Krick Or nakchadi -part -3 in Hindi Love Stories by krick books and stories PDF | Krick और Nakchadi - 3

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Krick और Nakchadi - 3

 " एक बार स्कूल मे फन फेर हुआ था मतलब ऐसा मेला जिसमे सभी स्कूल के छात्र अपनी अपनी अलग अलग दुकाने लगा सकते है केवल अपनी स्कूल छात्र एवं हमारे अध्यापक ही इसमें हिस्सा ले सकते है सब ने अपने अलग अलग स्टॉल लगा लिये थे जैसे की खाने -पीने की, नास्ता , आईसक्रीम , गेम्स, विज्ञान का कोई प्रयोग, छोटी मोटी काफी कपड़ो की दुकाने जैसे बहुत सारे दुकानों के स्टॉल लगे थे हमने भी  गरमा गरम पफ की दुकान लगाई थी और साथ मे मेने खुद बनाई हुई पेंटिंग भी  रखी थी सायद पचास जितनी पेंटिंग मेने अपने हाथो से बनाई थी इस मेले मे नकचडी  ने हिस्सा नही लिया था क्युकी वो बारवी मे थी और उसके बोर्ड की परिक्षा नजदीक थी इस लिये उसे हिस्सा लेने  का मोका ही नही मिला इस लिये वो मेरे साथ नही थी मेरा शरीर तो मेले मे ही था लेकिन मेरा दिल नकचडी के बिना बहुत ही अकेला था, हमारे स्टॉल पर मेरा बिल्कुल भी मन नही लग रहा था मे बहुत ही उदास होकर बैठा था और ये स्कूल वाले उपर से सेड लोफि वाले सोंग चला रहे थे फन फेर  बड़ा सा म्युझीक सिस्टम लगा हुआ था जिससे पुरे फन फेर मे सब लोग आंनद उठा सके । 

" पूरे मेले मे सब एंजॉय कर रहे थे केवल मे ही अपनी उदासी भरी आँखे लेकर बैठा था और मन मे नकचडी की ही यादे चलती थी उस समय तो फोन भी नही था हमारे पास यादो के सहारे ही खुद को ये बार बार दिलासा दिलाते रहना की हा वो एक दम ठीक है और मुझे ही याद कर रही होगी । "

ये मेला दो तीन दिन तक चलने वाला था तब नकचडी की एक दोस्त मेरे पास आई उसने मुझे नकचडी का एक खत दिया जिसमे उसने लिखा था की " आई मिस यू " क्रिक मुझे पता है तुम मुझे बहुत ही ज्यादा याद कर रहे हो बस वैसे ही मे भी तुम्हे बहुत याद कर रही हु अब मुझे तुम्हे मिले बिना रहा नही जाता इस लिये आज ही मे तुम्हे मेला देखने के बहाने मिलने के लिये आऊँगी बस इतना ही पढ़ते मे खुशी से रोने लगा बहुत खुशी मुझे हुई मेरे उदास और मुर्जाया हुआ चेहरा फिर से खिल गया मे उसका इंतजार करने लगा वो मुझसे मिलने आने वाली है ये सोच सोच के ही एक एक मिनट घण्टों की तरह लग रही थी समय की गति धीमी हो गई थी मेरा इंतजार बहुत ही लम्बा मुझे लगने लगा था फिर शाम हुई और मुझे नकचडी मिलने के लिये आई मुझे लगा था की पहली बार देखते ही मे उसे गले लगा लूंगा लेकिन ऐसा नही हो सका क्युकी उसकी मम्मी भी उसके साथ मेला देखने के लिये आई थी और   नकचडी की छोटी बहन भी उसकी मम्मी के साथ आई थी तो नकचडी के दिमांग मे एक तरकीब सूजी उसने अपनी छोटी बहन के साथ मम्मी को उलझा दिया और मेले मेही छुपके छुपके मेरे पास आ गई और हमने भीड़ का फायदा उठा के एक घंटे तक मेले मे यहाँ वहाँ साथ मे घुमते रहे बहुत सारी चीजे भी मेले मेसे खरीदी और मेने कुछ पेंटिंग भी सिर्फ और सिर्फ नकचडी को ही गिफ्ट करने के लिये बनाई थी जो मेने उसे देदी जिसे देख कर उसे बहुत खुशी मिली बस ऐसे ही छुपके से हमने पुरा मेला देखा " क्या करे वो स्कूल के समय का प्यार कितना छुपाके रखना पडता था लेकिन हमे घूमने का बहुत मजा आया हमने खूब मजे किये और एक यादगार पल बनाये जो आज भी याद आ जाते है । "

मेने नकचडी से पूछा की मे तो तुम्हारी मम्मी से मिलना चाहता था फिर तुम क्यु छुपके से मुझे मिलने आई और उन्हे तो मेरे बारे मे पता भी है की मे तुम्हारा दोस्त हूँ हम साथ मे टिफिन खाते है मस्ती करते है हमारी दोस्ती बहुत अच्छी है तब नकचडी ने मुझे बताया की मम्मी को गलत फेमि हो गई है वो तुम्हे गलत समझती है वो ऐसा समझती है की तुम मुझे परेशान करते हो तुम मेरे पीछे पड़े हो ये बात सुनके मेरे पेरो तले से जैसे जमीन ही सरक गई मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था की ऐसी बात उनको बताई किसने ऐसे गलत फेमि हुई केसे ? अभी तो सिर्फ हम दोनो की दोस्ती ही है जो प्यार से भी बडकर थी अभी तो हमे मिले कुछ ही महीने हुवे थे और परिस्थिति बिछड़ने लायक बन गई थी लेकिन हमने ज्यादा उस बात पर ध्यान नही दिया नकचडी के ये स्कूल लाइफ के आखरी दिन थे वो बारवी मे थी ना तो उसकी बोर्ड की परीक्षा पास ही आ गई थी उसके बाद उनका आखरी फेरवेल था जिसमे हम सब लोग भी गये थे सब लोग बहुत ही उदास थे क्युकी सब एक दूसरे से बिछड़ने वाले थे और स्कूल लाइफ का भी अंत होने वाला था उदासी के साथ कुछ लोग बेंच पर चढ़ चढ़ कर फोटो खिच रहे थे मस्ती मजाक कर रहे थे मानो पुरे क्लास मे शोर ही शोर था सिर्फ एक ही ऐसा कोना था जीसमें शांति और उदासी के साथ क्रीक और नकचडी एक बेंच पर बैठे थे वो काफी समय से एक दूसरे की और उदासी भरी आँखों से  बाते कर रहे है थे उनकी आँखे आशुओ से भर गई पल भर मे ही नकचडी ने क्रिक को गले लगा लिया और दोनो ही रोने लगे सायद उन्हे लगा की ये उनकी आखरी मुलाकात है इस लिये वो बहुत ही ज्यादा रोने लगे थे इन दोनो का प्यार देख कर पुरा क्लास भी शांत हो गया और उदास हो गया क्रिक ने  नकचडी का हाथ पकड़ के बहुत सारे वादे किये की मे जिंदिग भर तुम्हारा साथ निभाऊँगा तुम चिंता मत करो मत रोवो हम मिलते रहेंगे ये सुनके नकचडी  और ज्यादा रोने लगी तब क्लास के कुछ दोस्तो ने हमारे पास आकर हमे होसला दिया की आप दोनो का प्रेम महान है आप दोनो चिंता मत करो अभी तो स्कूल ही खत्म हुई है किताब का सिर्फ एक चेप्टर ही खतम हुआ है अभी कॉलेज की पुरी किताब बाकी है तुम कॉलेज मे भी साथ ही रहोगे इस लिये चिंता मत करो ये सुनके हमे थोड़ा होसला मिला और क्रिक नकचडी फिर से आशु पौंछ कर फिर प्रेम से मुस्कुराने लगे । "

बस इस तरफ स्कूल लाइफ की वो आखरी मुलाकात थी आगे क्या हुआ उसकी कहानी हम बाद मे सुनेंगे । 

"चलो दोस्तो चलता हूँ आगे की कहानी के साथ अगले पार्ट मे मिलता हूँ ।"