VICHITR SANKHYA in Hindi Short Stories by उषा जरवाल books and stories PDF | विचित्र संख्या

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विचित्र संख्या

 

 

भारत विश्वगुरु कहलाता था | आध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान कोई भी क्षेत्र हो भारत हर क्षेत्र में अग्रणी ही था | जिन चीजों का आविष्कार आज के वैज्ञानिक कर रहे हैं वो भारत के महापुरुषों ने सदियों पहले कर दिया था | बड़े - बड़े वैज्ञानिक आज भी 'चरक संहिता' से प्रेरणा लेकर अपने अनुसंधान की शुरुआत करते हैं |  प्राचीन काल में जब सभी देशों के निवासी जंगली जीवन जी रहे थे उस समय यहाँ भारत में स्वाहा और स्वधा के मंत्रों की रचना हुई। वेद, विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता का भी विकास भारत में ही हुआ।  आर्यभट ने शून्भाय की की थी | भारत में सबसे पहला गणितज्ञ आर्यभट को माना जाता है | उन्होंने पाई (π) की कीमत निश्चित की और चौथे दशमलव बिंदु तक इसकी गणना की | 
उन्होंने पाइथागोरस प्रमेय का इस्तेमाल करके साइन तालिका बनाने का तरीका, दशमलव प्रणाली का विकास और  समीकरणों का आविष्कार किया, जिससे गणित के जटिल सवालों को आसानी से हल किया जा सकता है | ऐसा माना जाता है कि 5वीं सदी में उन्होंने ही ये सिद्धांत दिया था कि धरती गोल है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है और ऐसा करने में उसे 365 दिन का वक्त लगता है | एक ऐसा ही आविष्कार गणितज्ञ रामानुज ने किया जो अद्भुत है |

गणित में कोई भी संख्या 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित नहीं हो सकती, लेकिन इस विचित्र संख्या को देखिए .... !

वास्तव में, सदियों तक यह माना जाता रहा था कि ऐसी कोई भी संख्या नहीं है जिसे 1 से 10 तक के सभी अंको से विभाजित किया जा सके। लेकिन रामानुजन ने इन अंकों के साथ माथापच्ची करके इस मिथ को भी तोड़ दिया था। उन्होंने एक ऐसी संख्या खोजी थी जिसे 1 से 10 तक के सभी अंकों से विभाजित किया जा सकता है यानी भाग दिया जा सकता है । यह संख्या है (2520)

वास्तव में संख्या 2520 अन्य संख्याओं की तरह एक सामान्य संख्या नहीं है, यह वह संख्या है जिसने विश्व के गणितज्ञों को आज भी आश्चर्यचकित किया हुआ है |

यह विचित्र संख्या 1 से 10 तक प्रत्येक अंक से भाज्य है।

ऐसी संख्या जिसे इकाई तक के किसी भी अंक से भाग देने के उपरांत शेष शून्य रहे, निसंदेह यह बात  असम्भव या दुर्लभ है | ऐसा प्रतीत होता है लेकिन यह सत्य है |

अब निम्न सत्य को देखें :

2520 ÷ 1 = 2520                       

2520 ÷ 2 = 1260

2520 ÷ 3 = 840

2520 ÷ 4 = 630

2520 ÷ 5 = 504

2520 ÷ 6 = 420

2520 ÷ 7 = 360

2520 ÷ 8 = 315

2520 ÷ 9 = 280

2520 ÷ 10 = 252

महान गणितज्ञ आज भी आश्चर्यचकित हैं | 2520 वास्तव में इन संख्याओं का (7 x 30 x 1) एक गुणनफल है | उन्हें और भी आश्चर्य हुआ जब प्रमुख गणितज्ञ द्वारा यह संज्ञान में लाया गया कि संख्या 2520 हिंदू संवत्सर के अनुसार एकमात्र यही संख्या है, जो वास्तव में उचित बैठ रही है |

जो इस गुणनफल से प्राप्त है -

सप्ताह के दिन (7) x माह के दिन (30) x वर्ष के माह (12) = 2520

यही है भारतीय गणना की श्रेष्ठता !