरी और नियोजित विवाह एक व्यपार का साधन बन गया है.. यदि किसी लड़के की अच्छी नोकरी है तो उससे समाज पूरा अधिकार देता है की तुम जितना चाहो दहेज़ ले सकते हो.. तुमको कोई नही रोकेगा।। यदि लड़का सरकारी नोकर है तो सोने पे सुहागा।। अब तो लड़की का पिता अपना सर भी उसके हवाले कर दे तो वर पक्ष की भूख कम होने का नाम ही नही लेती।। जहाँ नियोजित विवाह के कुछ लाभ हैं तो बोहोत सी बुराई भी हैं... वही दूसरी ऒर प्रेम विवाह भी पूरी तरह दूषित नही हैं।।

अभी पिछले दिनों मैंने एक तस्वीर देखी.. जिसमे प्रेम विवाह और नियोजित विवाह का बोहोत अच्छा व् सटीक वर्णन किया गया था.. प्रेम विवाह का वर्णन कुछ यूँ था.. लड़का और लड़की दोनों हाथ थामे ख़ुशी ख़ुशी भागे चले आ रहे हैं और आ कर कुँए में कूद जाते हैं।। ये तो हुआ प्रेम विवाह।।

दूसरा दर्शय कुछ एसा था की वर पक्ष के लोग वर को उठाये भागे चले आ रहे हैं और दूसरी और वधु पक्ष के लोग वधु को उठाये दौड़े आ रहे हैं.. जिसमे वर-वधु दोनों कशमकश में हैं की आखिर ये हो क्या रहा है... जितनी देर में वो समझ पाते की उनके साथ क्या किया जा रहा दोनों पक्ष वर-वधु को कुँए में दाल चुके होते हैं।। कुछ यूँ ही होता है नियोजित विवाह...

मैंने ऊपर विवाह के तीन प्रकारों का वर्णन किया था.. दो आप जान चुके हैं और तीसरा प्रकार है “लव विथ ऑरेन्ज मैरिज” हिंदी अनुवाद में “प्रेम संग नियोजित विवाह”... एसा विवाह जिसमे लड़का लड़की प्रेम के बाद माता पिता को अपनी शादी के लिए राज़ी कर लेते हैं।।

प्रेम संग नियोजित विवाह में वर-वधु वही होते हैं, कुआँ भी वही होता है बस दर्शय कुछ यूँ होता है की लड़का-लड़की खुद अपने अपने माँ-बाप का हाथ पकड़ कर कुँए के पास लाते हैं और बोलते हैं हमें धक्का दो कुँए में।।।

मेरी नज़र में विवाह किसी भी प्रकार का हो, एक तरफ कुआँ है तो दूसरी तरफ खाई... किधर भी कैसे भी कूद जाओ जैसी भी आपकी इच्छा... शादी का लड्डू जो खाये पछताये जो ना खाये वो भी पछताये।।

वैसे आपकी शादी कैसी है एसी या वैसी....?????