Heartbeats - 2 in Hindi Love Stories by Parth J Ghelani books and stories PDF | Heartbeats - 2

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Heartbeats - 2

Heartbeats

Chapter-2

Parth J. Ghelani

Disclaimer

ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.

ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.

इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन कराना है |

आगे देखा,

हमने हार्टबीट के पहेले चेप्टर में देखा की आरोही और प्रिया कोलेज जाती है वंहा पर वो दोनों प्रेम नाम के लड़के पर फ्लेट हो जाती है | दूसरी और प्रेम भी आरोही पर फ्लेट हो जाता है | जब प्रेम बहार जाता है और उसके मित्रो के साथ बातचीत करता है के तभी उसके सभी दोस्त कोई लड़की की देखकर उसपे कमेंट्स करते है जो प्रेम को अच्छा नहीं लगता | उसके दोस्त प्रेम को भी एकबार पीछे मुड़कर उस लड़की की देखने के लिए कहेते है और प्रेम पीछे मुड़कर देखता है तो वो लड़की कोई और नहीं बल्कि आरोही ही निकलती है |

अब आगे,

जब मेरी आँखे उसकी आँखों से मिलती है तो मेरा हृदय जोर जोर से धडकने लगता है,जेसे तेसे करके मेने अपनी नजर उसकी आंख से हटाई और वापस अपने दोस्त की और मुड़ा तो,

देखा??केसी है भाभी??जीतू बोला

भाई,उस लड़की पे प्लीज़ नो कमेंट्स | मेने जीतू को समजाते हुये कहा

क्यों भाई??जीतू बोला

बस,उसपे नहीं तू कही और कोशिश कर | मेने जीतू से कहा

तो,में तो उसपे कोशिश करुना?अतुल बोला

चल आशीष,यंही से चलते है | ये सब ऐसे ही है | मेने आशीष से कहा और हम क्लास की और आगे बढे |

अरे,रुक तो सही भाई | पियूष बोला

देखो,अगर तुम एसा करोगे तो में यंही नहीं रुकने वाला | मेने साफ साफ उन सबको बोल दिया

तो जा क्लास में,यंहा पर तेरा कोई काम नहीं है | जीतू ने बोला

ओके,में बोला और मेरे क्लास में जाके बैठ गया |

***

आरोही

हम दोनों जब क्लास से बहार गई तो मेरी नजर बस उसको ही ढूंढ रही थी,तो अचानक प्रिया बोली.

ओह्ह,मेडम आपको तो वोशरुम जाना था ना ??

हां,तो वोशरुम तो ढूंढ रही हु | मेने प्रिया को बोला

ये,सामने तो है,चल जल्दी से अंदर | प्रिया ने मुझे खींचते हुये कहा और हम दोनों वोशरुम में चली गई |

वोशरुम से जेसे ही बहार आऐ के, प्रेम जंहा पर खड़ा था वही पर मेरी नजर गई और मेरी नजर अबतक उधर ही थी की वो अचानक मेरी तरफ मुड़ा और मेरी आंखे उसकी आँखों से टकराई...और I miss my heartbeats..

हम दोनों की अभी भी एक दुसरे को ही देख रहे थे की प्रिया मुझे क्लास में अंदर ले गई तो मेने उससे कहा,

अरे पागल इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ी देर रुकना |

मेरी माँ,ब्रेक खतम हो चूका है | प्रिया ने मुजसे कहा

तो क्या हुवा??अभी तक सर कहा आये है??मेने प्रिया से कहा

पागल हो चुकी है तू,बिलकुल पागल | प्रिया ने मुझे कहा और मुझे कलास में खींचकर ले गई

अरे,यार दो मिनीट वहा पर रुकते तो क्या जाता था तेरा?? मेने प्रिया से कहा

हद कर दि तूने तो यारा...| प्रिया ने मेरी आँखों में देख के बोला

हद तो उसने कर दि है,देख उस तरफ | प्रेम को क्लास में आते हुये देखकर मेने प्रिया को उसकी तरफ इशारा करके कहा

और उसके पीछे देख सर भी आ रहे है | प्रिया ने मुझसे कहा

ह्म्म्म,यार प्रिया ऐ प्रेम पीछे की बेंच पे क्यों जा रहा है?? मेने प्रिया को कहा

मुझे क्या पता??प्रिया ने मुझसे कहा

हां,वो भी सही है,तुजे केसे पता होगा | मेने प्रिया से कहा

पर,तूजे उससे क्या है ?? वो कही पर भी बेठ सकता है | प्रिया बोली

रे,तू समज नहीं रही है मेरी बात,अगर वो आगे बेठता है तो में आराम से उसे देख सकती हु,अब बार बार पीछे मुड़कर थोड़ी देख सकती हु ?? | मेने कहा

वो,काफी समजदार है,इसलिए वो पीछे बेठा है | प्रिया बोली

में कुछ बोलने गई के उससे पहेले क्लास में हमारे नए सर आ गए और आते ही अगले दो लेक्चर्स की तरह पहेले इंट्रोडक्शन लिया और दिया | जेसे ही इंट्रोडक्शन खत्म हुवा की सर ने मेथ्स की किताबे निकाली और पढाना शुरू कर दिया |

पहेले सिलेबस लिखवाया और उसके बाद तुरंत ही पहेला चेप्टर शुरू भी कर दिया | पहेले प्रॉब्लम में ही मुझे खड़ी कर दि और बोले इसका सोल्यूशन बताओ,ये तो 12th में आ चूका है | जेसे ही में खड़ी हुयी के सभी क्लास वाले की नज़र मेरे पर थी | में भी मेथेमेथिक्स की टोपर थी तो मेने भी उतनी ही जल्दी उसका सोलुशन बोल दिया और में अपनी जगह पर बेठ गई |

प्रेम

जिस तरह आरोही ने मेथ्स के प्रॉब्लम का सोल्यूशन दिया था वो देखकर मुझे पता चल चूका था की ये लड़की इतनी आसानी से नहीं हाथ में आने वाली | हम लडको का भी अजीब होता है और शायद लड़की का भी,क्योंकि जब कभी भी एसा होता है तो हम सोचने लगते है की वोतो होंशियार है तो उसी प्रकार के लड़के/लड़की के साथ प्यार करेगी,पर हमारी वो सोच एकदम गलत है क्योंकि वो भी एक नार्मल इन्सान ही है तो उसे जो चाहिए जो हर एक इंसान को जीने के लिए चाहिए |

में बैठे बैठे सब सोच रहा था की सर ने मुझे खड़ा किया और एक सम सोल्व करने को बोला और मुझसे सोल्व नहीं हो पाया तो सर ने क्लास में कहा जिसको आता हो वो सोल्व करे,फिर क्या??

फिर से आरोही ने अपना हाथ उठाया और बड़े आराम से सोल्व कर दिया | एक बार फिर से वो मेरे आगे निकल गई | इसके बाद धीरे धीरे हर लेक्चर्स में उसी तरह होता रहा और मेरा कोलेज का पहेला दिन खत्म हो गया|

जब हम सब कोलेज से घर जा रहेथे तभी मेरे सारे दोस्त मेरे पास आकर बेठ गए और मुझसे आरोही के बारे में पूछने लगे और मेने भी चिल्लाके बोल दिया,

मुझे कुछ नहीं पता उसके बारे में जाओ तुम खुद जाकर पूछलो |

भाई,इतना गुस्सा क्यों हो रहे हो??जीतू बोला

बस,ऐसे ही | मेने कहा और अपने कान में हेंड्सफ्री लगाया और गाने सुनने लगा |

आरोही

यार,प्रिया तूने देखा??मेने प्रिया से घर जाते हुये कहा

क्या??प्रिया ने मुझसे पूछा

अरे,सर ने मुझे प्रॉब्लम सोल्व करने को कहा और मेने कर दिया ना | मेने प्रिया से कहा

हां,तो उसमे क्या नई बात है??प्रिया ने मुझसे पूछा

प्रेम के सामने तो मेरा इम्प्रेशन अच्छा हो गया ना | मेने प्रिया से कहा

पर,उसका मेथ्स कच्छा है,उसका क्या??प्रिया ने मुझसे कहा

तो,क्या है??पहला दिन ही तो है | मेने प्रिया से कहा

ओके,देखते है,आगे क्या होता है | प्रिया ने मुझसे कहा

हम बातो बातो में ही कब घर पर पहोंच गए उसका पता ही नहीं चला तो मेने प्रिया को अपने घर पे ड्रोप किया और में अपने घर चली गई |

आज रात तो मुझे नींद ही नही आनेवाली थी,वजह तो आप लोग जानते ही हो | जेसे ही में घर पर पहोंची के तुरंत ही मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा,

बेटा,आरोही केसा रहा कोलेज में पहेला दिन??

बहोत ही अच्छा माँ | मेने मेरी मम्मी से कहा

कोई नए दोस्त बनाये की नहीं??माम्मि ने फिर से पूछा

ना,मम्मी प्रिया थी ना तो दुसरे के साथ बात करने का वक्त ही नहीं मिला | मेने जवाब दिया और सोचने लगी की दोस्त तो नहीं बना लेकिन आपके लिए दामाद मिल गया है | मेरे मन के विचारो को तोड़ते हुयी मेरी मम्मी बोली,

ज्यादा लड़के तो नहीं है ना,क्लास में??

नहीं,माँ | तू ब्रांच तो देख कोम्प्यूटर है जंहा लड़के से ज्यादा लडकिया होती है | मेने मेरी मम्मी से कहा

हां,तो बेटा लडको से बाते कम करना | मम्मी ने जोरदार सजेशन दिया

हां,माँ बिलकुल ही नहीं करुँगी | मेने मम्मी से कहा

ओके,चल जल्दी से फ्रेश हो जा फिर में तुम्हारे लिए नास्ता लगा देती हु | मेरी मम्मी ने मुझसे कहा

ओके,मम्मा | मेने मेरी मम्मी से कहा और मेरी रूम में जाकर बेग को बेड पर रखकर तुरंत ही फेश्वोश के लिए बाथरूम में गई | फेश्वोश के लिए जेसे ही मेने मेरी आंखे बंध की तो मेरे सामने प्रेम आकर खड़ा रह गया और बस..

रात को पापा घर पर ए तो उसने भी मम्मी की तरह मुझे मेरे कोलेज के पहेले दिन के बारे में पूछने लगे और कहा मन लगाकर पढना बेटा |

डिनर खत्म करके मेने मेरी मम्मी को हररोज की तरह काम में मदद की और थोड़ी देर उसके साथ TV देखकर में मेरी रुम में चली गई | रूम में जाकर सबसे पहले में आयने के सामने खड़ी होकर अपने आप को देखकर सोचने लगी की इस चेहरे को प्रेम पसंद करेगा की नहीं??और दूसरी तरफ से आवाज आइ अरे पागल प्यार चेहरा देखकर नहीं किया जाता,और कोम्प्यूटर की भाषा में कहू तो हार्डवेर के साथ साथ सोफ्टवेर भी अच्छा होना चाहिए | रात को बेड पे जाते ही मेंने जेसे ही आंखे बांध की तो मुझे चारो ओर बस प्रेम ही नजर आता था | इसके साथ ही मुझे ये एतराज फिल्म का गाना याद गया,

“आँखे बंध करके जो एक चेहरा नजर आया वो तुम्ही हो, ओ सनम”

क्या सच में पहेली नजर का पहला प्यार हो सकता है?? ये सब आज तक सिर्फ फिल्मो में और सीरियलों में देखा था लेकिन आज उसे महसूस भी कर लिया | अब में भी मेरे सपनो के राजकुमार के साथ कही पे जाना चाहती थी,जंहा हम दोनों के आलावा कोई ना हो,बस में ओर मेरा प्रेम...में भी खुले आसमान के निचे प्रेम की बांहों पे अपना सर रखकर आसमान के तारो को देखना चाहती हु | ये सब सोच रही थी के अचानक मेरी दूसरी और से आवाज आई की ये पागल ये सब क्या सोच रही है ?? कही तू पागल तो नहीं हो गई हे ना?? पर अब उस नादान मन को कोन समजाये की ये पागलपन ही था प्रेम के प्रेम का...

आज मुझे नींद ही नहीं आ रही थी,पता नहीं क्यों?

आज मेरी आंखे बंध होने को मानती ही नहीं थी,पता नहीं क्यों??

आज मेरा मन प्रेम के अलावा किसीके बारे में सोच ही नहीं रहा था,पता नहीं क्यों??

क्या,यही प्यार था?? शायद

हां, यही प्यार था |

जब हम किसीको सच्चे मन से पसंद करते है,जब हम किसीको सच्चे मन से प्यार करने लगते है ना,तभी उसके साथ साथ हमारे मन में डर भी आने लगता है | जेसे मुझे हो रहा था की अगर वो मुझसे पसंद नहीं करेगा तो??अगर वो मुझसे प्यार नहीं करेगा तो??अगर वो मुझसे दूर हो जायेगा तो?? उफ्फ्फ,ये डर तो खत्म ही नहीं होंगे,लेकिन अगर इस डर को भगाना है तो उसका सामना करना जी पड़ेगा लेकिन में जानती हु वो तो मुझसे होने वाला नहीं है इसलिए में सीधी चली गई भगवान के पास और उससे लिटरली छोटे बच्चे की तरह जिद करती हु उसी तरह से मन में ही प्राथना करने लगी के हेय,भगवान प्लीज़ किसि भी तरह प्रेम को मेरा बना दो..प्लीज़ गॉड,प्लीज़..प्लीज़..अगर ये मिल गया ना तो मुझे और कुछ नहीं चाहिए मेरी जिन्दगी में,सो प्लीज़ गॉड हेल्प मी...प्लीज़..

मुझे अभी एक बार फिर से उससे देखना था,और बस देखते ही रहेना था,लेकिन वो होने वाला नहीं था वो में जानती थी | अब तो कल सुबह ही मुझे प्रेम के दर्शन होने वाले थे,लेकिन ये रात..ये रात थी की कट ही नहीं रही थी,शायद मेरी जिन्दी की सबसे बड़ी लम्बी रात लग रही थी | ये सब सोचते सोचते मेने मनोमन ही निर्णय ले लिया की कल किसी भी तरह में प्रेम से बात करुँगी और उसको...

To Be Continue..

में आप सभी का दिल से आभारी हु की आपने मेरी पहेली नावेल “लव जंक्शन” को दिलसे अपनाया,और दिल से हर चेप्टर के बाद आपके कीमती रिव्यू देने के लिए |

लव जंक्शन के बाद में फिर से आपके सामने ये नई,छोटी सी और सच्ची लव स्टोरी प्रेजेंट करना चाहता हु और मुझे उम्मीद है की लव जंक्शन कि तरह आप इसे भी अपनाएंगे और उसी की तरह प्यार करेंगे |

Parth J Ghelani

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