अँधा प्यार और लूटती आबरू
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किसी ने सच ही कहा है कि प्यार तो अँधा होता है और यह बात जिसने भी कही सौ टका सही कही। आप तो जानते हैं प्यार में आदमी अँधा हो जाता है वो ना तो रिश्ते-नाते देखता है ना ही देख पाता ऊँच-नीच का अंतर। प्यार ना समझे किसी भी प्रकार का जाति बंधन, ना रहता इसमें उम्र का बंधन। प्यार ना समझे हिन्दू-मुस्लिम और ना समझे सिख-ईसाई। तभी तो लैला-मंजनू, सोहनी-महिवाल, हीर-राँझा, रोमियो-जूलियट इन सभी ने सिर्फ प्रेम किया, वह भी सच्चा। इसीलिए तो आज जब भी सच्चे प्रेम की बात होती है तो सबसे पहले इन्हीं प्रेमियों का नाम जुबान पर आता है और आये भी क्यूँ नहीं, इन्होने प्यार की परिभाषा में हवस को दूर रखा।
प्रेम हमेशा अमर था और अमर ही रहेगा। हम भी तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी को प्रेम करते हैं। पर जैसे-जैसे समय ने अंगड़ाई ली वैसे-वैसे वक्त बदला और बदल गया प्रेम का स्वरूप। आज सच्चे प्रेम की कहानियां देखने को ही नहीं मिलती। अगर कोई कहानी मिलती भी है तो वह आज अपवाद बन कर बिखर गई है। या तो प्रेम टूट जाता है नहीं तो उन प्रेमियों को मिलती है झूंठी परम्पराओं के नाम पर मौत।
लेकिन आज इस घोर कलयुग में प्रेम ने अपना एक नया ही स्वरूप बना लिया है। झूठ, धोखा, फरेब और सेक्स। प्यार की आड़ में बर्बाद हो रहा आज का युवा। जिन्होंने प्रेम शब्द को फैशन और आज की जरूरत बना दिया। इंसान का स्वभाव वक्त के साथ बदल रहा है उसी तरह प्यार की परिभाषा धीरे-धीरे गई बदल। पहले प्यार को पूजा जाता था और आज प्यार शब्द की बली चढ़ चुकी है। इन्सान जैसे-जैसे आधुनिक होता जा रहा है वैसे-वैसे लोगों को धोखा देने और उनको भ्रमित करने के लिए नित नये तरीके खोज रहा है।
आजकल के इन युवाओं के ऊपर ना तो परिवार की किसी समझाइश का कोई असर होता है और ना उनके अनुभवों को कबूल करते हैं। अगर कुछ जानते हैं तो बस खुद को पूरा आधुनिक बनाना। गलत सही का अंतर अब उनकी समझ से कोशो दूर हो चूका है। आजकल उनके लिए प्यार सिर्फ सेक्स और पैसों तक सिमित रह गया है।
प्यार के इस नये स्वरूप का असर सबसे ज्यादा लड़कियों पे पड़ा है। आज की युवा लड़कियों खुद को फैशनेबल बनाने के चक्कर में उसे हर चीज में दिखावा ही पसंद आता है चाहे वो प्रेम में हो या असल जिन्दगी में। और इनके इस दिखावे का कुछ मनचले लोग पूरी तरह से फायदा उठाते हैं क्यूंकि वो डूबना चाहती हैं अंधे प्रेम की दरिया में। फिर चाहे लड़का भीमानंद हो या फिर नित्यानंद। वो उनके ढोंग इस तरह बावरी हो जाती है कि उनकी खामियाँ भी उन्हें नजर नही आती और इनके चक्कर मैं फंसकर अपनी इज्जत तक गवां देती है। आजकल हमारे देश में युवा लड़कियों को प्यार के जाल में फांसकर, उनको सेक्स के धंधे में धकेला जा रहा है। इस तरह के अपराध आजकल धीरे-धीरे आम होते जा रहे हैं।
प्यार शब्द का मजाक बना दिया हैं आज के युवा वर्ग ने। प्यार सिर्फ दिखावे का रह गया है क्यूंकि पाश्चात्य संस्कृति इनपे इस तरह हावी हो गई है जैसे चरस की लत। सबसे ज्यादा लड़कियां प्यार के लिए उन्हीं लड़को को चुनती है जो स्टाइलिश हो, स्मार्ट हो पर वो उसका सही स्टेट्स से अनभिग रहती है और इसी वजह से वो अपनी अस्मत लुटा बैठती है। दिन-प्रतिदिन हम सब एमएमएस जैसे घिनौने कृत्य सुनते और देखते है उसका यही कारण है प्यार में अंधापन। लड़की अपने प्रेमी पे इतना विश्वास कर लेती है कि उसके साथ कुछ भी करने में नहीं हिचकती।
प्यार की परिभाषा कुछ सालों में जो बदली हैं उसकी सबसे बड़ी वजह है सोशल नेटवर्किंग (फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसअप, मोबाइल)। इन सभी नेटवर्क ने प्यार को मजाक बना दिया है। पहले प्यार करना और उसे इजहार करना बहुत मुश्किल होता था पर आज तो दो पल नहीं लगते है प्यार करने में और मिलने में। महोब्बत कुछ पल चली तो ठीक वरना दो पल में लैला बदल जाती हैं या फिर मजनूं।
वाह री महोब्बत तूने तो सच्चाई दिखाई और युवाओं ने ही कर दिया तेरा ही बलात्कार। बदल दी परिभाषा महोब्बत की और पोथ दी कालिख मोहब्बत के नाम पे। मैं नहीं कहता कि प्रेम नहीं करना चाहिए। प्रेम इन्सान की जरूरत है पर प्रेम सच्चा होना भी जरूरी है। मन का सम्बन्ध होता है प्रेम से, ना की शरीर से। पर आज बहुत कम लोग ऐसे है जो मन से प्रेम करते है। प्रेम करने के साथ-साथ इन्सान को सब कुछ ध्यान रखना चाहिए। बस अंधों की तरह प्रेम ना करे। अपनी आँखे खोलें और सब कुछ परख लीजिये। आज की युवा पीढ़ी तो पढ़ी लिखी है। फिर क्यों अंधी दौड़ में भाग रहे हैं। जहाँ प्रेम का रिश्ता मन से नहीं तन और धन से है।
इसलिए खुद को जागरूक करे। अपने पथ से मत भटको। अगर प्यार आपकी किस्मत में है तो खुद चलकर आपके पास आएगा। पर यूँ खुद को प्यार के खातिर बर्बाद ना करे। आप जागरूक हो तो अपनी जागरूकता दिखाए। वरना कहीं ऐसा ना हो आप करें अँधा प्यार और गंवानी पढ़ जाये इज्जत और अपना चैन सकूं।
ऋषि अग्रवाल