टेली—मेडिसिनः कंप्यूटर सेे सेहत पर नजर
सूचना तथा दूर संचार की विभिन्न टेक्नॉलोजी के माध्यम से हेल्थ प्रोफेशनल द्वारा दूर दराज के जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य—सेवाएं मुहैया कराना या स्वास्थ्य संबंधित सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह भेजना टेली—मेडिसिन,टेली—हेल्थ या ई—हेल्थ कहलाता है. यह मूलतः कंप्यूटर तथा हेल्थ केयर सिस्टम का फ्यूजन रूप है. इसमें हेल्थ केयर इन्फार्मेशन को एक जगह से दूसरी जगह भेजी जाती है. इसका प्रयोग किसी जटिल रोग के डायग्नोसिस,इलाज,रिसर्च, बचाव से लेकर चिकित्सा के क्षेत्र में नित होनेवाली प्रगति के आदान—प्रदान के लिए किया जाता है.
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रागिनी की शादी के जब तीन साल हो गये फिर भी मां नहीं बन पायी तो परिवार—समाज में चर्चा होना स्वाभाविक था.इस बीच वह शहर के कई स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास गयी,तरह तरह की जांच करायी, सैंकड़ों लाल—पीली गोलियां खायींं, पढी—लिखी होने के बावजूद ओझा—गुनी के पास गयी, ,झाड़,फूंक करायी, गले में तावीज लटकायी ,ललाट में भभूत लगायी, तरह तरह का चूरन तक खायी, किंतु कोई फायदा न होना था, न हुआ. निराश होकर जब घर बैठ गयी तो किसी ने एक ऐसी इन्फर्टिलिटी सेंटर का पता बताया जहां टेली—मेडिसिन की सुविधा थी. हताश—निराश सारी रिपोर्ट लेकर भागी—भागी वह वहां गयी. चिकित्सक को अपनी समस्या बतायी और इलाज तथा जांच की सारी रिपोर्ट भी दिखायी तो उसे कुछ और भी जांच कराने की सलाह दी गयी. करीब तीन दिनों के बाद चिकित्सक ने दिल्ली स्थित आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस भेजकर इन्फर्टिलिटी सेंटर के सुपर स्पेशलिस्ट से सेकंड ओपिनियन लेने की जरूरत बताते हुए कहा—‘‘आपकी ‘ट्यूब' में खराबी है. फिर भी सेकंड ओपिनयन लेने में कोई हर्ज नहीं है.''
चिकित्सक ने आगे कहा—‘‘अभी मैं सारी रिपोर्ट स्कैन कर दिल्ली मेल कर दे रही हूं. थोड़ी देर में ही ओपिनियन आ जायेगा. इसके लिए मात्र 300 रूपये लगेंगे.''
रागिनी यही तो चाहती थी. उसने तुरंत हामी भर दी—‘‘भेज दीजिए. मुझे कोई ऐतराज नहीं है.''
‘‘ठीक है.वेटिंग हाल में इंतजार कीजिए.''
वेटिंग हाल में इंतजार करते हुए अभी एक घंटा भी नहीं बीता होगा कि रिसेप्शन से कॉल हुआ और डॉक्टर के चेंबर में जाने के लिए कहा गया.
‘‘आपकी रिपोर्ट पर ओपिनयन आ गया है. मैंने कहा था न कि आपकी ट्यूब में थोड़ी प्राब्लम है, घबड़ाने की जरूरत नहीं है. मैं एक गोली लिख दे रही हूं , सुबह—शाम तीन महीने तक खायें,आपकी समस्या ठीक हो जायेगी और भगवान ने चाहा तो आप शीघ्र ही गर्भवती हो जायेंगी.''—लेडी डॉक्टर का जवाब था.
‘‘मैम, मैं इसी दिन का इंतजार कर रही हूं.''—वह मन ही मन काफी खुश हुई कि कोई बड़ी प्रोब्लम नहीं निकली.चेहरे पर इत्मीनान के भाव उभर आये.
सेंटर के बगल की ही दवा दूकान से दवा खरीदकर घर लौट गई और चिकित्सक के निर्देशानुसार दवा लेनी शुरू कर दी.
रागिनी को सुखद आश्चर्य हुआ कि जिसके लिए वह तीन साल से भटक रही थी, इस डॉक्टर की दवा खाने के एक माह के बाद ही वह गर्भवती हो गयी. और समय पूरा होने के बाद उसने एक सुदर बेटे को जन्म दिया. इस घटना के आज दो साल हो गये हैं. और उसका बेटा भी आज दो साल का हो गया है जिसकी चंचलता तथा घर में सजे सामानों के तोड़फोड़ से वह काफी परेशान रहती है.
भारत में टेली मेडिसिन तेजी से उभरते बाजार की तरह विकसित हो रहा है और यहां के अधिकतर कारपोरेट हॉस्पिटल टेली मेडिसीन सर्विस से जुड़े हुए हैं. अपोलो,एम्स,नारायणा हृदयालया,अरविंदो तथा शंकर नेत्रालय जैसे बड़े अस्पताल पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत भारत के कई सेकेंडरी, टर्सियरी तथा जिले के दूसरे अस्पतालों से जुड़कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस तरह के पूरे भारत में करीब 120 टेली मेडिसिन सेंटर खुले हुए हैं और अपनी सेवाएं छोटे तथा दूर दराज के अस्पतालों को दे रहे हैं. एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट पूरे भारत में 60 से भी अधिक टेलीमेडिसिन सेंटर स्थापित करने की योजना पर अमल कर रहा है. इसकी उपयोगिता तथा महत्ता को देखते हुए अब सरकारी स्तर पर भी पहल की जा रही है. द इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन भारत में ही नहीं,दूसरे देशों में भी 100 के लगभग टेली मेडिसिन सेंटर खोलने का प्लान कर रहा है.अभी तक ये भारत के अंदर 25 मेजर हॉस्पिटल में अपना सेंटर खोल चुके हैं और लगभग 650 जिलों में खोलने पर काम कर रहा है. इसके अतिरिक्त भारतीय मेडिकल काउंसिल ने एक कमिटि बनाकर इसे कानूनी अमलीजामा पहनाने की कोशिश में लगा है.
टेली—मेडिसिन क्या है?
विश्वस्वास्थ्य संगठन के अनुसार इन्फार्मेशन तथा दूर संचार की विभिन्न टेक्नॉलोजी के माध्यम से हेल्थ प्रोफेशनल द्वारा दूर दराज के जरूरतमंद लोगों को स्वास्थ्य—सेवाएं मुहैया कराना या स्वास्थ्य संबंधित सूचनाएं एक जगह से दूसरी जगह भेजना टेली—मेडिसिन,टेली—हेल्थ या ई—हेल्थ कहलाता है. यह मूलतः कंप्यूटर तथा हेल्थ केयर सिस्टम का फ्यूजन रूप है .इस टेक्नालॉजी का प्रयोग किसी जटिल रोग के डायग्नोसिस,इलाज,रिसर्च, बचाव से लेकर स्वास्थ्य तथा चिकित्सा के क्षेत्र में नित होनेवाली प्रगति के आदान—प्रदान के लिए किया जाता है. चिकित्सा के क्षेत्र में नित होनेवाले अनुसंधान तथा प्रगति की अद्यतन जानकारी भी एक जगह से दूसरी जगह भेजी जा रही है.
आधुनिक कंप्यूटर टेक्नोलॅाजी का प्रयोग
यह इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नॉलाजी आधारित विज्ञान है जो पूरी तरह कंप्यूटर तथा दूर संचार के विभिन्न उपकरणों पर निर्भर है. इन्हीं के सहयोग से यह सिस्टम अपना काम बखूबी करता है और सारी सूचनाएं,डाटा और विभिन्न जानकारियां एक जगह से दूसरी जगह पहुंचती हैं.इसके लिए टेलीफोन,फैक्स मशीन,डाटा केबुल,स्कैनर,बेव कैमरा तथा ब्राड बैंड,सेटेलाइट टेक्नालॉजी जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम का सहारा लेना पड़ता है.
इसकी उपयोगिता को दो तरह से समझा जा सकता है क्योंकि इसमें दो तरह की टेक्नालॅजी इन्वाल्व होती है.
1. रीयल टाईम टेली मेडिसिन सिस्टम— इसके अंतर्गत दो हेल्थ प्रोफेशल्स या तो किसी बीमारी पर विचार—विमर्श करते हैं या सीधे मरीज से बातचीत कर उसकी समस्या का निदान बताते हैं.यानी दो हेल्थ प्रोफेशनल्स एक ही समय में कंप्यूटर के सामने बैठतेे हैं और ,बेव कैमरा के सहारे सैंकड़ो—हजारों किमी दूर बैठे दूसरे प्रोफेशनल का चेहरे कंप्यूटर स्क्रीन पर इंटरनेट के द्वारा जुड़कर आपस में बातचीत करते हैं.इसे विडियो कांफे्रसिंग भी कहते हैं.
2. स्टोर एण्ड फारवार्ड टेली—मेडिसिन— इसके अंतर्गत मेडिकल—डाटा को इकट्ठा किया जाता है. किसी मरीज का मेडिकल हिस्ट्री, रेडियोलॉजिकल इमेजेज जैसे एक्स—रे,ईको,सीटी—स्कैन,एमआरआई,पैथेलॉजिकल जांच रिपोर्ट इकट्ठा कर अपनी सुविधानुसार किसी चिकित्सक या विशेषज्ञ को एसेसमेंट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. इसकी दो चिकित्सक या विशेषज्ञ को किसी खास समय मेें एक जगह उपस्थित रहने की जरूरत नहीं होती.
रागिनी के सारे मेडिकल रिपोर्ट इसी स्टोर एण्ड फारवार्ड टेली—मेडिसिन सिस्टम के द्वारा एम्स के टेली मेडिसिन सेंटर में सेकंड ओपिनयन के लिए भेजा गया था. और विशेषज्ञ ने अपनी सुविधिानुसार उसका विश्लेषण कर समय—सीमा के अंदर ओपिनयन भेज दिया था.
स्टोर एण्ड फारवार्ड टेली—मेडिसिन का प्रयोग टेलीपैथेालॉजी,टेलीरेडियोलॉजी,बायोकेमिकल,हीमैटोलॉजिकल टेस्ट रिपोर्ट का विश्लेषण तथा डायग्नोसिस के लिए भी उपयोग किया जाता है. कई बार सीटी स्कैन ,एमआरआई की डायग्नोसिस में परेशानी या कन्फ्यूजन की स्थिति में विशेषज्ञों की राय के लिए भी इसका सहारा लिया जात है. इन सारी रिपोर्ट्स का अध्ययन तथा विश्लेषण कर विशेषज्ञ अपना ओपिनयन ई—मेल से भेज देते हैं. कई बार ओपिनयन टेलिफोन के द्वारा भी दिये जाते हैं. ऐसा सामान्यतः तब होता है जब रिपोर्ट देखने के बाद कुछ और जानकारी लेने या कुछ डिस्कशन की जरूरत होती है. ऐसी स्थिति में डाटा भेजनेवाले चिकित्सक से सीधे बातचीत टेलिफोन या बेव कैमरा की सहायता से की जाती हैं.
अब, प्रश्न उठता है कि दो टेली—मेडिसिन सेंटर आपस में कैसे जुड़ते हैं? यानी बड़े अस्पताल का टेली—मेडिसिन का सेंटर दूर दराज के के्रद्र को कैसे अपनी सेवा मुहैय्या कराता है?
यह दूर दराज के क्षेत्रों से दो तरह से जुड़ता है.
प्वांट टू प्वांट कनेक्शन—जब सेटेलाइट के माध्यम से किसी दो जगहों के टेलीमेडिसिन सेंटर सीधे—सीधे आपस में जुडा होते है तो उसे प्वांट टू प्वांट कनेक्शन कहते हैं.जैसे संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुयेट इंस्ट्ीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस,लखनउ सेटेलाइट के माध्यम से उड़ीसा के मेडिकल कॉलेजों और रायबरेली के जिला अस्पतालों से एक साथ जुड़ा है.
प्वांट टू मल्टी प्वांट कम्युनिकेशन—किसी सिंगल लोकेशन से टेली मेडिसिन सेंटर कई जगहों से एक साथ जुड़ा होता है तो उसेप्वांट टू मल्टी प्वांट कम्युनिकेशनकहते हैंं.जैसे उत्तरांचल का दो अस्पताल सेटेलाइट के द्वारा लखनउ स्थित संजय गांधी पीजीआई से जुड़ा हुआ है.
टेली—मेडिसिन की उपयोगिता
टेली मेडिसिन की उपयोगिता चिकित्सा विज्ञान में क्या है और क्यों इसका विकास और विस्तार इतनी तेजी से हो रहा है. यहां यह बताना जरूरी है आज की तारीख में देश के लगभग सभी बड़े कारपोरेट अस्पतालों में इसके सेंटर अलग से खुलेे हुए हैं. और अपनी सेवाएं जिल स्तर तक के अस्पतालों को दे रहे हैं. मेट्रोज के बड़े—बड़े अस्पताल तो अमरीका,फ्रांस,सिंगापुर जैसे विकसित अस्पतालों से भी जुड़े हैं और विदेशी विशेषज्ञों से विचार विमर्श के लिए उपयोग किया जाता हैत्र
इसकी उपयोगितो को दो भागों में बांटा जा सकता है— पहला क्लीनिकल तथा दूसरा नन—क्लीनिकल.
क्लीनिकल उपयोगिता
इसकेे अंतर्गत कई तरह की सुविधाएं मरीजों को मिलती है. जैसे—
1.किसी रोग के डायग्नोसिस के लिए मेडिकल हिस्ट्री मैसेज तथा मेडिकल डाटा का आदान—प्रदान के लिए कंप्यूटर टेक्नीक का सहारा लिया जाता है.कई बार डाटा दूसरे देश या अपने ही देश के अंदर के दूर दराज के इलाकों में भी भेजने की जरूरत होती है. इसके लिए भी टेली मेडिसिन का उपयोग किया जाता है.
2.बीमारी से बचाव,सेहत के स्तर में सुधार,किसी रोगी की मानिटरिंग, उसका फॉलोअप तथा सूचनाओं का आदान—प्रदान तथा डाटा को एक जगह से दूसरी जगहों पर ट्रांसफर के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है.
3.टेलिफोन,टेलीमेडिसिन,क्लीनिकल मेडिसिन का बढ़ता हुआ एप्लीकेशन तथा मेडिकल इन्फोरमेशन का आदान—प्रदान इंटरनेट द्वारा किया जाता है.कभी कभी इसके साथ—साथ सलाह लेने के लिए अन्य नेटवर्क का भी प्रयोग किया जाता है.
4.टेलीमेडिसिनएक आसान चिकित्सा—व्यवस्था है बिल्कुल वैसी ही जैसे दो हेल्थ प्राफेशनल फोन पर बातें कर रहे हों.यही नहीं, इसके मार्फत अलग—अलग देशों में बैठे डॉक्टर एक ही समय पर सेटेलाइट टेक्नॉलाजी और विडियो कांफ्रेसिंग इक्वीपमेंट के द्वारा बातें कर सकते हैं.
5.क्लिनिकल केयर डिलिवरी और इन्फरमेशन टेक्नालोजी के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
6.इसका इस्तेमाल मरीज और चिकित्सक के बीच सीधी कड़ी के रूप में किया जाता ह.ै
नन क्लीनिकल उपयोगिता
चिकित्सा सेवा के बेहतर बनाने और रिसर्च के लिए आवश्यक साधन जुटाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है जैसे—
1.पारामेडिकल स्टाफ,नर्स,फार्मेसी तथा चिकित्सा के छात्रों को शिक्षित करने तथा बेहतर जानकारी देने के लिए इसका सहारा लिया जा रहा है.
2.दूरस्था शिक्षा,मेडिकल एडुकेशन के साथ—साथ मरीजों केा काउंसेलिंग के साथ—साथ किसी अस्पताल केा सुचारू रूप से चलाने के लिए मिेडकल एडमिस्ट्रेटिव कामों में भी आजकल इससे काफी सहायता ली जा रही है।
3.इसके माध्यम से टेलीहेल्थ नेटवर्क,किसी काम का सुपरविजन तथा किसी रिसर्च वर्क के प्रजेंटेशन के लिए इस सुविधा का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है.
4.चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च और सूचनाओं के आदान—प्रदान करने के लिए भी यह आजकल काफी उपयोगी सावित हो रहा है.
5.ऑन लाइन इन्फार्मेशन,हेल्थ डाटा मैनेजमेंट हैल्थ केयर इंटिग्रेशन,मरीजों का डाटा इंटरी, एसेट मैनेजमेंट में भी यह तकनीक आजकल काफी उपयोगी सावित हो रही है.
और भी फायदे हैं
विशेषज्ञ तथा मरीजों के बीच सीधी बातचीत होने के कारण धीरे—धीरे दोनों के बीच रिलेशन मधुर हो जाता है.फलस्वरूप मरीज सीधे—सीधे विशेषज्ञ से अपनी समस्या बेहिचक तथा खुलकर बताते ह.ैबीमारी के संबंध में सही जानकारी होने के कारण उसके मन में बीमारी के बारे में किसी तरह का भय नहीे होता है. उड़ीसा के वैसे मरीजों के बीच जो टेलीमेडिसिन टेक्नॉलोजी की सेवा ले रहे थे, , संजय गांधी मेडिकल कालेज,लखनउ के द्वारा सर्वे कराने पर पाया गया कि 99 फीसदी मरीज ज्यादा खुशथे जो 1500 किमी की यात्रा करके अपनी डायग्नोस्टिक रिपोर्ट को खुद दिखा चुके थे. टेली कंसल्टेशनवाले मरीज इस बात को लेकर काफी खुश थे कि विशेषज्ञ ने मेरी बात को ध्यान से सुना.
भविष्य में उपयोगिता की बात करें तो इसका सर्वाधिक प्रयोग देहाती तथा दूर दराज के इलाकों में किया जा सकता है. क्योंकि पिछड़े तथा कम विकसित इलाकों में आधुनिक चिकित्सा के साधनों की ज्यादा जरूरत होती है और चिकित्सा विशेषज्ञों की काफी कमी रहती ह.ै इसकी क्षतिपूर्ति टेली—मेडिसिन कर सकता है. शहर से दूर होने तथा आवागमन के पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण आम आदमी चिकित्सा की आधुनिक सेवाओं से मरहूम रह जाते हैं.संचार के आधुनिक साधन ने देश, काल तथा दूरी की सीमा के बंधन को तोड़ दिया है. टेलिफोन,सेटेलाइट,टेली—कांन्फेंसिंग,विडियो,ओडियो तथा दूर संचार के दूसरे साधनों ने इसे काफी आसान बना दिया है. इसके माध्यम से मरीज जटिल से जटिल बीमारी के निदान के लिए योग्य,अनुभवी तथा सुपर स्प्ेाशलिस्ट की सेवाएं आसानी से प्राप्त कर सकतेे हैंं.
जो भी हो, वे डॉक्टर जो सरकारी नौकरी में हैं, वे टेलीमेडिसिन को ठीक नहीं मानते क्योंकि वैसे चिकित्सकों को अस्पताल के मरीजाें को देखने के साथ साथ टेलीमेडिसिन का भी काम अतिरिक्त भार के रूप में देखना पड़ता है. इसलिए उनके लिए यह बोझ लगने लगता है. कई प्राइवेट डॉक्टर को इस बात की चिंता होती है कि इसका बुरा प्रभाव कहीं मेरी प्रेक्टिस पर तो नहीं पड़ेगा. लेकिन वैसे डॉक्टरों को यह जानने में समय नहीं लगता है कि इससे उन्हें और ज्यादा एक्सपोजर मिलता है जिससे भविष्य में प्रेक्टिस बढने की काफी गुंजाइश होती है.