प्रस्तुति:शंभु सुमन
खाना पकाने के बदलते अंदाज
एअर फ्रायर- तेल रहित भोजन पकाने
के नए जमाने का उपकरण
डिजिटल जमाने के आधुनिक रहन-सहन में भोजन पकाने के चुल्हे, माइक्रोवेब, ग्रिलर, इंडक्शन कूकर आदि के बाद अब नए उपकरण एअर फ्रायर भी चलन में आने लगा है। बिजली के स्रोत से चलने वाले इस उपकरण को पसंद करने की कई वजहों में भागदौड से भरी जिंदगी, वसा रहित भोजन, फास्टफूड के प्रति बढ़ते लगाव और हर आहार के साथ कैलोरी की सही मापतौल भी शामिल है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहने वालों में बढ़ते वजन को लेकर चिंतित रहते हुए तेल रहित भोजन की जरूरत महसूस होने लगी है। खासकर त्यौहारों के मौसम में ललचाती जीभ और कमर की बढ़ती मोटाई के सिलसिले में टेलीविजन चैनलों पर स्वास्थ्य की देखभाल के कार्यक्रम के साथ-साथ किचन के गजेट्स पर भी नजर टिकी रहती है। यानि कि ऐसे व्यंजनों की पकाने के तरीके तलाशे जाते हैं, जिनमें तेल की मात्रा बहुत ही कम हो। ऐसे में नान स्टिक बर्तनों के बाद अब एअर फ्रायर ने गृहणियों की मुश्किलें आसान कर दी है। तले हुए व्यंजनों को नाममात्र के तेल में झटपट पकाने के वादे करने वाले इस अत्याधुनिक गजेट के कई ब्रांड बाजार में उपलब्ध हैं। ये न केवल तेलरहित भोजन पकाने में सक्षम हैं, बल्कि रसोई में जगह भी बहुत कम लेते हैं। इनमें पसंदीदा भोजन को तले जैसा पकाने, सेंकने, ग्रिल करने या भूरापन लिए हुए भूनने का काम स्वस्थ तरीके से किया जा सकता है। साथ ही इसमें सिर्फ भूनने के अतिरिक्त दूसरे व्यंजनों को भी दोषरहित तरीके से सामान्य समय में पकाया जा सकता है। कहने का अर्थ यह कि अपने परिवार या मेहमानों को उनकी पसंद का व्यंजन खिलने का अधिक विकल्प मिल सकता है, क्योंकि इसमें स्वादिष्ट फ्रायड चिकन से लेकर केक तर बनाना आसान बताया गया है। साथ ही इन्हें बड़ी आसानी से माक्रोवेब और मिक्सर-ग्राइंडर के बगल में रखा जा सकता है।
कुछ उपकरण में अधिक नाॅब को अपने वश में करना किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए झंझट भरा होता है। नए इलेक्ट्राॅनिक सामानों में तो इनसे जूझने जैसी स्थिति रहती है। किसी एक नाॅब या बटन के भूलवश गलत इस्तेमाल काम में बाधा पैदा कर देती है या फिर वह उपकरण ही काम करना बंद कर देता है। जबकि एअर फ्रायर में मात्र दो ही नाॅब लगे होते हैं। एक से तापमान को निर्धारित किया जाता है, तो दूसरे से समय नियंत्रित किया जाता है। इनकी जरूरत उसमें बने बास्केट (भोजन पकाने की जगह) को सरकाकर बहार निकालने और उसमें व्यंजन बनाने की सामग्रियों को रखने के बाद अंदर सरकाने के लिए होती है। यह बहुत ही सहजता के साथ संपन्न हो जाता है।
एक नामी कंपनी फिलिप्स अपने फ्रायर के बारे न केवल कम तेल इस्तेमाल होने का दावा करती है, बल्कि भूने हुए आहार में वसा के 80 फीसदी कम होने का भी दावा करती है। कंपनी ने यू-ट्यूब पर शेफ संजय थुम्मा की विशेष रूप से बानाई गई व्यंजनों को अपलोड किया गया है तथा फ्रायर के साथ व्यंजनों के नुस्खे की पुस्तिका में भी कई जानकारियां दी गई हैं। उदाहरण के लिए बताए गए एक नुस्खे में 250 ग्राम कटे हुए आलू के साथ मात्र आधे या एक चम्मच तेल इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। पहले से पांच मिनट तक 180 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर गर्म फ्रायर के बास्केट में कटे आलू को 15 मिनट तक पकने के लिए छोड़ दिया जाता है। जैसे ही इसके बास्केट में आलू डालकर इसे वापस अंदर की ओर सरकाया जाता है, वैसे ही इसमें एक खास आवाज के साथ आलू के पकने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यह कंपनी द्वारा पेटेंट करवाए गए तकनीक रैपिड एअर टेक्नोलाॅजी के आधार पर काम करता है। जिसमें गर्म हवा ऊपर से उत्सर्जित होकर खाना पकाने के लिए डिवाइस के भीतर सामान रूप से वितरित हो जाती है। उसमें 200 डिग्री संेटीग्रड से भी अधिक तापमान तक हवा का प्रवाह बना रहता है और आहार को कुरकरा बना देता है। 10 मिनट के बाद दिए गए निर्देशों के अनुसार आलू की जांच की जाती हो, जो सुनहले भूरे रंग का जाता है। इसके बाद अगले पांच मिनट तक अच्छी तरह से कुरकुरे होने के लिए छोड़ा दिया जाता है। हैरत तो इसे देखकर तब होती है जब इस तरह से पके आलू में जरा भी चिपचिपापन नहीं रहता है। यहां तक कि इसमें समोसे, तवा पर पकाई जाने वाली सब्जियां, चिकन, कचैरियां, केक, पेस्ट्री आदि के परिक्षण किए जा चुके हैं। समोसे और कचैरियां अच्छी तरह से पकी होती है, लेकिन दूसरे तरह के व्यंजन कोफ्ता आदि को अच्छी तरह पकने में थोड़ा ज्यादा समय लगता है। यानि कि एअर फ्रायर पहले से घर में रखे ओवन, टोस्टर-ग्रिलर या ओटीजी से कहीं ज्यादा आश्यर्चजनक रूप में काम करता है, क्योंकि यह दूसरे ओटीजी की तुलना में उच्च तापमान को अच्छी तरह नियंत्रित करने में सक्षम है। इसे इस्तेमाल करने वालों का कहना है कि यह दूसरे तरह के फ्रायर की तरह ही डीप फ्राय करता है, लेकिन उनसे कहीं ज्यादा स्वास्थता के साथ। इसके अतिरिक्त यह दोषरहित व्यंजन पकाने की सहुलियत देता है। इसमें खाना पकाने संबंधी भूल नहीं के बराबर होती है और भोजन भी स्वादिष्ट होता है। फिलिप्स के द्वारा वर्ष 2010 में इजाद किए गए एअर फ्रायर को उस साल सितंबर माह में लंदन फायर ब्रिगेड के कमिशनर राॅन डोबसन ने लांच करते हुए हर्ष व्यक्त किया था कि इस उपकरण से पैन में खान पकाते वक्त आग लग जैसी दुर्घटना नहीं होगी।
कैसे-कैसे एअर फ्रायर
फिलिप्पिनस, थाइलैंड, चाइना और इंडोनेशिया में व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल मंे आने वाला एअर फ्रायर अब भारतीय किचन के गजेट्स बाजार में भी करीब 8000 से 15,000 रुपये तक की कीमतों में उपलब्ध है। इसके कई कंपनियों के ब्रांड विभिन्न आकार में मिलते हैं। अपनी जरूरत के मुताबिक शोरूम के अतिरिक्त आॅनलाईन शाॅपिंग साइटों से भी उसकी खरीदारी की जा सकती है। इनकी कीमत फ्रायर में बने फूड बास्केट की क्षमता और इसमें इस्तेमाल किए गए अपने असाधारण तकनीक पर निर्भर करता है। फिलिप्स के अलावा हवेल्स, केनस्टार, राॅक्सी, ओस्टर और ग्लीन ने हाल में ही अपने-अपने एअर फ्रायर उतारे हैं। इनमें फर्क को कुछ इस तरह समझा जा सकता हैः-
हैवेल्स एअर फ्रायरः इस कंपनी के फ्रायर में लगे दो या चार लीटर की क्षमता वाले अल्यूमिनियम नाॅनस्टिक के फूड बास्केट टाइमर के अनुसार अॅाटोमेटिक सरकने वाले हैं। साथ ही 60 मिनट तक समय नियंत्रित करने के उपकरण लगाए गए हैं।
केनस्टार का आॅक्सी फ्रायरः इसमें गर्म हवाओं का तेज प्रवाह तीन लीटर के फूड बास्केट में बड़ी आसानी से फैलता है तथा 30 मिनट के टाइमर के जरिए उपकरण को आॅटोमेटिक नियंत्रित करने की क्षमता है। सबसे कम कीमत के इस एअर फ्रायर में 80 से 200 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।
ओस्टर का हलो फ्रायरः इस कंपनी के एअर फ्रायर का दावा है कि इसमें 99.5 प्रतिशत कम तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है, क्योंकि इसमें दोहरे कुकिंग की प्रक्रिया होती है और इसमें हेलोजन तत्व का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही यह आॅटोमेटिक थर्मोस्टार्ट नियंत्रण पर संचालित होता है। इसकी कीमत करीब 14 हजार रुपये है।
ग्लीन एअर फ्रायरः इस फ्रायर में भोजन के पकाने की अधिकतम क्षमता 800 ग्राम है। इंटीग्रटेड एअर फिल्टर के साथ कुल छह टाइम सेटिंग किए जाने वाले 60 मिनट के टाइमर और सरकाए जाने वाले नाॅन स्टिक बास्केट लगे हैं।
कैसे काम करता है एअर फ्रायर
बड़े से पानी के जग या राईस कूकर के आकार जैसा दिखने वाला एअर फ्रायर दो भागों में बंटा होता है। इसके ऊपरी हिस्सा में मशीन लगी होती है, जिसमें ग्रिल और फैन लगे होते हंै तथा यह रैपिड एअर टेक्नोलाॅजी के सिद्धांत पर कार्य करता है। निचले हिस्से में बने बास्केट को सरकाकर बाहर निकाला और अंदर लगाया जा सकता है। इसमें भोजन गर्म हवाओं के चारो ओर घूमने और ग्रील के गर्म होने से पकता है। मशीन के भीतर ऊपर से उत्सार्जित होने वाली गर्म हवा अंदर बहुत तेजी से फैलती है और बास्केट में रखे कच्चे आहार, जैसे चिप्स, चिकन, मछली या पेस्ट्री आदि के चारो ओर फैलकर उसे अच्छी तरह भून देती है। इस उपलब्धि को वैज्ञानिक मेलर्ड इफेक्ट बताते हैं, जिससे भोजन को भूनने, तलने, भूरा बनाने, कुरकुरा करने, सेेंकने या पकाने की प्रक्रिया होती है। जरूरत के अनुसार गर्म हवा के तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।
यह गर्म होने में तीन मिनट का समय लेता है और इसका अधिकतम तापमान 200 डिग्री सेंटीग्रड तक गर्म हो सकता है। इसक निचले हिस्से में बने फूड बास्केट में 700 ग्राम तक पकाने की सामग्री रखी जा सकती है, जो चार लोगों के लिए पर्याप्त होती है। इसमें लगे आॅटोमेटिक टाइमर से भोजन को 30 मिनट तक पकाना संभव हो पाता है। हालांकि इसमें ताजा कटा हुआ चिप्स या फ्रोजेन चिकन के टुकड़े को पकने में नौ मिनट तक का समय ही लग सकता है। कंपनी के दावे के अनुसार करीब 12 मिनट बाद भोजन काफी कुरकुरा बन जाता है। इतने समय में कटा हुआ आलू का चिप्स या कचैरी एक या आधे चम्मच तेल में काफी भूरा और खास्ता बन जाता है। और तो और, चिकन लेग हो या फिर अधिक तेल में पकने वाला समोसा, उसकी कैलोरी और वासा में काफी कमी आ जाती है। ओवन के लिए तैयार किए गए फ्रैंच फ्राइज को या मात्र नौ मिनट में ही पका देता है। स्टीक, हेमबर्गर, फ्रोजन या सामान्य चिकन के टुकड़े को भी समान समय में पकाया जा सकता है।
यहां तक कि वैसे बच्चे भी इसमें केक बनना सीख सकते हैं, जिनके अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे हों। इसमें 25 मिनट का समय लग सकता है। वैसे यह चिप्स बनाने के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है, जिसमें छिपे भारी मात्रा में वसा को कम किया जा सकता है। साथ ही यह उनके लिए बहुत ही उपयोगी माना जाता है जो अपने वजन या बिगड़े फीगर की वजह से मनपसंद आहार का आनंद नहीं उठा पाते हैं। गैस स्टोव के आग की लौ से भय खाने वाले गृहणी हो या फिर खाना पकाना सीखने वाले किशोर वे परंपारगत तवे या कड़ाही की जगह इसके इस्तेमाल में काफी सहुलियत महसूस कर सकते हैं। पारंपरिक तरीके से खाना पकाते समय आग से जलने की छोटी-मोटी घटनाएं आम बात हैं, तो यह मौत का कारण भी बन जाती है। यही कारण है कि इसे कई मायनो में एक दोषरहित खाना पकाने का उपकरण माना गया है।
प्रस्तुतिः शंभु सुमन
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