Jadu ki duniya se baahar in Hindi Children Stories by Kashyapi Maha books and stories PDF | जादू की दुनिया से बाहर

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जादू की दुनिया से बाहर

Kashyapi Maha

kashyapimaha@gmail.com

जादू की दुनिया से बाहर

कहीं एक राज्य में एक पति-पत्नी रहते थे. उन की माली हालत अच्छी नहीं थी. एक छोटी सी झोंपडी में रहते और छोटामोटा जो काम मिलता वह करते. उसी से उनका गुजारा चल रहा था.

उन्हे कोई संतान भी नहीं थी. बच्चे की आश में उन्होने ना जाने कितने मंदिर, मस्जिद, गिरीजाघरो में मिन्नते की थी. जहां कहीं भी कोई बताता कि कोई अच्छा सा दाक्तर, वैद्य या फिर चमत्कारी बाबा ही सही, है दोनो तुरन्त वहां हो आते थे. पत्नी को हंमेशा बच्चे के लिए तडपता देखकर उसे भी दुःख होता था. वह मनोमन हीं भगवान को कोसता था.

एक दिन एक प्रसिद्ध जादुगरनी उस गांव की महेमान बनी. उसके नाम और काम के बडे चर्चे थे. पति को लगा, चलो ईन्हे भी मिल लेता हूं. शायद कोई रास्ता बता दें.

तुरन्त ही वह जादुगरनी के पास पहुंचा. उसे अपनी समस्या बतलाई.

जादुगरनीने ध्यान से उसकी बातें सुनी. और फिर अपनी विद्या से उसने वह सब जान लिया जो उसे जानना था. मन ही मन वह बहुत खुश हुई. क्योंकि उसे जैसे पति-पत्नी की तलाश थी वह उसे सामने से आकर मिले थे.

बात एसी थी कि, जादुगरनी भी अकेले रहरह कर तंग आ चूकी थी. अतः उसे भी कोई अपना हो एसी ईच्छा जगी थी. अब यह उम्र में तो वह शादीब्याह से रही, तो उसे किसी के बच्चे को गोद लेने की सूझी. बस, यह विचार उस के मनमें चल ही रहा था और यह जोडा अपने घर पालना बंधे उस के उपाय को पूछने पहुंचा.

जादुगरनी दिखती जितनी सुंदर एवं सुशील थी अंदर से उतनी ही क्रूर और कुटिल थी. उसने अपने आयोजन के बारे में सोचा और अपना उल्लू सीधा करने के वास्ते इन दोनो का उपयोग करने की ठान ली.

तुरन्त ही उस ने अपने आयोजन को कार्यान्वित करना शुरू करी दिया. अपनी विद्या और उस की अमाप शक्ति के उपयोग से उसने एक एसी दवाई बनाई जो कुदरती तौर से बच्चे को जन्म देने में सहायक हो सकें. वह दवाई उस ने वह पतिपत्नी को दे दी.

दवाई देने से पहले उस ने उनसे एक शर्त की. यह दवाई से उन्हे यहां पालना जरूर बंधेगा. लेकिन जैसे ही पालना बंधेगा उन के पहले संतान को उन्हे जादूगरनी को सौंप देना होगा.

पतिपत्नी के पास और कोई चारा भी न था. उन्होने हामी भर दी. थोडे महिनो के बाद उनके यहां जुडवे बच्चे पैदा हुए. जादुगरनी को यह बात पता चली. वह वादे के मुताबिक उन के पहला बच्चा लेने के लिए उनके पास पहुंची. जूडवा बच्चो में बडी बेटी बहुत ही स्वरूपवान थी. जादूगरनी उस के रूप को देखकर बहुत ही खुश हुई. उसे उठाकर वह तो चलती बनी. न उसने उसके माता पिता के बारे में सोचा, न ही उस की जूडवा बहन के बारे में सोचा.

बच्ची के स्वरूप को देखकर जादुगरनीने उसका नाम रखा, गौरी. समय अपना कार्य करने लगा. कुछ वर्ष के बाद गौरी बडी हुई तो बचपन से भी ज्यादा खुबसूरत लगने लगी. जब गौरी की उम्र शादी के योग्य हो गई तो जादुगरनी को यह भय सताने लगा की जब उसे गौरी की सबसे ज्यादा जरूरत है तब कोई उसे छीन कर न ले जाये, जैसे की वह ले आयी थी.

यही डर की वजह से जादूगरनीने अपनी माया से जंगल में एक मायामहल बनाया. वह सभी सुखसुविधाओ से भरा था लेकिन उस के अंदर जाने का कोई भी रास्ता नही था. जादुगरनी अपने जादू से अंदर प्रवेश करती और बाहर आती थी. महल के बीचोबीच उस ने एक पारदर्शक कमरा बनाया था. जिस में गौरी को रखा था. रखा क्यां था मान लो की उसे कैद ही किया था. गौरी के साथ उस ने एक पंछी भी रख छोडा था कि जो उस पर निगरानी रखे.

जादुगरनीने एक अज्ञात भय के कारण यह महल में अजबगजब तरीके से साजसज्जा कि थी. पूरे महल में एक भी खिडकी न थी. जहां गौरी को रखा था वहां तक पहुंचने के लिए कोई सीढी न थी. गौरी तक पहुंचने के लिए एक ही रास्ता था. जब जादूगरनी को वहां पहुंचना होता था तब वह गौरी को पुकारती. गौरी अपने घने लंबे बाल नीचे की ओर फैला देती जिस को सीढी के तौर पर ईस्तमाल करके जादूगरनी गौरी तक पहुंच जाती थी.

अभेद्य सुरक्षा कवचवाले यह महल में अब गौरी सुरक्षित है, बाहरी दुनिया से अब कोई भी उसे न देख सक्ता है, नहीं कोई ले जा सक्ता है यह ईत्मिनान होने के बात जादूगरनी बिलकुल आश्वस्थ हो चूकी थी.

लेकिन तभी एक दिन जंगल में मृगया के लिए नीकला एक राजकुमार रास्ता भटक गया था. वह घूमता फिरता यह महल के पास आ पहुंचा. घने जंगल के बीचोबीय एसा अद्भूत महल देखकर वह भी आश्चर्यचक्ति हो गया. महल के चारो ओर घमुकर उसने देखा, शायद किसी की सहायता मिल जाये. लेकिन वहां न तो कोई था, नहीं कोई दरवाजा था. राजकुमार का आश्चर्य बढता ही जा रहा था. शाम तक उसे वापिस अपने राज्य में पहुंचना था. सो जैसे वह रास्ता ढूंढने के लिए नीकल ही रहा था कि उसने एक कोमल, मधुर आवाज में गीत सुना. गौरी अपने कमरे मे गीत गा रही थी. पहली बार भूले भटके से आ पहुंचा राजकुमार फिर तो यह आवाज सुनने के लिए बारबार आने लगा.

एक दिन उसने एक भयानक जादूगरनी को यह महल के अंदर जाते हुए देखा. वह तो आश्चर्यचक्ति हो गया. क्योंकि जहां कोई रास्ता न था, वहां अचानक एक रास्ता नीकल आया था. जैसे ही जादूगरनी अंदर गई, वह रास्ता बंद हो गया.

लेकिन पारदर्शक होने की वजह से वह अंदर झांक कर देख सक्ता था कि क्या हो रहा है. जादूगरनीने कुछ बोला और अचानक कहीं से बालो का बडा सा गुच्छा आया. जादूगरनी उस के सहारे महल के उपरी हिस्से मे चली गई.

एक बार पूरी घटना देख लेने के बाद, राजकुमार ने भी सोचा कि आज तो संभव नहीं होगा. लेकिन कल आउंगा और महल के उपरी हिस्से तक जाउंगा. मै भी तो देखूं, वहां कौन है जो ईतनी मीठे स्वर में गाना गाता है.

दूसरे दिन उसने वही सब किया जो अलगे दिन जादूगरनी को करते देखा था. और वह भी महल के उपरी हिस्से तक पहुंचा. गौरी अचानक अनजान आदमी को देखकर चौंक पडी. पिछले कई वर्षो से उस का संपर्क सिर्फ जादूगरनी के साथ ही था. उस ने कभी भी किसी पुरुष को देखा न था. एकांत में किसी पुरुष के आमनेसामने होने का भी उस के लिए यह पहला प्रसंग था.

लेकिन राजकुमार काफी समजदार था. गौरी की मुखमुद्रा से उसे पता चल गया था कि वह किसी पुरुष को पहली बार देख रही है. उस ने गौरी को कहा, मैं आपके गीत सुनने हररोज आता रहता हूं. मन को लुभानेवाले आवाज की मालकिन को देखने का लोभ हुआ तो यहां तक आ पहुंचा हूं. मुझे माफ किजीयेगा.

इतनी नम्रता से बात करनेवाले आदमी को देखकर गौरी हैरान रह गई थी. उसे सिर्फ जादूगरनी का अनुभव था. जादूगरनी कभी भी प्यार महोब्बत से बात करना न जानती थी, न उसे आता था. गौरी के साथ फिर तो राजकुमार की मुलाकाते बढने लगी. राजकुमारने अपनी भावि पत्नी के रूप में गौरी को स्वीकारा. लेकिन इस जादूई महल से कैसे निकले वह बाहर.

तभी गौरी ने ही रास्ता सुझाया कि अब जब भी राजकुमार यहां आये, साथ में रस्सी लेते आये. उस से गौरी एक वैकल्पिक रास्ता तैयार कर लेगी. जो उन दोनो को भागने के लिए काम मे आयेगा. फिर तो वह हर रात को एक दूसरे तो मिलने लगे. रातभर वह अपने भविष्य की योजनाए बनाते और साथ में जादूगरनी के जादूई साम्राज्य से बचकर कैसे नीकले उस के बारे में सोचते रहते थे.

पूरा दिन जादूगरनी ईसी महल में रहती थी. रात को वह अपने ठिकाने पर चली जाती थी. लेकिन एक दिन गौरी की चोरी पकडी गई. गौरी के साथ उस के अकेलेपन को दूर करने के लिए छोडे पंछीने अपना काम ठीक से करी दिया था. उसने अपनी मालकिन को यह बता दिया कि जादूगरनी के जाने के बाद यहां कोई आता है, गौरी को मिलने. यह सुनकर जादूगरनी गुस्से से आग बबूला हो गई. और क्यो न हों..दुनिया का कोई भी व्यक्ति गौरी को न देखे ईसलिए तो उस ने यहां, घने जंगल में उसे छिपाया था..फिर भी..उस की आंखो के नीचे यह सब चलता रहा और उसे कानो कान खबर भी न हुई.

क्रोधावेश में जादुगरनीने गौरी के सुंदर बालो को काट डाले और उसे महल से बाहर, घने जंगल में छोड दिया. रात को जब राजकुमार आया तो उस के साथ भी हिसाब ठीक करने के ईरादे से जादूगरनीने उसे अपने जाल में फांसा. लेकिन राजकुमार भी बुद्धिमान एव साहसिक था. तत्क्षण वह महल के उपरी भाग से कूदा और जादूगरनी के यह जादूई महल से बाहर नीकल गया.

कुछ दिनो तक गौरी और राजकुमार, जंगल में अकेले भटकते रहे. कुछ वर्षो के बाद दोनो का मिलाप हुआ. तब गौरीने भी जूडवा बच्चो को जन्म दिया था. राजकुमार अपने साथ अपने प्यार और अपने उत्तराधिकारीओ को पाकर बहुत प्रसन्न हुआ. सभी जंगल से वापिस राजमहल में लौटे और साथ में प्यार महोब्बत से रहने लगे.

कहानी का बोध

कितनी भी मजबूरी रही हो या आप के हुन्नर या कौशल को कोई कितना भी दबाना चाहे, वह सही समय पर बाहर आकर ही रहता है. जैसे की गौरी की सुंदरता, राजकुमार की सतर्कता एवं हिंमत और जादुगरनी कि मक्कारी, सही समय पर दिख ही गई. गीत गाने के एक छोटे से शौक की वजह से गौरी को राजकुमार जैसा प्यार करनेवाला पति मिला. कई वर्षो तक गौरी को कैद रखने के बावजूद जादूगरनी अपने असली मकसद में कामियाब न हूई. एसा ही है जिवन में. अगर आप अच्छा सोचते हो, अच्छा करते हो तो आप का भी वैसा ही होगा. अगर आप किसी का भी बुरा चाहते हो या बुरा करते हो तो फिर आप का अच्छा कैसै होगा..सो, अच्छा बने, अच्छा करे.

काश्यपी महा