Jadui chirag google ke sthapak in Hindi Magazine by Paru Desai books and stories PDF | जादुई चिराग गूगल के स्थापक

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जादुई चिराग गूगल के स्थापक

जादुई चिराग- गूगल के स्थापक -1

आज छोटे से कमरे में बैठकर पूरी दुनिया देखी जा सकती है| या यूँ कहो कि अपनी हथेली पर कोई भी जानकारी प्राप्त हो सकती है | और यह सब घंटो नहीं मिनिटों में ही पाया जा सकता है |

२१वी सदी ज्ञान की सदी कहलाती है क्योंकि आज बच्चा – बच्चा किसी भी प्रश्न का उत्तर पा कर ज्ञानी बन सकता है| यह कैसे मुमकिन है? आपके दिमागने सही नाम सोचा है, जी हा यह ‘गूगल’ का कमाल है| हम इसकी तुलना जादुई चिराग से कर सकते है | कभी न कभी तो हर नेट कनेक्टर ने गूगल का इस्तेमाल किया ही होगा | अध्यापक, शिष्य, साइंटिस्ट, गृहिणी, डॉक्टर, बेंकर, व्यवसायी, उधोग पति हर कोई गूगल से वाकिफ है | आज ४० देशों में ७० से भी ज्यादा ऑफिस बना चुकी गूगल Inc कंपनी एक गराज में शुरू हुई थी और सिर्फ २ सालों में ही दुनियाभर में मशहूर हो गई थी | सुंदर पिचाई गूगल के सी.ई.ओ है | लेकिन क्या आप जानते है कि इतने महत्वपूर्ण वेब एप्लीकेशन कि खोज किसने की ? हर जानकारी एक ही क्लिक में देनेवाले “गूगल’ के जन्मदाता (स्थापक) कौन है?

केलिफोर्निया के पालो अल्टो में रहनेवाले लोरेन्स ‘लैरी’ पेज और लोस आल्टोस हिल्ज में रहनेवाले सर्गी ब्रिन ने ४ सितंबर १९९८ में गूगल Inc. कि स्थापना की | जैसे किसी ईमारत कि मजबूती नीव पर निर्भर होती है वैसे से ही मनुष्य का व्यक्तित्व का आधार भी उसके बचपन और परवरिश पर निर्भर करता है | लैरी पेज का जन्म २६ मार्च १९७३ में यु.एस. के ईस्ट- लेन्सिंग मिशिगन में यहूदी परिवार में हुआ है | लैरी पेज सेक्सोफोन बजाते थे और म्युज़िक की प्रति भी लगाव था | बचपन में लैरी के घर में कंप्यूटर और पोप्युलर सायन्स के मेगेज़ीन हर जगह पायी जाती थी | क्योंकि पिता कार्ल पेज और माता ग्लोरिया मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर विज्ञानं के प्रोफेसर थे | छह साल कि आयु में ही कंप्यूटर कि प्रति लैरी के रूचि बढ़ने लगी | वे सबसे पहले बच्चे थे जो वर्ड प्रोसेसर से अपना असाईनमेंट करते थे | बड़े भाई कार्ल विक्टर ने काफ़ी चीजों को खोलना सिखाया और लैरी हर चीज को खोल के वह कैसे बनी है वह देखने को उत्सुक होते गए | १९७५ से १९७९ तक ओकेमोस मोंटेसरी स्कूल में पढाई कि, आज यह स्कूल मोंटेसरी रैडमूर के नाम से जानी जाती है | १२ वर्ष की उम्र में खुद को पता था कि वे एक कंपनी खोलेंगे | और दिल में अगर चाह हो तो कुछ भी नामुकिन नहीं है | हम यह कह सकते है कि,

Whenever you have “Dream” inside your heart, never let it go because dreams are the tiny seeds from which beautiful tomorrow grows”.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ओनर्स के साथ बैचलर ऑफ़ सायन्स कि डिग्री और स्टेनफोर्ड विश्विद्यालय से कंप्यूटर विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की | उसी समय एक लाइन प्लोटर (इंकजेट प्रिंटर) भी बनाया | साथ में पीएचडी करना शुरू किया तब HKN के अध्यक्ष और सोलार कार टीम के सदस्य भी रहे | इस दौरान वर्ल्ड वाइड वेब की लिंक संरचना पर विचार करने में लैरी को टेरी विनोग्राड ने प्रोत्साहित किया था जिसको काफी महत्वपूर्ण माना जाता है , इसलिए कहीं न कहीं ‘गूगल’ के बीज बोने का श्रेय टेरी को दिया जा सकता है | लैरी के इस विचार पर कार्य करते समय “Back Rub” उपनाम वाली शोध से प्रभावित होकर स्टेनफोर्ड के एक पीएचडी सहपाठी सर्गी ब्रिन भी शामिल हुए |

सोवियत संघ रूस के मोस्को में यहूदी परिवार में २१ अगस्त १९७३ को जन्मे सर्गी के पिता माइकल ब्रिन मेरिलेंड विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर थे और माता युजेनिया ब्रिन नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर पर अनुसंधान वैज्ञानिक है | पिता ने स्वयं ब्रिन को कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सिखाया | उसके पिता को जिस में करियर बनाना था उसमें नहीं बना पाए | छह साल की आयु में ही यहूदी को अन्याय होने के कारण सर्गी का बचपन काफ़ी मुश्किल दौर से गुजरा | मई १९७९ में आधिकारिक निकासी वीज़ा हांसिल हो गया और देश छोड़ने की अनुमति मिल गई | तब रूस छोड़ के यूएस आ गए | ब्रिन ने अपने पिता और दादा से प्रभावित होते हुए गणित का अध्ययन किया और सर्गी ने कंप्यूटर विज्ञान में दोहरी डिग्रीहांसिल की | १९९३ में ब्रिन ने मैथेमेटिका के निर्माता वोल्फ्रम रिसर्च में प्रशिक्षु का काम किया | पीएचडी के लिए वे स्टेनफोर्ड गए | यहाँ वे अपने कमरे में पुराने –सस्ते कंप्यूटरो पर काम करते रहे और अपनी डाटा माइनिंग प्रणाली को लागु किया | यह काफी लोकप्रिय हो गया था | स्टेनफोर्ड में ही एक कार्यक्रम में सर्गी ब्रिन लैरी पेज से मिले और दोनों दोस्त बन गए | ब्रिन को पेज की “ Back Rub” परियोजना दो कारणवश अच्छी लगी थी | १) यह वेब से सबंधित थी जो मानव ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है २) ब्रिन लैरी को पसंद करते थे | दो अलग व्यक्ति लेकिन एक ही विषय में रूचि रखनेवाले साथ मिले |

When talent meets opportunity, history is created.

Narrator : Parul Desai

जादुई चिराग गूगल २

मंज़िल इंसान के होंसले आजमाती है, सपनोके परदे आँखों से हटाती है |

किसी भी बात से हिम्मत न हारना, ठोकरें ही इंसान को चलना सिखाती है |

यही हुआ पेज और ब्रिन के साथ भी | “Back Rub” के वेब क्रोलर द्वारा एकत्रित बैकलिंक डेटा को किसी निश्चित ‘वेब पेज’ के लिए महत्वपूर्ण दर्ज में परिवर्तित करने के लिए पेज और ब्रिन ने एक पेजरैंक एल्गोरिधम विकसित किया और समज़ा की सर्च इंजनों से कहीं ज्यादा उन्नत सर्च इंजन के निर्माण में इसका इस्तमाल कर सकते है | Back Rub जावा और पायथन में लिखा जाता था | वेब खोज के लिए एक बहेतर इंजन बनाने में सफलता प्राप्त कि | उस पर अधिक ध्यान देने के लिए पीएचडी कि पढाई को ब्रिन ने छोड़ दिया | सब से पहले “watermarking system and methodology for digital multimedia content” के नाम से जाना गया - नाम रखा गया Google Inc.| गूगल शब्द अमेरिकी गणितज्ञ एडवर्ड कसनर द्वारा प्रचलित किये गए ‘गुगोल’ से लिया गया था जिसका अर्थ होता है – दस के अंक की सौंवी घात | इंटरनेट की दुनिया में किसी खास सूचना को ढूँढने में हो रही समस्या को दूर करने के उद्देश्य से गूगल की शुरुआत की गई |१९९८ के अंत तक ६० मिलियन पन्ने हो गए थे | ब्रिन और पेज ने गूगल कि ऑफिस अपने मित्र के गराज में जो कि मेन्लो पार्क – केलिफोर्निया था वहा शुरू किया था | फिर मार्च १९९९ में पालो अल्टो के यूनिवर्सिटी एवन्यू में आ गए | २००३ से माउंटेन व्यू में है जो गूगल प्लेक्स के नाम से जाना जाता है |

गूगल एक समंदर है जिसमे अनमोल जानकारी पाने के लिए “सर्च” करना होता है | अगस्त,१९९६ में Google का प्रारंभिक संस्करण उपलब्ध कराया गया, जो अभी भी स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी वेब साईट पर है | ४ सितंबर १९९८ में पेज और ब्रिन ने Google Inc. की स्थापना की तब शुरुआती खर्च को पूरा करने हेतु उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से दस लाख डॉलर के रकमजुटाई थी | २००१ में एरिक रिभ्ट को गूगल का अध्यक्ष बनाने से पहले, ब्रिन और पेज सह-अध्यक्ष के रूप में कार्य करते थे | दोनों सालाना मुआवजे के रूप में एक डॉलर कमाते थे | २००४ में गूगल ने शेयर बाज़ार में कदम रखा तब कीमत ८५ डॉलर थी जो आज २०१६ में ७४५ डॉलर हो गई है| १९९८ में PC मेगेज़ीन ने गूगल को शीर्ष १०० वेब साईट और खोज इंजनों में रखा | १९९८ में वेब एप्लीकेशन डेवलेपमेंट के नवोन्मेष के लिए Google को टेक्नीकल एक्सलेंस पुरस्कार से सम्मानित किया | 2000 में, गूगल ने एक वेब्बी अवोर्ड जीता, जो कि पीपल्स वोईस पुरस्कार से नवाज़ा गया | इस वर्ष से ही गूगल में एडवर्टाइजिंग शुरू किया गया | यह सफलता के हक़दार ब्रिन और पेज है | गूगल प्रचलित होता गया | ऑलराउंडर कंपनी –इंटरनेट सर्च मशीन से शुरू हुआ सफ़र अब ई-मेल, फोटो,विडिओ,मैप्स,न्यूज़, मोबाईल फ़ोन तक फ़ैल चूका है | आज गूगल की सभी सर्विसेज तो फ्री होते हुए भी कमाई ज्यादातर रेवेन्यू विज्ञापन से होती है | एन्द्रॉयड और गूगल प्ले सर्विसेज से कमाई होती है | २००४ में गूगल ने orkut – सोशियल नेट्वर्किंग साईट शुरू कि | २००५ में गूगल मेप्स ब्लोगर मोबाईल, गूगल रीडर, igoogle शुरू किया | २००६ में ही G mail में चेट फीचर शुरू किया | २००६ में गूगल ने विडियो वेब पर डालने की सबसे लोकप्रिय वैबसाइट you tube को १६५ अरब डॉलर में खरीद लिया | २००७ में चाइना मोबाइल और सेल्स्फोर्स.कोम के साथ पार्टनरशिप कर के केन्या और रवांडा में हजारों विद्यार्थियो को शिक्षित किया गया | जनवरी २००९ में गूगल अर्थ का नया वर्जन Picasa भी शुरु किया | २०१५ में गूगल को आल्फाबेट Inc. में बाँटा गया जो कई कंपनियों का ग्रुप है जिसमे गूगल सबसे बड़ी कंपनी है | गूगल के साथ X, नेस्ट लेब्स, केलिको, गूगल फाइबर, जिग्सो, वेरिली, साईड वोक लेब्स, GV, गूगल केपिटल का भी समाविष्ट है | आल्फाबेट Inc के सी ई ओ लैरी पेज है और प्रेसिडेंट सर्गी ब्रिन है | आज ४१ देशों में ७० ऑफिस से काम किया जाता है |

गूगल को अवोर्ड मिले ही साथ ही ब्रिन-पेज की जोड़ी को कई और अवार्ड्स से सम्मानित किया गया है | २००३ में, ब्रिन और पेज दोनों को ही IE बिज़नेस स्कूल द्वारा MBA कि मानद उपाधि दी गई | २००४ में लैरी पेज और सर्गी ब्रिन को ABC वर्ल्ड न्यूज़ तुनाईट द्वारा “पर्सन्स ऑफ़ दी वीक” नामित किया गया था | २०००४ में, मारकोनी फाउन्डेशन पुरस्कार जो इंजीनियरिंग का सर्वोच्च पुरस्कार है | २००४ में ही विश्व के ३२ सर्वाधिक प्रभावशाली संचार प्रौद्योगिकी के चयन में शामिल हुए | २००५ में, दोनों को अमेरिकन अकेडमी ऑफ़ आर्ट्स एंड सायंस का सदस्य चुना गया| २००९ में, फ़ोर्ब्स की “दी वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल पीपल” में सर्गी और लैरी को पांचवे स्थान पर रखा गया |

क्या ऐसा हो सकता है कि एक बार कंपनी शुरू हो गई, प्रचलित हो गई हो और फिर कोई समस्या ही न हो | मंज़िल तक पहुचने में जीतनी मुश्किले आती है उससे भी ज्यादा उस मक़ाम पे बने रहने में आती है | गूगल के ब्रिन और पेज को भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा | १२ जनवरी २०१० को, गूगल पर चीन से हमला शुरू किया था | चीन में खोज इंजन को बंध करने को सोचा गया क्योंकि गूगल की एक बेशकीमती चीज – एक पासवर्ड सिस्टम जो कि दुनियाभर में लाखो उपयोगकर्ताओ के उपयोग को नियंत्रित कर सकता था | मार्च २०१० को चीन आधारित खोज –इंजन को बंध कर दिया | इस कदम को अमेरिका ने प्रशंसा कि और गूगल की अभिव्यक्ति और जानकारी की स्वतंत्रता को सराहा गया | हालांकि इस कदम के लिए गूगल को भारी मात्रा में हरजाना भरना पड़ा लेकिन गूगल वहीं लिंक है जो विज्ञान और स्वतंत्रता के बीच है | यही “वीरता” है |

मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है, हर पहलू जिंदगीका इम्तहान होता है |

डरनेवालो को कुछ नहीं मिलता जिंदगीमे, लड्नेवालो के कदमो में जहां होता है |

सिर्फ ऐसी मुश्किले ही नहीं ब्रिन और पेज के निजी जीवन कि समस्या से भी ऊपर उठ के वे आज भी गूगल को सफलता दिला रहे है |

Narrator : Parul Desai

जादुई चिराग गूगल -३

जिन्दगी कांटो का सफ़र है, होंसला इसकी पहचान है, रास्ते पर तो सभी चलते है, जो रास्ते बनाये वही महान है |

गूगल के शुरूआती दौर में ही तेज ठंड के कारण लैरी पेज कि बाई स्वरग्रंथी लकवाग्रस्त (वोकल कोर्ड पेरालिसिस ) हो गई | इस बीमारी से जुज़ते हुए अपना शोध कार्य चालू रखा | अपने सपने को साकार करने पर ध्यान दिया | तनाव में कार्य करने से कार्य पूरा नहीं हो सकता ये जानते थे | मन कि ताकत से वे आगे बढ़ते रहे | वे कहते थे कि हमारा दुनिया जितने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन लोगों को आसानी से जानकारी प्राप्त हो सके ऐसा कुछ करना है इस लिए कड़ी महेनत करते रहे और फलस्वरूप आज गूगल इंटरनेट कि दुनिया का पर्याय बन चूका है | २०१३ में ठंड के कारण ही दूसरी स्वरग्रंथी भी प्रभावित हो जाने से बोलने में काफी दिक्कत होने लगी | सांस् लेने में भी कठनाई महसूस करते है | वे फिर भी डरे नहीं – हारे नहीं | डॉक्टर इस बीमारी कि वजह समज़ नहीं सकते थे | पेज खुद इस बिमारी को भुगत रहे है और कारण क्या है वह भी पता नहीं वैसे तो auto immune कि वजह बताई जाती है |इस बीमारी के कारण के रिसर्च के लिए बोस्टन में वोईस हेल्थ इंस्टिट्यूट को करीब २० मिलियन US $ का डोनेशन दिया है | तन कि बीमारी मन को छू नहीं सकती इस बात का उत्तम उदहारण पेज बन गए | वे हमेशा हकारात्मक सोच रखते हुए अपने “गूगल” को बहेतर बनाने में ही ध्यान देते रहे है |

१९९९ में गूगल से १ डॉलर मुआवज़ा पाने वाले अमेरिकन कंप्यूटर साइंटिस्ट लैरी पेज २०१६ अप्रैल में US $ ३९ (करीब) बिलियन कि निजी संपत्ति के मालिक है | फेब्रुवारी १८ २००५ में पेज ने पालो अल्टो मे ९००० sq ft में पोलिमेथ पेन्द्रो जोसफ नामक आर्किटेक्चर से अपना आलिशान आशियाना बनवाया | २००९ से पेज ने प्रोपर्टीज़ खरीदना शुरू किया | २०११ में पेज ४५ मिलियन US $ कि सुपर यॉट “senses” के मालिक भी बने | यह यॉट हेली पेड़, जिम,मल्टी लेवल सन डेक्स, १० शानदार suits से सजा है | इसे फ्रेंच डिजाईनर फ़िलिप स्ट्रेक (carmel आर्ट इंस्टीट्यूट के स्थापक) ने डिजाइन किया और जर्मनी के स्किवीर शिपयार्ड में बनाया गया | पालो अल्टो के बाजु में ही ६००० sq ft कि जगह में इको हाउस खरीद किया और गिराकर सारा मटीरियल दान में दे दिया फिर नया बनवाया | यहाँ सोलार पेनल से चलनेवाला रूफ गार्डन है, अन्दर के हिस्से में बड़ी बड़ी खिड़कियाँ और कांच स्लाइडिंग डोर्स है | पेज गूगल के अलावा टेस्ला मोटर्स जैसी वैकल्पिक उर्जा कंपनी में निवेश करनेवाले सक्रिय निवेशक है | इस कंपनीने टेस्ला रोडस्टर नामक ३५० किमी बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहनों की श्रुंखला विकसित की है |

फ़ोर्ब्स के मुताबिक २०१० में लैरी पेज २४ वें धनि व्यक्ति थे | सितम्बर २०१३ में फ्रोब्स कि ४०० अमेरिकी धनवानों की सूचि में लैरी १३ में स्थान पर रहे | और २०१६ में वे दुनियाभर के अमीरों में १९वें नंबर पर है | इस कामयाबी के पीछे उसकी कार्य के प्रति महेनत और लगन रही है | वर्ल्ड इकोनोमिक्स फोरम ने पेज को ग्लोबल रीडर फॉर टुमॉरो नामित किया और X प्राइज ने पेज को मंडल का ट्रस्टी चुना | मई २००९ में यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई | पेज को २०१४ में बिजनेस पर्सन ऑफ़ ध ईयर अवोर्ड दिया गया |

बिलियोनर पेज के हमेशा टीशर्ट और जींस पहनते है | व्यवसायी जीवन के साथ निजी जीवन के बारे में कुछ कहा जाये तो वे बिलकुल ही नम्र और उमदा व्यक्ति है |दिसम्बर ८, २००७ में अपनी प्रेमिका ल्युसिंडा साऊथवर्थ के साथ नेकर आयलेंड – कैरेबियन आयलेंड पर शादी कि थी | ल्युसिंडा ऑक्स्फ़र्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिवेनिया से बायो मेडिकल में ग्रेज्युएट होकर एक रिसर्च साइंटिस्ट बनी है | वे मॉडल और ऐक्ट्रेस केरी साउथवर्थ कि बहन है | पेज और ल्युसिंडा के दो प्यारे बच्चे है |

हम हर उस मोड़ पर मिलेंगे आपको, जहा आप को सहारे की जरूरत होगी | इस वाक्य को हकीकत में बदलने की ठान लैरी पेज ने ली है ऐसा कहने में कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी क्योंकि वे अपनी संपत्ति को जरूरतमंद के लिए डोनेट करते रहते है | २०१४ में पेजने अपने कार्ल विक्टर पेज मेमोरियल फंड से वेस्ट आफ्रिका में इबोला वाइरस के महामारी के दौरान १५ मिलियन डॉलर डोनेशन दिया था |

गूगल दो लोगों द्वारा स्थापित किया गया है | लैरी पेज ने बीज बोये थे लेकिन उसे पूरी तरह से विकसित करने में सर्गी ब्रिन का भी साथ है | सर्गी ब्रिन के बारे में थोडा बहुत तो जन चुके है लेकिन चलिए अब कुछ और भी जानते है कुछ ब्रिन के बारे में |

Narrator : Parul Desai

जादुई चिराग ४

Knowledge is always a good thing and that more of it should be shared.

यही मानना है सर्गी ब्रिन का | इसलिए सर्गी को ‘एन्लाईन्मेंट मैंन’ कहा जाता है | ब्रिन के पिता मिखाइल रूस में थे | वे एस्ट्रोनोमर बनना चाहते थे लेकिन रशिया में यहूदी को फिजिक्स और एस्ट्रोनोमी में एडमिशन नहीं दिया जाता था | वे इस अन्याय के शिकार बने | कुछ साल बाद रूस छोड़ने का निर्णय लेकर अमेरिका आए | ब्रिन अपने पिता के इस कदम के लिए आभारी है क्योंकि छह साल की उम्र में ही वे अमेरिका आ गए जिससे प्रगति करने का मौका मिला | छह साल की उम्र में ही अमेरिका आने के बाद यहाँ ब्रिन ने अडेल्फी मेरिलेंड में पेंट शाखा मोंटेसरी स्कूल के ग्रेड स्कूल में दाखिला लिया | लेकिन पिताजी से ज्यादा सीखा | मेरिलेंड के इलियोनोर रोजबेल्ट हाईस्कूल में पढाई के बाद मेरिलेंड विश्विद्यालय, पार्क कोलेज में पढ़े और १९९३ में ओनर्स के साथ विज्ञान में स्नातक की डिग्री हांसिल की | ब्रिन ने नेशनल साइंस फाउंडेशन के स्नातक अनुदान पर स्टेनफोर्ड विश्विद्यालय में कंप्यूटर साइंस की शुरुआत की |

एक पल के रुकने से दूर हो जाती है मंज़िले, सिर्फ हम नहीं चलते, रास्ते भी चलते है | ब्रिन यह बात ठीक से जानते थे इसलिए वे हमेशा आगे बढ़ते रहे |

आज सर्गी ब्रिन कंप्यूटर सायंटिस्ट, इंटरनेट इंटरप्रेन्योर और फिलोंथ्रोपिस्ट बन पाए है | गूगल कि पेरेंट कंपनी आल्फबेट Inc के प्रेसिडेंट है | २००४ में ब्रिन को एकडमी ऑफ़ एचीवमेंट्स गोल्डन प्लेट अवोर्ड से सन्मानित किया गया | २००८ फरवरी में ब्रिन को नेशनल एकेडमी ऑफ़ इंजीनियरिंग में शामिल किया है | यंग ग्लोबल लीडर्स के लिए सर्गी का नामांकन हुआ था | अम्बर (AmBAR) के एक सदस्य भी है जो अमेरिका में रुसी बोलनेवाले व्यवसायी के लिए नेटवर्क संगठन है जिसमे सर्गी वक्ता है | ब्रिन टेलीविजन शो और कई वृतचित्र पर प्रस्तुत हुए है |

मई २००७ में बहामा में एनी वोजसिस्की से शादी करी | एनी जैव प्रोद्योगिकी विश्लेषक है और १९९६ में एल विश्वविद्यालय से जिव विज्ञान में बी.एस. की डिग्री हांसिल की है | एनी ने २३ and me की सह-स्थापना करके लोगों को अपने आनुवांशिक कोड को बताया जाता है जिससे डॉक्टर, मरीजों और शोद्कर्ताओ को उस डेटा के विश्लेषण करने में मदद करेंगे | ब्रिन और एनी को एक बेटा और एक बेटी है | कुछ साल पहले दोनों के बिच कुछ मनमोटाव होने के कारण २०१५ में डिवोर्स ले लिया | आज भी दोनों द ब्रिन वोजसिस्की फाउन्डेशन चलाते है |

जून २०१३ में ब्रिन फ़ोर्ब्स कि सूचि अनुसार २०वें धनी व्यक्ति थे | २०१६ अप्रैल में US $ ३७.१ बिलियन कि संपत्ति के मालिक है | ब्रिनने जून २००८ में स्पेस एडवेंचर्स में $४.५ मिलियन किया जो की वर्जिनिया आधारित एक स्पेस टूरिज्म कंपनी है | २०१२ में प्रोजेक्ट ग्लास प्रोग्राम इ शामिल हुए है | उपरांत वे ‘गूगल ड्राइवरलेस कार’ प्रोजेक्ट में भी रूचि रखते है | उनका मानना है कि ५-७ साल में रोबोटिक कार्स जनरल पब्लिक के लिए भी उपलब्ध हो जाएगी |

सर्गी ने अपनी संपति का इस्तमाल नेक कार्य में भी किया है | अपनी माता को पार्किन्सन की बीमारी होने के कारण ब्रिन को भी हो सकती है | यह बीमारी किसी को भी ना हो इसलिए जिनेटिक बिमारिओं के रिसर्च में फंड दिया है | इसलिए २००८ में यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेरिलेंड स्कूल ऑफ़ मेडिसिन को दान देने का फैसला किया |

लेरी पेज और सर्गी ब्रिन दोनों गूगल के प्रति समर्पित है, वे चाहते है कि लोगों को गूगल से ज्यादा से ज्यादा फायदा हो और गूगल कि प्रगति हो | गूगल को बेहतर बनाने की कोशिश हमेशा करते रहे है | स्वाभाविक है की दो अलग व्यक्तित्व का एक ही मिशन होते हुए भी दोनों में भिन्नता भी होती है | तो दूसरी और दोनों ही कुछ बात पर सहमत होते हुए साथ में कुछ नया करते है | Narrator : Parul Desai

जादुई चिराग गूगल के स्थापक – ५

लेरी पेज और सर्गी ब्रिन जो कि गूगल के स्थापक है | वे दोनों २० साल पहले स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे थे | पेज पहलीबार ब्रिन से मिले तब ब्रिन पेज के बेच के टूर गाइड थे | पहले ही दिन दोनों में किसी विषय पर काफी बहश हुई थी फिर भी दोनों को एक विषय में रूचि थी और अच्छे मित्र बन गए | फिर गूगल के स्थापक बनकर आज पार्टनर्स है लेकिन कुछ बातो पर दोनों के विचार अलग होते है | वैचारिक भिन्नता के बावजूद दोनों एक कार्य में साथ अपना कर्तव्य बखूबी निभा सकते है |

ब्रिन और पेज ने उर्जा और जलवायु समस्या को हल करने की कोशिश करने के लिए ‘ उर्जा अक्षय’ नामक कंपनी खोली है | उपरांत अक्तूबर २०१० में इस्ट कोस्ट पावर ग्रेड में भी सहायता के लिए निवेश किया | दोनों साथ में ‘ब्रोकन एरोज’ फिल्म के कार्यकारी निर्माता भी रह चुके है |

पेज एथिकल पर्सन है वे पारिवारिक संबंध में विश्वास रखते है | इस लिए २०१४ में ब्रिन के साथ थोडा मनमुटाव होने पर उसने बातें करना बंध कर दिया था | क्योंकि ब्रिन गूगल ग्लास मार्केटिंग मेनेजर अमान्डा रोजेनबर्ग के प्यार में अपनी पत्नी वोजसिस्की से संबन्ध तोड़ रहे थे | पेज को अच्छा नहीं लगा, वे ब्रिन और वोजसिस्की के प्यार के साक्षी थे | वे दुखी भी थे कि इतना अच्छा कपल टूटेगा और दो बच्चों को भी माता पिता का प्यार नहीं मिलेगा | पेज अपनी कंपनी के इंजीनियर को भी इतना सन्मान देते है कि उसके ऊपर कोई मेनेजर न रखने का फैसला २००१ में कर चुके थे | तब उन्होंने गूगल के प्रोजेक्ट मैनेजरों को निकलने का निर्णय लिया था | पेज का कहना था कि सब इंजीनियर्स टेलेंटेड ही होते है तो मेनेजर्स कि जरुरत नहीं | गूगल कि ह्यूमन रिसोर्स बॉस स्टेसी सुलिवान को समजाया कि अपनी समस्या को बताने के लिए कोई तो होना चाहिए और वे मेनेजर्स होते है लेकिन फिर भी नहीं मानने पर पेज के कोच बिल केम्पबेल को बुलाया | लेकिन पेज नहीं मने | ब्रिन इस विषय पर पेज से सहमत नहीं थे | अंतमे १४० इंजीनियर और ६ मेनेजर्स ने ऑफिस के बहार दिखावा किया | कुछ महीने बाद पेज समजे और इस निर्णय को बदला हालाकि पेज खुश तो नहीं थे |

हालाकि दोनों कि सेलेरी सालाना $१ है लेकिन अपनी कंपनी के मुनाफे से और बोनस वगरेह से आर्थिक उपार्जन होता है | बस, ऐसी ही खट्टी मीठी घटनाओं और हकीकतों से भरा हुआ है गूगल का इतिहास | इस एतिहासिक गूगल के स्थापक लोरेन्स “लेरी” पेज और सर्गी ब्रिन के जीवन का सफ़र ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा हमें कुछ न कुछ नया मिलता रहेगा |

Narrator : PARUL DESAI