The Author Shweta Misra Follow Current Read Aag By Shweta Misra Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books Trembling Shadows - 22 Trembling Shadows A romantic, psychological thriller Kotra S... The Courage of A Drunkard It was a cold December night, and the town lay in quiet slum... Met A Stranger Accidently Turned Into My Life Partner - 19 After listening to the announcement made by their professor... Cornered- The Untold Story - 1 Chapter 01: The Campus Crisis The student, with frantic step... THE WAVES OF RAVI - PART 18 THE LAST JOURNEY The municipal clock struck four. It was fou... 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शैली ने कहा,’ घर से धुवां निकल रहा है …..शायद घर में आग लगी है इंतना कहते हुए घर से दौड़ गयी ……….घर की लगी आग पर मोहल्ले वाले और किरायेदारों की मद्दद से काबू तो पा लिया गया था …..लेकिन अखबार वालों ने और प्रियजनों की आग तो अब तक न बुझ सकी …..वहां पहुचे हर किसी के मुंह से बस यही सवाल निकल रहा था ,बच्चे तो ठीक हैं न ????…बहुत नुक्सान हो गया तुम्हारा ….जो बहुत करीबी थे ..उनकी जुबान से कोई सवाल नही निकला …निकले थे तो बस आँख से आंसू ….बूढी रमिया ..उसके दिल में तो जैसे आग लगी थी ..एक एक सामान उठाती और हज़ार-हज़ार फ़साने सुनाती…गुडिया ने कभी इसे हाथ नही लगाया …इन कपड़ों के तह नही खोले ..हे राम ये तो अभी भैया की शादी में लहगा लिया था कितनी जंच रही थी ….इसका तो इतना टुकड़ा ही बचा …….सब जल गया … भगवान को ही ये सब नही सुहाया शायद ….बुझे आग के धुएं में रात भी सिमटने लगी थी और पलकें खुली ही रह गयी …कब आग सूरज का गोल बन आकाश में चमक उठा समझ ही नही आया …….चाय का प्याला पापा की जिद से शैली ने हाथ में तो ले ली थी लेकिन अखबार के छपे शब्द और तस्वीर ही जैसे घूंट बन गले से उतर रहे थे कि तभी डोर बेल बजी …कौन आया ??? फिर किसी को न्यूज़ चाहिए होगी … शैली के पापा का चेहरा फिर तमतमाया ….. तभी रमिया की आवाज़ आई भैया आये हैं दिल्ली से ..इनको कैसे पता चला ?? भैया बहुत नुकसान हो गया सारा बर्तन सारा सामान सब जल गया … बर्तन तो कल से ही मैं और शिव दोनो धो रहें हैं ……. साफ ही नही हो रहा है .. कहते-कहते फफक पड़ी ……कैसे हो गया ये सब मम्मी ??? एक फोन तो किया होता ….. खैर जाने दो ..जैसी नियत थी वैसा ही तो हुआ”….. रूही भी यही कह रही थी,अज्जू ने मम्मी से कहा ….इतना सुनते ही मम्मी का गुस्सा आसमान पर चढ़ गया …शैली की मम्मी ने अज्जू और रूही को बहुत बुरी तरह फटकार लगाने लगी ……. शैली ये शब्द सुनते ही ठिठक सी गई …..अब उसे लगने लगा की आग उसके घर में नही उसके दिल में लगी है ..उसकी गृहस्थी नही जली वो अब खुद ही जल रही है ….आज उसकी नियति इतनी ख़राब हो गई की ईश्वर उसे दंड दे बैठा …शायद ये दिन न होता तो रहा सहा भरम भी नही जलता ……शैली सोचने लगी अज्जू आज इतना बड़ा हो गया ..पत्नी की बांते इतनी सच्ची लगने लगी उसे कि आज उसकी अपनी ही दीदी के दिल पर क्या बीतेगी इसका भी ख्याल नही रहा …….बचपन से दोनों छोटे भाइयों को जी जान से प्यार करती …हर मुसीबत में पढाई में स्कूल में हर गलती में ….उसे याद आने लगा अज्जू के दुखी हो कर बताने पर कि मम्मी ने मना कर दिया रूही से शादी के लिए …..कैसे माँ पापा दोनों को मनाने में जुटी रही …. कैसे रूही को घर के दस्तूर को छोटी बहन की तरह सिखाती रही … कैसे कितनी चीजे अपने पति से लड़-झगड़ कर छुपा कर उसके बर्थडे पर उसके रिजल्ट पर या घर आने पर उसको उपहार में देती रही …कितनी गन्दी/ख़राब नियति थी उसकी ..कभी लेने की चाह नही थी उसकी हमेशा देने के लिए बेचैन … शादी में उसके छोटा सा भी उपहार लेने से इनकार कर कितना खुबसूरत हार रूही के गले में डाला था ….. एक बार ही रूही ने कहा था … दीदी का लहंगा मैं लुंगी ….क्युकी आप तो सिर्फ एक बार ही कोई कपडा पहनती हैं दुबारा नही पहनती …. शैली ने ख़ुशी से लाकर उसके हाथों में थमा दिया था लेकिन मम्मी ने मना कर दिया …..रुवासी शैली सोचने लगी की उसके सेल फोन के खो जाने पर पापा का दिया सस्ता सा सेल फोन भी अज्जू से और रूही से बर्दास्त नही हुआ था … उसने बहाने बना कर उससे वापस मांग लिया था ..ये भी नही सोचा था की दीदी इतनी रात गए बिना जीजू के अकेले छोटे छोटे बच्चों के साथ रह रही है …. गर कोई बात हो जाय तो …… अज्जू और आदि मिलकर घर आने के सारे रस्ते बंद करवा दिए …. उसने कितने झूठे आरोप भी लगाये कितनी बेईज्ज़ती की थी …कैसे गुस्से में शैली को घर छोड़ आना पड़ा था ……वो बातें भी मन में जलने लगी कि शैली के कपड़ों से उन दोनों ही भाइयों को शर्म आती थी क्युकी अब वो बहुत महंगे कपडे जो नही पहनती थी …आज ये जानते हुए भी कि उसके पति विदेश में हैं वो यहाँ बच्चों के साथ अकेली …और जाते वक़्त अज्जू से ही कहा था अपनी दीदी का ख्याल रखना ….तुम्हारे और मा पापा के भरोसे ही ये निर्णय आसानी से ले लिया है …. मैं इतना तो जनता ही हूँ की उसे किसी की तो जरुरत नही होगी लेकिन एक मोरल सपोर्ट जरुर चाहिए और वो तुम सब से ज्यादा उसे किसी से भी नही मिल सकता ….. अज्जू तुमने क्या किया ???? मुझसे बातें करना ही बंद कर दिया मेरे नन्हे से बेटे को देख कर मुह मोड़ने लगे ….. हजारों बांतें सागर की लहरों की तरह उठने और गिरने लगी … शैली बेजान बुत सी हो गई …. समझ नही पा रही थी की ये उसका ही सगा भाई है जो इस तरह की बात …….शैली आज बरामदे में बिखरी हुयी चीजों के बीच खुद को ही बिखरा महसूस करने लगी और सोचने पर विवश हो ही गई की सच वो बहुत अकेली है …. पिछले डेढ़ सालों से सब कुछ तो अकेली ही तो देख रही है…रूही के कदम पड़ते ही कहां खो गया उसके प्रति उसके अपने पापा का उसके अपने भाइयों का प्यार विश्वास निकटता ……क्या दोष रूही का है ??? या पापा का भाइयों का …नही नही ..ये सब दोष तो उसके अपने नसीब का है ….शायद अब ज़ख्मो का आखिरी पड़ाव हो …….. शायद ईश्वर कुछ उसके भले की सोच कर ये आग उसके दिल में उसकी गृहस्थी में लगी हो ….. एक अजीब सा संतोष उसके ह्रदय में जगह बनाने लगा था और इसी विश्वास के सहरे वो खड़ी हुई और अपनी बची हुई गृहस्थी के सामानों को समटने लगी !! 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