Kahani Lekhan in Hindi Magazine by Nitin Menaria books and stories PDF | कहानी लेखन

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कहानी लेखन

कहानी लेखन ..................... 2

वैसे आपने कहानी लेखन के बारे में कई पुस्तकों में पहले भी पढ़ा होगा। आपने शायद कोई कहानी लिखी भी होगी। यदि नहीं भी लिखी हैं तो आपने कहानी अवश्य पढ़ी होगी। यह लेख ’’कहानी लेखन’’ कहानी लिखने की प्रेरणा देने के उद्देश्य से लिखा है। आपके कहानी लेखन में यह लेख शायद उपयोगी साबित हो सके। मेरा इस लेख को लिखने का एक प्रयास ही है। मेरी अभी तक तीन कहानीयाँ ही साहित्यिक पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। मेरे साहित्यिक मित्रों ने उन कहानी को पढ़कर मुझसे प्रश्न किया कि कहानी को कैसे लिखा जा सकता है या एक अच्छी कहानी कैसे बन सकती हैं? तभी मुझे इस कहानी लेखन पर एक लेख लिखने की सुझी।

आप अपने जीवन काल में घटित सच्ची घटनाओं को लेकर उनके पात्र बदलकर अच्छी कहानी लिख सकते है। आप जिस घटना को स्वयं देखते है। उसके बारे में अच्छा लिखा जा सकता हैं और उन्हें हम अपने जीवन में जीते हैं। उन घटनाओं में कुछ कल्पनाओं और लेखनी का जादू चलाने से कहानी सजीव हो उठती हैं।

बाल्यकाल से वर्तमान तक कई ऐसे दौर से गुजरने पर हम सोचते हैं कि काश मेरे साथ ऐसा घटित होता, तो मैं आज किस मुकाम पर होता। किसी व्यक्ति के बारे में सोचते है कि यदि वह ऐसा कदम उठाता तो आज वह कुछ बन सकता था। ऐसे काल्पनिक विचार जब मन मस्तिष्क पर छाने लगते है तो एक कहानी का निर्माण होना स्वभाविक हैं।

कहानी लेखन के लिए आप कहानी की कल्पना करें और उस कहानी के अनुसार उस कहानी का शीर्षक देवें। या आप किसी शीर्षक को लेकर उसके अनुसार कहानी भी लिख सकते है। यदि आप कल्पना के द्वारा कहानी नहीं लिख सकते तब भी आप एक अच्छी कहानी लिख सकते हैं। सर्वप्रथम आप अपने जीवन काल में घटित किसी घटना वृतान्त को याद कीजिए या किसी मित्र की कही बात को या जब आपको कभी किसी बात से अधिक सुख या दूःख पहुँचा हो उस वक्तव को ज्ञात कीजिए। फिर सोचिए कि उक्त विषय के सन्दर्भ में कोई कहानी लिखी जा सकती है या नहीं। आपने किसी को प्रेरणा दी हो या आपको किसी से प्रेरणा मिली हो उसे याद कीजिए।

जब हमें कोई घटना या बात मिल जाती हैं तो उसे कहानी के रूप में लिखा जा सकता है। अब हमें कहानी के पात्र का चयन करना होता है। कहानी के अनुसार पात्र का निर्धारण करें। कहानी में कालखण्ड दोष ना हो इसके लिए देषकाल और समयकाल के अनुसार पात्र को उसमें पुरा ढ़ालने का प्रयास करें। यदि ग्रामीण कहानी है तो पात्र भी गांव से संबंधित हो। उसकी वेषभुषा एवं भाषा व कथन उसके अनुसार होने चाहिए। यदि शहरी कहानी हैं तो उसी के अनुरूप पात्र लिया जावें। कहानी पुरूष, महिला या बच्चें पर आधारित है तो मुख्य पात्र उसके अनुरूप हो। कहानी में अधिक पात्र नहीं होने चाहिए ताकि पढ़ने वाला उसे अच्छे से समझ सके।

कहानी में कभी भी किसी का उपनाम, जाती, धर्म, देश का नाम नहीं आना चाहिए जिससे कोई विवाद उत्पन्न ना हो। कहानी में लेखक की उपस्थिति नहीं होनी चाहिए यदि आवश्यकता हो तो किसी पात्र के रूप में होनी चाहिए। कहानी हमेशा प्रेरणादायी होनी चाहिए। यदि किसी कहानी में कोई बुराई दिखाई जाये तो उसे कहानी में उस बुराई को समाप्त करने का उद्देश्य लेखक का होना चाहिए। उस बुराई के लिए उस कहानी में ठोस कदम उठाकर दिखाना चाहिए जो वर्तमान में भी कारगर साबित हो सके तभी उस कहानी का कोई औचित्य रह सकता है।

यदि आपने किसी के जीवन की घटना को देखा या पढ़ा है तो उस घटना के बाद उत्पन्न स्थितियों का आकलन कर उसकी बाकी की जिन्दगी को कैसे सरल बनाया जावे या जिस पर कोई भारी मुसिबत आई उसे कैसे बचाया जाऐ। इस पर समीक्षा करते हुए उसे आपके दृष्टिकोण में देखकर एक कहानी लिखी जा सकती हैं। यह कहानी किसी के लिए प्रेरणादायी हो सकती है।

वस्तुतः कुछ कहानीयाँ काल्पनिक होकर भी सजीव प्रतित होती हैं तो कभी कुछ कहानीयाँ वास्तविक होते हुए भी काल्पनिक रूप ले सकती हैं। कहानीकार अपनी कलम से किसी भी कहानी को अपने ज्ञान से उसे नये रूप में ढाल सकता हैं। कहानी की भाषा सरल एवं कठीन दोनो प्रकार की हो सकती है।

वैसे कहानी किसी भी शषा में लिखी जा सकती हैं जब मातृभाषा में कहानी लिखी जाती हैं तो कहानी को पढ़ने वाले अधिक मिल सकते है और वह अधिक लोगों के लिए उपयोगी साबित होती है। जब हम कहानी लिखने का प्रयास प्रारम्भ करते हैं तो कुछ सफलता मिलना प्रारम्भ हो जाता है। आप पुरे आत्मविष्वास से लिखे तो धीरे-धीरे आप अच्छी कहानीयाँ लिख पायेगें। कहानी को लिखकर बार-बार पढ़ने से भी हमें उसे बेहतर बना सकते है।

आप कई तरह की कहानीयों को पढ़कर, समझकर उसकी भाषा एवं भाव को समझ सकते है। फिर अपने विचारों में कुछ नये भाव स्वतः जागृत होने लगते है ये भाव आपको कहानी लेखन में सहायता करते हैं। आप कहानी लेखन के लिए कुछ शब्दों, पात्रों के नाम, कोई संवाद को अलग से लिखकर उन्हें पढ़कर भी किसी कहानी की कल्पना कर सकते है।

कहानी लेखन के लिए सर्वप्रथम स्वयं को तैयार कीजिए कि आप एक कहानी लिखने के इच्छुक है। आप कहानी की कल्पना करने के पष्चात उसे सजीव दिखाने के लिए विचार करें। जब कहानी आपको रूचीकर लगने लगे तब आप उसे लिखना प्रारम्भ करें।

कहानी लिखने से पहले कहानी का शीर्षक, कहानी का उद्देष्य, कहानी के पात्र, कहानी का कालखण्ड, पात्रों की वेषभूषा, भाषा या बोली, का चयन करें। कहानी की वास्तविकता एवं काल्पनिकता के पहलु को देखते हुए कहानी के पूर्व, मध्य एवं अन्त भाग को तय करें। कहानी में सवांद एवं वार्तालाप का उपर्युक्त चयन करे। कहानी को प्रगति की ओर ले जायें। पाठक कहानी पढ़ते समय महसुस करे की वह भी उसी कालखण्ड में गुजर रहा है जो कहानी का कालखण्ड हैं।

कहानी के अन्त तक में कहानी का उद्देष्य प्रकट होता दिखना चाहिए। कहानी रूचिकर के साथ-साथ संदेषप्रद होनी चाहिए। कहानी की भाषा एवं उसका रसास्वाद ऐसा आना चाहिए कि पाठक उस कहानी को एक बार पढ़ने पर अपने मित्रों को आसानी से सुना सके।

कहानी लेखन के लिए प्रयास करते रहने से एक सफल कहानी आपके सम्मुख अवष्य प्रकट हो सकती हैं। कहानी को एक पाठक की तरह पढ़कर उसके औचित्य का स्वयं निर्धारण भी किया जा सकता हैं। एक अच्व्छी कहानी लेखन के लिए पहले एक अच्छे समीक्षक बनकर भी इसे बेहतर बनाया जा सकता है।