"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -३४)
NGO की हेड ज्योति शुभम के अस्पताल में आती है और अपनी पिछली गलती के लिए माफी मांगती है
और अपनी प्रेम कहानी कहती हैं।
अब आगे ...
ज्योति:-' मुझे पता चला कि मेरा प्रेमी दूसरी दो लड़कियों के साथ प्यार का नाटक खर कर रहा था।बस मेरे मन में यही गुस्सा था तभी मैंने तय कर लिया कि एक एनजीओ का मैनेजर होने के नाते महिलाओं को सच्चा न्याय दिलाना है। जब युक्ति की बातें सुनी थी तब मुझे तुम पर गुस्सा आया था।केवल इसी कारण तुम्हारे साथ अन्याय हुआ। जब मैं अस्पताल आई तो युक्ति के कपड़े आधे फटे हुए थे। उस समय आपके दो स्टाफ सदस्यों ने मुझे बताया कि युक्ति को किसी ने शॉल में लपेटा हुआ था और डॉक्टर साहब ने युक्ति को अपने क्वार्टर में बुलाया था और उसका यौन शोषण किया। आपके क्वार्टर में दो बार अकेले में युक्ति आपको मिली थी। बस इसी बात पर मैंने तुम्हें मजबूर किया कि अगर तुम अपनी इज्जत बचाना चाहती हो तो युक्ति से सीधे शादी करो या जेल जाओ।'
डॉ.शुभम:-'लेकिन उस समय मैंने अपनी बातें आपके सामने रखी थी, लेकिन आप मानने को तैयार नहीं थे। मुझे ही दोषी मानने लगे। युक्ति ने चिल्ला कर सबको इकट्ठा कर लिया, यहां तक कि जब तुम आये तो मैंने कहा कि युक्ति स्टाफ के लोगों को नजरअंदाज कर मेरे क्वार्टर में आ गयी थी। मेरे क्वार्टर का दरवाज़ा खुला था।दो बार मैंने स्टाफ को बुलाया और उसे उसके कमरे में ले गये। जब भी वो बुरी घटना याद आती है तो ऐसा होता है कि इंसान किसी का भला करने की कोशिश करें फिर भी उसे इज्जत नहीं मिलती। युक्ति जब मेरे घर में आई तब मेरे घर का दरवाज़ा खुला था। मैं किचन में था और वो अचानक आ गयी। वह मेरे साथ छेड़छाड़ करने लगी ।जब मैंने उसे चेतावनी दी तो उसने कहा कि वह मेरे बिना नहीं रह सकती अगर मैंने उसका प्यार स्वीकार नहीं किया तो वह मुझे बदनाम कर देगी। तब मुझे लगा कि युक्ति का इलाज फिर से करना पड़ेगा शाय़द दवाई खातीं नहीं होगी।उस पर निगरानी रखनी पड़ेगी।वह मानसिक रूप से अस्वस्थ होने का नाटक कर रही थी। मैंने उसे अपने कमरे में जाने के लिए कहा लेकिन फिर उसने अपने कपड़े फाड़ दिए और रोते हुए क्वार्टर से बाहर भाग गई। आख़िरकार, जो नाटक होना था ,वो हो चुका। मुझे बदनामी के साथ जीना पड़ा।जब तुम आए थे तो मैंने सच कहा था लेकिन..लेकिन..तुमने मुझ पर विश्वास नहीं किया था।'
ज्योति:-'हां.. मैंने बाद में सच्चाई की पुष्टि की लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आपकी शादी युक्ति से तय हो चुकी थी। मेरी वजह से ही आपको शादी करनी पड़ी। बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ।मुझे यह भी बाद में पता चला कि आप परोपकारी और निस्वार्थ हैं।आपने युक्ति के अपराधी होने के मामले को दोबारा खोला और युक्ति की सज़ा माफ करवा दी। आपने उसके लिए बहुत मेहनत की थी। मैं आपसे सहानुभूति रखतीं हूं साथ साथ आपसे इम्प्रेस भी हूं। युक्ति की सजा माफ करने के लिए आपने केस दोबारा खुलवाया और सजा माफ कर दी, लेकिन उस समय मेरी उम्र कम थी। जब मैंने तुम्हारे बारे में जानने की कोशिश की तो सारी सच्ची बातें सामने आ गईं।'
डॉक्टर शुभम: अब उस बारे में बात करने का कोई मतलब नहीं है. हाँ.. तुम्हें एक काम के लिए बुलाया गया है । हमारा वहां एक लड़का है जिसका नाम सोहन है, उनकी मां की मृत्यु के बाद उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गई और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली और उनकी हालत खराब हो गई, इसलिए उनके पिता ने उन्हें इस अस्पताल में भर्ती कराया।'
ज्योति:-'आपका काम तो खूबसूरत है लेकिन अगर एक पिता ने अपने बेटे को प्यार से पाला होता तो ये हालत नहीं बिगड़ती। दुनिया में कैसे-कैसे लोग हैं! ऐसे अनुभवों के कारण ही आप दोबारा शादी नहीं करते हैं। मैं आपकी भावना समझता हूं. मैं ज्योति ऐसे लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हूं। मैंने आपके जीवन से बहुत कुछ सीखा है और सेवा करने के लिए प्रेरित किया हूं। हां,अस्पताल में मैंने एक लड़के को खेलते देखा, वह स्वस्थ लग रहा था।'
डॉक्टर शुभम:-'हां.. उसका नाम सोहन है, छोटा बच्चा है, अब वह लगभग ठीक हो गया है, बात यह है कि उसके पिता उसे अपने साथ ले जाने के लिए तैयार नहीं हैं .क्योंकि उसने दूसरी शादी कर ली है।सोहन अपनी सौतेली माँ को देखकर शरारती हो जाता है,और उसकी मानसिक हालत बिगड़ जाती है।उसे माँ का प्यार नहीं मिला।मुझे लगता है कि वह लगभग ठीक हो जाएंगे। उन्हें एक या दो महीने में छुट्टी मिल जाएगी।लेकिन फिर मुझे तुम्हारी याद आयी. इसीलिए तो तुम्हें बुलाया है।'
ज्योति:- 'ज़रूर..ज़रूर..मैं मदद करूंगी..लेकिन किस तरह की मदद, मैं सोचूंगी। मैं तुम्हें एक बात बताऊं, तुम्हारे कॉलेज की सबसे अच्छी दोस्त रूपा के बारे में भी मुझे पता था, आप एक मनोचिकित्सक हैं। इसलिए रूपा के पिता ने मना कर दिया। लेकिन रूपा एक डॉक्टर है, उसे समझना चाहिए अगर उसने उस समय विश्वास कर लिया होता तो युक्ति का मामला नहीं होता। लेकिन फिर सच्ची जानकारी मिली कि तुम और रूपा शादी करने को तैयार थे, जब तुम युक्ति के मामले में फंस गये। मुझे उसके लिए दुख है। मैंने तुम्हारे साथ अन्याय किया है. तुम अब भी रूपा से विवाह कर सकते हो, लेकिन मुझे समझ नहीं आता कि जीवन के अंतिम पड़ाव में तुम अकेले कैसे जीवन बिताओगे!'
( नये पार्ट में क्या कुछ होने वाला है?)
- कौशिक दवे