Love and Tragedy - 15 in Hindi Love Stories by Urooj Khan books and stories PDF | लव एंड ट्रेजडी - 15

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लव एंड ट्रेजडी - 15





सब लोग सो रहे थे। खिड़की से आ रही सूरज की रोशनी जब हंशित की आंखों पर पड़ी तब उसने कहा" मां पर्दा बंद करो धूप आ रही है लेकिन तब ही उसे याद आता है की वो तो घर से दूर है

उसने अपनी आंखें खोली और पर्दा बंद करने के लिए जब बड़ा खिड़की की तरफ तब उसने देखा कि बाहर का नजारा बहुत ही सुंदर था जिसे उसे अपने कैमरे में कैद करना चाहिए यही सोच कर उसने कैमरा उठाया और सो रहे दोस्तो को उठाया पर वो नही उठे,

सोते रहो तुम लोग मैं चला ये कह कर वो उस होटल से बाहर आया, बाहर का मोसम बेहद सुहाना था उसने गहरी सास ली और कहा " वादियों की सुबह का मजा ही अलग है'

ये कह कर वो आगे की ओर बड़ा उसने खूब सारी तस्वीर खींची और वो आगे बढ़ता रहा। आगे बढ़ते बढ़ते वो बहुत ही खूबसूरत जगह पर आ गया जहा खूब सारे फूल लगे थे और बड़े बड़े पेड़ भी जहा रंग बिरंगी चिड़िया थी उसने उनकी तस्वीर खींची तब ही उसकी नज़र एक रंग बिरंगी चिड़िया पर पड़ी

जिसे उसने अपनी ओर मोहित किया और वो उसके पीछे पीछे चलने लगा दबे पांव वो उसके जमीन पर बैठने का इंतजार करने लगा।



तब ही उसे किसी की आहट महसूस हुई वो चिड़िया बैठ गई थी किंतु किसी की आहट से वो डर रही थी।

वो चिड़िया जैसे ही बैठी हंशित उसकी और कैमरा लेकर बड़ा तब ही उसने देखा की एक खूबसूरत लड़की जिसके बाल खुले हुए थे और वो उस चिड़िया की तरफ बड़ रही थी जिसके बैठने का हांशित इंतजार कर रहा था उसे लगा की वो लड़की उसे उड़ा देगी

इसलिए बिना कुछ सोचे समझे पीछे से आकर उस लड़की का मुंह दबा कर नीचे गिरा दिया,

अचानक से पीछे से होते इस तरह के प्रहार से वो लड़की डर गई और चीखने लगी लेकिन हंशित ने उसका मुंह अपने हाथ से बंद कर दिया। उस लड़की के हाथ में एक डलिया थी जो रंग बिरंगे फूलो से भरी थी उसमे रखे फूल उन दोनों पर गिर गए

वो लड़की नीचे थी और हंशित उसके ऊपर, उसकी बड़ी बड़ी झील सी आंखे में जैसे हंशित डूब सा गया हो, उसके बाल उसके मुंह पर आ रहे थे,

हंशित भूल बैठा की वो यहां किस की तस्वीर लेने आया था और किसकी निगाहों में अपनी खुद की तस्वीर बसा बैठा




नीचे लेटी लड़की जिसके दिल की धड़कने जोर जोर से धड़क रही थी और वो चाह कर भी कुछ कर नही पा रही थी वो भी हंशित की हरी आंखो में खो सी गई थी।

थोड़ी देर तक जब दोनो एक दूसरे को देखते रहे और धीरे धीरे हंशित ने अपना हाथ उसके मुंह से हटाया, ।

तब वो लड़की उसका हाथ अपने मूह से हटा कर उसे अपने ऊपर से जोर से धक्का देकर खड़ी हो जाती ओर कहती" कोन हो तुम और क्या चाहते हो"

उसके इस तरह करने से वो चिड़िया उड़ गई जो वहा काफी देर से बैठी थी,

हंशित उसे उड़ता देख जमीन पर पैर मारकर बोला "ओह शिट तुम्हारी वजह से वो चिड़िया उड़ गई जिसके बैठने का इंतजार इतनी देर से कर रहा था, थोड़ी देर बाद नही आ सकती थी मेरी सारी मेहनत बर्बाद करदी "




"बहाना बहुत अच्छा बना लेते हो, सच सच बताओ क्या करने की सोच रहे थे, मैं तुम जैसे शहरी लडको को बहुत अच्छे से जानती हूँ और उनकी नियत भी मेरा पीछा कर रहे थे ना ताकि मुझे अकेला पा कर मेरा गलत फायदा उठा सको, अभी शोर मचाऊंगी और सारे गांव वाले तुम्हारा तमाशा निकालेंगे तुम्हे शर्म नही आती भगवान के घर आते हो और इस तरह की गंदी हरकतें करते हो तुम जेसो की वजह से ही बलात्कार के केस इतने बड़ रहे है जो इस पावन जगह पर भी अपनी फितरत से बाज नही आते श्रद्धालु हो श्रद्धालु बन कर रहो दर्शन करो और जाओ यहा से मेरे सारे पूजा के फूल गंदे कर दिए अब मुझे दोबारा चुनना पड़ेंगे" उस लड़की ने कहा

"ओह, ओह मैडम जरा अपनी जुबान की गाड़ी को ब्रेक लगाओ जो मन में आ रहा है बोले जा रही हो, एक तो चोरी उपर से सीना जोरी मेरी चिड़िया उड़ा दी तस्वीर भी ना ले सका अब पता नही कहा मिलेगी वो। जैसा आप समझ रही हो वैसा बिल्कुल नही है" हंषित ने कहा

"तो फिर केसा है समझाओ जरा अगर तुम तस्वीर लेने आए थे तो कैमरा कहा है तुम्हारा" उस लड़की ने कहा

"ये देखो ये रहा मेरा कैमरा और मैं कोई श्रद्धालु नही हू और ना ही मैं यहां किसी के दर्शन करने आया। हंशित ने कहा



"तो फिर क्या करने आए हो सावन के महीने में अगर तुम श्रद्धालु भी नही हो और मंदिर दर्शन करने भी नही आए हो कही तुम कोई आतंकवादी तो नही हो जो यहां मासूम लोगो की जान लेने आए हो मैं अभी पुलिस को बताती हू जाकर " उस लड़की ने घबराते हुए कहा

"चुप एक दम चुप, एक लफ्ज़ मत बोलना " हंशित ने उसे कसके से पकड़ा और अपनी ऊँगली उसके मुँह पर रखी।

वो लड़की डर गयी उसे इस तरह देख कर और बोली " ये क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे वरना में चीखूंगी"

"मेरी बात सुनो बहुत बोल लिया तुमने कितनी देर से कह रहा हूँ की मैं तुम्हारा पीछा नही बल्कि उस रंग बिरंगे पंखो वाली उस चिड़िया को देख रहा था और उसके ज़मीन पर बैठने का इंतज़ार कर रहा था ताकि उसकी एक अच्छी सी तस्वीर ले सकूँ, मैं एक फोटोग्राफर हूँ, ना ही कोई आतंकवादी और ना ही तुम्हारा वो क्या कहते है श्रद्धालु मैं यहाँ किसी के दर्शन करने नही आया हूँ समझी तुम" हंशित ने कहा




उस लड़की ने कहा मेरा हाथ छोड़ो मुझे तकलीफ हो रही है, तुम जो कोई भी हो मुझे इससे फर्क नही पड़ता और जिन्हे तुम पत्थर कि मूर्ती कह रहे हो वो भगवान है हमारे और हमारी उनमे पूर्ण श्रद्धा है इस तरह कि बाते तो कोई नास्तिक ही कर सकता है

हंशित ने उसका हाथ छोड़ा और वो पीछे हटी। अब समझ आ गया या अभी कुछ और कहना है ।

"रास्ता छोड़ो मेरा जाना है मुझे पूजा के लिए दोबारा से फूल चुनना पड़ेंगे तुम्हे क्या पता तुम तो शहरी लोग हो # उस लड़की ने कहा

हंशित कुछ और कहता तब ही उसका फ़ोन बजा, हंशित फ़ोन उठाता है.

"यार कहा है तू हम लोग कब से तेरा इंतज़ार कर रहे है" लव ने कहा

"आ रहा हूँ भाई बस थोड़ी देर में तुम लोग तैयार रहना बस एक मुसीबत गले पड़े गयी है उससे छुटकारा हासिल करके आता हूँ" हंशित ने कहा उस लड़की की तरफ देख कर

"कौन है कही कोई लड़की तो नही" लव ने पूछा



"ऐसा ही समझ लो" हंशित ने कहा और फ़ोन रख दिया

"मुसीबत किसको कहा, तुम हो मुसीबत जिसने मेरा रास्ता रोक रखा है अब हटो यहाँ से जाना है मुझे " उस लड़की ने कहा

"हाँ, हाँ जाओ जाओ मुझे भी कोई शौक नही मुसीबत से भिड़ने का और दोबारा मिलना नही" हंशित ने कहा और कैमरा लेकर वापस हो गया ।

"नकचढ़ी कही की" हंशित ने अपने आप से कहा

"बद्तमीज कही का" उस लड़की ने अपने आप से कहा और दोबारा फूल चुनने चली गयी।

हंशित रूम पर आ चुका था।

"कहा गया था तू और कौन सी मुसीबत तेरे गले पड़ गयी बता तो सही दोस्तों से क्या छिपाना " " कुश कहा ने

"कुछ नही यार, बस ऐसे ही गले पड़ गयी एक तो वो परिंदा उड़ा दिया और ऊपर से मुझे ना जाने क्या कुछ कह रही थी " हंशित ने कहा



"ओह हो तो बात तकरार तक पहुंच गयी, दिखने में कैसी थी " श्रुति ने पूछा

"छोड़ो यार अपनी बात करते है सब तैयारियां हो गयी ना अभी हमें एक गाइड भी ढूंढ़ना है, ये देखो कितनी तस्वीरे मेने सुबह ही खींच ली जब तुम लोग सो रहे थे 'हंशित ने कहा "

"वाओ कितनी प्यारी तस्वीरे है, यार एक उस लड़की की भी खींच लेता जो मुसीबत बन कर तेरे सामने आयी थी हम भी तो देखते की वो मुसीबत कैसी थी जो हमारे दोस्त के सामने आ गयी थी " जॉन ने हस्ते हुए कहा

"मुझे बार बार याद मत दिलाओ वरना तुम लोग पर मुसीबत बन कर टूट जाऊंगा" हंशित ने कहा गुस्से से

"ठीक है यार नाराज़ मत हो हम तो मज़ाक कर रहे थे, चल अब जल्दी से तैयार हो फिर नाश्ता करके चलते है बाहर और हाँ मेने आंटी को बता दिया था की हम लोग पहुंच चुके है " कुश ने कहा



"शुक्रिया मेरे भाई, मुझे तो याद ही नही था" हंशित ने कहा और बाथरूम की और चल दिया

वही दूसरी तरफ वो लड़की हाथ में फूलो से भरी डलिया लेकर घर की और बड़ती है उसके कपड़ो पर मिट्टी लग चुकी थी और वो उन्हें साफ करने की कोशिश करती है और घर आ जाती है।

" अरे बेटा ये क्या हो गया और इतनी देर कहा लगा दी " उस लड़की की माँ ने पूछा

माँ,,,, माँ,,,, वो क्या है ना मेरा पैर फिसल गया था और मैं गिर गयी जिस वजह से सारे फूल ज़मीन पर गिर गए और गंदे हो गए उन्हें दोबारा चुनने में समय लग गया माफ करना। उस लड़की ने कहा

"कोई बात नही जाओ जाकर नहा लो और दूसरे कपडे बदल लो ये तो गंदे हो गए " उसकी माँ ने कहा

"ठीक है माँ," उस लड़की ने कहा और अंदर मन ही मन कुछ बड़बड़ाती हुयी चली गयी।



सामने से उसकी छोटी बहन आयी और बोली" क्या हुआ दीदी किससे बाते कर रही हो और इतने गुस्से में क्यू दिख रही हो'

"कुछ नही बस ऐसे ही " उस लड़की ने जवाब दिया

"ये आपके कपड़ो को क्या हुआ सुबह तो सही थे कही गिरी हो क्या" उसकी बहन ने पूछा

"हाँ, एक बेवकूफ़ ने मुझे नीचे फेक दिया और मुझे मुसीबत कह रहा था जैसे खुद तो बहुत बड़ा जेम्स बांड था " उस लड़की ने कहा

"वाह दीदी कौन था वो, दिखने में केसा था हैंडसम था उसकी आँखे कैसी थी बताओ ना कुछ उसके बारे में कहा रहता है " उसकी बहन ने उत्सुकता से पूछा

ये ले उसका एड्रेस और फ़ोन नंबर खुद ही पूछ लेना उस लड़की ने अपनी हथेली आगे बढ़ाते हुए कहा

उसकी बहन ने जल्दी से उसकी हथेली पकड़ी और देखने लगी और बोली " ये तो खाली है"


"हाँ बिलकुल तेरे दिमाग़ की तरह, बेवकूफ़ लड़की उसने मुझे एक तो ज़मीन पर गिरा दिया मेरे सारे कपड़े गंदे और सारे फूल बेकार कर दिए और तू पूछ रही है वो लड़का हैंडसम था नही और उसकी आँखे कैसी थी और कहा से आया था" उस लड़की ने कहा

" अरे दीदी मेरा वो मतलब नही था मैं तो बस ऐसे ही पूछ रही थी क्या पता ये उससे पहली मुलाक़ात हो, और ईश्वर ने तुम्हारी और उसकी पहली मुलाकत ऐसे ही लिखी हो" उसकी बहन ने कहा

"तू पागल है बिलकुल जा जाकर रसोई में देख माँ को तेरी ज़रुरत होगी मैं आ रही हूँ नहा कर अभी " ये कह कर वो लड़की वहा से चली गयी

लेकिन अचानक उसकी नज़र अपने हाथ पर पड़ी जहाँ एक लाल निशान हो गया था उस लड़के ने जब उसे पकड़ा वो लड़की उसी समय में खो गयी जब उस लड़के ने उसका मुँह दबाया और उसे ज़मीन पर ले गिरा था उसकी आँखों के सामने उसकी वो हरी हरी आँखे आ गयी, वो हलकी हलकी दाढ़ी।




वही दूसरी तरफ हंशित भी एक दम से सुबह हुए हादसे में खो सा गया और उसे उसका चेहरा याद आ गया जिस पर उसकी नज़रे अटक सी गयी थी, और वो उसकी झील नुमा आँखों में डूब सा गया था उसके चेहरे पर वो खौफ उसके खुले बाल उसके मुँह पर आ रहे थे।

दोनों एक दूसरे की यादों में खो गए। और जब यादों से बाहर आये तब नहा धोकर बाहर आये। वो लड़की बाहर चली गयी किसी काम से।

और हंशित दोस्तों के साथ नाश्ता करने ।

आगे की कहानी जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ अगले

भाग में