manto ki kahaniya in Hindi Short Stories by Saadat Hasan Manto books and stories PDF | मंटो की कहानियां

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मंटो की कहानियां

सआदत हसन मंटो

सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए। सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने अपने वक़्त से आगे की ऐसी रचनाएँ लिख डालीं जिनकी गहराई को समझने की दुनिया आज भी कोशिश कर रही है।[1] प्रसिद्ध कहानीकार मंटो का जन्म 11 मई 1912 को पुश्तैनी बैरिस्टरों के परिवार में हुआ था। उनके पिता ग़ुलाम हसन नामी बैरिस्टर और सेशन जज थे। उनकी माता का नाम सरदार बेगम था, और मंटो उन्हें बीबीजान कहते थे। मंटो बचपन से ही बहुत होशियार और शरारती थे। मंटो ने एंट्रेंस इम्तहान दो बार फेल होने के बाद पास किया। इसकी एक वजह उनका उर्दू में कमज़ोर होना था। मंटो का विवाह सफ़िया से हुआ था। जिनसे मंटो की तीन पुत्री हुई।

उन्हीं दिनों के आसपास मंटो ने तीन-चार दोस्तों के साथ मिलकर एक ड्रामेटिक क्लब खोला था और आग़ा हश्र का एक नाटक प्रस्तुत करने का इरादा किया था। "यह क्लब सिर्फ़ 15-20 दिन रहा था, इसलिए कि मंटो के पिता ने एक दिन धावा बोलकर हारमोनियम और तबले सब तोड़-फोड़ दिए थे और कह दिया था, कि ऐसे वाहियात काम उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं।"[2]

मंटो की कहानियों की बीते दशक में जितनी चर्चा हुई है उतनी शायद उर्दू और हिन्दी और शायद दुनिया के दूसरी भाषाओं के कहानीकारों की कम ही हुई है। आंतोन चेखव के बाद मंटो ही थे जिन्होंने अपनी कहानियों के दम पर अपनी जगह बना ली। उन्होंने जीवन में कोई उपन्यास नहीं लिखा।

मंटो की कहानियां

सआदत हसन मंटो

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