Jununiyat si Ishq - 1 in Hindi Love Stories by Miss Sundarta books and stories PDF | ..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 1

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..जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 1

...."ॐ वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ"... 
..."निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा"....

ये मेरी पहली कहानी का पहला भाग है......इसे जी भरकर प्यार दीजिएगा......

उत्तर प्रदेश!!...
एक बड़े से घर में आग लगी हुई थी....आग बहुत विकराल रूप ले चुकी थी....शांत होने का नाम नहीं ले रही थी..... तभी वहां कुछ गाड़ियां आकर रुकी.....जिसमें से एक औरत और सास और बच्चे बाहर आए.....घर में आग लगी देख स्तब्ध होकर खड़े हो गए....जैसे बेसहारा हो चुके हो.....
बच्चे आग लगी देखकर रोने लगे.....कुछ देर बाद वहां फायर ब्रिगेड आकर रुके और घर में लगी आग बुझाने लगे....फिर अंदर से चार बॉडीज निकाली गई.....जो पूरी तरह जल चुका था....यह देखकर पूरा परिवार और डर गया.....उन में से एक महेंद्र जी और दादाजी की थी बाकी घर के दो नौकरों की थी .....उन सारी बॉडीज को मृत घोषित कर दिया गया......
तब वो औरत जो 38 साल की थी.....वह रोते हुए बोली:अब कुछ नहीं हो सकता......सब कुछ खत्म हो गया.....!!
उनकी बेटी जो 17 साल की थी....वह बोली:मां...क्या पापा ओर दादा जी अब नहीं रहे.....!!
तो उसकी दादी रोते हुए बोली:हा बेटा....महेंद्र और तेरे दादाजी अब नहीं रहे.....!!
यह सुन वो लड़की रोने लगी.....
तब उसकी मां ने अपने आंसू पोछा.....ओर सब से कहा:जो होना था.....हो गया.....अब रोने से कुछ नहीं होगा.....मैने फैसला कर लिया है.....अब हम यहां नई रहेंगे....!!
तो उनकी सास बोली:लेकिन मान्यता बहु.....यह क्या कह रही हो....हम यहां नहीं रहेंगे तो कहां जाएंगे.....!!
मान्यता बोली:जहां कही भी जायेंगे.....लेकिन अब यहां नहीं रहेंगे....!!
इतना कहकर मान्यता अपने बच्चों के पास जाती है और उनसे कहती है: द्रक्षता... दर्शित... दृशा.....मत रो....तुम सबकी मम्मा अभी जिंदा है....!!
इतना कहकर अपने बच्चों को गले लगा लेती हैं.....जिससे कुछ देर रोने के बाद तीनों शांत हो जाते है.....
मान्यता ओर गरिमा जी(द्रक्षता की दादी) महेंद्र जी ओर दादा जी का अंतिम संस्कार करती है....इसके बाद मान्यता सभी को लेकर कही दूर चली जाती हैं.....!!

छह साल बाद!!

महाराष्ट्र!!

मुंबई!!

सुबह का समय!!

एक सामान्य सा घर.....जो देखने में बहुत खूबसूरत और मध्यम वर्गीय परिवार का लग रहा था.....चार कमरों का यह छोटा सा घर था.....घर के अंदर एक कमरे में दो लड़की सो रही थी......एक की उम्र तकरीबन 22 साल की होगी पर वह बहुत खूबसूरत थी.....ओर दूसरी की 17 साल.....तभी घड़ी का अलार्म बजने लगता है.....जिससे पहली लड़की की नींद टूट जाती है.....तो वह जल्दी से उठकर बाथरूम में जाकर नहाती है फिर कपड़े बदलकर कमरे में वापस आती है....तो उसकी बहन सो रही थी......
वो उसके पास जाकर उसे उठती है:दिशू....उठ सुबह हो गई......ओर कितना सोएगी...... स्कूल नहीं जाना क्या....!!
दृशा बोली:यार दी....प्लीज 5 मिनिट और सोने दो ना.....!!
द्रक्षता:चुप चाप उठ ओर तैयार हो....!!
फिर द्रक्षता अपने भाई के कमरे में जाकर उसे उठा देती है.....उसके बाद घर में बनी छोटी सी मंदिर में जाकर पूजा करती है....
और अपने पापा और दादा की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर नम आंखों से उनसे कुछ बातें करने लगती है:पापा....दादाजी आप क्यों हमें छोड़ कर चले गए.....मां और हम सभी बहुत अकेले हो चुके हैं......हमें बहुत जरूरत है आपकी..... पता है आपको....आपकी द्रक्षता बहुत अकेली हो चुकी है.....पढ़ाई के साथ-साथ काम करना पड़ता है.....आप दोनों वापस क्यों नहीं आ जाते.....!!
उसके बाद द्रक्षता किचेन में जाकर नाश्ता बनाती है....उसकी दादी वही हॉल में बैठी थी....उन्हें चाय लेकर देती है....
ओर कहती है:दादी....में मां के पास जा रही हु....!!
तभी दृशा ओर दर्शित वहां आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं... और नाश्ता करने लगते हैं....
फिर वह अपने भाई जो कि नाश्ता कर रहा था......
उससे बोली:दर्शित!!अगर खाना हो जाए......तो दिशू को उसके स्कूल ड्रॉप करने चले जाना......मैं बेकरी जा रही हूं......ठीक है!!
दर्शित ने जवाब दिया:हम्म!!चला जाऊंगा.....!!
उसका भाई कॉलेज में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा था.....और उसके छोटी बहन दृशा 12th स्टैंडर्ड में पढ़ती थी.....
उसके बाद वह बेकरी चली जाती है..... जो उसके घर से लगभग 10 मिनट की दूरी पर था......उस बेकरी की ओनर उसकी मां मान्यता थी.....वहां वो देखती है कि मान्यता कस्टमर्स में बिजी थी.....जिसे देख वो भी अपनी मान्यता की हेल्प करने लग जाती है.....थोड़ी देर बाद जब कस्टमर्स कम हो जाते है.....
तो मान्यता उसे काम करते हुए देख कहती है:एक बहुत बड़ा ऑर्डर आया है.....केक्स का तेरे पास समय हो तो तुम मेरी हेल्प कर देना......कॉलेज है तो कोई बात नहीं मैं खुद कर लूंगी......लेकिन मदद कर देती तो ज्यादा अच्छा होता....!!
द्रक्षता:अरे मां....दो दिन कॉलेज नहीं जाऊंगी.....तो कुछ नहीं होगा....में आपकी मदद करूंगी....वैसे भी कुछ दिनों बाद दादा जी और पापा की बरसी है तो उसकी भी तैयारी करनी होगी....!!(बोलते बोलते वह थोड़ी भावुक हो जाती है)
मान्यता कहती है:हां....6 साल बीत गए उसे हादसे को....लेकिन अभी भी उनकी कमी ख़लती है....राजेंद्र जी और पापा के दोषि अभी भी खुले घूम रहे है....जैसे उन सब ने कुछ किया ही ना हो....!!
द्रक्षता:मां देखना एक दिन मैं पापा ओर दादा जी....के दोषियों से बदला जरूर लूंगी....उन सब को भी बदतर से बदतर जिंदगी नसीब होगी....!!
मान्यता:लेकिन बेटा यह मत भूलना कि.....वह हमसे ज्यादा ताकतवर है....हमें हर कदम बेहद सावधानी से रखना होगा.....जिससे उन्हें कोई भनक भी ना लगे.....!!
द्रक्षता:ठीक है....छोड़ों मां यह सब बाद की बातें हैं....तब तक हम पापा ओर दादा जी की बरसी पर फोकस करते हैं!!
मान्यता:हम्म....ठीक है...!!
उन दोनों को काम करते-करते.....दोपहर के डेढ़ बज जाते है...... 
टाइम देखते हुए वो अपनी मां से कहती है:मां अब में होटल जाती हु..... यहां आप संभाल लेना.....!!
जवाब में मान्यता कहती हैं: ठीक से जाना और समय से आ जाना.....!!
मान्यता अपने आप से कहती है:उम्र से पहले ही मेरी बच्ची पर कितने जिम्मेदारियां आ चुकी है.....!!
हयात होटल में द्रक्षता वेट्रेस के तौर पर पार्ट टाइम जॉब करती थी......
अपने समय के अनुसार होटल पहुंचकर अपने काम में लग जाती है...... आज होटल में अन्य दिनों से ज्यादा चहल पहल थी......अपनी एक कोवर्कर से पूछने पर उसे पता चलता है......कि आज कोई बड़ा बिजनेसमैन आने वाला है.....जिसके कारण उसके वेलकम के लिए इतनी तैयारी हो रही है...... इस बात पर वह ज्यादा ध्यान नहीं देती..... और अपना काम करने लगती है.....
होटल की मैनेजर आकर उसे कहते हैं:मिस द्रक्षता..... इस होटल की ओनर आज आने वाले हैं.....तो उनका स्वागत तुम्हे करना है.....क्या तुम  तैयार हो.....!!
द्रक्षता: हां.....मैं तैयार हूं....!!
उसके बाद वह अपने काम में लग जाती है.....और होटल ऑनर के स्वागत की तैयारी करने लगती है.....कुछ 1 घंटे के बाद होटल के बाहर 3 से 4 बहुत महंगी गाड़ियां आकर रूकती है.....
जिसके आगे पीछे की गाड़ियों में से काले कपड़ों पहने बॉडीगार्ड निकलते है.....ओर हेड बॉडीगार्ड जाकर बीच वाली कार का दरवाजा खोलते है.....जिसमें से लंबे कद का व्यक्ति बाहर आता हैं.....जिसने टॉप टू बॉटम ब्लैक अरमानी सूट पहना हुआ था.....वह व्यक्ति दिखने में बेहद खूबसूरत था.....लेकिन उसके चेहरे के भाव शून्य थे....उसने अपनी गहरी नीली आंखों कार से बाहर आने पर  सनग्लासेज चढ़ा लिए.....उसका औरा काफी खतरनाक ओर ठंडा था....
उसके साथ दो व्यक्ति और बाहर आते हैं..... पैसेंजर सीट पर बैठा हुआ व्यक्ति उसका असिस्टेंट था.....और एक उसके साथ बैठा हुआ व्यक्ति उसका दोस्त था..... की उम्र लगभग बराबर की थी 27 वर्ष....
उसका असिस्टेंट जिसकी आंखों पर मोटे फ्रेम का चश्मा चढ़ा हुआ था....
वह बोला:सर रूम नंबर 1269 में मिस्टर मित्तल आपका वेट कर रहे है....!!
असिस्टेंट की बात सुन बस हम्म में जवाब दिया....और आगे चलने लगा....
यह व्यक्ति राजपूत कॉरपोरेशन का सीईओ मिस्टर सात्विक सिंह राजपूत है....जो अपनी खतरनाक औरे के लिए पहचाने जाते है....राजपूत परिवार का औरा ओर उनकी रॉयल्टी के बारे में कौन नहीं जानता.....यह राजपूत खानदान के सबसे बड़े बेटे है.....
उसका दोस्त दीपक शर्मा शर्मा इंटरप्राइजेज का भावी सीईओ था....
होटल के एंट्रेंस पर द्रक्षता और कुछ होटल स्टाफ उनके स्वागत के लिए खड़े थे.....जब वह अपने सामने इतने अत्यंत सुंदर पुरुष को देखती हैं......तब उसके दिल की धड़कन असामान्य गति से धड़कने लगती है.....
यही हाल सात्विक का भी था..... वह अपनी हो रहे बेचैनी का कारण समझ नहीं पा रहे थे....जब उनकी नजर होटल की एंट्रेंस पर खड़ी लड़की पड़ जाता है....तब उनकी निगाहें उसे पर ही ठहर जाती है.....वह लड़की बेहद खूबसूरत थी.....उसकी हल्की भूरी आंखें सबको अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी थी.....वह अपलक उसे देखते रह जाते हैं....उनका ध्यान तब टूटता है....
जब उनके दोस्त दीपक उन्हें आवाज देते हैं:क्या हुआ सात्विक खड़े क्यों हो.....अंदर जाने का इरादा नहीं है क्या.....!!
सात्विक बोले:ऐसी बात नहीं है....चलो...!!
सब एंट्रेंस पर पहुंचते हैं.....
तब द्रक्षता सात्विक को फूलों का बुके देते हुए....कहती है:वेलकम सर.....हम कोशिश करेंगे की.....हमारे होटल में आपको किसी भी प्रकार की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा....हैव अ नाइस डे....सर....!!
सात्विक सिर्फ ह्म्म्म में जवाब देता है.....और असिस्टेंट राघव और दीपक के साथ अंदर चला जाता है.....
जब वह चला जाता है.....तब द्रक्षता को अपनी धड़कनों के गति पर कुछ कंट्रोल महसूस होता है.....
वो अपने आप से कहती है:यह क्या हो रहा है मुझे.....इनको देखते ही मेरी धड़कने इतनी क्यों बढ़ गई थी.....दूर रहना होगा इनसे.....मुझे अभी इस प्यार मोहब्बत के जाल से बचे रहना है....!!
क्रमशः..!!