Nafrat e Ishq - 20 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 20

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नफ़रत-ए-इश्क - 20

हॉस्पिटल के अन्दर जानवी के कैबिन मै

विराट अपने तेज कदमों से जानवी के केबिन की ओर बढ़ जाता है। केबिन का दरवाजा खोलकर वो धीरे से कमरे के अंदर आता हैं ।जानवी को बेड पर सुकून से सोता हुआ देख उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है । वो अंदर आता है और जानवी के ब्लैंकेट जो अब तक बेड के एक कोने में पड़े फ्लोर को छू रही थी उठाकर जानवी को ठीक से ओढ़ देता है। और उसके माथे को चूम कर जैसे ही वहां से हटने लगा जानवी झट से उसका हाथ पकड़ उसे अपने और खींच लेती है ।और विराट अपना बैलेंस खोते हुए एक ही झटके में जानवी के ऊपर गिर जाता है।

जानवी उसे बेड पर लेटा कर उसके ऊपर आ जाती है। और उसके शर्ट के बटन को एक-एक कर खोलते हुए सेड्यूजिंग आवाज में,

"मुझसे दूर जाने की हिम्मत भी कैसे कर रहा है तू?"

विराट उसे खुद के ऊपर से हटाने की कोशिश करते हुए थके हुए आवाज में "क्यों ऐसे पागलों की तरह हरकतें कर रही है?"

"Because I am mad for you।"दबे आवाज में आहें भर कहते हुए जानवी उसके टाई को खिंच कर उसके गर्दन को चुन ने लगती है। विराट चीड़ कर उससे दूर होने लगा।

श्लोक जो विराट का फोन लेकर उसके केबिन में ही आ रहा था एक ही झटके में केबिन का डोर खौल कर अपने ही धुन में अंदर घुसते हुए बोला "भाई वो आपने अपना फोन ....

बोलते बोलते ही अंदर का नजारा देखकर उसके लफ्ज उसके हलक में ही अटक कर रह गए। वो खुली आंखों और खुली होठों से बेड पर चल रहे नजारे को देख रहा था   जानवी जो विराट के ऊपर लेटी हुई थी श्लोक को यूं अंदर आता देख बेड पर से पिलो उठाकर उसके ऊपर दे मारती है ।और चिल्ला कर बोली,

"यू इडियट । इतनी भी तमीज नहीं अंदर आते वक्त परमिशन ली जाती है ?"

उसकी बात और उसकी हरकत देखकर श्लोक उससे भी डबल आवाज में  चीख कर निचे से पिलो उठाकर उसके ऊपर फेंक कर" पागल छिपकली ये कोई तुम्हारा बेडरूम नहीं है , या होटल का कमरा नहीं है के कोई पूछ कर या knock करके आए। हॉडपिटल का केबिन है, समझी।"

फिर बेड की तरफ बढ़ते हुए जानवी को विराट के ऊपर चढ़ता देख गुस्से से मुंह सिकुड़ कर बोला ,

" अरे अरे ये क्या हरकत है ।कोई शर्म हया है या नहीं। थोडा तो रहम खा लेती मेरे भाई के हालत पर। बेचारा मेरा भाई थोड़ा उनकी कंडीशन को तो देख ... बेचारे जख्मी पड़े हुए हैं। हमेशा उन्हे अपनी हवस का शिकार बनाती रहती है। और जब देखो खुद को छिपकली और उन्हें दीवार समझकर उनके ऊपर चढ़ती जाती है ।"

"यू इडियट शट योर ब्लडी माउथ। वरना मुंह नोच डालूंगी।"श्लोक की बात सुनकर जानवी उसके तरफ़ देख दांत पीसते हुए बोली ।

श्लोक भी उसे घूर  कर दांत पीसते हुए बोला,

"पता है मुंह नोच लेगी। और उम्मीद भी क्या कर सकते हैं एक पागल से। चल हट मेरे भाई के ऊपर से छिपकली। मॉलेस्टेशन का केस कर दूंगा तुझपर वरना।"

कहते कहते ही वो खिंच कर जानवी को विराट से दुर करने लगी।

विराट जो पहले से ही  तपस्या के इंगेजमेंट को लेकर फ्रस्ट्रेटेड था कुछ वक्त तक आंखें बंद कर दोनों के चूहे बिल्ली वाली फाइट बर्दास्त करता रहा। लेकिन जब उसके बर्दाश्त से बाहर हो गया वो चीख कर बेड पर उठकर बैठ गया। और चिल्लाते हुए बोला,"शट अप यू बोथ ।अगर कोई भी आवाज मुंह से निकला दोनों को उठाकर बालकनी से बाहर फेंक दूंगा ।"

फिर दोनों को सर्द नजर से घूर कर "और तुम दोनो ये अच्छी तरह से जानते हो ये मैं कर सकता हूं ।"

श्लोक ने अपना सिर झुका दीया। लेकीन जानवी अभी भी उसे गुस्से से घुर रही थी।

इस गहमा गहमी में हॉस्पिटल के पुरे स्टाफ्स और पेशेंट्स भी उस कैबिन के बाहर आ चूके थे। और अन्दर चल रहे श्लोक और जानवी के चूहे बिल्ली की फाइट को आंखे फाड़ कर देख रहे थें।

विराट गुस्से और फ्रस्ट्रेशन से अपना सिर पकड़ लेता है।

थोडी देर बाद का नजारा कुछ यूं था

विराट की गाड़ी के अंदर श्लोक ड्राइविंग सीट पर बैठा हुआ था। उसके साइड में पैसेंजर सीट पर विराट सिर टिकाए अपने माथे को दोनों उंगलियों से रब करते जा रहा था। और जानवी पीछे सीट पर चुपचाप बैठी हुई थी ।उसे तो हॉस्पिटल का यूनिफॉर्म भी चेंज करने का मौका तक नहीं दिया था विराट ने । वो एक लाइट ब्लू कलर की नी लेंथ के वन पीस ड्रेस में थी ।

जानवी पीछे चुपचाप बैठी हुई बस विराट के चेहरे के भाव को ही देखे जा रही थी ।वही श्लोक ड्राइविंग सीट पर बैठे विराट के कुछ कहने के इंतजार में था।

"मुझे आगे चौक के पास छोड़ दो और जानवी को उसके फ्लैट में छोड़कर तू घर चला जा ।"

विराट ने अपनी खामोशी तोड़ते हुए आपने सर्द आवाज में अपना माथा रब करते हुए कहा और चुपचाप अपनी आंखें बंद करके सीट से सिर टिकाए बैठ गया ।श्लोक एक नजर विराट की तरफ देखकर कुछ और ना कहना ही सही समझा। और गाड़ी स्टार्ट करने लगा।

जानवी गुस्से से विराट के और देखकर,

"पर मैं तेरे बगैर कहीं नहीं जाऊंगी । और में

"नो मोर एग्रीमेंट्स जान ।"

जानवी के बातों को आधे में टोक कर सर्द आवाज में विराट ने कहा ।और खामोश हो गया ।

जानवी अभि भी गुस्से से उसके और देखे जा रही थी। उसे तो कभी भी विराट के मूड से कोई फर्क ही नहीं पड़ता था। नाही वो विराट के गुस्से से डरती थी।

करीब 500 मीटर के बाद ,आती जाती गाड़ियों से भरी हुई एक सड़क के किनारे विराट श्लोक को गाड़ी रोकने के लिए कहता है ।श्लोक गाड़ी के रफ्तार धीमी करते हुए सावलिया नजरों से विराट को देखकर ,

"लेकिन भाई ये जगह तो घर से और ऑफिस दोनों से ही बहुत दूर है ।इतनी रात को आप यहां

"बोला ना रुक ।और जान को लेकर जा यहां से। मैं कल घर पहुंच जाऊंगा।"

श्लोक के बात को बीच में काटते हुए विराट ने कहा और कार का डोर खोलकर जाने लगा।

"इतनी रात को यहां क्या करेंगे भाई ?

श्लोक परेशान हो कर  पुछा ।

"गाड़ियों के शोर के बीच धड़कनों की आवाज दबाने जा रहा हूं ।जिंदगी और मौत के बीच के फासले को मिटाने जा रहा हुं ।"

गाड़ियों के आते जाते तेज आवाज को सुनते हुए विराट ने कहा और गाड़ी से बाहर निकल गया ।

श्लोक वही गाड़ी रोक कर कुछ पल उसे देखता रहा ।

"क्या हुआ हमेशा तो भाई का साथ रहने के लिए बहाने ढूंढती हो । फिर आज क्यूं नहीं जा रही हो?"

श्लोक बिना जानवी की तरफ देख बोला । जानवी उसकी बात सुनकर मुंह बनाकर व्यंग भरे अंदाज में,

"क्यों मैं तो छिपकली हुं ना। तुम्हारे भाई के साथ हमेशा चिपकती रहती हूं। "

जानवी ने कह तो दीया लेकिन उसकी नजर दौड़ते हुए बस विराट को देखने लगी । जो बस चले जा रहा था बिना आते जाते गाड़ियों की परवाह किए।

श्लोक विराट को देखते हुए परेशानी भरी भाव से मन ही मन "बख्त आने पर गधी को भी मां बनानी पड़ती है।"फिर आवाज में दुनियां जहां की नरमी बटोरे "ये तो तुझे भी पता है  की तू भी उनको यूं अकेले रहने नहीं देगी ।और ये मुझे भी पता है कि अगर भाई तेरे साथ रहेंगे तो सेफ रहेंगे । तुम उन्हें कुछ होने नहीं दोगी। इसलिए ज्यादा नखरे मत दिखा।और ज़्यादा भाव खाने की जरूरत नहीं अभि भी तू छिपकली ही है। मौका आने दे तूझे अपने भाई के ज़िंदेगी से बाहर निकाला फेंकुंगा। अब निकल मेरे गाड़ी से ।"

श्लोक की आवाज में गुस्सा था ।लेकिन उससे भी ज्यादा विराट केलिए फिक्र थी। जानवी उसे देख मुस्कुरा देती हैं और पीछे से उसके बाल बिगाड़ कर उसे  मुंह बनाकर चिढ़ाते हुए बोलि,

"ये सब तो बस सपनों में ही कर सकते हो तुम। क्यों के हकीकत में नाहीं विराट मूझसे अलग हो सकता है ना में उससे।"

कहते हुए वो मूंह बनाकर श्लोक को दिखने लगी।

श्लोक खुम्नस से उसे घूरने लगा।"अह्ह्ह्ह थोड़े दीन बस और छिपकली तपस्या भाभी को भाई के जिंदगी में आ तो जाने दे फिर देखते है भाई पत्नीव्रता पति न बन गए तो कहना।"

उसे गहरी सोच में देख कर जानवी एक एटीट्यूड लिए,"चल तू भी क्या याद रखेगा माफ किया तूझे। अब घर जा और टेंशन मत ले । उसे सही सलामत कल घर पहुंचा दूंगी।"कहकर ही वो विराट के पीछे-पीछे चल पड़ी।श्लोक उसे वैसे ही घूरता रहा।

रायचंद हाऊस,तपस्या का कमरा

रायचंद हाऊस में पार्टी खत्म हो चुकी थी ।और अभी आधी रात हो चली थी । तपस्या मिरर के सामने बैठे एक-एक कर अपने मेकअप और ज्वेलरी उतार रही थी। अपने खुले बालों पर हाथ फिरते हुए उसे वो मोमेंटो याद आता है ,

"अगली बार से अपने इस संगेमरमर से बदन को ढक कर रखिएगा ,वरना शहर में अंधों की तादाद कुछ ज्यादा ही बढ़ जाएगी । मिस रायचंद।"

विराट की कही हुई बात याद आते ही उसके होठों पर एक मुस्कुराहट खिल जाती है ।उसे वो पल याद आता है जब विराट ने उसके कंधे पर चीन रखकर उसे चूम लिया था । उसकी आंखें कुछ शर्म और कुछ मदहोशी से खुद-ब-खुद बंद हो जाती हैं ।

मदहोशी में डूबी हुई खुद में ही सिमटकर वो खुद से ही बात करने लगीं।

तपस्या खुद में ही मुसकुराते हुए,

"अजीब सा एहसास है, बेचैनी भी है ,और सुकून भी । सर्दि भी लग रही है और गर्मी का एहसास भी । बहुत भूख लग रही है और खाने का मन नहीं है ।सोने का मन है लेकिन आंखों से नींद ही गायब है। ऐसा लग रहा है जैसे पेट में हजारों तितलियां उड़ रही हों।हमारे धड़कने तेज है लेकिन आवाज उनके धड़कनों की सुनाई दे रही है। क्या करें खुद को संभाल ही नहीं पा रहे हैं ।"

कहते हुए तपस्या खामोश हो जाती है ।और कुछ सोच कर रिमोट उठा कर म्यूजिक सिस्टम ऑन कर खुद को मिरर में देखते हुए आंखे बन्द कर लेती है। और उसी के हाल पर फिट बैठता हुआ एक गाना कमरे के हर कोने में गूंजे ने लगती है।

कहानी आगे जारी है ❤️ ❤️