आकाश तकरीबन दस बजे घर में आया। तब तक सब डिनर कर चुके थे। आकाश ने सबसे अपनी मां के रूम में देखा तो वह भी सो चुकी थी। कुछ दिनों से वह बहुत व्यस्त था अपने काम में, जिस वजह से उनसे ठीक से बात भी नहीं कर पाया। उन्हें देखने के बाद आकाश ने काव्या के रूम का दरवाजा खोला, काव्या के रूम की लाइट्स बंध थी। काव्या भी सो चुकी थी यह सोच के आकाश ने दरवाज़ा बंध करना चाहा।
दरवाजा पूरी तरह से बांध हो, उससे पहले काव्या ने कहा, "काफी दिनों बाद घर आए हो, क्या बात है? टाइम मिल गया आखिर तुम्हे।"
"मुझे लगा तुम सो गई थी। और क्या काफी दिन? हा..? कल हिन्दी आया था सिर्फ। रोज ही घर ही आता हु। बस थोड़ा सा लेट हो जाता हु।" आकाश अंदर आया।
काव्य ने लाइट्स चालू करते हुए कहा, "में कितना भी रेस्ट करलू, दस बजे सो जाने वाली आदतें मेरी नहीं हो सकती। आई आम अ प्राउड गेमर ओल्सो। तो तुम कितने भी लेट आओ। यू आर ऑलवेज वेलकम्ड हियर।"
"आई नो, ओके। कल में श्रेया के घर पे था। शी वॉझन्ट फीलिंग गुड।" आकाश ने सहजता से कहा।
"पूरी रात?" काव्या ने उसे चिढ़ाते हुए पूछा।
"कंट्रोल यौर स्माइल। ईट्स नोट लाइक धात वॉट यू आर थिंकिंग। उसके पैर पे चोट लगी थी.."
"जल गई थी। चोट नहीं लगी थी।" काव्य ने उसे बेचने काटते हुए कहा।
"हाऊ डू यू नो?" आकाश उसके पास बेड पे आके बैठा।
"आई हैव माय आऊन बेइज एंड सोर्सेस।" काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा।
"वाओ। एंड यौर सोर्स इस द ‘बास्टर्ड राजशेखर’।"
"योर्स इस दानिश। सुधरेगा नई यह दानिश.." काव्याने दानिश पे गुस्सा होते हुए कहा।
आकाश ने काव्या के एक हाथ को सहजता से पकड़ा, बहुत हु खयाल से। "मेने तुझे अटैक के बारे में इस लिए नहीं बताया था बिकॉज तू ऑलरेडी परेशान थी उस वक्त।" आकाश ने काव्या के सिर पे हाथ घूमते हुए कहा। "आई नो.. वो टाइम कैसे निकाला है तूने। मुझसे बेहतर कौन जनता है तुझे। हम्म..? तुझे स्ट्रेस नहीं देना चाहता था, बस। तूने मुझे नहीं बताया उसका यह मतलब नहीं है कि में कुछ नहीं जनता। पूरी रात रात तेरा जगना, रोना सब पता है मुझे। तेरी सारी हरकते जनता हु में। मत ले इतनी टैंशन। अटलीस्ट हमारी तो मत ले। हम सब बस तुझे पहले कि तरह देखना चाहते है। और अब तो तू ठीक भी हो रही है। तो सिर्फ खुद पे ध्यान दे। यू नो आई लव यू थे मोस्ट।" आकाश की आंखो में आंसू थे। काव्य की आंखे भी नम थी।
"लायर... अक्की" काव्या ने उसके आंसू पोछे। " और.. में किसीको भी खोना नहीं चाहती। और प्यार.. वो तो..."
"जनता हु में तेरे सारे डर, और इसीलिए कह रहा हु.. डोंट बोधर योरसेल्फ।"
"ह्म्म।" काव्या ने कहा। दोनो की बातो ने एक दूसरे को भावुक कर दिया था। काव्या की आंखो से खुशी के आंसू बह रहे थे, उसके चेहरे की हसी यह साफ जाहिर कर रही थी।
"और तू उस राजशेखर के साथ क्या कर रही थी?" आकाश ने शिकायत से उसकी तरफ देखते हुए कहा। अचानक से उसकी मुस्कुराहट गायब हो गई।
"वह तो बस ऐसे ही.. मुझे लिफ्ट दे रहे थे। उम्मं... दानिश का कॉल आया तो, ड्राइवर को मेने जाने के लिए कहा था। मुझे थोड़ा अर्जेंटली जाना था ना... सो मेने उनकी हेल्प ले की। अच्छे दोस्त है तेरे, हेल्प कर भी दी।" काव्या ने आकाश से नजरे चुराते हुए कहा।
"रियली? यही वजह है?" आकाश ने उसे चिढ़ाते हुए कहा।
"एक मिनिट, तुम बात मत घुमाओ। कौन था वह आदमी? आदि ने आधी अधूरी बाते बताई थी।"
"उसने तुझे कब बता दिया?" आकाश ने पूछा।
"ही सेंट सम काइंड ऑफ लेटर। बुआ (आकाश की मां) के हाथ लगने वाले थे।" काव्य ने मुस्कुराया। "तेरे रूम में।ही रखा है। और लिखा था कमिश्नर मेरे पीछे पड़ा है।"
"व्हॉट?" आकाश ने चौंकते हुए कहा। चौंकते हुए कहा। "मुझे लगा था पुलिस उसके पीछे पड़ी है, किसी कैसे के चक्कर में। इडियट। लगता है भाई के ससुराल ढूंढने के दिन आ गए है।"
"कोई एक तो दे ही देंगे अंकल।" काव्या ने हंसते हुए कहा।
दोनो ही इस बात को लेके हसने लगे। आकाश को काफी दिनों बात इस तरह टैंशन के बिना हस्ते देख काव्या मन ही मन बहुत खुश थी।
"हाऊ इस श्रेया?" काव्य ने अचानक से पूछा।
उसके अचानक इस तरह पूछे गए सवाल से आकाश भी परेशान था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे, उससे पहले काव्या ने आकाश से दूसरा सवाल पूछा। "और क्या बाते की, पूरी रात? बाते ही की या..?"
उसके सवाल।सुन आकाश अपनी हसी छुपा नहीं पाया। "स्टॉप ईट। ज्यादा अपना शैतानी दिमाग मत लगा। कुछ भी नहीं हुआ, ठीक है।"
"कुछ तो हुआ है। वरना यह बड़ी सी स्माइल थोड़ी न देखने मिलती मुझे।" काव्य ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "और जो तू यह ब्लश कर रहा है.. हाय.. रो शुड बी हियर, राइट नाऊ। बहुत चिढ़ता वो तुझे।"
"उसे कुछ मत बताना। और श्रेया ने सिर्फ इतना बताया कि... जो कुछ भी हुआ था, वह मिसअंडरस्टैंडिंग्स थी। हमारे कुछ क्लासमेट्स ने की थी।"
आकाश की बात सुन काव्या की मुस्कुराहट गुस्से के भाव में बदल रही थी।
"चिल, आई विल डील विथ धेम। बहुत परेशान हुआ हु में।" आकाश ने उसके हाथ पकड़ते हुए कहा, "तू कुछ नहीं करेगी। प्रोमिस मि।"
"प्रोमिस।" काव्या इस बार आकाश के काम में दखल नहीं देना चाहती थी। "कुछ नहीं करूंगी में।"
दोनो चुपचाप बैठे थे। पर उनके बीच कोई अजीब अहसास नहीं था। दोनो ऐसी हालत से वाकीफ थे। एक दूसरे की चुप्पी को भी अच्छे से पहचानते थे। "क्या पूछना है?" आकाश ने सहजता से काव्या से पूछा।
काव्या ने हंसके कहा, "एक बात पूछनी थी।"
"यू डोंट नीड परमिशन।"
"थोड़ी सी पर्सनल है।" काव्य मुस्कुराहट में शैतानी साफ झलक रही थी।
आकाश ने उसकी तरफ चौंकते हुए देखा और कहा, "आज तक तूने कुछ पर्सनल जैसा रहने दिया है, हमारे बीच?"
काव्या मुस्कुराई। "तू.. और श्रेया.. आई मीन टू आस्क की.." आकाश समझ चुका था वो क्या पूछना चाहती है.. यह सिचके मन ही मन मुस्कुराया। "तुम दोनों क्या सोच रहे हो? आगे का। आई मीन, मुझे प्रमोशन मिलेगा या नहीं? और कितना मिलने वाला है?"
"तू शादी तक पहुंच गई मेरी?" आकाश ने पूछा।
"नहीं... में तो बच्चों तक पहुंच गई तेरे।" काव्या ने हंसके जवाब दिया।
"आई कांट कंपीट विथ यौर इमैजिनेशन।" आकाश ने उसको ताना देते हुए कहा।
"थैंक यू.." काव्या ने भी उसे चिढ़ाते हुए कहा।
"वैसे में और डैड सोच रहे है की इस पच्चीस को.."
काव्या अपनी बात पूरी करती, उससे पहले ही आकाश ने उसे बीच में रोकते हुए कहा, "दीवाली पार्टी। आई नो। अंकल ने मुझे बताया है। में मिस खन्ना को इनवाइट कर रहा हु।"
"नो।" काव्या के चेहरे के भाव अचानक गुस्से में बदल गए थे। "रोनित गुस्सा करेगा।"
"ही नीड्स टू मूव ऑन। सीधी सी बात है। और तू उसे संभालना बंध कर। ठीक है। नाऊ, तुझे भी अपने बारे में सोचना चाहिए। खुद को और चोट मत दे।"
आकाश इससे ज्यादा काव्या से बात नहीं करना चाहता था। क्योंकि वह इस वक्त काव्या को रुकना नहीं चाहता था इसीलिए वहा से सोने चला गया।
"खाना खा लेना।" काव्या ने उसे कहा।
"डिनर करके आया हु। गुड नाइट।" आकाश ने दरवाजे पे खड़े होके, उसकी तरफ देखा।
"गुड नाइट।" काव्या के बोलने के बाद आकाश दरवाजा बंद करके चला गया।
Continues in the next episode......
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