गाँव के एक छोटे से कस्बे में रहते थे लल्लन जी। उनका नाम ही उनकी कहानी बयान करता था - "लल्लन", यानी जो कुछ भी नया, अलग, और अजीब करना हो, वो वही करते थे। गाँव में सब उन्हें "मिस्त्री लल्लन" के नाम से जानते थे, क्योंकि वे हमेशा किसी न किसी काम में लगे रहते थे, लेकिन कामों को खत्म करने की उनकी कोई आदत नहीं थी। कभी गाय बेचते, कभी साइकिल रिपेयर करते, कभी तालाब में मछलियाँ पकड़ते, तो कभी खेतों में काम करते।
एक दिन लल्लन जी ने सोचा, "गाँव में सब मुझे सीरियसली नहीं लेते। क्यों न मैं शहर जाकर कोई बड़ी नौकरी कर लूं?" गाँव के लोग हमेशा मजाक उड़ाते थे, "लल्लन जी, तुम कभी कोई काम पूरा कर नहीं सकते, शहर में जाकर क्या करोगे?" लेकिन लल्लन जी ने ठान लिया था, "अब कुछ बड़ा करना है!"
लल्लन जी ने अपना बोरिया-बिस्तर बांधा और सस्ते से कपड़े पहनकर, बड़ी उम्मीदों के साथ शहर का रुख किया। शहर में पहुँचने पर उन्होंने एक बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन किया। कंपनी का नाम था "वर्ल्ड कुत्ता केयर प्राइवेट लिमिटेड", और लल्लन जी को काम मिला था बॉस के पालतू कुत्ते "रोमी" की देखभाल करने का। उन्होंने सोचा, "अरे, यह तो बहुत आसान काम है! बस कुत्ते को खाना खिलाना और घुमाना है, इससे आसान क्या होगा?"
पहला दिन:
लल्लन जी ने बड़े जोश में आकर अगले दिन काम पर जाना शुरू किया। बॉस ने कहा, "लल्लन जी, रोमी को पार्क में घुमाकर लाओ, और शाम को उसे डिनर दे देना।" लल्लन जी खुश होकर पार्क में पहुँचे। जैसे ही रोमी ने अपनी आँखें घुमाई, वह भाग खड़ा हुआ। लल्लन जी चिल्लाते हुए दौड़े, "रोमी बाबू, रुको! मैं नया हूँ, मत भगाओ!" लेकिन रोमी तो जैसे खुद को ही भूल चुका था। वह हर तरफ दौड़ने लगा, और लल्लन जी पीछे-पीछे दौड़ते हुए, "आओ! रुक जाओ!" चिल्लाते रहे। इतने में रोमी ने एक बगीचे में कूदकर एक योग गुरु के सिर पर छलांग मारी। योग गुरु ने गुस्से में कहा, "किसका कुत्ता है ये? क्या यह कुत्ता योग कर सकता है?"
लल्लन जी ने डरते हुए कहा, "साहब, ये मेरा नहीं, बॉस का है!" योग गुरु ने कहा, "तो इसे योग सिखाने लाओ, नहीं तो मैं बॉस को शिकायत करूंगा।"
दूसरा दिन:
अब लल्लन जी ने ठान लिया कि रोमी को योग सिखाना है। सुबह-सुबह लल्लन जी ने सोचा कि रोमी को "सूर्य नमस्कार" करवाना चाहिए। उन्होंने सोचा, "अब जब तक कुत्ता योग न सीख ले, मैं चैन से बैठ नहीं सकता।" जैसे ही रोमी ने हाथ उठाया, पास खड़े दूसरे कुत्तों ने उसे घेर लिया। पूरा पार्क "भौं-भौं" से गूंज उठा। लोग इकट्ठा होकर तमाशा देखने लगे। लल्लन जी एक हाथ में रोमी का पट्टा पकड़े हुए उसे समझाने की कोशिश कर रहे थे, "रोमी बाबू, ये देखो, ये योग का सही तरीका है!" लेकिन रोमी तो जैसे किसी गुमराह विद्यार्थी की तरह एक के बाद एक गलत आसन करता गया। लोग हँसी रोकने की कोशिश कर रहे थे, और लल्लन जी को लगने लगा कि शायद उन्हें कुत्तों का योग शिक्षक ही बनना चाहिए।
तीसरा दिन:
अब लल्लन जी ने सोचा कि क्यों न घर में ही कुछ आराम से किया जाए। उन्होंने रोमी को चिकन का सूप पिलाने की कोशिश की। लेकिन रोमी ने सूप नहीं पिया, बल्कि लल्लन जी के ऊपर गिरा दिया। लल्लन जी परेशान हो गए और बड़बड़ाते हुए बोले, "साहब, कुत्ता तो खुद खाना नहीं खाता, और मुझे ही डूबो दिया!" तभी बॉस आकर लल्लन जी से बोले, "क्या कर रहे हो, लल्लन?"
लल्लन जी ने सिर झुका लिया और बोले, "साहब, सूप पिला रहा था, ये तो फैशन में सूप पहनने लगा!"
चौथा दिन:
इस बार लल्लन जी को पार्टी में जाना था। बॉस ने कहा, "लल्लन, इस बार एक खास पार्टी है, तुम रोमी को संभालना!" लल्लन जी ने सोचा, "अब तक तो केवल पार्क में ही परेशानी हुई, आज तो मुझे रोमी को लेकर किसी अच्छे काम में डालना है।" लेकिन जैसे ही पार्टी शुरू हुई, रोमी ने चिकन के टुकड़े का पीछा करना शुरू किया। मेहमान इधर-उधर दौड़ने लगे और रोमी चिकन के टुकड़े को लेकर हर किसी के पीछे दौड़ने लगा। पूरा हॉल "भौं-भौं" और "बचाओ-बचाओ!" की आवाज़ों से गूंज उठा।
लल्लन जी परेशान हो गए और चिल्लाते हुए बोले, "रोमी बाबू, इज़्ज़त का सवाल है, रुको!" लेकिन रोमी तो बस भागता ही चला गया। मेहमानों ने शिकायत करना शुरू कर दिया, "कुत्ता पागल हो गया है!" और एक शख्स ने तो बोला, "ये क्या तरीका है, कुत्तों को पार्टी में बुलाते हो?"
ऐसे ही कुछ दिन बीत ने के बाद लल्लन परेशान होकर, बॉस से कहा, "साहब, मैं इस नौकरी को छोड़ रहा हूँ। ये कुत्तों के साथ काम करना मेरे बस की बात नहीं।" बॉस ने लल्लन जी को देखा और हँसते हुए कहा, "लल्लन जी, तुमने बहुत मेहनत की है, तुम्हारे प्रयासों की सराहना करते हैं। यही वजह है कि तुम्हें बोनस मिल रहा है!"
लल्लन जी ने बोनस लिया और गाँव लौट आए। अब गाँव में उन्होंने "कुत्ता ट्रेनिंग सेंटर" खोला और मजे से जिंदगी बिताने लगे। वो कुत्तों को योग, डांस, और मजेदार ट्रिक्स सिखाने लगे। गाँव के लोग उनके नए कारनामों को देखकर हैरान थे। अब लल्लन जी के पास काम था, और सबसे बड़ी बात यह थी कि उन्होंने वही काम किया, जो उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था।
हर काम में मस्ती और मेहनत का तालमेल ज़रूरी है। अगर लल्लन जी जैसा नजरिया हो, तो जिंदगी में हंसी-खुशी बनी रहती है!