“ कानून का मस्त प्यार “
वो अब उदास हो चले,
बैंक लुट गयी ,लुट गयी अमीरी
खुल गया काले धन का पिटारा आ गयी फकीरी
पकड़ गयी चोरी, अब करेंगे सीना-जोरी |
चल गया यदि कानून का मोटा डंडा
तब देंगे दुहाई ,
माफ़ कर दो साहब हमारे भी हैं छोरा -छोरी |
कौन सुनायेगा उनको लोरी ?
भरी जवानी में मर जाएगी हमारी गोरी |
जादा बोल रहा हूँ साहब! तो आई ऍम सॉरी !
मैं हूँ नर उसका , वो है ! मेरी नारी
हमको छोड़ो या पकड़ो ! रहेगा ये जारी
आपकी लड़की खड़ी है पीछे ,लग रही हमे बहुत प्यारी !
बहू बना के ख़तम कर देंगे इसकी सारी बेरोजगारी,
जब बनेंगी मिसिज मल्होत्रा !! और कहेंगे सब पूरी है तैयारी
सटाक से डालो हथकड़ी अब हमारे लौंडे की है बारी
पता बताओ ! बस कहाँ हैं मिस्टर कानून तिवारी ??
ली चुटकी अब क़ानून ने मुस्कुरा के बोला वो -
कहूँगा मैं - मल्होत्रा के गालों को प्यार से पूछो ! कि काले पानी के बाद
तिहाड़ जेल की है अब बारी
इकट्ठे आ जाओ सारे ! पकड़ के बंद करूँ जल्दी अपनी पिटारी ,
अंधेरे से कर लो दोस्ती और सलाखों से यारी!!
अब जाने ! ! कौन हैं वो तिवारी !!!!!! जो सब पर हैं भारी ||
चलाते हैं कानून का डंडा लोग बोलते आह ! ख़तम हो गयी मेरी पारी ||
कैसी ये मेरी किस्मत मारी || हो गयी मेरी पारी ||
कैसी ये मेरी किस्मत मारी !!
कैसी ये मेरी किस्मत मारी !!
“ शैतान की याद “
देख उसे मेरी चीख निकल गयी ,
कारन पूछा तो पता चला कि रामू की भैंस मर गयी |
रोता - रोता वो आया ढून्ढ रहा था सावन की बदली में अपना साया
जैसे मैंने उसके आँसू
पोछे, फ़ौरन सूरज चाचा आकाश में तमतमाया |
यह देख मैं थोड़ा चौंका |
कुत्ता भी मुझ पर भौंका |
बीवी ने लगाया चौके में जोरदार हल्दी का छौंका
समझा मैं मिला है ये वक़्त की तरफ से मौका
फ़ौरन मैंने अपना हाथ झट से हटाया ,
और मैं सकपकाया , बदली में अचानक आ गया धूप का गहरा साया,
अँधेरे को झट उसने हटाया |
मिल गयी मुझे अब दस्तक ,
सूर्य नहीं है अब अस्तक ,
शंका करना बेकार है तब तक|
चलो समझ गए जरूर दाल में कुछ काला है ये
रामू नहीं रामू का साला है |
काला कलूटा चेहरा उसका, गले में शैतान की माला है ;
जिसके डरता गाँव का हर ग्वाला है |
हर भैंस को उसी ने चारा खिला- खिला के पाला है |||
हाँ ! याद आ गया उसी के घर के पास तो बजबजाता हुआ गन्दा मशहूर नाला है ||
“पक्षी बना जनसेवक”
पहन पैजामा चाचू पहुंचे लखनऊ की धरमसाला ,
देख वहां लटका है ताला,
पूछ बैठे अरे ओ!! खाला रख नीचे दारु का प्याला ,
पहले बता मुझे कौन है साला
जो मचा रहा है चारों तरफ शोर,
नहीं समझ आता जाना है मुझे किस ओर ;
वो बोली चुप रह तू है मुहं जोर , समझ रहा है तू अपने को फड्फडाती पतंग
तो मैं भी हूँ मांझा चोर ,
हट दो कदम पीछे न मार जादा हिलोर ,
गोबर से पैर हटा ,कर अपने को सिक्योर
घबरा के चाचू ने किया सेल्फक्योर तभी
कुत्ते ने दांत गड़ाए जोर ,
देख ये सीन पीपल पर बैठी चकवा बोला –
वन्स मोर वन्स मोर||||
तिनमिना उठे चाचू !!! बोले बदनीयत मानव आलोचक !!
जानता नहीं मैं कवि हूँ जहाँ जिसे चाहूं जब चाहूं पकड़ के
अपनी पंक्तियों के पिंजरे में झट से बंद कर देता हूँ ,
फेंक तिलिस्म अपने भावों का उनमें ;
लोगों को खुश कर देता हूँ ,
गुस्सा दिला के पाप न कर ;
तेरी प्रजितियों के पीछे पड़ जाऊंगा ||||
ब्लैक में टिकेट भी सबको दिलवाऊंगा ,
और तेरे चिड़ियाघर में ही कविता बांच - बांच, तेरा उपहास उड़ाऊंगा ! !
चकवा बोला - वाह - वाह मिलने पर फुर्र से उड़कर मैं ही तेरे सर पर
प्यारी - प्यारी -सफेदी की सौगातें दे जाऊंगा |||
मैं ठहरा छोटा पक्षी !! बन के मज़ाक भी मानवता के काम आऊंगा !!
देकर सफेदी तेरे काले मन को उजला कर जाऊंगा |
दूर तलक अंतर मन में झांकना एक दिन मैं ही प्रेरणा बन
भूले कर्तव्य पथ दिखलाऊंगा , और जन जन की आवाज़ बन जाऊंगा !! !!!!
रोना छोड़ मानव नसल का, पक्षी नसल का झंडा फहराऊंगा |
जनम दिया जिस खुदा ने जाने से पहले उसके काम तो आऊंगा |||
मैं ठहरा पक्षी आखिर पक्षी ही कहलाऊंगा ||
देकर खुशियाँ सबको बस मैं खुश हो जाऊंगा ||
मैं पक्षी हूँ आखिर!! पक्षी ही तो कहलाऊंगा !!!!!!
“
दिल बड़ा समझदार है “
बिल्ली ने कुत्ते पर किया म्याऊँ
बोली तू ही बता मैं अब कहाँ जाऊँ?
छीनी है मेरी कटोरी दूध की किसने ??
सोच इसे मैं घबराऊँ?
करती है तू हमेशा माउं – माउं
जल्दी से बता ! मैं भी तो अपनी रोटी खाऊँ
रोज मेरे खाने में कोई चुपके से मुहं मार देता है
मैं पगली !! मेरा मन पगला !
समझ मीठा उसे सूट् से सुड़ुक लेता है
सुबह वो अपना रंग दिखाता है
जब पाखाने के साथ मेरा टॉवेल भी गीला हो जाता है |
मेरा मन क्या पूरा टट्टीघर भी पीला हो जाता है |||
वो बोला - तेरा टाइम तो हुआ ख़तम , मेरा भी वक़्त पास हो जाता है !
तेरी बातों से बासी रोटी भी पेट पचा लेता है |
कोई बात नहीं सबका महीने में एक ही दिन तो खराब आता है!!
चाहे सामने गधा हो या बिल्ली सबको ये बाप बना लेता है |
बोली वह -चुप कर प्यारे!! भरे पेट में मौसी को भी बाप बना देता है !!
खाली पेट में आ गईं तुम ! तो मौसी से माँ भी बना देता है !
सेंटी होकर बोल पड़ा वो -
जितना तड़पता है ये भूख से
उतना ही सामनेवाले को दिल से करीबी बना लेता है ,
दिल तो आखिर दिल है ! पल में ख़ुश हो ,
पल में रो के दुखड़ा धीरे से चुप हो जाता है |
दिल तो आखिर दिल है !! कुत्ता हो या बिल्ली,
हो कोई इंसान सबको ये भाता है |
हो प्यार या नफरत दोनों तरफ की तकरार में दिल ही पहले आता है ,
नजाकत से संभाल के रक्खों यारों इसे !
मत सहना चोट पर गहरी चोट ;
अक्सर नासूर बन के जब ये फटता है तो
जिंदा दिल भी मुर्दा दिल बन जाता है
दिल तो आखिर दिल है ! पल में ख़ुश हो पल में रो के दुखड़ा,
धीरे से चुप हो जाता है |
जीना है ज़िन्दगी ! फंडा फिर ये अपनाना पड़ता है |
ज़िन्दगी मिली है यारों ज़िन्दगी को राह दिखाना पड़ता है |
शैतान हों या इंसान सबको गले लगाना पड़ता है, दिल में उतरता वही जो इंसानियत का दम भरता है
मुसीबतों का पानी कम करता है ! !!