हवेली में प्रवेश
एक ठंडी रात में, जब पूरा गाँव गहरी नींद में सो रहा था, विक्रम ने हवेली की ओर कदम बढ़ाए। उसने अपने साथ एक टॉर्च, नोटबुक, और एक कैमरा लिया। हवेली की दरवाजे पर पहुँचते ही उसे वही ठंडक महसूस हुई जो अमन ने वर्षों पहले महसूस की थी। लेकिन उसकी जिज्ञासा ने उसके डर को दबा दिया। विक्रम ने हवेली का दरवाजा खोला और अंदर कदम रखा। वहाँ की दीवारें अब और भी जर्जर हो चुकी थीं, और हर कोने में धूल और मकड़ियाँ थीं। उसने धीरे-धीरे टॉर्च की रोशनी में कमरों को खंगालना शुरू किया।
आख़िरकार, उसे वही कमरा मिला जहाँ वह किताब रखी हुई थी।क़िताब का पुनः अनावरण क़िताब वहीं थी, जैसे कि उसका इन्तज़ार कर रही हो। विक्रम ने किताब को उठाया और जैसे ही उसने उसे छुआ, एक ठंडा झोंका कमरे में फैल गया। उसे महसूस हुआ कि वह अकेला नहीं है, जैसे कोई अदृश्य ताकत उसकी हर हरकत पर नज़र रख रही हो। लेकिन विक्रम ने अपने डर को नजरअंदाज करते हुए किताब को खोला।किताब के पन्ने विक्रम के सामने खुलने लगे। शब्द एक बार फिर से अपनी अदृश्य स्याही से विक्रम के मन-मस्तिष्क में घुलने लगे। उसे वे ही डरावनी दृश्य दिखने लगे, जो अमन को दिखे थे। हर पन्ने पर खून, चीखें, और मौत का खौफ़नाक मंज़र उभरता था। लेकिन विक्रम ने किताब को पढ़ना जारी रखा, वह जानता था कि इस कहानी में ही उसका करियर का सबसे बड़ा लेख छुपा है।
जैसे ही विक्रम ने आख़िरी पन्ने तक पहुँचने की कोशिश की, किताब ने अपने रहस्य से पर्दा उठाया। क़िताब में एक प्राचीन अनुष्ठान का विवरण था, जिसमें मानव बलि की बात की गई थी। यह अनुष्ठान आत्माओं को इस दुनिया में बुलाने और अपने नियंत्रण में करने का तरीका था। विक्रम को समझ आ गया कि यह वही अनुष्ठान था जिसने अमन को पागल कर दिया था।
लेकिन अब विक्रम को भी वही बुखार चढ़ने लगा था। उसने सोचा कि अगर वह इस अनुष्ठान को पूरा कर ले, तो वह किताब का सारा रहस्य जान सकेगा। और शायद वह इसे अपने जीवन का सबसे बड़ा कारनामा बना सके।
अन्तिम निर्णय
विक्रम हवेली से किताब लेकर अपने कमरे में वापस आया। उसके मन में अब केवल एक ही विचार था—इस अनुष्ठान को पूरा करने का। वह पागलपन की कगार पर खड़ा था, जैसा कि अमन के साथ हुआ था। लेकिन विक्रम की कहानी का अंत थोड़ा अलग था।
विक्रम ने अनुष्ठान की तैयारी शुरू की। उसने अपने दोस्तों और करीबी लोगों को गाँव बुलाया, यह कहते हुए कि वह एक खास घटना के बारे में उन्हें बताना चाहता है। रात का समय चुना गया, क्योंकि अनुष्ठान को रात के अंधेरे में ही पूरा किया जाना था।
उस रात, विक्रम ने वही किया जो किताब ने उससे करवाया। उसने अपने दोस्तों को एक-एक करके मार डाला। हर हत्या के साथ, उसे लगता कि वह किताब के और करीब आ रहा है, और अब वह इसके रहस्य को पूरी तरह समझ सकेगा।
लेकिन जैसे ही विक्रम ने आखिरी हत्या की, उसने देखा कि किताब के पन्नों में उसकी खुद की मौत की भविष्यवाणी हो चुकी थी। वह अब वही करने जा रहा था जो अमन ने किया था—अपने जीवन का अंत।
अब अगले अध्याय में जाने क्या होगा प्रारंभ या आरंभ और अगले अध्याय मैं पढ़ें.......
चक्र का पुनः प्रारंभ