Apni maa ke naam patra in Hindi Letter by Savita Mishra books and stories PDF | अपनी माँ के नाम पत्र

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अपनी माँ के नाम पत्र

Savita Mishra

9411418621

2012.savita.mishra@gmail.com

काल्पनिक स्थिति में स्वयं को दामिनी के स्थान पर रखकर पत्र लेखन ...
निर्भया का खत अपनी माँ के नाम
प्यारी माँ ,
सादर नमस्ते
माँ मैं यहाँ स्वर्ग लोक में बहुत खुश हूँ । यहाँ मुझको छेड़ना छोड़ो बेअदवी से भी कोई बात न करता । सब इतने अदब से पेश आते कि कभी- कभी मैं उकता जाती हूँ ! और गुज़ारिश करती हूँ कि मुझे फिर मेरे घर भेज दें , पर यहाँ के सर्वेसर्वा कहतें हैं कि अभी समय नहीं आया कि तुम्हें भारत भेजा जा सकें।
माँ जब मैंने ऐसा कई बार कहा और उनका रटा-रटाया जबाब कि 'अभी समय नहीं आया' सुनकर तो मेरे अंदर का जासूस जाग गया । बिना एक पल गवाएं मैं खबर लेने लग पड़ी , तो मैंने देखा कि मेरी सुरक्षा को लेकर ये सब कितने सतर्क हैं । ये सब कह रहें थे कि अभी ऐसा कुछ भी भारत में नहीं हुआ हैं जिससे मेरी सुरक्षा पुख़्ता हो सकें , बल्कि ये सब कह रहें हैं कि स्थिति और भी बिगड़ गयीं हैं । लोग उन्मादी हो गए हैं, अपने को कामदेव भी समझने लग गए हैं। लड़कियां छोड़ो कन्याओं को भी फ़ूल की तरह मसल दें रहें हैं । मानवता जैसे समाप्ति की ओर हैं। राक्षसी शक्तियाँ प्रबल हो गयीं हैं । ज्यादातर मानव राक्षसी प्रभाव में आ गए हैं ।
कुछ लोग जो प्रभाव से दूर थे उन्होंने मौन धारण कर लिया हैं । उनका मौन धारण करना और भी घातक होता जा रहा हैं । कुछ प्रभावित लोग डर के प्रभाव से बाहर निकलते ही हो-हल्ला करतें हैं पर फिर उन पर अंधेरा प्रभावी होने लगता है। अपनी छवि चमकाने की दूकान चलते- चलते अचानक जैसे बन्द हो जाती है। सब के सब दूसरें दिन अखबार में अपनी-अपनी तस्वीर देख खुश हो जाते हैं। माँ असल में मेरी तो किसी को न पड़ी थी और न किसी और लड़की की पड़ी है।
माँ जब तक मार्तिशक्ति नहीं जागेंगी कुछ ना हो सकेंगा। माँ तुम भी आश्वासन पाकर शांत हो गई। मैं देख रहीं हूँ, तुमने अपनी आवाज़ बुलंद न की। जानती हूँ छुटकी के कारण तुम चुप रह गयीं , पर माँ डर-डर कर जीने से तो अच्छा है मर जाओ ना शान से ।
बड़ा छलावा हैं वहां । क्योँकि यहाँ आने पर मैं सब देख पा रहीं हूँ । सब स्वस्वार्थ से एक दूजे से बंधे हैं । कोई अपनों के लिए बोलता है कोई चुप हो जाता हैँ । माँ आखिर कब तक सब लोग, सब के लिए बोलते नजर आएंगे बिना किसी स्वार्थ के । बताओं तो माँ । ऊहह नहीं जानती तू भी ना । मैं भी ना , किससे पूछ रही हूँ । पर माँ एक बात सुन मेरी और मान । मातृशक्ति को जगा , सहना नहीं लड़कियों को दुष्टो से लड़ना सीखा । जब सब झुण्ड के झुण्ड एक साथ खड़ी हो जायँगी गलत के ख़िलाफ़ तो मेरी जैसी हालत न होगी माँ।
माँ बहुत दर्द दिया जिंदगी ने पर माँ अब मैं बहुत खुश हूँ । तू मेरी चिंता करके मत रोया कर। तेरे आंसू तड़प कर बहते है तो मुझे भी रोना आता है । मेरे आंसू पर यहाँ सब परेशान हो जाते हैं । पापा, भैया और छुटकी का ख्याल रखना । पापा भी छुप-छुपकर रोते हैं उन्हें अकेला मत छोड़ा कर।
अच्छा माँ अब विदा फिर मिलूंगी, जब तू चाहेंगी ,मुझे याद कर रोएंगी तो अपने ही आसपास मुझे पाएंगी । लव यू माँ ...।
तेरी सिर्फ तेरी
दामिनी