Jununiyat si Ishq - 3 in Hindi Love Stories by Miss Sundarta books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 3

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 3

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

सात्विक उनके जाने के बाद.....रूम का डोर लॉक कर.....बेड पर मुंह के बल लेटे हुए.....
आंखों में बेहद जुनूनी भाव लिए खुद से कहते है:तुम्हे तो अब मेरा होना है.....मेरे पास आना है.....अब मेरा सब्र खत्म हो रहा है.....जी कर रहा है.....अभी तुम्हारे पास आ कर तुम्हे अपने सीने से लगा लू.....थोड़ा इंतजार करो.....जल्द तुम्हे खुद से बांधने आऊंगा.....!!इतना कह वो अपनी आँखें बंद कर लेते है.....और नींद उन्हें अपनी आगोश में ले लेती है.....

अगली सुबह...!!

द्रक्षता के घर...!!

द्रक्षता रोज की तरह उठ कर पूजा कर.....नाश्ता बना.....आज वोह कॉलेज जाने वाली थी.....इस बात से पूरी तरह अंजान की.....उसकी जिंदगी में कितना बड़ा तूफान उसका इंतेज़ार कर रहा है.....
सभी के साथ नाश्ता कर वो कॉलेज के लिए निकल जाती है.....द्रक्षता बी ए होनॉर्स के लास्ट ईयर की स्टूडेंट थी.....जिसके एग्जाम्स कुछ महीनों बाद होने वाले थे.....जिसे कंप्लीट करने के बाद उसकी ग्रेजुएशन पूरी हो जाती.....
कॉलेज जो उसके घर से काफी दूर था.....इसके लिए वो अपनी स्कूटी से जाती थी.....कॉलेज पहुंची तो बाहर ही उसकी सबसे करीबी दोस्त रितिशा खड़ी थी.....जिसे उनसे पहले ही मैसेज करके बता दिया था.....की वोह आज कॉलेज आयेगी.....तो वो उसका बाहर ही इंतजार कर रही थी.....
रितिशा उसे देख खुश होते हुए.....
उसके पास आते हुए कहती है:क्या यार.....तू भी ना....एक दिन आती है.....एक दिन नहीं आती.....अब तो ग्रेजुएशन भी कंप्लीट होने वाला है.....तू जानती है ना.....तूं नहीं आती.....तो मैं अकेले लेक्चर में बोर हो जाती हूं.....!!
द्रक्षता उसे देखते हुए:तू तो जानती है ना.....मैं क्यों एब्सेंट करती हु.....अगर मां की हेल्प नहीं करूंगी.....तो वो अकेले कितन काम करेंगी.....!!
रितिशा:अच्छा ठीक है.....अब चल.....ऑलरेडी लेट हो चुके है.....
फिर वो दोनों क्लास में चले जाते है.....वो आपस में बात कर ही रहे थे.....की उन्हीं के एज का एक लड़का आकर हेलो बोलता है.....
रितिशा:क्यों.....आज बहुत जल्दी चले आए तुम.....कार्तिक.....!!
कार्तिक उन्हें देखते हुए:नहीं.....आज ट्रैफिक बहुत था रास्ते में.....इसलिए ले हो गया.....!!
फिर द्रक्षता को देख:मैंने कल तुम्हे कितनी बार फोन किया.....तुमने पिक क्यों नहीं किया.....!!
द्रक्षता हैरानी से:क्या सच में.....!!अपना फोन चेक करती हैं.....ओह.....सॉरी क्या तुम्हे कोई जरूरी काम था.....!!
कार्तिक:नहीं मुझे बस असाइनमेंट्स चाहिए थे.....तुमने कॉल नहीं उठाया तो लगा कोई प्रॉब्लम आ गई है तुम्हे.....!!
द्रक्षता:वो मेरा फोन साइलेंट रहता है.....इसलिए पता नहीं चला.....आगे से ध्यान रखूंगी.....!!
कार्तिक.....रितिशा.....द्रक्षता.....तीनों का ग्रुप था.....तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे.....
कार्तिक.....द्रक्षता को सीक्रेटली लाइक करता था.....लेकिन आज तक बता नहीं पाया.....क्योंकि उसे लगता है.....प्यार के चक्कर में वो उसे अपनी दोस्ती भी न खो दे.....लेकिन उसने डिसाइड किया था.....की वोह कॉलेज एंड होने से पहले बता देगा.....और ये उससे हो नहीं पा रहा था.....
तभी प्रोफेसर आ जाते है.....सभी को गुड मॉर्निंग विश करते है.....और लेक्चर लेना स्टार्ट कर देते है.....
उनका लेक्चर खत्म होने के बाद.....एक लेक्चर ऑफ था.....तो वो तीनों कैंटीन में जाकर.....एग्जाम के डिस्कशन करने लग जाते है.....
तभी वहां कुछ लड़कियों का ग्रुप आ जाता है.....उन्हें देख कर कोई भी कह सकता था.....यह सब अमीर बाप की बिगड़ी ही औलाद है.....सबको परेशान कर उनको खुशी मिलती है.....
वो सब अपने जूनियर्स के ऊपर बकवास कमेंट पास करने लग जाते हैं.....और उनके पास जाकर बद्तमीजी करने लग जाते है.....जूनियर्स डर के कारण कुछ कर भी नहीं पा रहे थे.....क्योंकि वो अगर उन सब की कंप्लेंट करते है.....तो कोई उनकी बात नहीं सुनेगा.....
रितिशा उनके देख कर अजीब सा चेहरा बनाते हुए:यार.....यह सब फिर आ गए.....!!
द्रक्षता:चलो.....अब मुझे यहां नहीं रहना.....!!
वो तीनों उठ कर वहां से जाने लगते है.....तभी उन नवाबजादियों में से एक जो उनकी हेड लग रही थी.....
वो उन्हें जाते देख टोकते हुए:अरे.....अरे.....तुम लोग कहां जा रहे हो.....हमने तुम सब को तो कुछ नहीं बोला.....!!
रितिशा उसे घूरते हुए बोली:देखो.....हमारे पास तुम्हारे जैसे फालतू लोगों के लिए टाइम नहीं है.....तो चुप चाप अपना रास्ता नापो.....और आगे से  हमे टोकना मत.....!!
यह बोल वो जाने लगती है.....
यह बात इस लड़की को अभी हजम नहीं हो पा रही थी.....
की उसकी चमची ने उसके कान भरते हुए कहा:शिल्पा.....वो तुम्हे फालतू बोल कर जा रही है.....क्या तुम सच में अपने आप को फालतू मानती हो.....!!
उसके यह बोलते ही शिल्पा गुस्से से उसे घूरती है.....जिससे वह चुप हो जाती है.....
फिर शिल्पा उन्हें देखती है.....जो अब तक वहां से जा चुके थे.....
वो अपने आप से बड़बड़ाते हुए:आज तुम लोगों ने जो मेरी बेइज्जती की है ना.....उसका बदला तो मैं लेकर रहूंगी.....वो भी आज ही.....!! 
वोह बस गुस्से का घुट पी कर रह जाती है.....और वहां से चली जाती है.....
वो तीनों कैंटीन से बाहर आकर अपने नेक्स्ट लेक्चर के लिए चली जाती है.....ओर सारे लेक्चर्स कंप्लीट होने बाद जब.....वो तीनों पार्किंग एरिया में आ कर.....द्रक्षता के स्कूटी के पास जाते है.....तो स्कूटी पंक्चर पड़ी हुई थी.....जिसे देख द्रक्षता घबरा जाती है.....क्योंकि उसे अब होटल जाना था.....और उसके पास ज्यादा समय नहीं बचा था.....
वो परेशान होकर बोली:यह कैसे हुआ.....सुबह तो बिल्कुल ठीक था.....अभी अचानक से ऐसे कैसे हो सकता है.....जरूर जरूर ये सब उस शिल्पा ने किया होगा.....!!
उसके इतना बोलते ही पीछे से शिल्पा के हंसने की आवाज आई.....तो तीनों की नजर उसके तरफ चली गई.....जहां शिल्पा अपने चमचियों के साथ खड़ी थी.....
शिल्पा उनके पास आकर हस्ते हुए व्यंग्यपूर्ण रूप से बोली:च च च.....क्यों.....अब क्या हुआ.....स्कूटी पंक्चर हो गई.....वैसे भी कितनी खटारा हो गई है.....दूसरी ले लो.....मैने तो सिर्फ तुम्हारी मदद की है.....!!
रितिशा गुस्से से उसके पास जाने लगती है.....तभी द्रक्षता उसका हाथ पकड़ उसे शांत रहने का इशारा करती है.....
द्रक्षता शिल्पा को घूरते हुए:मैं अभी शांत हु.....तो मेरे सब्र का इम्तहान ले रही हो.....जिस दिन मेरा सब्र टूटा.....मेरे गुस्से को बर्दाश्त करना भी तुम्हारे लिए मुश्किल होगा.....मैं जल्दी किसी को कुछ नहीं बोलती.....लेकिन जब बोलती हु.....तो कोई सुनने की हालत में नहीं रहता.....समझी.....आगे से ऐसी बचकानी हरकत करने से पहले कई बार सोच लेना.....!!
रितिशा गुस्से से:अरे मैं तो कहती हु.....इन लोगों को इनके अकल ठिकान लगाना ही पड़ेगा.....यह सब बहुत ज्यादा हवा में उड़ती हैं.....जब ऊंचाई से सीधा जमीन पर आकर गिरेगी.....तब पता चलेगा.....गिरने का मजा क्या होता हैं.....!!
द्रक्षता:छोड़ों.....जाने दो.....कुछ ही दिन बचे है.....हमें यहां.....मै कोई तमाशा नहीं चाहती.....!!
कार्तिक जो उनती देर से चुप था.....
वो बोला:द्रक्षता.....सही कह रही हैं.....इन लोगों के मुंह मत लगो.....चलो.....स्कूटी को मेकैनिक पास दे आते है.....और द्रक्षता मैं आज तुम्हे ड्रॉप कर देता हु.....!!
द्रक्षता उसे परेशान ना करते हुए:नहीं.....कार्तिक इसकी कोई जरूरत नहीं है.....मैं मैनेज कर लूंगी.....!!
कार्तिक:नहीं.....तुम चलो मेरे साथ.....!!
द्रक्षता उसे इतना इनसिस्ट करते देख.....अब ज्यादा कुछ ना बोल पाई.....वो दोनों रितिशा को बाय बोल कर.....द्रक्षता के स्कूटी को मेकैनिक के पास दे आते है.....फिर वो दोनों कार्तिक के बाइक पर बैठ जाते है.....कार्तिक उसे खुद को पकड़ने को बोलता है.....तो यह द्रक्षता को काफी अजीब लगता है.....लेकिन वो उसे पकड़ लेती है.....
कुछ देर में जब वह हाइवे क्रॉस कर रहे थे.....तो उनके पीछे कुछ ब्लैक कार्स चलने लगती है.....जो हाई स्पीड में चल रहे थे.....थोड़ी ही देर में वो कार्स उन्हें ओवरटेक कर.....उन्हें पीछे छोड़ देती है.....उन्हीं में से एक कार जो सबसे एलिगेंट ओर महंगी थी.....
उसमें बैठा एक आदमी बड़ी ही गुस्से भरी नजरों से.....उन दोनों को देखे जा रहे थे.....ऐसा लग रहा था.....की वो उनको नजरों से ही भस्म कर देंगे.....
उसके साइड बैठा दीपक उसे इतने गुस्से में देख:सात्विक इतने गुस्से में क्यों हो.....अभी कुछ हुआ तो नहीं.....!!
सात्विक गुस्से से अपने असिस्टेंट राघव.....
जो कि पैसेंजर सीट पर बैठा था.....बोले:मैंने तुम्हे कल कुछ काम दिया था.....हुआ या नहीं.....!!
उसे इतना गुस्से में देख.....उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था.....की वो किस काम की बात कर रहे है.....
वो अपने पसीने को पौंछ कर.....अपने सारे हिम्मत को बटोरते हुए बोला:सर.....आप कौन से काम की बात कर रहे है.....मुझे समझ नहीं आ रहा.....
जिस पर सात्विक की आँखें और खतरनाक हो गई.....
वो गुस्से से गुर्राते हुए:क्या तुम्हे सच में नहीं पता.....मै किसकी बात कर रहा हु.....!!
तभी राघव के माइंड में क्लिक हुआ.....कि कल सात्विक ने.....उसे एक लड़की की इनफॉर्मेशन कलेक्ट करने को कहा था.....
यह बात याद आते ही वह बोला:यस सर.....मैने उनकी इनफॉर्मेशन कलेक्ट किया है.....पर ज्यादा कुछ नहीं पता चला.....जितने इनफॉर्मेशन मेरे पास हैं.....मैं वो आपको ऑफिस में देता हु.....!!
सात्विक बस उसे कुछ देर घूरते रहने.....के बाद अपने लैपटॉप में काम करने लगे.....तभी उनके आंखों के सामने द्रक्षता.....का किसी और के साथ बाइक पर जाना याद आ गया.....उनकी आंखें जो कुछ शांत हुई थी.....वो फिर भड़क उठी.....
वोह मन ही मन बोले:तुम किसी और के साथ.....कैसे इतने क्लोज हो सकती हो.....कल से मैं तुम्हारे लिए इतना बेचैन हूं.....ओर तुम किसी और के साथ घूम रही हो.....तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई.....इसकी सजा तो मैं तुम्हे दे कर रहूंगा.....!!

क्रमशः..!!