Ishq da Mara - 42 in Hindi Love Stories by shama parveen books and stories PDF | इश्क दा मारा - 42

Featured Books
Categories
Share

इश्क दा मारा - 42

गीतिका की मॉम बहुत ही गुस्से में रहती है। तभी गीतिका की मॉम बोलती है, " मॉम आपने मुझे थप्पड़ क्यों मारा ????

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "शर्म नहीं आ रही है मुझ से ये सवाल करते हुए "।

तब गीतिका का भाई बोलता है, "आखिर बात क्या है, पहले मुझे ये तो बताओ "।

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "सच में कितने बेशर्म हो तुम, तुम्हारे अंदर की सारी की सारी शर्म मर चुकी है "।

तब गीतिका के डैड बोलते हैं, "आखिर आप पहेली क्यों बुझा रही है, जो बात है, आप बता क्यों नहीं रही हैं"।

गीतिका की मॉम बहुत ही गुस्से में रहती है, गुस्से में उनकी आँखें लाल हो जाती हैं और वो गीतिका के भाई की तरफ देख कर बोलती है, "ये नालायक अपनी बीवी के साथ ऑस्ट्रेलिया जा रहा है हमे छोड़ कर चोरी चुपके "।

ये सुनते ही गीतिका के भाई और भाभी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है । और गीतिका के डैड भी चौक जाते हैं और बोलते हैं, "आप ये क्या बोल रही हैं "।

तब गीतिका की मॉम बोलती है, "मैं झूठ नहीं बोल रही हूं, और आपको इनकी शक्ले देख कर बात का पता नहीं चल रहा है"।

उधर गीतिका घर पहुंच जाती है। मीरा घबरा जाती है और यूवी से बोलती है, "भाई इसे अब अंदर ले कर कैसे जाए ?????

तब बंटी बोलता है, "वैसे ही जैसे ले कर आए है "।

तब यूवी गीतिका की तरफ देखता है और बोलता है, "मैने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा जो तुम मेरे साथ ही ऐसा करती हो"।

तभी गीतिका की बुआ जी बाहर आती है और बोलती है, "मीरा तुम तो गीतिका के साथ गई थी न, तो फिर वो कहा है और ये दोनों तुम्हे कहा मिले "।

तब यूवी बोलता है, "काकी आपकी गीतिका ने कार ठोक दी .......

ये सुनते ही गीतिका की बुआ जी घबरा जाती है और बोलती है, "हाय...... क्या कर के आ गए तुम सब मेरी गीतिका के साथ, मीरा तुम्हे कितना मना किया था कि गीतिका को ले कर मत जाओ"।

तभी यूवी बोलता है, "बस बस काकी, इतना परेशान मत हो, कुछ भी नहीं हुआ है आपकी गीतिका को, ये रही आपकी प्यारी "।

तभी गीतिका की बुआ जी कार में देखती है तो गीतिका बैठी रहती है। तब गीतिका बोलती है, "बुआ जी मुझे कुछ भी नहीं हुआ है, मैं बिल्कुल ठीक हु, बस हल्का सा पैर मूड गया है, जिसकी वजह से मैं खड़ी नहीं हो पा रही हूं "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "हाय.... क्या हो गया, मेरी बेटी को "।

तब गीतिका बोलती है, "इतनी ज्यादा चोट भी नहीं लगी है जितनी कि आप परेशान हो रही हैं"।

तब यूवी बोलता है, "काली बस हल्का सा पैर मूड गया है इसका, मालिश करने से ठीक हो जाएगा "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "बेटा वो मीरा के ससुराल वाले जल्दी आ गए हैं और सभी घर वाले हॉल चले गए हैं"।

ये सुनते ही मीरा घबरा जाती है और बोलती है, "मां आप ये क्या बोल रही हो, वो तो शाम को आने वाले थे न "।

तब गीतिका की बुआ जी बोलती है, "मेरे पास अभी इतना टाइम नहीं, जो तुम्हे सब कुछ बताऊं, तुम बस जल्दी चलो मेरे साथ, तुम्हारी वजह से ही मैं यहां पर हु"।

तब मीरा बोलती है, "मगर गीतिका ????

तब गीतिका  की बुआ जी बोलती है, "बेटा ये गांव वाले लोग हैं, और अगर तुम्हे नहीं देखेंगे तो तरह तरह की बाते बनाएंगे, इसलिए तुम्हे मेरे साथ चलना होगा अभी, और यूवी बेटा, देखो मैं तुम्हे अपने बेटे की तरह समझती हूं और गीतिका को तुम्हारे भरोसे छोड़ कर जा रही हूं, तुम इसका ध्यान रखना और मैं अभी वहां से किसी काम वाली को भेजती हूं जो जल्दी से मालिश लगा कर इसका पैर ठीक कर दे, और गीतिका बेटा तुम बुरा मत मानना कि मैं तुम्हे छोड़ कर जा रही हूं, बेटा मैं मजबूर हूं"।

तब गीतिका बोलती है, "आप परेशान मत होइए, मैं सब समझती हूं"।

तब गीतिका की बुआ जी बंटी से बोलती है, "बेटा तुम जल्दी से हमे हॉल ले चलो"।

उसके बाद यूवी गीतिका को गोद में उठाता है और घर में ले जाता है, वहां पर वो उसे सोफे पर बैठा देता है।

तब गीतिका बोलती है, "घर में कोई भी काम वाली नहीं है क्या ????

तब यूवी बोलता है, "क्यों मेरे साथ अकेला रहने में डर लग रहा है................