लूकिज्म ( Lookism )
लूकिज्म ( lookism ) अंग्रेजी भाषा का एक नया शब्द है जिसका अर्थ हिंदी में एक शब्द में नहीं दिया जा सकता है . अंग्रेजी भाषा में भी इस शब्द का आविष्कार 1970s में हुआ है . लूकिज्म का अर्थ है दूसरों के प्रति एक पूर्वाग्रह या भेदभाव जो लोगों के दिखावे या शारीरिक आकर्षण के चलते ( फिजिकल अट्रैक्शन ) देखने वाले के मन में होता है .
हम सबने एक मशहूर कहावत सुनी होगी “ Beauty beholds in the eyes of the beholder “ जिसका अर्थ हुआ - सुंदरता देखने वाले की आँखों में निहित है . सुंदरता का स्वयं कोई अस्तित्व नहीं है यह देखने वाले द्वारा निर्मित ( created ) किया जाता है . हालांकि व्यावहारिक जीवन में यह कितना सच है कहना कठिन है .
अब जहाँ तक लूकिज्म का प्रश्न है इस शब्द का जन्म अमेरिका में 1970s में हुआ था . पहली बार अमेरिका में ही व्यवहार में आया था . अमेरिका में बहुत ज्यादा मोटे लोग होते थे ( अभी भी कुछ हद तक सही है ) . वाशिंगटन पोस्ट मैगज़ीन 1978 के अनुसार अमेरिका में मोटे लोगों ने अपने फिजिकल अपीयरेंस के प्रति होते भेदभाव को देख कर इस शब्द का प्रयोग किया था .
अमेरिका के मेसाचुसेट्स हॉस्पिटल , हार्वर्ड और अन्य कुछ मेडिकल कॉलेज ने लूकिज्म पर शोध कर पुरुषों के दिमाग का अध्ययन किया . अध्ययन में देखा गया कि सुंदर लड़कियों को देख कर उनके ब्रेन की एक्टिविटी या प्रक्रिया वैसे ही होती है जैसे कि किसी भूखे को भोजन देख कर , जुआड़ी को जुआ में जीत पर और ड्रग एडिक्ट को ड्रग देख कर .
वैसे देखा जाय तो लूकिज्म दुनिया में सदियों से रहते आया है . आज भी यह और ज्यादा देखा जा सकता है , प्रायः जीवन के हर क्षेत्र में . दुनिया में प्रतिभा की कद्र है पर अक्सर लूकिज्म प्रतिभा को पीछे छोड़ कर आगे निकल जाता है . ब्यूटी के बारे में हम सिर्फ चेहरे की त्वचा की सुंदरता तक ही देखते हैं पर इसका असर हमारे दिमाग में काफी गहराई तक बैठ जाता है .
आएं देखते हैं लूकिज्म के असर जिसे ‘ Ugly truth of beauty ‘ ( सुंदरता का कुरूप सत्य ) -
अपने देश में विवाह के मामलों में लड़के लड़कियों में प्रतिभा की अपेक्षा फिजिकल अपीयरेंस ज्यादा खोजते हैं . लड़कियां भी टॉल और हैंडसम लड़कों को ही ज्यादा पसंद करतीं हैं , साधारण और नाटे लड़कों की तुलना में .
अपने समय में रूसी टेनिस खिलाड़ी एना कोर्निकोवा महिला टेनिस खिलाडियों में विश्व में 37 वें नंबर पर थीं . उनके नाम कोई भी मेजर सिंगल विनर खिताब नहीं था . फिर भी विज्ञापन / मॉडल द्वारा उनकी कमाई अन्य ऊपरी पायदान के खिलाडियों की अपेक्षा बहुत ज्यादा थी . ऐसा लूकिज्म के चलते था क्योंकि तत्कालीन दुनिया की सर्वश्रेष्ठ 50 सुंदरियों में उनका नाम था . ESPN ने उन्हें हॉटेस्ट एथेलीट भी कहा था . दूसरी तरफ कहा जाता है कि अमेरिका में प्रतिभा को प्राथमिकता दी जाती है . वहां भी महिला स्पोर्ट्स मैगज़ीन के फ्रंट पेज पर हैंडसम स्पोर्ट्स मैन की तस्वीर देखी गयी है .
दुनिया भर में फिल्म उद्योग में लूकिज्म आम बात है . अपने देश में भी बॉलीवुड में काली त्वचा और साधारण दिखने वाली अभिनेत्रियां विरले मिलेंगी . कुछ अपवाद होंगी , उन्हें भी नेचुरल रंग में पर्दे पर नहीं दिखाया जाता है . यह केवल अभिनेत्रियों पर ही लागू नहीं है अभिनेताओं पर भी . अमेरिका में इस बारे में एक अध्ययन किया गया -
दो एक्ट्रेस जिनमें एक साधारण दिखने वाली ( मिस A मान लें ) और दूसरी सुंदर एक्ट्रेस ( मिस B मान लें ) को चुना गया . उन्हें एक समान ड्रेस में दो कार के पास खड़ा रहने को कहा गया . दोनों कार कुछ ही दूरी पर खड़ी थीं और दोनों के कार के हुड ( बोनेट ) खुले थे ताकि देखने वाले को लगे कि उनकी कार में पेट्रोल नहीं है . देखा गया कि मिस A के पास कम लोग रुके या कुछ पेट्रोल पंप की जानकारी दे कर आगे बढ़ गए . मिस B के पास ज्यादा लोग देर तक रुके और अक्सर उसके लिए पेट्रोल ले आने के लिए तैयार थे . एक दूसरे टेस्ट में उन्हें एक मॉल में किसी चैरिटी के लिए कुछ बेचने को कहा गया . दोनों कुछ दूरी पर अलग अलग टेबल पर बेच रहीं थीं . अंत में देखा गया कि मिस B की कमाई मिस A की अपेक्षा डेढ़ गुना ज्यादा थी .
लूकिज्म इंटरव्यू और नौकरी में भी मिलता है . कभी सुंदरता के चलते वेतन में भी इजाफा हो सकता है . एक इंटरव्यू में साधरण दिखने वाली X को लंच के लिए 30 मिनट का ब्रेक मिला और सुंदर दिखने वाली Y को एक घंटे का और अंत में नौकरी Y को मिली . लूकिज्म एक अचेतन प्रोसेस की तरह हमारे दिमाग में बैठा हुआ है . इसलिए कभी चेहरा देख कर गलती भी माफ़ कर दी जाती है और कभी जॉब में प्रोन्नति भी मिलती है .
कुछ विशेष विशेष कार्य क्षेत्रों में लूकिज्म ज्यादा ही व्यापक है , जैसे मॉडलिंग, एक्टिंग , हॉस्पिटैलिटी , मीडिया , फीमेल जासूस आदि . ग्राहक सेवा या जहाँ कस्टमर फेसिंग जॉब हो वहां फिजिकल आकर्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता है . कहीं वर्क प्लेस में फेस मास्क , मेकअप जरूरी माना गया है . लूकिज्म के कुप्रभाव से बचने के लिए आम जीवन में भी दोनों लिंग के लोग मेकअप , फेस मास्क , प्लेसिस सर्जरी और अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट का सहारा लेते हैं . अक्सर मीडिया इसको बढ़ावा देती है .
अक्सर लोग दूसरों को लूकिज्म के चलते फिजिकल अपीयरेंस से प्रभावित होकर जज करने की भूल कर बैठते हैं . इसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे रोमांटिक रिलेशन , कार्य कुशलता , दोस्ती और जीवन के अन्य क्षेत्र पर पड़ते हैं . लूकिज्म व्यापक है भले ही हम इसे स्वीकार न करें . अक्सर सुंदरता को एक प्रीमियम या बोनस पॉइंट माना जाता है . लूकिज्म के चलते कभी स्वाभिमान और आत्मविश्वास में कमी और स्वयं के बारे में नेगेटिव धारणा भी सम्भव है . दुनिया के अधिकाँश देशों में लूकिज्म के प्रति उतना सख्त रुख नहीं देखने को मिलता है जितना कि रेसिज्म और सेक्सिज्म ( racism and sexism ) को . वैसे भी इसे कानूनी संरक्षण प्राप्त नहीं है .
लूकिज्म से बचने के लिए उपाय
मीडिया को चाहिए कि व्यक्तित्व के लिए फिजिकल अपीयरेंस पर जोर न दे कर ( deemphasize ) प्रतिभा पर जोर दें .
स्कूल में शुरू से बच्चों को फिजिकल अपीयरेंस की अपेक्षा हेल्दी हैबिट , प्रतिभा और. अच्छे गुण की शिक्षा दें .
बच्चों में स्वाभिमान और आत्मविश्वास के बारे में जागरूकता बढ़ाएं ताकि नेचुरल लुक में भी उन्हें आत्मविश्वास का अनुभव हो . लूकिज्म से होने वाली परेशानी और भेदवाव के प्रति जागरूकता बढ़ाएं . नकली सौंदर्य की अपेक्षा अपने नेचुरल बॉडी को महत्ता दें .
फिजिकल अपीयरेंस को लेकर कृत्रिम संसाधनों और खानपान के प्रयोग के चलते भावी खतरों से अवगत कराएं
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