Nagendra - 9 in Hindi Fiction Stories by anita bashal books and stories PDF | नागेंद्र - भाग 9

Featured Books
Categories
Share

नागेंद्र - भाग 9

अवनी होटल से जल्दी चली गई थी क्योंकि आज बलराज सोलंकी उसके कुछ ज्यादा ही करीब आने की कोशिश कर रहा था। उसके कारण होटल महफिल इन के स्टाफ उन लोगों के बारे में बातें कर रहे थे। अवनी को होटल में काफी अनकंफरटेबल फुल हो रहा था लेकिन बाहर आकर वह और भी बड़ी मुसीबत में फंस गई थी।

वह भी ऑटो स्टैंड में खड़ी ही थी कि एक आवाज नहीं उसे एकदम से डरा। उसने पलट कर देखा तुझे से उसका डर सच बनाकर उसके सामने आकर खड़ा हो गया था। दिलावर सिंह कार के अंदर से उसे देख रहा था। अवनी कुछ सेकेंड के लिए अपनी जगह पर बर्फ की तरह जम गई। 

दिलावर सिंह अवनी को और परेशान करने के लिए कर का होर्न बजाया। होर्न की आवाज सुनकरअवनी अपने होश में आई और उसे समझ आया कि अगर वह यहां से नहीं गई तो वह सच में मुसीबत में पड़ जाएगी। उसने अपने आसपास देखा जहां पर लोग तो बहुत सारे थे लेकिन किसी को किसी की फिक्र नहीं थी। हर कोई अपने काम में लगा हुआ था और अपने-अपने रास्ते चुपचाप जा रहा था।

अवनी भी अपना चेहरा नीचे करके चुपचाप वहां से आगे जाने लगी। उसने अपने पर्स को कस कर पकड़ और आगे की तरफ जाने लगी। उसे पीछे से कर की आवाज आ रही थी और साथ में कुछ और भी आवाज आ रही थी।

" अरे अवनी रानी रुको ना कहां जाना चाहती हो बताओ मैं तुम्हें पहुंचा दुंगा। अरे अपने आसपास देखो कितना अच्छा मौसम है ऐसे में अकेले जाना ठीक नहीं है। तुम नहीं जानती आजकल लोग कितने बुरे हो गए हैं और कैसे-कैसे ख्याल पाल कर रखते हैं मन में।"

अवनी का दिल जोरो से धड़क रहा था और वह पीछे मुड़कर देखना भी नहीं चाहती। धीरे-धीरे वह अपनी तेजी बना रही थी और एक पल तो वह जोर-जोर से भागने लगी। लेकिन उसे महसूस हो रहा था कि कार भी तेजी से उसके पीछे आ रही हैं। वह अपने पीछे देख रही थी कि तभी सामने से किसी से टकरा गई।

" ओह शिट्।"

अवनी के मुंह से चीख निकल गई। लेकिन जब उसने सामने देखा तो उसकी टक्कर किसी और से नहीं नागेंद्र से हुई थी। आज पहली बार नागेंद्र को अपने सामने देखकर अवनी को बहुत ज्यादा खुशी हुई। वह पहले ही डरी हुई थी इस वजह से उसने नागेंद्र को कसकर गले लगा लिया। नागेंद्र अवनी को इस तरह से देखकर बहुत हैरान हो गया।

उसे पता था कि अवनी को यह सारी चीज बिल्कुल पसंद नहीं है। वह हमेशा उससे दो हाथ की दूरी रखती थी। उसे यह भी पता था कि अवनी हर छोटी-छोटी बातों से घबरा जाती थी। इन्हीं सबकी वजह से उसे समझने में देर नहीं लगी कि कुछ गड़बड़ है।

जिसे ही उसने सामने देखा उसे अवनी का घबराना समझ आ गया। दिलावर सिंह अपने साथ और तीन लड़कों को लेकर गाड़ी से नीचे उतर रहा था। दिलावर सिंह को अपने सामने देखकर नागेंद्र को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन वह अपने गुरु की बात को टाल नहीं सकता था। आज सवेरे ही तो उनके गुरु जी ने उसे कहा था कि नागेंद्र को गुस्सा नहीं करना है और किसी की जान तो बिल्कुल भी नहीं लेनी है।

" अबे तू यहां क्या कर रहा है?"

नागेंद्र का ध्यान दिलावर सिंह की आवाज से टुटा। नगेंद्र ने देखा कि दिलावर के साथ और तीन आदमी और एक लड़की कर के अंदर बैठी हुई है। उसे देखने से ही पता लग रहा था कि वह कोई कॉल गर्ल हैं जो इन सब के साथ कहीं जा रही थी। नागेंद्र इन लोगों के साथ झगड़ा नहीं करना चाहता था इसलिए उसने अवनी का हाथ पकड़ा और कहा।

" चलो हमें इन लोगों के मुंह नहीं लगा चाहिए।"

नागेंद्र अवनी का हाथ पकड़ कर आगे जाने लगा। अवनी इस वक्त बेहद लड़ाई हुई थी और उसके हाथ भी कांप रहे थे। अभी वह लोग चार कदम आगे पहुंचे ही थे कि नागेंद्र को लगा जैसे कि किसी ने उसको पीछे से धक्का दिया हो और वह पांच कदम आगे जाकर नीचे गया। उसने पीछे पलट कर देखा तो वहां दिलावर सिंह खड़ा था जिसने लात मार कर नागेंद्र को आगे धकेल दिया था।

इस वक्त नागेंद्र को इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका मन कर रहा था कि वह उसकी टांगे तोड़ दे लेकिन उसके हाथ इस वक्त बंदे हुए थे। अवनी नागेंद्र के पास जा रही थी लेकिन दिलावर से ने उसको हाथ पकड़ कर रोक दिया और कहा।

" अवनी रानी तुम इस डरपोक के साथ रहने की कोई जरूरत नहीं है। चलो मेरे साथ मैं तुम्हें ऐसे जन्नत की शेयर करूंगा कि तुम सोच भी नहीं सकती।"

" नहीं मुझे कहीं नहीं जाना।"

अभी नहीं डरते हुए अपना हाथ खींच लेकिन दिलावर ने उसका हाथ काफी कस कर पकड़ा हुआ था। नागेंद्र अपनी जगह से खड़ा होता उसके पहले ही दिलावर के साथ आए हुए वह तीनों आदमी उसके पास पहुंच गए थे और दिलावर सिंह ने उन तीनों को आंख मार कर इशारा किया। दिलावर का इशारा मिलते ही वह तीनों ही नागेंद्र को लात और घुसो से मारने लगे।

नागेंद्र को इस तरह से पीटते हुए नहीं देख सकते थे उसने वहां खड़े आसपास के लोगों को आवाज देकर मदद करने के लिए कहा। लेकिन हमेशा की तरह कोई उनकी मदद करने नहीं आ रहा था लेकिन हां कुछ लोग इन सब बातों को अपने फोन में रिकॉर्ड जरूर कर रहे थे।

" अवनी रानी तुम जानती हो कि लोग कभी किसी की मदद नहीं करते। अब यह लोग यह सारी बातों को ऑनलाइन डालेंगे और फिर उनके ऊपर थोड़ी चर्चा होगी बस।"

दिलावर सिंह ने अवनी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और अवनी के गाल को एक हाथ से पकड़ लिया। उसे देखकर साफ पता लग रहा था कि वह अपनी को कितने लोगों के सामने किस करने जा रहा है। अवनी अपने दोनों हाथों से दिलावर सिंह को पीछे धकेलना की कोशिश तो कर रही थी लेकिन वह पूरी तरह से नाकाम हो रही थी।

नागेंद्र अभी भी उन तीनों से पीट रहा था और जैसे ही उसकी नजर उन दोनों के ऊपर गई तो उसकी आंखों का रंग हरे से पीला हो गया। नागेंद्र को बार-बार याद आ रहा था कि उसके गुरु जी ने गुस्सा करने को साफ मना किया था। वह अपना गुस्सा शांत करने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन जो नजर वह अपने सामने देख रहा था वह उसकी बर्दाश्त के बाहर था।

दिलावर लगातार अवनी को अपने करीब खींचने की कोशिश कर रहा था। तभी उसके कानों में किसी के गिरने की और चिल्लाने की आवाज आई। उसके साथ-साथ उसके कार की भी आवाज आई। उसने अपने कार की तरफ देखा तो उसके साथ में आया हुआ एक दोस्त उसके कार से टकरा कर नीचे गिर गया था। 

उसकी कार का कांच टूटकर बिखर गया था और कार की हेडलाइट ऑन ऑफ ऑन ऑफ हो रही थी। कार का सिक्योरिटी सिस्टम ऑन होने की वजह से उसमें से इमरजेंसी अलार्म बज रहा था। अंदर बैठी हुई लड़की डर के मारे दरवाजा खोल कर भाग गई थी। दिलावर सिंह और अवनी कुछ समझे उसके पहले ही उनको दूसरे आदमी की चिक सुनाई दी और उसका किसी चीज के टकराने का आवाज़ सुनाई दिया।

जब दोनों आवाज की दिशा में देखा तो दिलावर के साथ आया हुआ एक आदमी नीचे गिरा हुआ था। उसे देखकर लग रहा था कि वह बेंच से टकराकर पीछे की तरफ गिर गया था। इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता दिलावर के कान में लोगों के चिल्लाने की आवाज आई। 

उसने देखा तो जो लोगों की भीड़ अब तक चुपचाप खड़ी थी वह अब चिल्ला रही थी और तालियां बजा रही थी। उसे कुछ समझ नहीं आया और जब उसने अपने तीसरे साथी की तरफ देखा तो वह हैरान रह गया। उसने देखा कि नगेंद्र ने उसे तीसरे आदमी को गले से पड़ा हुआ है और नागेंद्र की आंखें उसी की तरफ है।

दिलावर सिंह को इस वक्त काफी सॉक लगा था। जैसा हाल उसका था अवनी कभी कुछ वैसा ही हाल था। वह दोनों हैरानी से नागेंद्र की तरफ देख रहे थे। नगेंद्र ने उसे आदमी को इतनी जोर से धक्का दिया कि वह वहां पर लगे हुए एक भरोसे पेड़ से टकरा गया और सीधा नीचे गिरकर बेहोश हो गया।

दिलावर कुछ समझ पाता उसके पहले ही नागेंद्र उसकी आंखों के सामने खड़ा था। दिलावर कुछ हरकत करता उसके पहले ही नगेंद्र ने उसके चेहरे के नजदीक आंखों में आंखें डालते हुए कहा।

" आज के बाद कभी तो मेरी आंखों के सामने दिखा तो दूसरी बार तो कुछ देखने के लायक नहीं बचेगा। इसे मेरी कुड़ी धमकी मत समझना।"

इतना का कर नागेंद्र अवनी का हाथ पड़कर उसे वहां से लेकर जाने जाने लगा। दिलावर काफी देर तक वैसे ही खड़ा रहा। उसे लगा कि जब नागेंद्र उसकी आंख में देख रहा था तब उसकी आंखों का रंग पीला हो गया था और उसकी पतली का गोल्डन होकर लंबी हो गई थी। 

अवनी नागेंद्र को बड़ी-बड़ी आंखें करके देख रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि हो नागेंन्द्र ही है जो हमेशा चुपचाप रहता है। नागेंद्र का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ था उसका चेहरा अभी गुस्से के कारण लाल हो गया था और उसकी सांसे तेज चल रही थी। वहां पर खड़ी हुई भीड़ जब तक तमस बिन बनकर खड़ी थी वो तालियां बजा रही थी और कुछ सीटी भी बज रहे थे। 

क्या नागेंद्र का गुस्सा इतने से शांत हो जाएगा? क्या दिलावर सिंह आज के बाद कभी अवनी और नागेंद्र को परेशान नहीं करेगा? जब नागेंद्र के गुरु को पता चलेगा कि नागेंद्र ने किसी इंसान को पीता है और गुस्सा

किया है तो वह क्या करेंगे?